सपनों से हकीकत का सफर
(Sapnon Se Haquikat Ka Safar)
नमस्कार मित्रो, लम्बे अंतराल के बाद मैं फिर आप सभी के सामने वापस लौट कर आया हूँ अपने जीवन की रोचक कहानी को लेकर ! आशा करूँगा कि आप सभी को पसंद आएगी।
मेरी पहली कहानी जीवन का पहला आनन्दमयी एहसास को सभी अन्तर्वासना के पाठकों ने सराहा और आप सभी की ढेरों मेल मिली उसके लिए मैं आप सभी को साधुवाद देता हूँ और यहीं चाहता हूँ कि आप सभी मेरा यूँ ही साथ बनाये रखें जिससे मैं अपने जीवन की कुछ घटनाओं से आप सभी को सुना सकूँ।
मेरा नाम यश है और अभी मैं 26 साल का नौजवान हूँ, मैं जयपुर, राजस्थान का रहने वाला हूँ। मैंने किशोरावस्था में ही सेक्स का आनन्द लिया था वो भी मेरी गर्ल फ्रेंड और उसकी मित्र के साथ ! पर वक्त को बदलते देर नहीं लगती इसलिए थोड़े वक्त बाद हम एक दूसरे से दूर हो गए। आज भी उसकी याद और उसके साथ बिताये पल जब भी याद आते हैं तो चेहरे पर हल्की मुस्कान के साथ आँखें नम हो जाती हैं। छोड़ो यह दुःख दर्द भरी दास्तान, सही मुद्दे पर आते हैं। मैं जो आपको कहानी बता रहा हूँ यह मेरी जीवन की कल्पना मात्र है जो हकीकत का रूप ले लेती है। मतलब मैं रोज सपनों में किसी के साथ सेक्स करता था। आप से अनुरोध हैं आप इस कहानी को दिल से पढ़ें ना कि दिमाग लगा कर !
मैं जब कॉलेज में था तो अक्सर क्लास बंक कर दोस्तों के साथ ताश खेलने या फिर स्विमिंग पूल पर नहाने चला जाता था तो कभी सब दोस्त सिनेमा हॉल में मूवी का लुत्फ़ उठाते थे। बस जिंदगी का मजा ले रहे थे।
एक दिन हम सब मित्र मर्डर फिल्म देखने गए। उसमें जो भी नजारे देखे उससे मेरे लिंग की उत्तेजना बढ़ गई और बस यही सपना देखने लगा कि काश को मल्लिका शेरावत जैसी मेरी भी गर्ल फ्रेंड हो जो इतनी हॉट और सेक्सी हो और उसी कल्पना मात्र में मैं रोज
कई फ़िल्मी एक्ट्रेस को अपने साथ मजे लेने के लिए बिस्तर पर ले आता। उनकी फोटो देखते रहता और अपने लिंग को हाथों से हिला हिला कर शांत कर देता था। यह क्रम एक महीने तक यों ही चलता रहा।
पर मेरे किसी मित्र ने एक दिन बताया कि रोज हस्तमैथुन करने से लिंग छोटा और कमजोर हो जाता है इसलिए मैंने डर की वजह से हस्तमैथुन करना भी छोड़ दिया पर आपको पता है कि लिंग जब उत्तेजना में भर आता है तो या तो उसकी प्यास योनि बुझा सकती है या फिर हाथों की मेहनत। योनि तो मेरे पास किसी की थी नहीं इसलिए मैं फालतू का सोचना बंद करने लगा।
गर्मियों की बात है, मेरे मित्र राजवीर ने मुझे दिल्ली में अपने दूर के रिश्तेदार के घर बेटी की शादी में ले जाने को आमंत्रित किया। पहले तो मैंने मना कर दिया, फिर उसने कहा कि हम वहाँ खूब मौजमस्ती करेंगे और मौज मस्ती का नाम सुनकर मैंने हाँ कर दी और फिर मैं अपने मित्र के साथ ट्रेन से दिल्ली के छोटे इलाके बलजीत नगर पहुँचा।
मेरे मित्र के रिश्तेदार मेरे मित्र के दूर के चाचा लगते थे। हम दोनों को उनके चाचा ने अपने कमरे में बैठाया और हमारे लिए पानी मंगवाया। हम दोनों सोफा पर बैठे थे कि मेरी नजर अचानक दीवार पर लगी फोटो पर गई। फोटो इतनी सुंदर थी कि उस फोटो को देख में सपनों में खो गया। गोल चेहरा, लम्बे लम्बे बाल, कजरारी आँखें, गालों पर पड़ा हंसी के वक्त डिम्पल बस ऐसा लग रहा था देखकर कि कोई अप्सरा जमीन पर उतर आई। वो हुबहू मलिका जैसी लग रही थी। पर वो मलिका से भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी। उस कमरे में उस लड़की की बहुत सारी तस्वीरें अलग अलग अंदाज में लगी हुई थी। मेरा लिंग एकदम उत्तेजना से भर आया और बस यहीं कल्पना करने लगा कि काश मैं इसके साथ सम्भोग करूँ। मेरे लिंग की उत्तेजना कम नहीं हो रही थी इसलिए बैठने में असहज महसूस कर रहा था, मैं वहाँ से उठा और बाथरूम में पहुँच कर अपना लिंग बहार निकाल कर उस लड़की के ख्यालों में खोकर उसके साथ सम्भोग को याद कर हस्तमैथुन कर लिंग को शांत किया और फिर वापस उसी कमरे में आ गया।
कमरे में आते ही मैंने अपने मित्र से पूछा- यह कौन है?
तो बोला- यही वो लड़की है जिसकी शादी हम लोग आये हैं, और वो देखो वो बेड पर सो रही है ना, वो ही है।
मेरी नजर फोटो पर होने की वजह से बेड पर नहीं गई थी, फिर मैं उसको देखने लगा।
बेड पर वो ऐसे सो रही थी जैसे कोई बच्चा सो रहा हो। गुलाबी रंग की सलवार सूट में वो बहुत ही अच्छी लग रही थी। पर उसके सोने का अंदाज ऐसा था कि उसकी कुर्ती ऊपर हो रखी थी और उसकी गोरी कमर साफ़ साफ़ दिख रही थी पर मैंने कमरे में सबके होने कारण यह उचित ना समझा और अपनी नजर दूसरी ओर फेर ली।
पर मन बड़ा चंचल था और बार बार में तिरछी नजरों से उसे देखे जा रहा था। फिर हमें दूसरे घर में एक कमरा दिया गया। हमने अपना सामान रखा और फिर फ्रेश होकर करोल बाग़ चले गये। वहाँ थोड़ी देर घूमने के बाद हम घर आ गए।
मेरे मित्र राज ने कहा- तू इस रूम में सो जाना, मैं थोड़ी दूर मेरी बुआजी का घर है, उनके घर जाकर ही सोऊँगा, उनसे मिल भी लूँगा। मैंने कहा- ठीक है।
मेरे मित्र ने मुझे अपने सभी रिश्तेदारों से मिलवाया।
उसके बाद जिस लड़की की शादी थी उससे भी मिलवाया। हम दोनों छत पर थे और उसी वक्त उसका छत पर आना हुआ था, कपड़े सुखाने। जब वो मेरे सामने आई तो मेरा रोम रोम खड़ा हो गया। बस यह मन कर रहा था कि वो मुझे अपनी बाँहों में भर ले।
राज ने मेरी कल्पना तोड़ते हुए बोला- यश, कहाँ खो गया?
मैंने उस पर जो नजरें लगा रखी थी, तुरंत झुका ली और हड़बड़ा कर बोला- अरे कही नहीं !
फिर उसने अपने चाचा की लड़की से बोला- रश्मि, यह मेरा दोस्त यश है और यश यह रश्मि है। इसी की शादी है।
मैंने उससे हाथ मिलाया और उसे बधाई देने लगा। पर उसका बधाई शब्द सुनते ही उसका चेहरा मुरझा गया। मेरे मन में अचानक ख्याल आया कि यह इस शादी से खुश नहीं है।
तभी राज ने मुझसे कहा- तू रश्मि से बात कर, मैं बुआ के घर जा रहा हूँ। और किसी भी चीज की जरूरत हो तो रश्मि को बोल देना। मेरा मित्र जाते जाते रश्मि को बोल गया- इसका ख्याल रखना, यह बहुत इमोशनल हैं और बहुत शर्मीला।
रश्मि बोली- दिल्ली आ गया है ना, अब शर्म वर्म सब उतर जायेगी।
मेरा मित्र चला गया और हम दोनों अकेले छत पर खड़े थे। उसने ही बोलना शुरू किया- यश, तुम क्या करते हो, कहाँ रहते हो?
मैं उसे निसंकोच बताने लगा। मेरे मन में एक ही ख्याल नाच रहा था कि यह इस शादी से खुश क्यों नहीं है।
तब मैंने उससे पूछ ही लिया- एक बात पूछूँ, बुरा ना मानो तो?
रश्मि बोली- नहीं, बोलो बोलो..
मैंने कहा- क्या तुम इस शादी से खुश नहीं हो?
तो वो एक बार तो चुप हो गई, फिर उसने बोला- तुम्हें ऐसा क्यूँ लग रहा है?
मैंने कहा- जब मैंने आपको बधाई दी थी तो आपके चेहरे पर ख़ामोशी सी छा गई थी, अन्यथा आपके चेहरे पर खुशी होनी चाहिए थी। फिर उसने बोला- छोड़ो इन बातों को ! कभी कभी जिंदगी अजब सा खेल खिला जाती है। हम जो चाहते हैं, वैसा कभी नहीं हो सकता !
और उसकी आँखें नम हो गई। मुझसे उसकी आँखों में आँसू देखे नहीं गए और बिना सोचे समझे उसकी आँखों से आँसू हटाने लगा तो वो पीछे हट गई और बोली- यश, थोड़ी देर अकेला छोड़ दो मुझे।
पर मैं उसे दूर नहीं जाना चाहता था तो मैं बोल उठा- चल कुछ और बात करते हैं !
और सॉरी बोल कर मैं उसे अन्य बातों में उलझाने लगा।
फिर मैं बोला- आप बहुत खूबसूरत हो !
तो उसने तपाक से बोला- क्या खाक की है यह खूबसूरती जब इस पर ग्रहण लगने वाला हो !
तो मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और बोला- मुझे अपना दोस्त मानो और अपना दर्द बताओ, क्या बात हो गई जो इस फ़ूल से चेहरे पर चमक गायब हो जाती है।
तो वो रोने लगी, मैं उसे चुप कराने लगा कि अचानक उसने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया और वो जोर जोर से रोने लगी। मैं डर गया कि कहीं कोई सुन लेगा तो मैं तो यहाँ मेहमान हूँ, पता नहीं लोग मुझे किस नजर से देखने लगेंगे।
मैंने उसे चुप करवाया और कहा- चल मत बता, बस पर खुश रह।
उसने रोते हुए बोला- खुश नहीं रह पाऊँगी अब। मेरे घरवालों ने जिससे मेरी सगाई की हैं वो ना ही तो सुंदर हैं ना ही आपकी तरह हृष्ट-पुष्ट ! घर वालों ने मेरी ज़िन्दगी बर्बाद कर दी। जिन्दगी की मीठी मीठी उड़ान भरने से पहले ही मेरे पंख काट दिए। मैं अभी 18 साल की हुई हूँ यश, और घर वालों ने मेरी पढ़ाई बीच में छुड़ा कर इसलिए उस लड़के से सगाई कर दी क्योंकि वो डॉक्टर है और बहुत पैसे वाला। पर मुझे पैसे नहीं चाहिए ना काला आदमी।
मैंने कहा- अब रो मत ! या तो घर वालों को मना कर दे या फिर यह सोच कर शादी कर ले कि तेरी किस्मत में यही लिखा था।
तो उसने कहा- घर वालों को मना कर चुकी पर नहीं मान रहे और पर अब शादी कर भी लूँगी तो मैं उसका कोई बच्चा नहीं पैदा कर सकती क्योंकि बाप काला होगा बच्चा भी काला ही पैदा होगा !
यह कह कर उसकी आँखें नम हो गई और उसने मुझे झट से दोबारा अपनी बाहों में ले लिया। इस बार मेरा लिंग खड़ा हो गया क्योंकि इस बार उसके उभार मेरे सीने से आ टकराए। उसके उभार इस उम्र में भी 34 के तो थे ही, और कमर उसकी 28 की थी और नीचे का हिस्सा 30 का था। मतलब उस पर यौवन पूरी तरह कुर्बान हो चुका था।
मेरा लिंग खड़े होने की वजह से उसकी जांघों को स्पर्श कर रहा था। पर मैंने मौके की नजाकत देखते हुए पूछा- रश्मि, एक बात बता, तूने किसी से प्यार किया है?
तो उसने बोला- हाँ, पर साले मेरे साथ सेक्स कर मुझे छोड़ दिया ! उसके साथ मैंने एक साल तक सेक्स किया।
मैंने बोला- कौन था वो?
तो उसने बोला- मेरी मौसी का लड़का था, शादी के सपने दिखाता था, अब बोलता है कि हम तो भाई बहन हैं। हम शादी कैसे करेंगे। दुनिया हम पर थूकेगी। मैं समझ गई थी कि उसने सिर्फ सेक्स के लिए प्यार का नाटक किया था।
अब मुझे डर है जिससे मेरी शादी हो रही है, वो डॉक्टर हैं उसे सब कुछ पता लग जायेगा कि मेरा कौमार्य भंग हो चुका है।
मैंने उससे कहा- ज्यादा मत सोच, उसे पता नहीं लगेगा।
तो उसने बोला- नहीं यश, उसे पता लग जायेगा क्योंकि मेरी योनि इतनी चोड़ी हो चुकी है कि उसमे आसानी से लिंग चला जायेगा और पहली बार जब सेक्स किया था तो मेरे दो दिन तक ब्लडिंग होती रही थी। मैं इस बात से दुःखी भी हूँ कि अब अगर उसे पता तो वो मेरे घर वालों के सामने नीचा दिखा देगा।
मैं उसकी बातों से आश्चर्यचकित हो गया कि हमें मिले अभी 1 घंटा भी नहीं हुआ और वो मुझसे किस तरह खुल कर बात करने लगी है।मैंने बोला- आप चिंतामुक्त रहो !
तो उसने बोला- नहीं यश, अब बहुत डर भी है तो बस दिल में एक ही हसरत है कि मेरा बच्चा काला पैदा ना हो बस ! मैं बाकी सब कुछ सहन कर लूँगी।
तो मैंने कहा- अपनी मौसी के लड़के से बात करो, वो आपको बच्चा दे सकता है। बच्चा गोरा और आपके पहले प्यार की निशानी भी होगा।
वो बोली- अब यह भी नहीं हो सकता यश, क्यूंकि वो अब विदेश चला गया।
रश्मि फिर उसे खूब गाली देने लगी।
मैंने उसे पूछा- तुम्हारा कोई दोस्त नहीं है क्या जो इस मुश्किल में आपका साथ दे सके?
तो उसने बोला- नहीं, मैं बदनाम नहीं होना चाहती, किसी का कोई विश्वास नहीं और मैं पहले भी धोखा खा चुकी, अब और हिम्मत नहीं है।
मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा और उसे दिलासा देने लगा, मैंने उसे कहा- अब शांत रहो और फ़िक्र ना करो, कोई तो होगा ही जो तुम्हारा इस मुश्किल में साथ निभा सके।
उसने बोला- नहीं यश, अब कोई नहीं मिलेगा। और मैं किसी को कुछ नहीं कह भी नहीं सकती क्योंकि डर लगता है, कही वो मुझे बदनाम ना करने लगे।
मैं उसकी बातों को सुनकर उसी को देख रहा था, कभी उसके वक्ष पर नजर पड़ती तो कभी उसके होंठों पे, मन कर रहा था कि उसे बांहों में लेकर उसके होंठों का रसपान कर लूँ और उभारों को खूब देर तक मसलता रहूँ और उसके ऊपर गुलाबी निप्पल होंगे उन्हें चूस जाऊँ।
अचानक मेरे सपनों को तोड़कर वो बोली- क्या हुआ यश? कहाँ खो गए?
मैंने कहा- कही नहीं ! बस सोच रहा कि इतनी खूबसूरत लड़की को हर कोई प्यार दे सकता है।
तो उसने मेरी बात काटकर कहा- अच्छा? सच्ची में? क्या तो फिर तो तुम भी मुझे प्यार दे सकते हो यश?
मैं उसकी बात सुनकर अचम्भित हो गया और उसको देख कर बोला- मुझ पर विश्वास कर लोगी?
उसने तपाक से जवाब दिया- एक जानने वाले से एक अनजान साथी सही रहता है।
मैंने यह सुनकर उसका हाथ अपने हाथ में लिया और कहा- चल।
उसने कहा- कहाँ?
मैंने कहा- बच्चा पैदा करने और कहाँ !
तो उसने बोला- अभी थोड़े ही करना है बच्चा !
मुझे इसके शब्द से पता लग गया कि लड़की गर्म है, बस अब बस देरी हैं तो रात की बस।
मैंने उसे कहा- चलो नीचे चलते हैं, रात को मुझे बुला लेना, मैं आ जाऊँगा, फिर मिलते हैं !
उसने भी कहा- ठीक है, रात को ऐसी जगह मिलते हैं, जहाँ हम दोनों हों !
हम दोनों नीचे आ गए पर मेरा मन तो बस रश्मि के सपने देख रहा था। और बस बार बार घड़ी की सुई देख रहा था। धीरे धीरे रात होने लगी और सब खाना खा कर सोने जाने लगे।
रश्मि ने मुझे इशारा किया कि 12 बजे वो ऊपर आ जायेगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने भी उसके इशारे पर हाँ कर दी।
11:30 बजे मैं बाथरूम में गया, नहाया और लिंग को एकदम अच्छे से साफ़ किया। फिर कमरे में आकर अपने पूरे शरीर पर डियोड्रेंट छिड़क कर एकदम दूल्हे की तरह तैयार हो गया जैसे आज मेरी सुहागरात हो।
फिर जैसे ही 12 बजे मोबाइल पर मैसेज आया- ऊपर आ जाओ अब।
मैं ऊपर छत पर गया। चांदनी रात थी और छत पर बने कमरे में वो मुझे अंदर ले गई। उसने केपरी और टीशर्ट पहन रखी थी, बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।
कमरे में एक छोटा सा पलंग डला हुआ था और बहुत सुंदर बेडशीट बिछी हुई थी। मुझे उसने उस पर बैठने का इशारा किया और दरवाजा बंद करके अंदर से चिटकनी लगा दी।
मैंने बोला- कोई आ जायेगा तो?
तो उसने बोला- यहाँ रात को कोई नहीं आता ! यहाँ मेरी दादी सोती हैं पर वो अभी बीमार हैं तो नीचे सोती हैं।
मैंने कहा- क्या इरादा है?
तो उसने कहा- जो तुम्हारा है, वो ही मेरा।
मैंने उस बात का फायदा उठा कर बोल दिया- मुझे तो तुम्हें नंगा करना है ! बोल?
तो उसने कहा- तो रोका किसने है? कर लो !
मैंने कहा- यार, तुझे मेरे सामने शर्म नहीं आएगी? मैं तो तेरे लिए एकदम अजनबी हूँ !
तो उसने कहा- मेरा तेरे ऊपर दिल आ गया !
मैंने कहा- यार फिर भी सोच ले, इतना विश्वास अच्छा नहीं है !
उसने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और अपने वक्ष पर रख कर बोली- ये लो बस ! अब और कितना विश्वास करूँगी ! तुम्हें पहली नजर में समझ गई थी कि तुम्हें सेक्स चाहिए और मुझे भी।
मैंने कहा- ठीक है पर यह हमारा आखिरी सेक्स होगा !
तो उसने कहा- नहीं एक बार और करूँगी पर अभी नहीं, जब मैं कहूँगी, तब !
मैंने कहा- क्यों?
तो उसने कहा- यह बाद में बताऊँगी पर अभी बस जो आग लग रही है मेरी जवानी में, उसे बुझा दो।
मैंने कहा- तुम ही शुरुआत करो ! मैं देखना चाहता हूँ कि तुम मुझे कितना खुश कर सकती हो, अगर मजा आया तो दूसरी बार सेक्स करूंगा वरना नहीं !
उसने कहा- ठीक है जान, रुको !
कमरे में उसने हल्की रोशनी कर दी, फिर अपने अपनी कैपरी और टीशर्ट निकाल कर फेंक दी और अब वो मंद रोशनी में बहुत ही हसीन लग रही थी। उसने काली ब्रा और पेंटी पहन रखी थी।
मेरे लंड ने एक झटके में उसे सलाम दे दिया। वो मेरे पास आई और मुझे बेड पर लेटा कर मेरे ऊपर सवार हो गई।
फिर उसने मेरी शर्ट के बटन खोल कर मेरी शर्ट निकाल दी और फिर धीरे धीरे मेरे लोअर को भी हटा दिया। फिर उसने मेरी बनियान को भी निकाल फेंका। अब उसने मेरे जिस्म पर चुम्बन करना शुरू किया, मैं मदहोश होने लगा, उसने मेरे होंठों से शुरुआत की। बहुत देर तक स्मूच करने के बाद उसने मेरे सीने पर खूब चूमा चाटा, उसके बाद उसने मेरे चड्डी में हाथ दिया और मेरे लंड को सहलाने लगी।
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था कि उसने मेरी चड्डी निकाल दी और मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं बहुत तड़फ रहा था, उसने जिस तरह से लंड चूसा शायद हर कोई नहीं चूस सकती। उसने मेरे लंड का रसपान दस मिनट तक किया और मैं उसके मुंह में झड़ गया।
उसने कहा- यार, बोल देते ऐसा हो रहा था तो !
मैंने कहा- सॉरी यार, तेरे इस तरह चूसने की वजह से मेरे से बोला भी नहीं गया।
उसने कहा- ठीक है, पर मेरा क्या होगा?
अब मैंने कहा- लंड को वापस चूस कर खड़ा कर ले।
उसने कहा- नहीं, अभी तुम मुझे प्यार करो बस।
मैंने कहा- ठीक है।
फिर मैंने उसे अपने नीचे लिटा लिया और उसकी ब्रा को हटा कर उसके चूचों को आज़ाद कर दिया, बहुत ही मस्त थे, मैंने उन्हें खूब दबाया, फिर नीचे उसकी पेंटी भी एक तरफ निकाल कर फेंक दी। उसकी चूत एकदम साफ़ थी। ये सब करते ही लंड ने वापस अपनी कम्मान सम्भाल ली। पर मैं उसे अब तड़फाना चाहता था इसलिए उसके ऊपर आया और उसके अंग अंग पर हाथ फेरने लगा, उसे वो सब इतना मस्त लग रहा था, उसकी आँखें बंद थी और कमरे में सिसकारियाँ गूंज रही थी।
मैं करीब 15 मिनट तक उसके हर अंग अंग पर उँगलियाँ फिराता रहा। फिर मैंने उसके लबों पर अपने लब रखे और चूसना शुरू किया। उसके दोनों हाथ मेरी पीठ पर फिरने लगे और वो बहुत ही ज्यादा उतेज्जित होने लगी। मैं धीरे धीरे नीचे आने लगा और मैंने उसके स्तनों को कस कस कर मस्ला फिर उसकी निप्पल पर अपनी जीभ फिराने लगा।
वो बहुत ही ज्यदा उत्तेजित थी, उसका अंग अंग फड़कने लगा और मेरा जी मचलने लगा। मैं धीरे धीरे चूमते चाटते नाभि से होते हुए उसके चूत के द्वार पर जा पहुँचा और फिर क्या था, उसकी चूत की खुशबू अपने पास बुलाने लगी।
मैंने देर ना करते हुए उसकी चूत पर अपनी जीभ लगा दी, उसकी चूत बहुत गीली हो चुकी थी, मैं उसकी चूत को चाटने लगा, कभी जीभ अंदर देता तो कभी उँगलियों से उसकी चूत की गहराई नापता और वो बार बार बोल रही थी- यश अब और मत तड़फा ! मुझसे अब नहीं रहा जा रहा !
पर कुछ देर और उसकी चूत का स्वाद लेने से वो अकड़ने लगी और अपने हाथों से मेरे सर पर दबाव बनाने लगी और पैरों से मूझे चूत के मुख पे दबाने लगी। थोड़ी ही देर में उसकी चूत ने अपना कमाल दिखा दिया और रस की धारा निकल पड़ी।
वो बहुत तेज हांफने लगी। मैंने मौका ना गंवाते हुए अपना 6 इंच का लंड उसकी चूत के द्वार पे लगाया और धीरे धीरे अंदर डालने लगा।
वो थोड़ी दर्द से तड़फी पर उसे वो अच्छा लगने लगा और थोड़ी ही देर में मेरा लंड उसकी चूत में अपना रास्ता ढूंडता हुआ अंदर जा पहुँचा। फिर मैं धीरे धीरे उसकी चूत पे आगे पीछे होने लगा और अपने लंड की स्पीड को तीव्र करता गया।
वो भी उछल उछल कर मेरा साथ देने लगी और इस दौरान वो दो बार झड़ गई पर मेरा पहले वीर्य स्खलन हो चूका था इसलिए वक्त लगने लगा और मेरी स्पीड की वजह से वो बहुत ही मजे लेने लगी। कमरे में हमारी सिसकारियाँ गूंज रही थी और वो आखरी मुकाम आ गया, करीब 20 मिनट बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और उसी के ऊपर लेट गया। वो मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगी और मुझे चूमने लगी जैसे मैंने बहुत बड़ी जंग जीत ली हो।
उस रात हमने दो बार चुदाई की, फिर मैं नीचे अपने कमरे में आ गया।
पर किस्मत देखो, हम फिर कभी नहीं मिले, उसने जब मुझे मिलने के लिए बुलाया तो मेरे पास वक्त ना था और जब मैंने उससे मिलना चाहा तब उसका नम्बर बदल गया।
मैंने फिर उसे भुलाना ही ठीक समझा और अब उसका मेरे पास कोई अता पता नहीं और ना ही मैंने कभी कोशिश की। पर उसकी वजह से मैंने अपनी जिन्दगी का एक सपना हकीकत में बदल लिया क्योंकि उसका चेहरा उसकी अदा सब एक हिरोइन जैसी थी। उसका जिस्म एकदम सफेद और मखमल जैसा था। इसी तरह से मैंने अपने सपनों से हकीकत का सफर किया।
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