प्रफुल्ला-2

अरुण 2010-07-03 Comments

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धीरे धीरे बातों में कामुकता और अश्लीलता बढ़ती गई, बढ़ती ही गई।

और फिर एक दिन वो हुआ जिसकी मुझे सपने में भी उम्मीद तो नहीं थी, लेकिन इच्छा जबरदस्त थी…

चेतन बोला- यार अरुण, प्लीज़! प्लीज़! तुम भी एक बार हमारे इस सेक्स में शामिल हो जाओ न यार!

मेरी कहानी का उल्लेख करते हुए बोला- मैं भी चाहता हूँ कि मेरे सामने तुम मेरी पत्नी यानी प्रफुल्ला के साथ…?

दोस्तो, अब क्या लिखूँ?

मुझे लिखते हुए शर्म आ रही है, लेकिन आप लोग खुद ही समझदार हो कि वो मुझे अपनी बीवी मुझे सौंपने को कह रहा था, वो भी बिस्तर पर!

मैं तो सुन कर ही सन्न रह गया, तुरंत कुछ कहते ही नहीं बना!
और मैं एकदम शांत हो गया।

मेरी लम्बी चुप्पी को भी उसी ने तोड़ा, वो बोला- यार क्या हुआ? तुम तो सेक्स-एक्सपर्ट हो, और अब तो इतने दिनों की दोस्ती भी है, अगर हम एक साथ कोई मस्ती करते हैं तो इसमें तुम्हें परेशानी क्या है?
अब मैं बोला- लेकिन यार क्या यह ठीक होगा, बोलना-लिखना अलग बात होती है।
“ओह!” अब वो थोड़ा व्यंगात्मक लहजे में मुझे चिढ़ाते और चैलेंज करते हुए बोला- यानि तुम सिर्फ बातों के ही शेर हो?
मैंने कहा- नहीं यार, ऐसी बात नहीं है, मैंने सोचा नहीं था कि अपनी बातें यहाँ तक पहुँच जाएँगी। ठीक है यार, मैं इस बारे में सोच कर जवाब दूँगा।
और यह कह कर हमारी उस दिन की बातचीत तो ख़त्म हो गई।

लेकिन मुझे ठण्डे दिमाग से सोचने का मौका ही नहीं मिला, दूसरे ही दिन जब मैं ऑफिस में था, प्रफुल्ला का ही फोन आ गया।

और दोस्तो, इतिहास गवाह है कि स्त्री के आगे सब नतमस्तक है, उसकी बातों या कहें कि उत्तेजक बातों ने मेरे ठण्डे दिमाग को गर्म कर दिया और उसे तो मैं ना कह ही नहीं सका।

उनका शहर मेरे शहर से बहुत ज्यादा दूर तो नहीं था लेकिन फिर भी पारिवारिक आदमी हूँ तो ऑफिस टूर का बहाना तो बनाना ही था।

झूठ की शुरुआत हो चुकी थी, डर भी था कि क्या पता कोई क्रिमिनल फ़ैमिली हो जो मुझे फांस रही हो!

हालांकि मैंने पहले ही यह बात साफ़ कर दी थी, जो सही भी थी, कि मैं कोई बहुत पैसे वाला आदमी नहीं हूँ, एक सरकारी विभाग में छोटा मोटा अधिकारी हूँ।

और वैसे भी हमारे बीच में सेक्स के अलावा और कोई बात कभी होती ही नहीं थी, फिर भी सावधानी जरूरी थी।

उसका भी समाधान हो गया, उसी शहर में मेरा एक पक्का दोस्त पुलिस में अधिकारी था उससे मैंने बात कर ली थी।

आखिर मैं धड़कते दिल के साथ उनके घर पहुँच ही गया। उनका घर शहर के बाहर की एक पॉश कोलोनी में था और बंगलेनुमा बना हुआ था।

चेतन खुद मुझे लेने बस स्टैण्ड पर आया था, आते ही वो मेरे गले मिला और बहुत ही गर्म जोशी से मेरा स्वागत किया।

वो साथ था तो घर पहुँचने में कोई परेशानी नहीं हुई, सारे रास्ते वो अपनी बीवी की बातें ही करता रहा, मैं झूठ-मूठ की सफाई देता रहा कि मेरा यहाँ आने का मकसद तो आप लोगों से मिलने का ही था, सेक्स कोई जरूरी नहीं है।

लेकिन यह बात झूठ थी, मेरे मन में उसकी बीवी को लेकर लड्डू फूट रहे थे।

चेतन खुद भी बहुत स्मार्ट और लंबा-चौड़ा था, लेकिन गज़ब का कामुक व्यक्ति था।

और फिर हम घर पहुँचे तो गेट प्रफ्फुला ने ही खोला।
ओह माई गॉड! क्या औरत थी!
वैसे औरत कहना गलत होगा, यूँ कहें कि क्या लड़की थी!

सांवला रंग, तीखे नैन-नक्श, खुले और लम्बे बाल, पतली कमर, महंगे परफ्यूम से महकता बदन, उसने सलीके से साड़ी पहनी हुई थी जो उसकी नाभि से काफी नीचे बंधी हुई थी, बहुत ज्यादा खुले गले गले का ब्लाउज और उसमें से उबले पड़ रहे उसके उन्नत वक्ष क़यामत ढ़ा रहे थे, वो सांवली सलोनी इतनी सेक्सी लग रही थी कि बस दोस्तो, मैं कैसे उसका वर्णन करूँ, कुछ समझ नहीं आ रहा मुझे!

अरे हाँ! अभी हाल में ही जो एक मूवी आई है ना ‘बर्फी’ वो काफी कुछ उसकी हेरोइन एलियाना ड़ीक्रूज़ से मिलती जुलती है।

मैंने उसे हाय-हेलो किया, हाथ मिलाया, लेकिन मामला कितना ज्यादा उत्तेजक होने वाला था इसका अंदाजा अब आपको अगली घटना से होगा।

जब चेतन ने कहा- यार प्रफ़ुल्ला, ये सिर्फ हमारे लिए इतनी दूर से आये हैं! ऐसे फोर्मल स्वागत ही करोगी क्या?

और पता है दोस्तो, आगे क्या हुआ!

उसने अपनी बाहें फैला कर मुझे अपने आलिंगन में कस लिया और मेरा चेहरा चूमते हुए बोली- वेलकम अरुण! यार बहुत स्मार्ट हो दिखने में भी! बहुत मेंटेन कर रखा है अपने आप को!

अब मैं थोड़ा बोला- जिनका भी सेक्स में रुझान होता है, वे लंबे समय तक जवान ही रहते हैं। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉंम पर पढ़ रहे हैं।

“हाऊ स्वीट! कितनी प्यारी बातें करते हो तुम!”
और वो और कस कर चिपक गई, और इस बार उसने होंठों को चूम लिया और यह सब अपने पति के सामने!

मैं तो सन्न रह गया था, अचम्भे था और मेरे हाथ उसे छूने में भी संकोच कर रहे थे। मुझे चेतन की प्रतिक्रिया का डर था कि घर में घुसते ही यह क्या हो रहा है, उसकी बीवी क्या कर रही है।

इसलिए मैं रुक गया था और उसके पति यानि चेतन की प्रतिक्रिया भी आ गई और उसने ही मेरे हाथ पकड़ कर उसकी कमर के इर्द गिर्द कर दिए, बोला- यार, किससे शरमा रहे हो? वैसे ही कह रहे हो कि कम समय के लिए आये हो! और फिर मैंने तुम्हें बुलाया ही इसके लिए है। और हाँ जब तक तुम इस घर में हो, इसे तुम्हें ही संभालना है, और इसे तो मैंने पहले ही समझा दिया है, क्या प्रफ़ुल्ला तुम्हें अच्छी नहीं लगी?

ओह दोस्तो, ये आने वाली क़यामत के संकेत थे, यहाँ बहुत कुछ और जबरदस्त सेक्सी होने वाला था क्योंकि यह युगल बहुत ही कामुक और उत्तेजक था और बिल्कुल भी समय बर्बाद करने में मूड में नहीं था।

और असल बात यह थी कि मैं खुद भी इसी काम के लिए आया था। अब मैंने भी प्रफुल्ला को अपनी बाहों में कस लिया और अपना कामुक अंदाज़ भी जाहिर कर दिया। उसने मेरे होठों को चूमा था, मैंने उसके खुले बाल कस के पकड़ के बेदर्दी से उसके सर को पीछे की तरफ झुका दिया ऐसा करने से उसके उभार लगभग बाहर छलक गए और मैंने अपने होंठ उसके वक्ष पर लगा दिए और बारी बारी से दोनों उरोजों पर इतना दीर्घ चुम्बन किया कि उसके वक्ष पर लाल निशान बन गए और उसकी सिसकारी निकल गई।

इस दौरान मेरा दूसरा हाथ उसकी कमर से लेकर कूल्हे तक को सहलाता रहा, दबाता रहा।

चेतन को देख कर ही मज़ा आ रहा था, ऐसा उसकी आँखों की चमक बता रही थी। मुझे भी लगा कि पहले अन्दर तो चलें, मेरे पास तो बहुत समय है क्योंकि प्रफ़ुल्ला की खूबसूरती और जोश, और उसके पति की खुली छूट ने मुझे दीवाना बना दिया था।

हम बड़े से ड्राइंग रूम में आये, प्रफुल्ला मेरे लिए बारी बारी से पानी, चाय, नाश्ता लाती रही, चेतन भी उसका भरपूर सहयोग कर रहा था, पर मारे उत्तेजना के और आने वाले पलों की कल्पना मात्र से मैं उत्तेजित हो रहा था, मुझसे कुछ भी खाया-पीया ही नहीं जा रहा था।

जैसे तैसे इन सबसे फ्री हुए और चेतन का उतावलापन देखो कि सबसे पहले वो ही बोला- तो… अब चले बेडरूम में? क्या कहते यार अरुण?

मैंने प्रफुल्ला की तरफ देखा और बोला- बोलो भाभी, क्या कहती हो?
और पता है उसने क्या कहा- जल्दी से आओ!
और खुद ही उठ कर चल दी, फिर हम दोनों भी चल दिए।

कहानी जारी रहेगी।
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