सम्पूर्ण काया मर्दन, सन्तुष्टि-1

मूल लेखक : सिद्धार्थ वर्मा

सम्पादन सहयोग : उर्मिला

अन्तर्वासना के प्रिय मित्रो, कृपया मेरा अभिनन्दन स्वीकार करें !

आपकी सेवा में उर्मिला ( ‘भोपाल की ट्रेनिंग’ वाली उर्मी) प्रस्तुत करती है अपने एक अन्तर्वासना पाठक मित्र सिद्धार्थ वर्मा के जीवन में घटित एक घटना के विवरण !
मुझे आशा है कि इस रचना को पढ़ कर आप सबकी कामवासना अवश्य ही जागृत होगी और आप अपने साथी के साथ यौन संसर्ग का भरपूर्ण आनन्द प्राप्त करेंगे !
मुझे यह विवरण सिद्धार्थ ने अंग्रेजी में लिख कर भेजा था और मुझे इसे हिंदी में अनुवाद कर के अन्तर्वासना पर प्रकाशित करने में मदद मांगी थी! मैंने सिद्धार्थ की इस रचना को हिंदी में अनुवाद कर के सम्पादित किया और उसमे मिली त्रुटियों को शुद्ध करने की चेष्टा भी की है!
रचना का अनुवाद करते समय मैंने मौलिक रचना को न बदलते हुए उसमे व्याकरण का सुधार और भाषा में शुद्धि भी की है !

मित्रो, सिद्धार्थ वर्मा के जीवन का निम्नलिखित सच आप सबके लिए उसी के शब्दों में प्रस्तुत है:

प्रिय दोस्तो !

मेरा नाम सिद्धार्थ है, भोपाल का रहने वाला हूँ और वहीं पर एक मालिश केन्द्र यानि मसाज़ पार्लर चलाता हूँ, जिसमें मैं गृह-सेवा (होम-सर्विस) भी देता हूँ।

मेरी उम्र इक्कीस वर्ष है, बदन हृष्ट-पुष्ट है, कद पांच फुट आठ इंच, रंग गोरा है।

मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ और पिछले कई साल से उस पर प्रकाशित हुई बहुत सी रचनाएँ पढ़ी हैं।

उन्ही रचनाओं से प्रेरित होकर मैंने अपनी पहली रचना लिखी है जो कि मेरे साथ घटित एक सच्ची घटना पर आधारित है।

इस रचना में कुछ त्रुटियाँ होने की सम्भावना है जिस के लिए मैं आप सब से क्षमा का प्रार्थी हूँ और निवेदन करता हूँ कि आप उन त्रुटियों को नज़रंदाज़ कर दें !

बात लगभग छह माह पहले की है जब मुझे मालिश के सिलसिले में एक सन्देश (मेल) आया था जो किसी रीना नाम की महिला ने भेजा था।

उसने सन्देश में मेरे द्वारा दी जा रही गृह-सेवा (होम-सर्विस) के बारे में जानकारी आदि मांगी थी। मैंने उसी दिन वह सब जानकारी अपने उत्तर में लिख कर उसे एक सन्देश के रूप भेज दी।

अगले दिन उसका फिर सन्देश आया कि वह मेरे द्वारा दी जा रही गृह-सेवा के अंतर्गत अपने ही घर में मुझसे बॉडी-स्पा (पूरे बदन की मालिश) कराने की इच्छुक थी।
उस कार्य के लिए उसने मुझे दो दिन बाद सुबह दस बजे उसके घर पर आने को लिखा था और उसने अपने घर का पता भी उसी सन्देश में लिखा था।

दो दिन के बाद मैं तय समय पर उसके घर पर पहुँच गया तथा घर के बाहरी गेट से ही उसे फ़ोन कर के अपने वहाँ पहुँचने की सूचना दी। फ़ोन पर ही उसने मुझे घर के मुख्य द्वार पर आने को कहा और यह भी बोला कि वह मुझे लेने के लिए खुद ही बाहर मुख्य द्वार पर आ रही थी।

कुछ क्षणों की प्रतीक्षा के बाद वह मुख्य द्वार से बाहर आई और जैसे ही मेरी नज़र उस पर पड़ी तो मैं ऊपर से लेकर नीचे तक उसे देखता ही रह गया !

उसका एकदम तराशा गया बदन, बड़ी बड़ी आँखें, गुलाबी होंठ, उभरे हुए स्तन जिन्हें एक गहरे गले वाले ब्लाउज के अन्दर छुपाया गया था।
लेकिन वह बेचारा ब्लाउज, एक कपड़े का छोटा सा टुकड़ा उन्हें छुपाने में अपने को असमर्थ पा रहा था।
इस खूबसूरती पर चार चाँद लगाता हुआ था एक छोटा सा तिल जो ठीक उसके बाएं स्तन के उपरी भाग में विराजमान था।
नाभि से नीचे बाँधी हुई आसमानी रंग की साड़ी उसे और भी ज्यादा कामुक बना रही थी जिसे देख किसी का भी लिंग पूर्ण चेतना में आ जाए !

क्योंकि मैंने इतनी सुन्दर और एकदम फिट शरीर वाली महिला को पहली बार देखा था इसलिए मैं कुछ समय के लिए उसी में खो सा गया!

उस अवस्था में उसके द्वारा मुझे दो बार हेल्लो बोलना भी मुझे सुनाई ही नहीं दिया और मैं होश में तब आया जब उसने अपने नाज़ुक हाथ से मेरे एक कंधे को पकड़ कर मुझे झिंझोड़ा और हँसते हुए पूछा- आप कहाँ खो गए हैं ! क्या अंदर आने का मन नहीं कर रहा है?
उसके इस वाक्य को सुन कर मैं थोड़ा सकपका गया लेकिन बिना कुछ बोले ही उसके साथ घर के अंदर प्रवेश कर गया।

उसका घर काफी बड़ा था और बहुत अच्छे तरीके से सजाया गया था।
उसने मुझे सोफे पर बैठने को कहा और खुद इठलाती हुई मेरे लिए पानी लाने चली गई, मुझे भी इसी बहाने अपने को थोड़ा सम्भालने का तथा उसकी खूबसूरती को एक बार फिर से निहारने का मौका मिल गया।

कुछ ही पलों में वह मेरे पानी लेकर आई और मेरे पास में ही बैठ गई, वह मुझ से मेरे बारे और मेरे काम के बारे में जानकारी पूछती रही तथा इधर उधर की बातें भी करती रही।

बातों बातों में ही उसने अपने बारे में भी बताया कि उसकी शादी दो वर्ष पहले ही हुई थी और उसके पति किसी विदेशी कंपनी में मैनेजर हैं!

इस तरह मेरी और उसकी बातें लगभग एक घंटे तक चलती रही जो की एक स्त्री द्वारा एक पुरुष को भरोसे लायक समझने के लिए बहुत ही आवश्यक भी था क्योंकि बिना भरोसे के कोई भी महिला मालिश के लिए किसी भी अनजान पुरुष के सामने एकदम से अपने बदन से सारे कपड़े कैसे अलग कर सकती थी।

जब मेरी बातों से जब वह आश्वस्त हो गई तब उसने मुझे बताया कि वह मुझ से अपने पूर्ण शरीर की मालिश करवाना चाहती थी! उसकी इच्छा जान कर मैंने उसे मालिश के लिए आवश्क बातें समझा कर उसे तैयार होने के लिए कहा।

वह उठ कर दूसरे कमरे में चली गई और थोड़ी देर बाद उसने मुझे आवाज़ दे कर अपने पास दूसरे कमरे में आने को कहा।

जब मैं वहाँ गया तो देखा कि उसने लाल रंग का गाउन पहना हुआ था जो उसके शरीर से एकदम चिपका हुआ था एवं उसे देख कर तो कोई भी दूर से उसके शरीर का नाप बता दे !

मैंने उसे गाउन उतार कर बैड पर लेटने को कहा और अपना बैग पास की ही एक मेज़ पर रख कर उसमें से मालिश करने की सामग्री निकालने लगा।
बैग में से सारा सामान मेज़ पर निकालने के बाद जब मैं मुड़ा तो मैंने उसे वैसे ही खड़ा हुआ पाया !

जब मैंने उसे एक बार फिर गाउन उतारने को कहा तब देखा कि वह थोड़ा शरमा रही थी और उसका चेहरा एकदम से लाल हो गया था।

मैंने उसके चहरे पर आई हिचकिचाहट को देखा और उसे दूर करने के लिए मैं बिल्कुल उसके पास जा कर खड़ा हो गया, मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ कर उसे बहुत ही धीमे स्वर में बोला कि वह मुझ से शरमाये नहीं और मुझे अपना दोस्त ही समझे! अगर वह शर्माती रहेगी और गाउन नहीं उतारेगी तो मैं उसकी मालिश नहीं कर सकूँगा और मेरा उसके घर आना बेकार जायेगा !

मेरे काफी देर तक समझाने और आश्वासन के बाद ही उसने अपना गाउन उतार कर पास की कुर्सी पर रख दिया और बैड के पास जा कर खड़ी हो गई!

अभी तक तो मैं उस परी को देख कर कण्ट्रोल में था, लेकिन अब उसे काली ब्रा और पैंटी में देख कर मेरे हृदय ने तेज़ी से धड़कना शुरु किया और मुझे समझाने लगा की अब बिना कोई देर किये मुझे उसे कस कर अपनी बाहों में जकड़ लेना चाहिए !

लेकिन मैंने स्वयं पर नियंत्रण रखते हुए उसे उल्टा हो कर लेटने को बोला ताकि मैं उसके पिछले हिस्से से शुरुआत कर सकूँ क्योंकि ऐसा करने से उसकी शरमाहट और हिचकिचाहट दोनों ही कम हो जायेंगी!

उसके लेटते ही मैंने उसकी ब्रा और पैंटी के ऊपर एक एक तौलिया डाल दिया, इसके बाद मैंने उससे तौलिये के नीचे छिपे उसके अन्तः वस्त्र उतारने की सहमति मांगी जो उसने सहज ही दे दी !

उसकी सहमति पाने के बाद मैंने उसकी ब्रा के स्ट्रैप्स को उसके कन्धों से बाजुओं के नीचे सरका दिया और तौलिया को हटा कर धीरे से ब्रा के हुक खोल दिए तथा ब्रा को खींच कर बाहर निकाल दिया !
फिर मैंने नीचे वाले तौलिये के अन्दर हाथ डाल कर उसकी पैंटी को नीचे सरका दिया और उसके जिस्म से अलग कर दिया तथा उसकी पीठ की मालिश के लिए क्रीम लगा कर धीरे धीरे हल्के हाथों से मलना शुरू किया।

उसके कोमल शरीर को स्पर्श मुझे बहुत अच्छा लग रहा था इसलिए लगभग दस मिनट तक मैं उसकी पीठ की मालिश करता रहा।

पीठ के बाद मैंने उसके पैरों में क्रीम लगा कर अच्छे से उसके पैरों की मालिश करने लगा और धीरे धीरे ऊपर टांगों और जाँघों की ओर बढ़ना शुरू कर दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

जब मैं उसकी जाँघों की मालिश कर रहा था तब बार बार मेरे हाथ उसके नितम्बों को छू जाते थे जिसके कारण उनके ऊपर पड़ा तौलिया खिसक कर बैड से नीचे गिर गया और उसके नग्न नितम्ब मेरी आँखों के सामने आ गए।
तब मैंने अपने लिंग में हरकत होते हुए महसूस की लेकिन आत्मनियंत्रण रख कर अपना कार्य ज़ारी रखा !

जाँघों के अंदरूनी भाग में मालिश करते समय अक्सर मेरे हाथ बार बार उसकी योनि के पास जा रहे थे और उसे छू रहे थे जिसके कारण वह थोड़ा गर्म होने लगी और हल्की सिसकारियाँ भी लेने लगी थी।
करीब पन्द्रह मिनट तक टांगों और जांघों की मालिश करने पर मैंने पाया कि मेरा लिंग तन कर सख्त हो गया था और मेरे काबू से बाहर होता जा रहा था।
अपने लिंग को काबू में करने के लिए मैंने जाँघों का मालिश बीच में ही छोड़ दिया और उसकी बाजुओं पर क्रीम लगा कर उनकी मालिश करने लगा! मेरा ऐसा करने से मैं अपने पर नियंत्रण रख पाया और अपना काम ज़ारी रख सका।

करीब दस मिनट तक दोनों बाजुओं की मालिश करने के बाद मैंने एक बार फिर उसकी टांगों और जांघों तथा उसके बाद उसके नितम्ब की मालिश करनी शुरू कर दी जिसमे मुझे सबसे अधिक आनन्द आया।
बीस मिनट तक जांघों और नितम्बों की मालिश करने के बाद मैंने देखा कि उसके नितम्ब पहले अधिक चिकने और कोमल हो गए थे और जिन्हें देख कर मेरा मन डोलने लगा था।

न चाहते हुए भी बार बार मेरा हाथ उसकी योनि के पास जाने लगता था तब मैंने अपना ध्यान बदलने अथवा माहौल को थोड़ा हल्का तथा अच्छा बनाने के लिए रीना को कुछ बातें करने को कहा तो वह अपनी शादी से पहले कि जिंदगी के बारे में बताने लगी जिससे मुझे मालूम पड़ा कि वह बहुत ही खुले स्वभाव की महिला थी!

उसके बदन के पीछे के भाग का मालिश पूरा करने के बाद मैंने उसे सीधा किया और उसके गुप्तांगों पर एक बार फिर तौलियों से ढक दिया तथा जिस्म के सामने की ओर से उसकी मालिश शुरू कर दी।

पहले मैंने उसकी गर्दन पर क्रीम लगा कर हल्के हल्के हाथों से मला और फिर उसके कन्धों की कस कर मालिश की।

उसके बाद मैंने उसे अपनी आँखें बंद करने के लिए कहा और जैसे ही उसकी आँखे बंद हुई मैंने उसके स्तनों के ऊपर से तौलिया हटा दिया और उसके दोनों स्तन को खूब सारी क्रीम लगाई तथा गोल गोल मलते हुए स्तन की मालिश करने लगा जिससे वह कुछ ज्यादा ही उत्तेजित होने लगी और जोर जोर से सिसकारियाँ भरने लगी एवं अपने पैरों को आपस में भींचने लगी।

फिर मैं उसके स्तनों के चुचूकों को बारी बारी से क्रीम लगा कर मसलने लगा तथा उन्हें बाहर की तरफ हल्के हाथों से खींचने लगा। जब मैंने चार पाँच बार ऐसा किया तो उसकी आहें और भी अधिक तेज हो गई और उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे रोक दिया।

कहानी जारी रहेगी।

आप अपनी प्रतिक्रिया सिद्धार्थ को तथा मुझे मेल आई डी svsidhaarth@ gmail.com एवं xxurmi@ gmail.com पर भेज सकते हैं !
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