शादी किसी और की सुहागरात मेरी
प्रेषक : नयन जोशी
सहयोगी : अंकिता यादव
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार !
मैं अंकिता एक बार फिर आपके सामने एक और कहानी लेकर हाजिर हूँ। मेरी पहली कहानी के बाद मुझे कई सारी मेल मिली। उनमें से एक ने मुझसे कहा कि मैं उसकी कहानी अन्तर्वासना पर लिखूँ। तो उसकी कहानी जो उसने मुझे बताई, उसे हूबहू उसके ही शब्दों में आपके सामने रख रही हूँ।
मेरा नाम नयन जोशी है। मैं उत्तराखंड में नैनीताल जिले में रहता हूँ। मेरी उम्र 23 साल है और मैं फ़िलहाल सिंगल हूँ। मेरा कद 6 फीट 1 इंच है और रंग लगभग ठीकठाक है। मॉडल जैसा नहीं दिखता हूँ पर किसी भी लड़की को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता रखता हूँ। मेरा बदन भी ठीक ठाक है। मेरा लन्ड 7इंच का है और मोटा भी है।
अब मैं कहानी पर आता हूँ। अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है।
मैं नैनीताल में पढ़ाई करता हूँ लेकिन मेरा घर यहाँ नहीं है। लगभग दो साल से मैं यहाँ रह रहा हूँ।
दो महीने पहले मैं घर से एक शादी में गया था। खाना खाने के बाद जयमाला का कार्यक्रम चल रहा था मैं अपने दोस्तों के साथ दूल्हे के पक्ष मैं बैठा हुआ था। सारी लड़कियाँ दूल्हा पक्ष पर व्यंग्य-वर्षा कर रही थी और हम बहुत मजे ले रहे थे। लड़कियों के ग्रुप में एक लड़की बैठी हुई थी। जब मेरी नजर उस पर पड़ी तो मैं उसे देखता रह गया !
क्या माल थी यार वो कसम से ! मैं तो उसका दीवाना हो गया। दूध सी गोरी फिगर लगभग 32-28-34 और चेहरा तो एकदम गजब।
मैं उसे देखे जा रहा था और वो कभी कभार मेरी ओर देख रही थी और देखते ही हंस देती और फिर अपनी नजरें झुका ले रही थी।
खैर शादी सम्पन्न हो गई और बारात जाने लगी। मैंने जाते वक्त भी देखा वो मेरी तरफ बहुत देख रही थी। लेकिन उस वक्त मैं कुछ नही कर सका। मैं पक्के तौर पर नहीं जानता था कि वो मुझे देख रही है या नहीं।
मैं बारात के साथ वापस लौट आया।
शादी के अगले दिन मैंने उसकी फोटो मोबाइल में दूल्हे को दिखाई तो उसने बताया कि वो दुल्हन के घर के बगल में रहती है। दूल्हा मेरा दोस्त था, मैंने उससे कहा- इससे मेरी सेटिंग करवा दे।
थोड़ी न नुकुर के बाद वो तैयार हो गया। उसने अपनी नई नवेली दुल्हन से पहले उस लड़की का नम्बर पूछा और उन्होंने दे दिया। भाभी ने मेरी तरफ देखा और हंसने लग गई। उन्होंने उसका नाम दिव्या बताया।
उसी रात को मैंने उसे फोन किया और दो तीन दिन उससे बात की। उसकी बातों से लग रहा था कि वो खुद भी पहले मुझसे बात करना चाहती थी।
थोड़ी देर बातचीत के बाद मैंने उसे प्रपोज कर दिया। उसने फ़ोन काट दिया लेकिन थोड़ी देर बाद उसका मैसेज आया- I love You Too…
मैं ख़ुशी से उछल पड़ा।
हमारे यहाँ रिवाज है कि शादी के दो दिन बाद दूल्हा दुल्हन को गृहपूजा करने के लिए दुल्हन के घर जाना पड़ता है। मैंने अपने दोस्त से बात की और उसे तैयार कर लिया कि उनके साथ दुल्हन के घर मैं भी आऊँगा।
अगले दिन मैं उनके साथ चल दिया। वहाँ हमारा स्वागत दूल्हे की सालियों ने किया। वो भी मेरे साथ खूब मजाक कर रही थी पर मेरी नजरें दिव्या को ढूंढ रही थी पर वो कहीं नजर नही आ रही थी।
खैर हमने खाना वगैरह खाया, उसके बाद भजन होने लगे सारी लड़कियाँ गोल घेरे मैं बैठकर मांगलिक गीत गाने लगी और एक एक करके नाच रही थी। दूल्हा बड़े मजे ले रहा था पर मेरा मन नही लग रहा था और फिर मैं उठकर बाहर चला गया और थोड़ी दूरी पर खेतों में ऐसे घूमने चला गया।
अचानक मुझे आगे से दिव्या आती दिखाई दी। मुझे तो जैसे खजाना मिल गया और वो भी सुनसान जगह पर रात में। उसने लाल कमीज और कली-चूड़ीदार पजामी पहनी हुई थी।
आते ही वो मेरे गले लग गई, मैं उसे चूमने लगा। फिर हम थोड़ी दूरी पर खेत में चले गये। वहाँ पर घास काटकर सूखने के लिए रखी थी। मैंने उसे गोद में उठाकर घास पर लिटा दिया और उसके बगल में लेट गया।
थोड़ी देर हमने बात की, पर मुझे पता था कि वक्त कम है, मैं उसके गालों पर चुम्बन करने लगा। वो मना करने लगी कि ज्यादा कुछ मत करना पर मेरे पास सुनने का समय कहाँ था।
मैंने उसके कंधों पर फिर पीठ पर चुम्बन किया, दिव्या गर्म होने लगी। वो चुपचाप उल्टी होकर घास के ऊपर लेट गई। मैंने उसके ऊपर लेटकर अपने हाथ घुमाकर उसकी कमीज के अंदर हाथ डालकर उसकी चूचियाँ पकड़ ली और हल्के हल्के मसलने लगा।
तभी मैंने महसूस किया कि वो हल्के हल्के अपने कूल्हे ऊपर उठा रही थी। मैंने उसकी कमीज ऊपर की और अपना लंड निकाल कर उसकी सलवार के ऊपर से ही उसके चूतड़ों की दरार पर लंड रख दिया और दूसरा हाथ आगे से उसके पेट से होते हुए उसकी सलवार के अंदर उसकी चूत तक ले गया।
जैसे ही मेरा हाथ उसकी चूत पर लगा, वो चिंहुक गई और अपने चूतड़ थोड़े और ऊपर उठा दिये। मैंने ऊपर से धक्का देकर उसकी गांड पर बाहर से ही लंड का दबाव दिया।
वहाँ पर अँधेरा था लेकिन मैं उसकी गीली चूत को महसूस कर सकता था। उसकी चूत क्लीनशेव थी, एक भी बाल नहीं।
दिव्या गर्म गर्म सांसे लेने लगी। मैं अभी उसको चूमे जा रहा था। मैंने उसके हर अंग को चूमा चाटा, फिर मैंने उसकी सलवार खिसकाई लेकिन वो पूरी उतर नही पाई, मैंने उसको दिव्या के पांवों तक खिसका ही लिया और उसकी लाल चड्डी को उसकी गोरी जांघों से नीचे सरका लिया। वो अभी भी चुपचाप उलटी लेटी हुई थी।
मेरे लंड से सब्र नहीँ हो रहा था। मैंने उसकी गोरी गांड के दोनों उभारों पर चुम्बन किया और लंड को गांड में रखकर हल्का हल्का अंदर बाहर करने लगा। मैंने लंड को गांड के छेद के नहीं घुसया बल्कि छेद तक लंड को ले जाता फिर वापस ले लेता। वो गांड को ऊपर की और उठा रही थी, ज्यादा उत्तेजना के कारण मैं उसकी गांड की दरार में ही झर गया।
थोड़ी देर हम वैसे ही लेटे रहे पर 2 मिनट बाद ही मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। मैंने दिव्या को सीधा लिटाया और उसकी टांगों के बीच आकर उसकी चूत चाटने लगा, वो आहें भरने लगी- आह… आअह्ह… श्श्ह्श्श… आहहा… मम्मी… वो अपने कूल्हे ऊपर की ओर धक्का दे रही थी और हाथ से मेरे सर को अपनी चूत पर दबा रही थी।
मैंने देर करना ठीक नही समझा और उसकी टांगों को फैलाया और लन्ड उसकी चूत पर रगड़ने लगा। वो जोर जोर से आहें भरने लगी। मैंने लंड को चूत के मुँह पर रखा और हल्का धक्का लगाया पर लंड फिसल गया। मैंने कई बार कोशिश की पर लण्ड नहीं घुस रहा था। उसकी चूत काफी गीली हो रही थी। मैंने बगल से घास का ढेर उठाकर उसकी गांड के नीचे लगाया जिससे उसकी योनि और ऊपर उठ गई।
लंड को मैंने चूत के मुख पर लगाया और हल्का दबाव दिया लंड हल्का अंदर घुस गया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
वो चिल्ला पड़ी- मम्म्म्म्ममिह… आआह… निकाल लो… प्लीज… प्लीज… तुम्हें मेरी कसम… प्लीज… बहुत दर्द हो रहा है !! आहा… ह्शश… मम्म्म्म्ममि… आह…
मैं रुक गया और उसे सहलाने लगा और उसे चूमने लगा।
5 मिनट तक किस करने के बाद वो हल्की हल्की गांड उठाने लगी। मैंने फिर एक धक्का दिया वो फिर चिल्ला पड़ी लेकिन इस बार मैंने उसके होंठ चूस लिए और उसकी पीठ से हाथ डालकर उसकी गांड को सहलाने लगा और उसके गांड में उंगली घुसाने लगा उसे और मजा आने लगा।
मैं हल्का लंड को अंदर-बाहर करने लगा पर वो फिर चिल्लाने लगी लेकिन मैंने इस बार उसकी एक नहीं सुनी और झटके से लौड़ा जड़ तक उसकी चूत में घुसा दिया।
मैंने उसकी चीख तो अपने मुँह में दबा दी पर उसकी आँखों में आँसू उसका दर्द ब्यान कर रहे थे।
5 मिनट के बाद वो सामान्य हुई और कूल्हे उठाकर मेरा साथ देने लगी और मैं उसको जमकर चोदने लगा।
वो चिल्ला रही थी पर हल्के हल्के- आह… आह… आअह्ह्ह… आह…
जब मैं लंड बाहर निकलता तो उसकी आवाज आहा… हाह… आह… निकल रही थी और जब लंड अंदर घुस रहा था तो वह श्श्ह्श… शश… श्ह्ह्श्श्श… ह्ह्श… की आवाज निकाल रही थी।
उसने अपनी टाँगें मेरे चारों तरफ लपेट ली, मुझे कसकर पकड़ लिया और जोर जोर से सांसें लेकर झरने लगी। मैंने भी लंड की स्पीड तेज कर दी।
मैं झरने लगा तो उसने मेरी छाती पर हाथ मारकर धक्का दिया और बोली- अंदर मत निकालना प्लीज !
पर मैंने उसकी नहीं सुनी और उसको कसकर पकड़ लिया और सारा माल उसकी चूत में गिरा दिया और निढाल होकर उसकी चूची पर सर रखकर लेट गया।
वो मेरे सर को सहलाने लगी और अपनी उँगलियाँ मेरे बालो में घुमाने लगी। हम दोनों संतुष्ट थे।
20 मिनट बाद मैंने उसको चूमा, वो जाने के लिए बोली लेकिन मेरा लंड फिर से खड़ा हो चुका था। मैंने उसको पकड़ा और किस करने लगा, वो मना करने लगी, उसका दर्द अभी कम नहीं हुआ था लेकिन मैंने एक झटके में उसे नीचे घास पर गिरा दिया ओर उसकी पजामी नीचे खिसका दी, लंड निकाल और चड्डी उतारकर चूत के मुँह पर लगा दिया।
वो बेचारी चुपचाप लेटी रही, उसकी आँखों में आँसू थे।
एक ही झटके में मैंने लंड चूत की जड़ तक पेल दिया और इस बार जमकर 15 मिनट तक चोदा फिर उसको घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में घुसेड़ दिया।
5 मिनट की तेज चुदाई के बाद माल उसकी चूत और गांड के मुँह पर छोड़ दिया।
10 मिनट तक वो उलटी लेटी रही और मैं उसकी चूत में लंड डालकर उसके ऊपर लेटा रहा।
मैं उसकी गांड भी मारना चाहता था पर टाइम बहुत हो चुका था, मुझे खोजने कोई भी आ सकता था तो 10 मिनट बाद हम उठकर घर की ओर चले गये।
वो संगीत में भी नहीं आई और जब हम सुबह घर को गये तब भी नहीं दिखाई दी।
मेरी निगाहें उसकी ढूंढती रही पर वो कहीं नहीं दिखी।
मैंने घर आकर उसको फोन भी मिलाया पर स्विच ऑफ मिला। फिर मैं अगले दिन नैनीताल आ गया।
अब घर जाकर भाभी से उसके बारे में जरूर पूछूँगा।
अपनी राय मुझे जरूर भेजें मित्रो !
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