प्रफुल्ला-4
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दोस्तो, मेरे सामने पलंग पर निर्वस्त्र और नग्नावस्था में पसरी पड़ी प्रफुल्ला और और मेरे बीच में अब यदि कोई दूरी बची हुई थी तो वो थी उसके पति चेतन की मौजदगी की वजह से मेरा संकोच, अन्यथा उसकी ऐसी अवस्था को देख कर कोई भी पुरुष अपने आप को रोक ही नहीं सकता था।
और यह संकोच भी खुद चेतन ने ही दूर कर दिया, वो बोला- अरुण, अब बताओ कैसी लगी मेरी जानेमन?
मैं बोला- यार यू आर लकी! क़यामत है ये तो! क्या लग रही है! क्या फिगर है! क्या उत्तेजक अंग हैं!
चेतन बोला- ऐसे ही बोल रहे हो, केवल देखने भर से कोई अंदाजा होता है क्या, देखने को तो नेट पर एच डी क्वालिटी के ऐसे हज़ारों फोटो हैं।
उसने खुद ही मेरा हाथ पकड़ कर उसकी चूत पर रख दिया- यार, तुम्हारे लिए ही कल ब्यूटी पार्लर से साफ़ करा के आई है!
और वास्तव में चूत निहायत ही चिकनी थी, मैंने पूछा- बाप रे! क्या यहाँ की भी थ्रेडिंग होने लगी है आजकल?
इस बार प्रफुल्ला बोली- हाँ, आज कल ब्यूटी पार्लर में सब कुछ होता है। और बेचारी लड़कियाँ अपने सारे शरीर से रोयें तक साफ़ करा रही हैं लड़कों के लिए, इसके अलावा बॉडी को फिट रखने के लिए जिम जाती हैं, स्पा, मसाज, कराती हैं, अपने ब्रेस्ट को शेप कराना, और अब तो चूत को भी सर्जरी से टाईट किया जा रहा हे और शेप दी जा रही है।
मैंने चेतन को समझाया- यार, यह हेयर रिमूव करना, मसाज और काफी निजी काम तुम्हें करने चाहिए! ये भी फॉर प्ले का ही हिस्सा होते हैं और इसमें दोनों को ही मजा भी आयेगा।
इन्ही बातों के दौरान मैं प्रफुल्ला के जिस्म को सहलाता भी जा रहा था और अब वो भी मेरे उत्तेजक स्पर्श से कसमसाने लगी थी क्योंकि उसकी जांघें ऊपर-नीचे हो रही थी और पैर भी चौड़े हो गए थे, मुझे भी अपना हाथ उसकी चूत में काफी नीचे तक ले जाने की जगह मिल गई थी।
उधर चेतन भी उत्तेजित हो गया था, उसका हाथ अब उसके लण्ड पर था और पैंट के अंदर ही अंदर वो खड़ा हो चुका था, वो मुझ से बोला- यार अरुण, मुझे जो जो करना है वो तुम मुझे बाद में विस्तार से समझा देना, ओके! लेकिन प्लीज़ अभी तो यह तुम्हारे लिए है और मुझे तुम दोनों को देखना है। तुम इसे खूब प्यार करो, तुम्हें इसकी बेचैनी दिखाई नहीं दे रही? और प्लीज़ इसके एक एक अंग को देखो और चेक करके बताओ! पता है प्रफुल्ला की चूत गीली हो गई थी तुम्हारी बीवी का उत्तेजक बॉडी चेकअप पढ़ कर, और मुझे देखना है प्लीज़ यार, अब वक्त बर्बाद मत करो!
“ओके!” मैंने कहा,”मैं एकबार वाशरूम हो आता हूँ, किधर है?
प्रफुल्ला ने इशारे से बताया- वो कमरे के साथ ही है ना!
दोस्तो, आपको एक राज़ की बात बताऊँ कि वैसे तो मैं सेक्स का बहुत बड़ा खिलाड़ी हूँ लेकिन इस सेक्सी युगल ने मेरे छक्के छुड़ा दिए थे और मेरा लण्ड बिल्कुल झड़ने ही वाला था, मैंने सोचा कि दोनों के सामने इज्जत खराब हो जायेगी इसलिए तुरंत वाशरूम की तरफ भागा, वहाँ जाते ही फ्लश में वीर्य का फव्वारा छूट गया और मैंने हाथ से रगड़ रगड़ कर उसे पूरा खाली कर दिया।
अब मेरी उत्तेजना भी थोड़ी कम हो गई। यह जरूरी भी था यदि मुझे प्रफुल्ला के साथ लम्बा सेक्सी खेल खेलना था तो!
उसके बाद मैंने अपने लण्ड को अच्छे से धोकर साफ़ कर लिया और तौलिए से रगड़ कर पौंछ कर वापिस बेडरूम में आ गया।
वहाँ चेतन प्रफुल्ला के साथ चिपक कर लेटा हुआ था, शायद वो मेरे बारे में ही कुछ बात कर रहे थे, मैंने पूछा- दोस्त, कोई परेशानी हो तो पहले ही बता देना यार!
“नहीं यार! ऐसा कुछ नहीं है!” वो पलंग से उठते हुए बोला।
मैंने देखा कि वो दोनों ही उत्तेजित हो चुके थे और मैं अभी ठीक ठाक था, यह मेरे लिए अच्छा था और मैं पलंग पर चला गया जहाँ वो हुस्न-परी वस्त्र-विहीन लेटी हुई थी।
उसके पास पहुँचते ही मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसके मुखड़े को अपने हाथों में भर कर उठा लिया और उस पर चुम्बनों की बरसात कर दी। उसका माथा, गाल, सुडौल नाक, कान, ठोड़ी और अंत में उसके रसीले होठों को अपने होठों में भर लिया और मेरे लण्ड में झड़ने के बाद इतनी जल्दी वापिस हलचल शुरू हो जायेगी, यह मैंने सपने में भी नहीं सोचा था, मैंने तुरंत अपने आप को सम्भाला और उसके अनावृत बदन से खेलने का निश्चय किया।
फिर मैंने पास ही पड़े चार तकिये उसके कमर के नीचे लगा कर उसे इस तरह लेटा दिया कि उसकी गर्दन तकिये से पीछे की तरफ हो गई, और उसके उन्नत उभार तकिये के ऊपर होने की वजह से और ज्यादा ऊँचे उठ गये और पेट एक फिसल पट्टी की तरह से बन गया। अब मैंने उसके पैर जितने चौड़े वो कर सकती थी उतने कर दिए और उसके हाथ भी उठा कर सर के ऊपर ही कर दिए। उसकी बगल भी निहायत ही साफ़ और रोम-रहित थी इस तरह अब प्रफुल्ला बहुत ही अश्लील और उत्तेजक मुद्रा में पड़ी हुई थी, उसकी छातियाँ इतनी ज्यादा तन गई थी कि उनमें से उसकी रक्त शिराएँ भी चमक रही थी, उसके बाएँ वक्ष पर एक गहरा काला तिल भी था, और यह मेरा निजी अनुभव है कि वक्ष पर तिल वाली लड़कियाँ बहुत ज्यादा उत्तेजक और कामी प्रवृति की होती हैं और उनके पति उनसे सदैव सुखी और संतुष्ट रहते हैं।
अपनी बीवी को चेतन इस स्थिति में देख कर और उत्तेजित हो गया था, अब मैं उठ कर पलंग के पीछे चला गया, और वहाँ से उसके दोनों उभार थाम लिए और उन्हें पहले तो प्यार से सहलाया, फिर थोड़ा दवाब बढ़ाते हुए उसके निप्पल जो टाईट हो चुके थे, को धीरे धीरे मसला। मेरी निगाह लगातार उसके चेहरे पर उभरते भावों पर थी,कि मेरी किन हरकतों से उसे आनन्द आ रहा था और किससे कष्ट या परेशानी हो रही थी, इसलिए मैं वो ही हरकतें ज्यादा कर रहा था जो उसे उत्तेजक कर रही थी।
वक्ष को अच्छी तरह सहलाने के बाद मैं उसके बगल में आ गया और अब उसके एक वक्ष को दोनों हाथों से कस के पकड़ कर निप्पल को मुँह में लेते हुए चूसना शुरू कर दिया। उसकी आहें तेज़ हो गई थी, बीच बीच में मैं दूसरे स्तन को भी सहला और दबा रहा था, और चेतन ये सब देख कर इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया था कि उसने अपना लण्ड बाहर निकाल कर हाथ में ले लिया और सहलाने लगा। और फिर पास आकर खुद भी प्रफुल्ला के उरोज़ों को थाम लिया।
तभी मुझे एक आइडिया सूझा, मैंने चेतन को प्रफुल्ला का दूसरा चुचूक चूसने का इशारा किया जैसे मैं चूस रहा था ऐसे ही दबा दबा कर!
और मेरे इशारा पाते ही वो भी शुरू हो गया। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
और प्रफुल्ला!
उसका तो हाल बुरा हो चुका था! बहुत कम घरेलू औरतें ऐसी होती हैं जिनके दोनों वक्ष एक साथ खींचे, सहलाये और चूसे जा रहे हों। वो अब बेकाबू होती जा रही थी और अपने कूल्हे और चूतड़ उछालने लगी थी।
मैंने अपने हाथों से उसकी चूत पकड़ कर उसे शांत करने की कोशिश की लेकिन वो अब मेरे कपड़े ही खींचने लगी और खोलने की कोशिश करने लगी।
अब मुझे भी लगा कि यह बेचारी कब से नंगी पड़ी है, और मैं पूरे कपड़ों में हूँ, यह गलत है।
यही सोच कर मैं उठ खड़ा हुआ और अपने सारे कपड़े एक एक करके उतार दिए और पूर्ण नग्न हो गया। मेरा लण्ड भी अब वापिस खड़ा और सख्त हो गया था। अब मैंने उसे उठने का इशारा किया, वो बैठी हो गई तो मैंने अपना लण्ड उसे पकड़ा दिया।
मुझे सबसे ज्यादा मज़ा आता है जब मेरा सख्त लण्ड किसी औरत की नाज़ुक नाज़ुक हाथों द्वारा सहलाया जाता है।
मैं उत्तेजना के मारे पसर गया और वो मेरे ऊपर चढ़ बैठी और सहलाते सहलाते उसे मुँह में ले लिया।
मेरी चीख निकल गई।
यह तो अच्छा हुआ था कि मैं एक बार लण्ड झाड़ आया था, वरना कभी का पानी छूट जाता इसका और मज़ा भी नहीं आता।
अब वो इत्मीनान से लण्ड के मज़े ले रही थी।
कुछ देर बाद मैंने अपने आप को उससे छुड़ा लिया और उसे पकड़ कर उन्हीं चार तकियों पर इस बार उलटा करके इस तरह लेटाया कि उसके कूल्हे तकियों पर जा टिके और पहले से उभरे हुए चूतड़ और ज्यादा उभर गए।
मेरी उत्तेजना चरम पर थी, अब मैंने उसके उभरे चूतड़ों पर दनादन चांटे और चपत लगानी शुरू की, वो हर चांटे पर उछल पड़ती थी और इस अंदाज़ में कि और मारो,!
फिर मैं और मारता था।
अब चेतन भी पास आ गया और वो भी शुरू हो गया! मेरे ये चांटे और चपत चोट पहुँचाने के लिए नहीं थे, बहुत हल्के और उत्तेजक थे। फिर मैंने उसके कड़े चूतड़ों के दोनों उभारों को खींच कर दो फाड़ किया और उस जगह पर अपने दोनों हाथों के अंगूठों से बारी बारी से सहलाया।
प्रफुल्ला की उत्तेजक आवाजों से वो कमरा गूंजने लगा। वो अचानक उठी, पलटी और चूत फैला कर चिल्लाने लगी- प्लीज़ फक मी! प्लीज़ फक मी!
मैंने अनजान बनते हुए कहा- क्या कह रही हो? मेरी समझ में नहीं आ रहा है।
तो उसका सब्र जवाब दे गया और वो देसी भाषा पर आ गई- ओह अरुण! मुझे चोदो यार! चुदाई करो जल्दी! अब रहा नहीं जा रहा! अपने लण्ड से प्यास बुझा मेरी चूत की जल्दी! जल्दी!
और यहां मेरा भी हाल बुरा था, मैंने भी समय व्यर्थ न गंवाते हुए जल्दी से लण्ड पर कंडोम चढ़ाया, चेतन को प्रफुल्ला के पैर चौड़े करने को कहा और उसकी चूत के दोनों होंठ पूरे फैलाते हुए अपना लण्ड घुसा दिया और प्रफुल्ला ने जोर से सिसकारी निकालते हुए मुझे इतने जोर से भींच लिया कि उसके नाख़ून से मेरी पीठ पर खून तक निकल आया।
वो इतना ज्यादा हल्ला मचा रही थी कि आखिर मैंने अपने होंठों से उसका मुँह बंद किया और फिर उसकी चुदाई जारी रखी…
तो दोस्तो, यह घटना लिखते लिखते मैं फिर इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया हूँ कि बस! इसके आगे नहीं लिख पाऊँगा!
आप लोगों को यहाँ तक की घटना कैसी लगी, ज़रूर ज़रूर मेल करना! मैं जवाब देने की कोशिश करूँगा।
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