शिल्पा के साथ ट्रेन का सफ़र-1
लेखक : माइक डिसूज़ा
मैं अन्तर्वासना की कहानियाँ बहुत दिनों से पढ़ता आ रहा हूँ। मैं भी अपना अनुभव पाठकों के साथ बाँटना चाहता हूँ।
मुझे एक बार काम के सिलसिले में दिल्ली से चेन्नई जाना था। प्रोग्राम देर से बना था इसलिए मुझे कन्फर्म टिकट नहीं मिल पाई थी, मैं स्टेशन पर जाकर टीटी से सीट के लिए बात कर रहा था कि अचानक एक 20-21 साल की लड़की मेरे पास आई और कहने लगी- मेरे पास फर्स्ट एसी का एक एक्स्ट्रा टिकट है, अगर आपको कोई प्रॉब्लम न हो तो आप मेरे साथ चल सकते हैं।
मैंने तुंरत ही हाँ कह दिया। कन्फर्म टिकट और हसीन साथ और क्या चाहिए। ट्रेन में जाकर मुझे पता लगा कि वोह एक एसी केबिन का टिकट है।
मैंने उससे पूछा- तुम्हें डर नहीं लगेगा अकेले मेरे साथ?
वो बोली- नहीं, तुम ऐसे लगते नहीं हो, वैसे भी अकेले सफ़र करने में भी तो डर है।
सफ़र शुरू होने के थोड़ी देर बाद टीटी टिकट चेक कर गया, फिर वो भी बाथरूम जाकर अपनी ड्रेस बदल कर आ गई।
मैं लेट कर एक नॉवल पढ़ने लगा तभी उसने मुझे दूसरा झटका दिया। उसने केबिन का दरवाजा बंद कर दिया और अपने सामान से एक वोड्का की बोतल निकाल ली और मुझसे पूछने लगी- तुम लोगे क्या?
मैं हैरान था, मैंने हाँ कह दिया। थोड़ी देर में दोनों को नशा होने लगा। हम लोग आपस में काफी खुल गए थे।
फिर उसने कहा- चलो, ताश खेलते हैं।
थोड़ी देर के बाद वो बोली- तुमने कभी स्ट्रिप पोकर खेला है?
यह सुनकर मेरा लंड खड़ा होने लगा। मैं समझने लगा कि यह लड़की चाहती क्या है, मैंने कहा- खेला तो नहीं है पर अगर तुम चाहो तो खेल सकता हूँ।
वो बोली- ठीक है पर पूरे कपड़े नहीं उतारेंगे और तुम मेरे साथ कुछ उल्टा सीधा नहीं करोगे !
मैंने कहा- ठीक है।
पहला गेम मैंने जीता।
उसने शर्त के अनुसार अपनी शर्ट उतार दी। अन्दर उसने काली सिल्की ब्रा पहनी हुई थी जिसमें से उसके गोरे मम्मे झांक रहे थे।
मेरा सर घूमना शुरू हो गया। मेरी नज़र अब उसके मम्मों पर बार बार जा रही थी, ध्यान भंग होने के कारण मैं अगले दोनों गेम हार गया और अब मैं सिर्फ अपने अंडरवियर में था जिसमें मेरा लंड खड़ा हुआ साफ़ दिख रहा था।
वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुराकर बोली- और खेलना है?
मैंने कहा- मैं हार गया तो पूरा नंगा हो जाऊंगा !
वो बोली- तो क्या मैं भी तो हार सकती हूँ !
हमने अगला गेम खेला और वो जानबूझ कर हार गई। उसने अपना पजामा उतारा तो उसकी दूधिया जांघें देखकर मेरी आह निकल गई।
वो बोली- और खेलना है?
मैंने कहा- पर तुम तो कह रही थी कि पूरे कपड़े नहीं उतारेंगे?
वो बोली- मैं उतारने को तैयार हूँ अगर तुम मेरे साथ कुछ उल्टा सीधा न करो तो !
मैंने कहा- ठीक है।
मैं अगला गेम हार गया।
उसने बोला- चलो उतारो !
मैंने धीरे से अपना अंडरवियर उतार दिया और मेरा आठ इंच का मोटा लंड बाहर निकल आया जिसे देख कर वो मुस्कुराने लगी।
उसने कहा- और खेलना है?
मैंने कहा- और क्या ! मैं भी तुम्हें नंगा देखना चाहता हूँ !
वो मुस्कुराई और खेलने लगी, और बार बार मेरे मोटे लंड को देखती रही।
अगला गेम वो हार गई और जैसे ही उसने अपनी ब्रा उतारी उसके सफ़ेद मम्मे मेरे सामने प्रकट हो गए।
मैंने अपने आप को कैसे संभाला मैं ही जानता हूँ।
पर इस धीरे धीरे होने वाले इस गेम में मुझे मज़ा आ रहा था। अगला गेम वो जानबूझ कर हार गई।
मैंने कहा- तुम्हारी पैंटी मैं उतारूंगा !
उसने कहा- ठीक है ! पर शर्त याद है न? तुम कुछ उल्टा सीधा नहीं करोगे !
मैंने कहा- है तो बड़ा मुश्किल ! पर कोशिश करूंगा !
वो मेरे सामने खड़ी हो गई और मैंने धीरे से उसकी पैंटी उतार दी और उसकी चिकनी चूत के दर्शन किये।
मैं उसके बाद बैठ तो गया पर कण्ट्रोल करना बड़ा मुश्किल हो रहा था। मैंने धीरे से अपना लंड सहलाना शुरू कर दिया।
वो हंस कर मेरे पास आई और बोली- कुछ तो करना पड़ेगा नहीं तो तुम तड़प कर मर जाओगे !
उसने अपने हाथ से मेरा लंड सहलाना शुरू कर दिया, फिर वो मेरे सामने नीचे बैठ गई और मेरे लंड को चाटने लगी, फिर धीरे धीरे उसने उसको चूसना शुरू किया।
मैं नियंत्रण से बाहर होता जा रहा था, मैंने उसके बाल पकड़ लिये और उसके मुँह को जोर जोर से चोदने लगा।
मुझे झड़ने में ज्यादा देर नहीं लगी, वो मेरा पूरा जूस पी गई। उसके बाद वो मेरे बगल में बैठ गई।
मैंने पूछा- आज तक तुम कितने लंडों का स्वाद चख चुकी हो?
वो बोली- मैंने गिना नहीं !
मैंने पूछा- और कबसे चुदवा रही हो?
“कई सालों से !”
“पहली बार कैसे हुआ था?”
वो बोली- ठीक है, जब तक तुम्हारा लंड दुबारा खड़ा होता है, तुम्हें पहली बार का किस्सा बताती हूँ।
वो मेरे बगल में बैठ गई और मेरा लंड अपने हाथ में लेकर धीरे धीरे सहलाते हुए मुझे बताने लगी- य बात तब की है जब मैंने नया नया अपनी जवानी की दहलीज़ पर कदम रखा था, मेरी सहेलियाँ अपनी चुदाई के किस्से मुझे सुनाती थी, पर मैं तब तक कुँवारी ही थी। मेरे पापा के एक दोस्त हमारे साथ रहने हमारे घर आये। मैंने महसूस किया कि जबसे वो घर आये हैं बार बार मुझे देखते थे और मुझसे बात करते थे।
एक रात को जब सब सो गए तो वो मेरे कमरे में आये और बोले- मेरा आज अकेले मन नहीं लग रहा ! अगर तुम्हें कोई परेशानी नो हो तो तुम्हारे कमरे में सो जाऊँ?
मैंने कहा- ठीक है, जैसा आपका मन।
लाइट बंद होने के बाद थोड़ी देर में मेरी आँख लग गई। अचानक मैंने महसूस किया कि अंकल मेरी चादर में घुस गए हैं और मुझसे सट कर लेट गए हैं।
मैंने अंकल से दूसरी तरफ करवट ले ली। उन्होंने भी मेरी तरफ करवट ली और मुझसे फिर सट गए, उनका लंड मुझे अपनी गांड पर महसूस होने लगा। उन्होंने धीरे से हाथ आगे बढ़ाया और मेरे दाहिने मम्मे पर टिका दिया, फिर वो उसको धीरे धीरे मसलने लगे।
पहले तो मुझे थोड़ा डर लगा पर फिर मज़ा आने लगा। उन्होंने फिर अपना हाथ मेरी शर्ट के अन्दर डाल कर मेरी ब्रा के हुक खोल दिए और आगे हाथ ले जा कर मेरे मम्मे मसलने लगे।
मैंने करवट ली और सीधी हो गई। उन्होंने मेरी शर्ट और ब्रा ऊपर उठाई और मम्मे चूसने और चाटने लगे।
मैं अब गरम होने लगी थी, मेरी चूत गीली हो रही थी। अंकल ने एक हाथ मेरी पैंटी में डाला और मेरी चूत को छेड़ने लगे।
मैं काबू से बाहर हो रही थी, मेरे मुँह से आह….. आह….. की आवाजें निकल रही थी।
फिर अंकल ने नीचे जाकर मेरी पैंटी और पजामा दोनों एक साथ उतार दिए। उन्होंने मेरी टाँगे मोड़ कर फैला दी और चूत को पूरी तरह खोल दिया। मेरी उनचुदी बुर देखकर उनसे रहा न गया।
अंकल अपनी पैंट और अंडरवियर दोनों उतार दिए और अपना लंड मेरी चूत के पास ले आये। उन्होंने मुझसे धीरे से पूछा- पहले किया है?
मैंने कहा- नहीं !
ठीक है ! मैं धीरे से करूंगा। शुरू में थोड़ा दर्द होगा पर बाद में मज़ा आएगा।
फिर उन्होंने अपने लंड पर थोड़ा सा तेल लगाया और मेरी चूत से धीरे धीरे बाहर से ही रगड़ने लगे।
मैं धीरे धीरे पागल होती जा रही थी, फिर अचानक उन्होंने अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया और मेरी चीख निकल गई।
अंकल ने मेरे मुँह पर हाथ रखा फिर मुझे धीरे धीरे चोदने लगे, मेरा दर्द धीरे धीरे आनंद में बदलने लगा, उनके धक्के तेज होने शुरू हो गए थे और मैं पागल हुई जा रही थी। मेरी आह आह की आवाज़ से पूरा कमरा भर गया।
फिर अचानक अंकल झड़ गए। वो मेरे ऊपर से उतरे और कपड़े पहन कर अपने कमरे में चले गए।
मुझे पहली बार ज़िन्दगी में इतना मज़ा आया था ! मैं कभी भूल नहीं सकती !
उसकी कहानी सुनकर मेरा लंड फिर पूरी तरह तैयार था।
वो मुस्कुराकर बोली- अब मैं तुम्हें नहीं रोकूंगी ! जो करना है कर लो !
मैंने कहा- अब मैं भी कहाँ रुकने वाला हूँ !
और मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया, उसके मम्मों को मैं जोर जोर से मसल रहा था।
वो सीट पर लेट गई और मैंने उसके पूरे शरीर को चूमना शुरू कर दिया। फिर मैंने उसकी टांगों को फैला दिया और उसकी चूत को चाटने लगा, वो पागल होने लगी और चिल्लाने लगी।
मेरा लंड बेताब हो चला था।
उसने फिर उठकर दोनों सीटों के बीच में चादर बिछाई और लेट कर कहा- नीचे चुदाई करेंगे ! ज्यादा मज़ा आता है !
उसने लेट कर अपनी टांगों को फैला दिया। मैंने नीचे जाकर उसकी चूत में अपना आठ इंच का लम्बा मोटा लंड घुसेड़ दिया।
उसकी चूत मेरा पूरा लंड पी गई। फिर मैंने उसको पेलना शुरू किया। इतनी देर रुकने के बाद कसम से उसको चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा था।
वो भी चिल्लाने लगी थी। ट्रेन अपनी पूरी स्पीड पकड़ चुकी थी और हम भी फुल स्पीड पर थे।
करीब आधे घंटे तक मैं उसको पेलता रहा उसके बाद मैं उसकी चूत में झड़ गया। उस दौरान वो कम से कम तीन या चार बार झड़ी होगी।
फिर मैं अपने लंड को उसकी चादर से पोंछ कर सीट पर बैठ गया। थोड़ी देर में वो भी उठकर आ गई।
बाकी का सफ़र हमारा कैसा कटा यह मैं आपको फिर बताऊंगा।
What did you think of this story??
Comments