पुसी की किस्सी

जवाहर जैन 2011-08-10 Comments

प्रेषक : जवाहर जैन

अन्तर्वासना पर सभी को मेरा नमस्कार। यह मेरी पहली कहानी है, इसे लिखने में बहुत दिक्कतें आई, पर यह ठाना हुआ था कि कुछ भी हो अन्तर्वासना के पाठकों के सामने अपनी यह बात रखूँगा ही। आखिर मेरी यह मेरी जिंदगी की सबसे अहम और प्यारी चुदाई की बात है। सच कहूं तो मैंने इससे पहले कुछ लड़कियों को चोदा है, पर इस चुदाई की बात ही कुछ और है।

यह करीब 5 साल पहले की बात है। मेरी भाभी के भाई की शादी थी, जिसमें पूरे परिवार को शामिल होना था। तब मेरे माँ व पिताजी तो नहीं गए,पर मेरे भाई से कहे कि जाते समय इसे भी साथ ले जाना।

इस प्रकार भाई, भाभी उनके बच्चे व मैं ट्रेन से गांव के लिए निकले। भाई की ससुराल में हमारी काफी आवभगत हुई। भाई की शादी के बाद से यह मेरा पहला प्रवास था, इसलिए मेरी काफी पूछ हुई। भाई की एक साली भी थी जो भाभी से करीब 5 साल छोटी थी। उसका नाम स्नेहा था। यह भाभी से भी ज्यादा सुंदर और चंचल थी। उसका रंग एकदम साफ था, हल्की लालिमा लिए हुए और बढ़िया हाईट, सलवार सूट में उसके औसत से बड़े स्तन और पीछे फूली हुई गाँड उसे बहुत शानदार और दर्शनीय बनाते। यही कारण था कि भाई की शादी के समय भी कई बराती उसकी झलक पाने बेताब रहे थे।भाभी बताती हैं कि स्नेहा के कारण ही उनके पिता व भाई का गाँव के आधे से भी ज्यादा लड़कों के साथ झगड़ा हो चुका है। न सिर्फ जवान बल्कि अधेड़ भी स्नेहा की झलक देखने आतुर रहते। ऐसा पता चला था कि अब परिवार में उसकी शादी के लिए भी प्रयास किए जा रहे थे।

चलिए यह तो हुई स्नेहा की बात, अब कहानी को आगे बढ़ाता हूँ।

भाई की ससुराल में मैं व भाई जब खाना खाने बैठे तब स्नेहा व भाभी ही हमें भोजन परोसने में लगे, भाभी की माँ रोटी सेंक रही थी। भाई ने स्नेहा को छेड़ा- क्या बात है स्नेहा खूब पिटाई करवा रही हो लड़कों की? अभी बीते सप्ताह ही तुम्हारे भाई मोन्टू ने बेचारे गिरीश को पीट दिया। इसके बाद कितना बवाल हुआ था गाँव में।

स्नेहा बोली- उसने हरकत ही पिटाई खाने वाली की थी, कालेज जाते समय मेरे पीछे गाड़ी टकरा दी थी। मुझे चोट लग जाती तो।

भाई ने कहा- अरे, ये सब तो चलता ही रहेगा, जब तक तेरे हाथ पीले नहीं होंगे, इन मनचलों को तू ही नजर आती रहेगी।

उन्होंने भाभी से कहा- इसकी शादी फाइनल करो जल्दी।

भाभी बोली- अपनी स्नेहा हीरा हैं, मैंने तो सोच रखा है कि इसे अपने जस्सू के लिए ही ले जाऊँगी।

मेरी ओर देख भाभी ने फिकरा कसा- क्यों जस्सू ले चलें न?

स्नेहा की ओर देखकर मैं मुस्कुराया और सिर नीचे कर लिया। पर मैंने गौर किया कि अब स्नेहा मुझे कुछ ज्यादा ही लाईन दे रही है। मैं सही कहूँ तो मन ही मन मैं स्नेहा को कई बार चोद चुका था, यहाँ तक कि मुझे हस्तमैथुन का वास्तविक आनन्द भी उसके ख्यालों में ही आता था। अब भाभी ने उससे मेरी शादी की बात छेड़कर तो जैसे मुझे जन्नत ही दिला दी।

दूसरे दिन सुबह ही इत्तेफ़ाक से स्नेहा को अपनी मौसी के यहाँ हमारे आने का समाचार देने जाना पड़ा, तब वह बोली- उतनी दूर मैं पैदल नहीं जाऊँगी मुझे मोपेड चाहिए।

उनके घर एक बाईक और एक मोपेड भी थी, स्नेहा मोपेड चला लेती थी पर उसके पिता व भाई उसे मोपेड नहीं चलाने देते थे। इस तरह भाभी के माँ-पिता की काफी देर तक दी गई समझाइश के बाद यह तय हुआ कि मोपेड मैं चलाऊँगा और स्नेहा मेरे पीछे बैठकर मौसी के घर जाएगी।

भाभी ने जैसे ही मुझसे कहा कि जस्सू तुम्हें स्नेहा को लेकर मौसीजी के यहाँ जाना है, तो यह सुनकर मेरा दिल खुशी से उछ्ल पड़ा, पर खुद को सामान्य रखने की एक्टिंग करते हुए मैंने ऐसे हामी भरी मानो मैं बहु्त आज्ञाकारी हूँ। इस तरह मुझे स्नेहा के साथ अकेले घूमने का मौका मिला।

मोपेड स्नेहा ने ही बाहर निकाली, तब मैं भी बाहर आ गया था और उसकी सहायता करने पास गया। उस समय बाहर हम दोनों ही थे। तब स्नेहा ने मुझसे धीरे से कहा- मैं गाड़ी चला लेती हूँ, पर ये लोग मुझे इसे चलाने ही नहीं देते।

मैंने कहा- कोई बात नहीं, मेरे साथ चलना, मैं पीछे बैठूँगा, गाड़ी तुम ही चलाना।यह सुनकर वह खुश हो गई और भागकर अंदर तैयार होने गई। उसके बाहर आते ही हम मौसी के घर जाने को निकले। मैंने मोपेड स्टार्ट किया वैसे ही स्नेहा उछ्लकर पीछे बैठ गई। मेरे कंधे पर हाथ रखकर उसे हल्के से दबाते हुए फुसफुसाई- चलो न जल्दी।

मैंने मोपेड आगे बढ़ा दी।

बस अगले मोड़ पर ही वह मेरा कंधा दबाते हुए बोली- अब मुझे चलाने दो न।

स्नेहा का साथ पाकर मैं तो खुशी से झूम रहा था और अब मेरे दिल में वर्षों से बंद पड़ी कामनाओं ने फिर से सिर उठाना शुरू कर दिया। मैंने किनारे में गाड़ी रोकी और स्नेहा से कहा- मुझे सबने तुम्हें गाड़ी चलाने देने को मना किया है, पर फिर भी मैं तुम्हें गाड़ी चलाने देता हूँ तो बदले में मुझे क्या मिलेगा?

स्नेहा सामने आ गई और मोपेड का हैंडल पकड़ते हुए बोली- आप मुझसे जो माँगेगे वह आपको दूंगी।

अब मैं मोपेड से उतरा और कहा- अच्छे से सोच लो, कहीं बाद में मुकर मत जाना।

उसने कही कि जो बोल दी हूँ वही सच है, जब चाहो आजमा लेना, और जो चाहो माँग लेना।

उसकी बात में मुझे खुला आमंत्रण मिला। वो मोपेड स्टार्ट करके मुझसे बोली- जल्दी बैठिए न।

मैं उसके पीछे बैठा अब मेरी पैन्ट की फिटिंग बिगड़ने लगी। मैं अपनी सीट से आगे बढ़ा और उससे एकदम चिपककर बैठ गया। मुझे उसकी गाँड पर अपना लंड टिकाने का अद्भुत आनन्द प्राप्त हो रहा था। खुशी के इस झोंके में मैंने अपने हाथ उसकी जांघों पर रखा और हाथ को सलवार के ही ऊपर से आगे पीछे करने लगा। मैं अब तक स्नेहा को देखकर या ख्यालों में चोदकर ही खुश होता था, पर आज उसकी जांघ में हाथ फेरकर तो मानो कोई गड़ा हुआ खजाना मुझे मिल गया। ऐसा लग रहा था मानो मेरे हाथ किसी बेहद नरम संगमरमर पर घूम रहे हों।

और मेरी इस हरकत पर उसके मौन ने मेरा उत्साह दूना कर दिया। अब मैंने आते-जाते लोगों की बुरी नजर से बचने के लिए अपने हाथों को उसकी कुरती के निचले हिस्से से अंदर कर लिया और हाथ को सरकाकर उसकी चूत के ऊपर रख दिया। अब अपने हाथ को और ऊपर करने का ख्याल भी मेरे मन में नहीं आया। अब मेरी उंगलियाँ उसकी चूत की दोनों फांकों को सहला रही थीं। इसके साथ ही मैं उसके कंधे पर अपना चेहरा लाकर उसकी कुरती में झांककर उसके स्तन को देखने का प्रयास करने लगा।

कुरती के अंदर से दूधिया रंग के स्तन को उसने सफेद रंग की ब्रा में कैद करके रखा है, इसकी हल्की सी झलक मुझे देखने मिली। नीचे मेरे हाथ काम कर रहे थे और ऊपर आँखें नयनाभिराम दृश्य को देखने में लीन थी।

तभी स्नेहा बोली- मौसीजी का घर आ गया है, आप सीधे बैठ जाईए।

मैं तुरंत अपनी सीट के आखिर में खिसका और उससे पूछा- कहाँ हैं उनका घर?

“वो इस लाईन का आखिर वाला घर मौसी का है।”

मैं बोला- गाड़ी रोको स्नेहा !

उसने मोपेड रोकी और पूछा- क्यूँ?

मैं गाड़ी से उतरा व बोला- मेरी पैन्ट की फिटिंग बिगड़ी हुई है, यदि इस हालत में मौसी के यहाँ गया तो वे लोग घर में बता देंगे कि तुम गाड़ी चलाते आई और मैं पीछे बैठकर आया हूँ।

तभी मेरी निगाह स्नेहा पर पड़ी। वह मेरे पैन्ट में छिपे लंड को देख रही थी, जो एकदम तना हुआ था और पैन्ट की जिप यानि करीब-करीब मेरी नाभि तक उठा हुआ था।

वो बोली- अरे कुछ नहीं होगा, आप वो सामने खाली जगह में चले जाइए और अपनी फिटिंग ठीक करके आ जाइए ना।

मैं बोला- नहीं, ये इतनी जल्दी ठीक नहीं होगा, ऐसे में मेरा उनके घर जाना तुम्हारे लिए भी ठीक नहीं रहेगा।

मैंने उससे कहा- तुम वहाँ जाकर यह बोल देना कि मेरा कोई दोस्त यहाँ मिल गया है, जिससे बात करने के लिए मैं रूक गया और तुम्हें भेज दिया। बस कुछ ही देर में वो पहुंचते होंगे। और मैं इसे ठीक करके जल्दी से आता हूँ।

स्नेहा बोली- ठीक है, पर जल्दी आना।

मैं उसे हाँ बोलकर खाली मैदान की ओर बढ़ा और वहाँ एक एकांत जगह में जाकर अपना लंड निकाला और मुठ मारकर माल निकाला, फिर कपड़े ठीक कर स्नेहा की मौसी के घर की ओर बढ़ चला।

हम लोग यहाँ करीब आधा घंटा रूके। यहाँ से जाते समय मौसी-मौसा हमें बाहर तक छोड़ने आए।

मोपेड की ड्राइविंग सीट मैंने संभाला, स्नेहा पीछे बैठी। मौसी के घर से आगे जैसे ही गाड़ी मुड़ी, स्नेहा बोली- अब मुझे दीजिए ना ! मैं चलाऊंगी।

मैंने मोपेड रोका और बोला- स्नेहा, एक बात बोलूँ, मानोगी?

उसने सामने आकर कहा- गाड़ी चलाने से रोकने की बात होगी तो नहीं मानूंगी, बाकी बात मानूंगी।

मैं बोला- तुम मेरी बात मान जाओगी इस आशा से बोल रहा हूँ, पर बात पसंद ना आए तो मुझे बोलना, घर में किसी से भी नहीं बोलना।

उसने हामी भरी और मैं बोला- आते समय जब मैं तुम्हारे पीछे बैठा था, तब तुमने देखा था कि मेरा नूनू कैसा तन गया था।

वो नादान बनते हुए बोली- यह क्या होता है?

मैं बोला- अरे वही जिसने मेरी फिटिंग बिगाड़ दिया था।

वो बोली- वो क्यूं तन गया था?

मैं बोला- वो तुम्हारी पुसी मांग रहा है।

वो बोली- तो?

मैं बोला- मैं समझता हूँ कि शादी से पहले लड़की अपनी पुसी नहीं देती, सो मैं तुमसे पुसी मांगूंगा नहीं, पर रिक्वेस्ट करूंगा कि मुझे एक बार अपनी पुसी को प्यार करने दो।

मैंने उसके चेहरे पर उत्तेजना की चमक देखी तो खुश हुआ और बोला- मेरा यह काम यदि तुमने आज कर दिया तो मैं तुम्हारा यह एहसान कभी भू्लूंगा नहीं।

स्नेहा ने मेरी इस बात के बाद मुझसे कई सवाल किए, पर आखरी में यह तय हुआ कि हम लोग रात में सबके सोने के बाद ऊपर छत पर मिलेंगे। मैं गाड़ी का हैंडल स्नेहा को देने के बाद उसके पीछे बैठ गया। अब मेरा हाथ उसकी चूत के ऊपर घूमने लगा।

स्नेहा बोली- अभी ऐसा मत करिए, नहीं तो घर पहुंचते तक फिर आपकी फिटिंग बिगड़ जाएगी और सब शक करेंगे।

मैंने कहा- खाली इसलिए ही हाथ हटाऊं या और कोई बात हैं?

स्नेहा बोली- आपके ऐसा करने से मेरी पुसी भी गीली हो गई है। अब मत करिए ना, रात में तो अपन मिल ही रहें हैं, तब कर लीजिएगा।

अब मुझे लग रहा था कि आग स्नेहा में भी लगी है और उसे भी आज रात का ही इंतजार है, मैं बोला- ठीक है।

घर के पास से मैंने मोपेड ले लिया और स्नेहा पीछे बैठ गई।

घर पहुँचने के बाद स्नेहा की मां ने पूछा- इसने गाड़ी चलाने के लिए आपको परेशान तो नहीं किया ना?

मैं बोला- नहीं !

और अंदर आ गया। सामने ही भाभी मिल गई, उन्होंने पूछा- जस्सूजी, स्नेहा ने गांव की सभी अच्छी जगह भी दिखा दी ना?

मैंने कहा- नहीं, अच्छी चीज बाद में दिखाऊँगी, ऐसा बोली है।

भाभी ने हंसते हुए स्नेहा से कहा- अरे जब अभी साथ निकली थीं, तो अभी ही दिखा देना था ना अब बाद में फिर कब साथ में घूमना हो।

इसी तरह की बातें चलती रही। मुझे रात का ही इंतजार था, मैंने तय कर लिया था कि चाहे जो हो मैं इसे आज रात को चोदूँगा ही।

खैर रोज के सभी काम निपटने के बाद मैं अपने कमरे में बिस्तर पर यूं ही लेटा हुआ था, रात को करीब 11:30 पर अचानक मेरे कमरे की खिड़की पर थपकी पड़ी और सीढ़ी से किसी के छत पर जाने की आवाज सुनाई दी।

मैं भी जल्दी-जल्दी ऊपर बढ़ा। ऊपर स्नेहा ही आई थी। उसने गाउन पहना हुआ था। हम दोनों कमरे में पहुँचे, वह बोली- लीजिए, मैं आ गई हूँ, जो करना हैं जल्दी कीजिए।

मैं बोला- हाँ जल्दी ही करते हैं।

कहते हुए मैंने उसके स्तन दबाना शु्रू कर दिया। फिर उसके होठों से चिपक कर लंबा चुम्बन लिया। अपने हाथ उसके गाउन के अंदर कर यह पता लगा लिया था कि उसने ब्रा व पैन्टी पहनी हुई हैं, सो गाउन को खोल दिया। गाउन उतारते समय उसने एतराज किया, पर बाद में मान गई।

अब उसने कहा- आपका नूनू तो अब शांत हैं ना।

मैं बोला- यह पुसी की किस्सी लिए बिना नहीं मानेगा।

उसने कहा- अच्छा? दिखाओ तो इसे?

मैंने कहा- लो देख लो।

वह मेरे पजामे के ऊपर से मेरे लौड़े को पकड़ने का प्रयास करने लगी, तभी मैंने अपनी टी-शर्ट, पजामे और अंडरवियर को उतार दिया, अब उससे चिपककर मैंने ब्रा का हुक खोला और एक निप्पल को मुँह व दूसरे को उंगलियों से सहलाता रहा। उसके मुँह से अब बेहद मदहोश आवाजें भी निकल रही थी।

मैंने अब उसकी पैन्टी को खींचकर नीचे सरका दिया। हम दोनों अब एकदम नंगे थे।

स्नेहा की चूत पर छोटे-छोटे बाल थे, मैंने कहा- शेव नहीं की क्या?

उसने कहा- नहीं, इस हफ्ते नहीं कर पाई।

मैं उसे पलंग पर लाया और लिटा दिया। अब मैंने उसकी नाभि में जीभ डालकर हिलाया फिर नाभि से होकर जीभ को उसकी चूत में ले गया। अब उसकी कमर उछलने लगी और मैं भी उसकी चूत के छेद में जीभ डालकर आगे-पीछे करने लगा। उसकी सनसनाती आवाज मुझमें और शक्ति भर रही थी।उसकी चूत को चाटते हुए ही मैं उल्टा घूम गया, और अपने लौड़े को उसके मुँह के पास कर दिया। थोड़ी देर बाद उसने मेरे लंड को पहले छुआ, फिर जीभ लगाई पर बाद में लंड को उसने अपने मुँह के अंदर ले लिया और चूसने लगी। यानि अब हम लोग 69 की स्टाईल में पहुंच गए थे।

थोड़ी देर बाद मैं सीधा हुआ और पूछा- ठीक लगा?

उसने हाँ में मुंडी हिलाई और मेरे लंड को फिर मुंह में ले लिया।

मैंने कहा- अब असली मजा लो।

और उसकी दोनों टांगों को फैला दिया। अब उसकी चूत पर अपना लंड रखकर जैसे ही अंदर की ओर धक्का दिया, वह जोर से चीखी, मुझे लगा कि अब इसकी सील टूटी है।उसकी चीख को दबाने के लिए मैंने उसके मुँह पर अपना मुँह लगा दिया, पर लंड की स्पीड को कम नहीं किया। थोड़ी देर बाद ही उसकी चीख और लंड के चूत में घुसने की वजह से आती कराह की जगह अब उसके मुँह से चुदाई के आनन्द की सिसकारियाँ निकल रही थी। कुछ देर बाद ही उसकी गति में और भी ज्यादा तेजी आई व बड़बड़ाने लगी- साले, फाड़ दे चूत को। बहुत परेशान करके रखा है इसने मुझे, फाड़ दे साली को और ए ए ए मैं गई।

यह बोलकर वो झड़ गई।

इसके थोड़ी देर बाद ही मैं भी खल्लास हो गया।

दोस्तो, आज आपको सही बताऊँगा कि स्नेहा कि सील तोड़ चुदाई में मेरा 3 बार गिरा पर उसे चोदने की खुशी और उसे सैक्स का पूरा आनन्द देने की चाह में मैंने उसके झड़ते तक चुदाई को उसी क्रम में जारी रखा, ताकि स्नेहा को मेरे ढीले पड़ने का अहसास न हो।

हमारी मौज मस्ती की खबर घर में किसी को नहीं लगी।

अगले ही साल स्नेहा से मेरी शादी हो गई। हम आज भी कई बार चुदाई करते समय उस पहले मजे को ही याद करते हैं।

स्नेहा अब भी कहती है- उस दिन जैसा ही करो ना।

खैर ये तो हुई शादी से पहले की चुदाई की बात। शादी के बाद सुहागरात हमने कैसे मनाई, इसे अगली बार पर जल्द ही बताऊंगा। तब तक के लिए विदा।

मेरी यह आत्मस्वीकरोक्ति आपको कहानी के रूप में कैसी लगी, कृपया मुझे बताएँ।

What did you think of this story??

Click the links to read more stories from the category कोई मिल गया or similar stories about

You may also like these sex stories

Download a PDF Copy of this Story

पुसी की किस्सी

Comments

Scroll To Top