शिल्पी की चुदाई?

s10 2013-03-28 Comments

प्रेषक : रमा शंकर

अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार !

दोस्तो, यह मेरी पहली कहानी है जो मेरे साथ घटी एक सच्ची घटना पर आधारित है। आशा है कि आपको पसंद आएगी। मेरा नाम रमा शंकर है और मैं मध्यप्रदेश के खंडवा नगर के पास एक गांव का निवासी हूँ।

वैसे तो मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ लेकिन मैंने इससे पहले कभी कहानी नहीं भेजी है।

तो दोस्तो, यह उस समय की बात है जब मैं बी टेक के आखिरी साल में था और मेरे इम्तिहान चल रहे थे। तभी मेरे मामा के लड़के की शादी थी लेकिन मैं इम्तिहान की वजह से उसमें शामिल नहीं हो पा रहा था इसलिए मैंने फैसला किया कि मैं परीक्षा के बाद सीधे अपने मामाजी के यहाँ ही जाऊँगा।

मैंने अपनी बी टेक की पढाई इंदौर से की है। मेरे भैया की शादी नागपुर में हो रही थी।

जैसे ही मेरा अन्तिम पेपर खतम हुआ तो मैं सीधे अपने मामाजी के यहाँ चला गया। शादी की लगभग सभी रस्में पूरी हो चुकी थी और अधिकतर रिश्तेदार भी जा चुके थे। मैं घर जाकर हाथ पैर धोकर सीधा खाना खाने बैठ गया क्यूंकि मैंने रास्ते में कुछ नहीं खाया था और सीधे घर ही गया था।

तभी मुझे पता चला की नई भाभी के साथ उनकी एक छोटी बहन भी आई हुई है जिसका नाम शिल्पी है। हमारे यहाँ पर पहली बार में दुल्हन के साथ कोई छोटी लड़की भी ससुराल जाती है ताकि नई बहू को एकदम नए माहौल में कोई अपना भी दिखता रहे। लेकिन भाभी के घर कोई छोटी लड़की नहीं थी इसलिए वो शिल्पी को लेकर आई थी।

वैसे शिल्पी कुछ ज्यादा बड़ी नहीं थी उसकी उम्र कोई 18 के आसपास रही होगी। देखने में एकदम भोली भाली क्यूट सी लगती है और है भी एकदम क़यामत !! एकदम गोरी चिट्टी, चिकनी और चमकदार गोल गोल चेहरा, बड़ी बड़ी काली आँखें और लंबे लंबे काले बाल। कोई भी देखे तो उसका चेहरे से नजर हटाने को दिल न करे !

अधिकतर रिश्तेदार वापिस चले गए थे, इस वजह से मुझे उससे बात करने का काफी मौका मिल गया था।

सबसे पहले मेरे मामा की लड़की ने मुझे उससे मिलवाया। मिलते वक्त वो काफी उत्सुक लगा रही थी क्यूंकि मेरे मामा की लड़की ने उसे मेरे बारे में बता दिया था कि घर से दूर रहकर बी.टेक की पढ़ाई कर रहा था और हमारे गांव में और रिश्तेदारों में बी टेक को काफी इज्ज़त और सम्मान से देखा जाता है, मुझसे पहले मेरे घर में किसी ने नहीं किया था।

उसने भी बताया कि वो बारहवीं के एक्साम देकर आई है। बातों बातों में पता चला कि आज तो भैया की सुहागरात है और हम लोगों को ही उनके कमरे को सजाना था। मैं बाईक से सजावट का सामान लेने मार्केट गया साथ में वो दोनों भी थी और मेरे मामा का छोटा लड़का भी था जो मेरी उम्र का था।

चूँकि मुझे ज्यादा पता नहीं था कि क्या लेना है, इसलिए सारी शौपिंग उन दोनों ने की और मैं और मेरा भाई एक जगह खड़े होकर आपस में बाते करते रहे। वहाँ से लौटकर वो लोग कमरा सजाने में लग गए मैं वहीं पर बैठा हुआ रहा। बीच बीच में हंसी मजाक भी चलता रहा क्यूंकि माहौल ही कुछ ऐसा था। उस समय मेरे दिमाग में यह बिल्कुल नहीं आया था कि एक दिन मैं इसको चोदूँगा।

रात में मैं अपने मामा के छोटे लड़के के साथ मार्केट निकल गया, वहाँ पर हम दोनों बीयर बार में गए और पीने लगे। ये हम लोगों का नियम था जब भी मैं मामा के यहाँ जाता था एक दिन यही काम होता था। और उस दिन हम लोगों पर किसी का ध्यान ज्यादा नहीं था इसलिए आराम से हम लोग निकल गए थे।

बातों बातों में शिल्पी का भी जिक्र हुआ तो मैंने कहा- वाकयी में आकर्षक है और अगर चोदने को मिल जाये तो मज़ा आ जायेगा।

मेरे मामा का लड़का, जिसका नाम अशोक था, वो बोला- कुछ शर्मीली है, मुझसे तो अभी तक ज्यादा बात नहीं की है लेकिन तुम चांस ले सकते हो क्यूंकि शाम को तुमसे खुलकर बातें कर रही थी।

हम लोग काफी लेट रात में घर लौटे, चुपचाप गाड़ी पार्क की और घर के अंदर चले गए। चूँकि घर में अभी भी कुछ मेहमान थे और गाना बजाना भी चल रहा था, सभी लोग बाहर आँगन में थे इसलिए हम दोनों अंदर अशोक के कमरे में चले गए और लेट गए।

इस बीच शिल्पी ने हमें देख लिया था तो थोड़ी देर बाद वो भी वहाँ आ गई और पूछने लगी कि क्या हम लोग खाना खायेंगे?

मैंने न बोला तो वो पूछने लगी कि कहाँ गए थे आप लोग?

मैंने बोला कि काफी दिन बाद मामाजी के यहाँ आया हूँ इसलिए कुछ दोस्तों से मिलने चला गया था। इस बीच अशोक एकदम चुपचाप होकर लेटा हुआ था, शायद उसने ज्यादा पी ली थी या फिर वो बात करने के मूड में नहीं था।

शिल्पी जाने लगी तो मैंने कहा- यार कुछ देर यहीं रुको, बातें करते हैं वहाँ पर तुम्हारा क्या काम है?

इस पर वो वही बेड पर मेरे करीब बैठ गई और फिर हम लोग आपस में बातें करते रहे।

उसने बताया कि उसके घर में वो, उसकी दीदी मधु और मम्मी, पापा के अलावा और कोई नहीं है। उनका कोई सगा भाई नहीं है।

मैंने बॉय फ्रेंड के बारे में पूछा तो वो शरमा गई और बोली- हमारे यहाँ ये सब नहीं होता है, मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ।

मैंने बोला- इसमें बुराई क्या है?

और उसकी कलाई को पकड़ लिया। एकदम नरम नरम कलाई को पकड़ते ही मेरे लंड में हलचल होने लगी। उसके बाद जब उसने कसमसाते हुए कलाई छुड़ाने की कोशिश की तो मेरा लंड खड़ा होकर सलामी देने लगा।

वो बोली- आपके इरादे मुझे कुछ नेक नहीं लग रहे हैं।

इस बात पर मैं उठकर बैठ गया और अपना दूसरा हाथ उसकी कमर में डालते हुए कहा- तुम्हें पहली बार देखकर ही मेरे इरादे बदल गए थे।

अब वो अपनी कमर हिलाते हुए छटपटाने सी लगी थी जैसे कोई उसकी कमर में गुदगुदी कर रहा हो। अब तक मैंने अपने दूसरे हाथ से उसका दूसरा हाथ भी पकड़ लिया था।

शिल्पी- ये आप क्या कर रहे हैं? प्लीज़ छोडिये मुझे।

उसकी आवाज कांपने लगी थी।

मैंने सोचा कुछ और करूँगा तो शायद ये यहाँ से चली न जाये इसलिए मैंने अपनी पकड़ ढीली कर दी लेकिन मैं उससे सटकर बैठा रहा। कुछ सामान्य होकर वो बोली- आपकी गर्लफ्रेंड है क्या?

मैंने बताया- कॉलेज में तो थी लेकिन अब कॉलेज खत्म तो दोस्ती खत्म ! अब तो एक हमसफर की ही कमी है।

शिल्पी- वो गर्लफ्रेंड हमसफ़र नहीं बन सकती है क्या?

अब तक उसने अपने दोनों हाथ मुझसे छुड़ा लिए थे और मैंने भी जाने दिया।

मैं बोला- उसे छोड़ो यार, अब तो ऐसी गर्लफ्रेंड की तलाश है जिससे बाद में मैं शादी भी कर सकूँ। उसके साथ तो सिर्फ 4 साल का ही साथ था।

इस बीच मैंने उसकी कमर पर हाथ रख लिया था। इस बार वो उठकर खड़ी हो गई और बोली- मैं जा रही हूँ, आपके हाथ आपके काबू में नहीं हैं।

मैंने यूँ ही बनते हुए बोला- यार तुम तो बुरा ही मान गई, अब तो तुम मेरी भी साली हो और साली आधी घरवाली होती है, कम से कम मैं टच तो कर ही सकता हूँ।

वो बोली- हाँ सो तो है लेकिन आप बहुत फास्ट हो।

इस बार उसने अपनी आँखें मटकाते हुए कुछ इस तरह से मुँह बनाया कि मैं बस देखता ही रह गया। उस समय उसने एक हल्के नीले रंग का सलवार कमीज पहना हुआ था।

मैंने माहौल को बदलते हुए पूछा- तुम हमेशा ऐसे ही कपड़े पहनती हो? जींस और टॉप तुम पर बहुत मस्त लगेगा।

वो बोली- जींस तो मम्मा दीदी को भी नहीं पहनने देती थी।

मुझे इसमें कुछ भी अजीब नहीं लगा क्योंकि हम लोग एक मध्यम वर्ग परिवारों से हैं और इतने ज्यादा एडवांस भी नहीं हैं।

वो अपनी बात खत्म करते हुए बोली- लेकिन हम लोग तो अकेले में बहुत पहनते हैं, दिन में मैंने पहना था।

मैंने भी कहा- हाँ, मैं तो शाम को ही यहाँ आया हूँ। अच्छा कल पहन कर दिखाना।

वो बोली- आप इतने स्पेशल नहीं हैं।

और हँसते हए बाहर चली गई। मैंने पीछे से देखा उसके कूल्हे भी एकदम जन्नत थे।

अब मुझे नींद नहीं आ रही थी क्यूंकि मेरा लंड पजामे के अंदर फड़फड़ा रहा था और उसे शांत करना ही एकमात्र उपाय था। मैं आँख बंद करता तो उसकी छोटी छोटी लेकिन एकदम गोल और कसी हुई चूचियाँ ही दिखाई दे रही थी। मैं अब सिर्फ यही प्लान बना रहा था कि कैसे करके उसे चोदा जाये !

मैं आंख बंद करके सोचने लगा कि उसकी चूत कैसी होगी और अपने पजामे में हाथ डाल कर अपने लंड को सहलाने लगा। अशोक जो अभी तक चुपचाप लेटा हुआ था, उसने मेरी तरफ करवट ली और बोला- यह इतनी जल्दी नहीं मिलेगी ! अगर बोलो तो कहीं और से इंतजाम करूँ?

अंधा क्या चाहे दो आँखें?

मैंने सोचा कि मुठ मारने से बेहतर की कोई और ही मिल जाये, मैंने कहा- क्या तू कुछ इंतजाम करवा सकता है?

वो बोला- अरे वो मेरी वाली आइटम है न गौरी? बहुत दिनों से नहीं चोदा है साली को ! और आज तो मेरी भी काफी इच्छा हो रही है।

मैं गौरी को जानता था, वो मामा के बगल वाले घर में अपने मम्मी पापा और एक भाई के साथ रहती थी। उसका भाई अभी छोटा ही था। अशोक ने उसे पटा के रखा हुआ था और उसे बहुत चोदता था वो भी चुदाई के लिए हमेशा तैयार रहती थी। वो अशोक को अपना बॉयफ्रेंड समझती थी लेकिन अशोक उसे सिर्फ अपनी प्यास बुझाने का साधन।

एक बार तो अशोक ने उसे मुझसे भी चुदवाया था, वो कहानी कभी बाद में लिखूँगा।

मैंने अशोक से गौरी के लिए हाँ कर दिया और उसने गौरी को फोन लगाया। वो बाहर ही सभी औरतों के साथ बैठी हुई थी। उससे बात करके अशोक बोला- अभी उसके ही घर में चलते हैं, वहाँ कोई नहीं है।

उसका बाप एक ट्रक ड्राईवर है और वो अक्सर घर से बाहर ही रहता है, मम्मी अभी यहीं पर व्यस्त हैं और भाई सो गया है।

हम दोनों चुपचाप पीछे वाले रास्ते से उसके घर पहुँचे। तब तक वो भी नींद आने का बहाना करके घर पहुँच गई थी और दरवाजा उसी ने खोला। रात में भी वो एक टाईट टॉप और पजामे में चमक रही थी।

हम दोनों अंदर गए तो वो दरवाजा बाद करते हुए बोली- जल्दी कर लो, क्यूंकि प्रोग्राम कुछ देर में खत्म हो जायेगा और फिर मम्मी आ जायेगी।

अशोक सिगरेट जलाते हुए बोला- मेरे भाई को खुश कर दे, बेचारा काफी दूर से आया है और एकदम सूखा सूखा है।

गौरी ने मेरी तरफ मुस्करा के देखा और अपना पजामा उतारने लगी।

उसकी जाँघें भी एकदम गोरी गोरी और चिकनी थी। मेरा लंड देखते ही फड़कने लगा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैं उसी की तरफ देख ही रहा था कि अशोक बोला- क्या कर रहा है बे? तू भी शुरु हो जा।

लेकिन मेरी आँखों में शिल्पी ही घूम रही थी। मैंने मन ही मन सोचा कि सामने शिल्पी ही है और गौरी के टॉप के अंदर हाथ डालकर उसके मम्मे दबाने लगा। वो कई बार चुद चुकी थी लेकिन फिर भी पता नहीं क्यूँ उसके मम्मे दबाते हुए मुझे नहीं लग रहा था कि यह चुदैल है और वो भी अपनी हरकतों से मुझे काफी आनंदित कर रही थी, अब तक उसने मेरे पजामे को नीचे खिसकाकर मेरे लंड को हाथ में ले लिया था और उसे प्यार से हिलाने लगी थे।

मैं काफी जल्दी में था सो मैंने उसके टॉप को उतार दिया और पीछे हाथ ले जाकर उसकी ब्रा को खोल दिया था। अब उसके बड़े बड़े चुच्चे मेरे दोनों हाथों में थे। मैं कभी उसके निप्पलों को मसलता कभी मुँह में लेता और काट रहा था।

उसने भी मेरे पजामे को चडडी समेत उतार दिया था और मेरे लंड पर किस कर रही थी। मैंने अपना लंड उसके मुँह में देने की कोशिश की लेकिन उसने नहीं लिया।

मैं खड़ा हो गया और उसकी पैंटी को खींचकर एक ही झटके में उसकी एक टांग से बाहर कर दिया अब वो एकदम नंगी पड़ी थी मेरे सामने और मैं भी एकदम नंगा उसके सामने खड़ा हुआ था। मैं उसे पहले भी एक बार चोद चुका था लेकिन वो अभी भी मुझे आकर्षक लग रही थी।

वो अपनी आँखें बंद किये हुए थी और एकदम सीधी लेटकर अपनी चूत में उंगली डाल रही थी। मैंने भी उसकी दोनों टांगों को पकड़कर उठाया और अपने कन्धों पर रखा, एक उंगली को उसकी चूत में लगाया तो पता चल गया कि वो गर्म हो चुकी थी और उसकी चूत से पानी आ रहा था।

मैंने एक हाथ से अपने लंड के सुपारे को उसकी चूत के छेद पर रखा और जोर से धक्का दिया। ‘गच्च’ की आवाज के साथ पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया। मैंने उसकी कमर को पकड़कर अपने आप को एडजस्ट किया और फिर धक्के लगाने शुरू कर दिए। मैं मन ही मन शिल्पी के बारे में सोचता जा रहा था और चुदाई कर रहा था। फच्च फच्च की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था।

तभी अशोक ने भी अपने पजामे से अपना लंड निकाला और गौरी के मुँह में दे दिया। अब मैं उसकी चूत को चोद रहा था और अशोक उसके मुँह में अपना लंड आगे पीछे कर रहा था। गौरी बड़े मजे से अपनी गांड उचका उचका कर मेरा साथ दे रही थी, साथ ही साथ एक हाथ से अशोक का लंड पकड़े थी और अपने मुँह में पूरा का पूरा लंड लेकर आगे पीछे कर रही थी।

लड़कियाँ मैंने पहले भी काफी चोदी थी लेकिन आज कुछ अलग था ! मेरा दिल और दिमाग शिल्पी को नंगा करके चोदने में लगा हुआ था और मेरा सिर्फ शरीर ही गौरी को चोद रहा था।

धीरे धीरे मैंने अपने धक्कों की स्पीड को बढ़ा दिया था लेकिन करीब दस बारह मिनट बाद भी मेरा निकलने का मन नहीं कर रहा था मेरे माथे से पसीना टपकने लगा था, गौरी भी एक बार झड़ चुकी थी लेकिन मैं बराबर मशीन की तरह लगा हुआ था।

अशोक ने मुझे रोका और बोला- यार, अभी मुझे भी करने दे।

मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाल लिया और गौरी के मुँह में दे दिया अब अशोक गौरी को चोद रहा था। मैंने पहली बार अपना लंड गौरी के मुँह में दिया था, वो एकदम माहिर खिलाड़िन थी और सबसे पहले उसने सिर्फ मेरे सुपारे को अपने मुँह में लिया और उस पर जीभ फिराने लगी, फिर उसने अपने होठों से मेरे सुपारे को एकदम जोर से दबा लिया और अपनी जीभ से मेरे लंड के छेद को कुरेदने लगी।

मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और उसके चेहरे को बहुत जोर से अपने दोनों हाथों में कस लिया और अपनी टांगों के बीच में अपने लंड पर दबाने लगा। उधर अशोक भी बहुत जोर जोर से उसकी चूत फाड़ने में लगा हुआ था।

गौरी ने मेरा पूरा लंड अपना मुँह में ले लिया था और इतने जोर से चूस रही थी कि मैं झड़ने लगा, वो मेरा लंड अपने मुँह से बाहर निकालने लगी लेकिन मैं उसे इतने जोर से उसे पकड़े हुए था कि वो हिल नहीं पा रही थी और झटकों के साथ साथ यह पता चल रहा था कि पूरा का पूरा माल सीधे उसके पेट में जा रहा था क्योंकि गले तक तो लंड ही फंसा हुआ था।

मेरे साथ ही साथ अशोक भी झड़ गया और गौरी तो अपनी आँखें ही नहीं खोल पा रही थी। मैं अभी भी अपना लंड उसके मुँह में ही रखे हुए था और जोर जोर से सांसें ले रहा था। उसने पूरा जोर लगाकर मेरी जाँघों को धक्का दिया और मेरा लंड उसके मुँह से निकल गया। मैंने देखा कि उसका मुँह और आँखें एकदम लाल हो गए थे और उसके मुँह से लार और वीर्य का बचा खुचा माल बाहर टपक रहा था।

मैंने उसकी टीशर्ट से अपने लंड को साफ किया और अपने कपड़े पहने लगा। अशोक एक पानी की बोतल लाया और कुछ पानी गौरी के चेहरे पर छिड़का और वहीं खड़े होकर पानी पीने लगा। अभी भी उसकी चूत से गाड़ा गाड़ा वीर्य निकल रहा था और बिस्तर काफी गीला हो चुका था।

पानी पड़ने से गौरी को थोड़ा होश सा आया और वो भी अपनी साफ सफाई करने लगी। इधर मैंने और अशोक ने कपड़े पहने और अपने घर आ गए।

अशोक के लिए ये सामान्य बात थी लेकिन मुझे लगा रहा था जैसे कि मैं सच में ही शिल्पी को चोदकर आ रहा हूँ।

आज मुझे एक बात का और एहसास हुआ कि अगर चुदाई करते वक्त अपने मन में किसी और लड़की का या किसी एक्ट्रेस का चेहरा सामने रखो और मन में कल्पना करो कि आप उसे ही चोद रहे हों तो चुदाई का समय बढ़ जाता है और झड़ने में काफी समय लगता है।

हम दोनों ही काफी थक गए थे इसलिए बेड पर गिरते हो सो गए लेकिन मैं तो अपने सपने में भी शिल्पी की चुदाई ही करता रहा।

दोस्तो, मेरी इस सच्ची घटना के बारे में अपने विचार और सुझाव अवश्य दें।

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