पापा के दोस्त ने मुझे चोदा
मेरा नाम किरण है, मैं पंजाब की रहने वाली हूँ। मैं एक बहुत धनी परिवार से ताल्लुक रखती हूँ। मेरे पापा एक नामी बिज़नेस-मैन हैं और उनका एक दोस्त है जिनको मैं बड़े काका कहती हूँ। वैसे तो अमरीका में ही उनका सारा बिज़नेस है, उनका परिवार भी वहीं है, वो बिज़नस के सिलसिले में ही भारत आते।
इस बार वो आए तो वो पापा को चौंका देना चाहते थे तो वो बिना पापा को बताये ही भारत आ गए। मुंबई में अपनी मीटिंग में होकर कर के वो सीधा अमृतसर चले आए। हवाई अड्डे से बाहर निकल वहां से टैक्सी कर वो सीधा हमारे घर आ गए। पापा और माँ दोनों मेरी मासी की बेटी की शादी में पठानकोट गए हुए थे।
नौकर ने दरवाज़ा खोला और वो उनको अन्दर ले आया। मेरे पेपर चल रहे थे इसीलिए मैं और दादी घर रुक गए। दादी से मिलने के बाद उन्होंने जब पूछा- मां जी ! पुरुषोत्तम कहाँ है?
दादी ने बताया कि वो शादी में गए हैं। इतने में मैं भी बाहर आ गई, उनको देख मैं बहुत खुश हुई। मैंने उन्हें कमरा दिखाया और फ्रेश होने के बाद चाय वगैरा पिलाई।
बातों में समय क्या हो गया, पता ही नहीं चला। मां जी उनको बचपन से जानती थी। मुझे भी मालूम था कि वो विह्स्की के शौकीन हैं, आज पापा नहीं थे तो मैंने नेपाली को विह्स्की सर्व करने के लिए कह दिया।
काका बोले- तू कितनी बड़ी हो गई है !
दादी हंसने लगी और बोली- मैं बाथरूम जा कर आई !
तभी अंकल ने पैग पीते हुए कहा- तू भी बड़ी हो गई है और ऊपर से नीचे तक हर चीज़ में परफेक्ट निकली है !
उनकी यह बातें सुन मेरी चूत में कुछ होने लगा, मैं थोड़ा शरमा गई।
दादी बोली- भाई, में खाना लगवा रही हूँ!
मुझे तो खाना खा कर सोना है, तुम बातें करो !
अंकल की नज़रें बार बार मेरी चूचियों पे अटक जाती थी।
तीन पैग पीने के बाद अंकल ने कहा- कम्पनी नहीं दोगी?
नहीं अंकल ! मैं नहीं पीती !
आज पी लो थोडी !
नहीं अंकल ! मुझे पढ़ना है !
तभी उनका सेल बजा, वो फ़ोन पे बातें करने लगे। इस बीच दादी बोली- बेटा मुझे सुबह उठना है, मैं सोने चली ! तू खाना खा ले !
अंकल ने अपना पाँचवां पैग बनाया और इस बार मेरे साथ सोफ़े पे बैठते हुए बोले- लो ना एक पैग ! प्लीज़ ! कम ओन ! तुम जवान हो चुकी हो !
उनके ज़ोर देने पे मैंने ग्लास पकड़ा और एक दम सारा ख़त्म कर दिया। उन्होंने पास में पड़े चिप्स का टुकड़ा मेरे मुँह में डाल दिया।
कैसा लगा?
वो उठे और अब दो पेग बना लाये। मेरे मना करने पे अब वो बिल्कुल मेरे साथ सट कर बैठ गए, अपना हाथ मेरी जांघ पे रख दिया और अपने हाथ से पैग पिला डाला।
मुझे नशा होने लगा ! फ़िर अपना पैग भी मुझे पिला डाला !
मुझे नशे में करना उनका मकसद था। अब हाथ मेरी कमर से लिपट लिया दूसरे हाथ से मेरी छाती को दबा दिया। मैं गरम हो गई वहां से उठी, जल्दी से मेज़ पे बैठ थोड़ा खाना खाया और अपने कमरे में भाग आई। मैंने किताबें बंद कर साइड पे रख बत्ती बुझा कर चादर ले सोने की कोशिश करने लगी। अंकल की कामुक हरक़तें मुझे नींद नहीं आने दे रहीं थी।
१० मिनट बाद दरवाज़ा खुला अंकल अन्दर आए, बिजली का बटन ढूंढने लगे, तभी ट्यूब-लाईट जला कर उन्होंने कुण्डी लगा ली। मैं सोने की एक्टिंग कर रही थी। बेडलाइट जला कर, ट्यूब बुझा कर वो मेरे बिस्तर पर आए, मेरे ऊपर से चादर हटा कर बोले- जग जाओ किरण ! मुझे मालूम है कि तुम सो नहीं रही हो !
जब मैं कुछ न बोली तो उन्होंने अपने हाथ से मेरा पजामा खींच उतार डाला, फ़िर मैं पासा पलट के सो गई। वो मेरी पैन्टी के ऊपर से मेरे दोनों नितम्ब मसलने लगे। मुझे नितम्ब मसलवाने में बहुत मजा आ रहा था। अंकल ने मेरी पैंटी खींच के उतारी तो मैं उठ गई और उनके साथ लिपट गई।
उन्होंने मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए। दूसरे हाथ से मेरी चूत के दाने को रगड़ने लगे।
ओह्ह्ह यसऽऽ ! अंकल ! छोड़ो ! कुछ कुछ होता है ! प्लीज़ ! आप मुझसे कितने बड़े हो ! छोड़ दो मुझे ! मेरा दिल घबरा रहा है !
साली जवान हो गई है तू ! कह कर अंकल ने मेरी ब्रा ऊपर सरका दी और वो मेरे चूचुक चूसने लगे।
हाय ! क्या कर रहे हो अंकल !
अंकल बोले- मजा आया?
मैंने उनकी छाती में मुँह छुपा लिया, मैं शरमा गई।
अब मेरी ब्रा खोल फेंकी और खुले मैदान पर आराम से हाथ फेरते, सहलाते मेरा पूरा मम्मा अपने मुंह में डाल लिया।
तू अपनी माँ पे गई है ! वो बहुत सॉलिड माल है ! अभी पिछले दिनों जब अमरीका आई थी तो जम के चोदा था !
हाय अंकल ! मुझे छोड़ दो !
वो दबा दबा के मम्मे चूसते हुए मेरे निप्पल को काट देते।
अंकल बोले- रुक !
बाहर पड़ी बोतल में बची दारू ग्लास में डाल लाये और बोले- यह लवली-लवली होगा !
आधे से ज्यादा मुझे पिला दिया और ६९ की हालत में आ कर मेरी चूत चाटने लगे। मैंने भी अब शर्म छोड़ दी, खुलके उनका लौड़ा अपने मुंह में डाल लॉलीपोप की तरह चूसने लगी।
हाय अंकल ! बहुत सॉलिड लण्ड पाल रखा है ! कितना बड़ा है !
बेटा, यह ९ इंच का होगा ! तू चूसती जा !
तेरी मां बहुत मजे देती है साली ! मुझे क्या पता था माँ की जगह बेटी मिलेगी ! हाय और चूस ! जुबान से चाट इसके सर को ! जुबान से चाट कमीनी ! कुतिया बन ! हाय !
मैं अब नशे में थी और कौन सा मैं पहली बार चूस रही थी। मेरा अंदाज़ देख कर अंकल बोले- लगता है तू माहिर है ! साली तेरी चूत भी बजी हुई है।
मुझे गरम करने के लिए ऐसी बातें करते हए बोले- कितनों से चुदी हो ?
अंकल ! तीन लड़कों से !
गाजर, मूली कितनी लेती हो?
कभी कभी !
अब उन्होंने मुझे सीधा लिटा कर मेरी जांघों के बीच में बैठ अपने लण्ड का अग्र भाग मेरी चूत के मुँह पे रख कर धक्का मारा, लेकिन उनका लण्ड इतना मोटा था कि अन्दर नहीं गया। वैसे भी मैंने साँस थोड़ी अन्दर खींच कर चूत को कस डाला ताकि उनको जोर लगाना पड़े।
वो बोले- चल साली साँस छोड़ ! तेरा बाप हूँ मैं ! मुझे बनाएगी !
फ़िर उन्होंने एक ज़ोर का झटका मार पूरा लण्ड मेरी चूत के अन्दर पेल दिया और तेजी से चुदाई करने लगे। इतनी तेज चुदाई इतनी उमर में !
लगता था सेक्स के मास्टर हों !
ओह ! ओह ! कर वो मेरे दोनों मम्मे दबा दबा के मेरी चूत मारने लगे। मैं नीचे से अपने कूल्हे उठा-उठा के उनका साथ दे रही थी। अंकल ! तेज ! बहुत अच्छा है आपका लण्ड ! आज तक मेरी ऐसे चुदाई नहीं हुई !
बोले- आ गई न रांड जुबान पे ! ले खा !
हाय ! खा जाउंगी !
फ़िर एकदम से लण्ड बाहर निकाल, मुझे उल्टा कर पीछे से मेरी चूत में डाल दिया और तेजी से चोदने लगे। साथ में अपनी ऊँगली मेरी गाण्ड में डाल गोल गोल घुमाने लगे। मैं चुदाई में इतनी दीवानी हो चुकी थी कि कब अंकल ने दो ऊँगलियाँ अन्दर डाल दी।
फ़िर अपना लण्ड मेरी चूत से निकाल लिया, मुझे उठाया, लण्ड सीधा खड़ा था, अंकल बोले- गोदी में आजा बेटे ! हमारी गोदी में खेल कर ही तू बड़ी हुई है !
उन्होंने मुझे अपनी जाँघों पर बैठाया और पदाच की आवाज़ के साथ लण्ड पूरा मेरी चूत में घुस गया, मेरे दोनों कूल्हों को नीचे से पकड़ के गोल गोल घुमाते हुए उछालने लगे। मेरे दोनों मम्मे बिल्कुल उन्के चेहरे पर के घिस रहे थे। उनके हाथ नीचे थे।
मैंने एक हाथ उनकी गर्दन मे डाल रखा था, दूसरे हाथ से ख़ुद अपना मम्मा पकड़ उनके होंठो से लगाते हुए उनके मुँह में डाल दिया। वो पूरा मम्मा चूसते, मैं ख़ुद बारी बारी दोनों मम्मों को चुसवा रही थी।
बहुत एक्सपर्ट है बेटी !
अंकल अब तेजी से उठा उठा के मारने लगे मेरी चूत। मम्मे मुँह में ले कर निप्पल पर काट देते !
अह ऽऽआह ! मैंने अब दूसरी बार पानी छोड़ दिया।
अंकल ने बिना लण्ड निकाले एक दम से ऐसी करवट ली कि मैं नीचे आ गई और वो फ़िर ऊपर !
फ़िर अंकल ज़ोर ज़ोर से हांफने लगे ! उनकी तेजी बढ़ गई ! तेज तेज धक्कों में एक दम स्टाप लग गया और उनका गरम माल मेरी कोख में छुटने लगा, जैसे कोई नहर बह रही हो ! पूरी चूत गीली करके भर दी ! अंकल मेरे ऊपर लुढ़क गए। मैंने जल्दी से लण्ड निकाला और घुटनों के पास बैठ कर मुँह में ले लिया, मुझे लण्ड का पानी पीना, चाटना पसंद है।
अंकल बोले- पहले कहती तो सारा मुँह में झाड़ देता !
मैंने चाट चाट के लण्ड साफ़ कर दिया और अंकल मेरे अंगों से खेलने लगे, बोले- किरण ! कहीं दारू पड़ी हो तो ला !
मैंने चादर लपेटी और लॉबी में बार से बोतल निकाल ली। हम दोनों ने दो दो मोटे पैग लगाये, मैं फ़िर से उनका लण्ड चूसने लगी। ६९ में आकर अबकी बार वो मेरी गांड चाटने लगे थूक डाल डाल के मेरी गाण्ड के छेद को ढीला करते हुए। उनका लण्ड तन के खड़ा मेरे मुँह में मस्ती कर रहा था। मैं ख़ुद उठ कर अंकल की जाँघों पर बैठ गई। पहले तो अपनी चिकनी गोरी जांघें उनकी जांघों से रगड़ने लगी, तभी ख़ुद ही उनके लण्ड को गांड के छेद पे रखते हुए उस पर बैठ गई और पूरा लण्ड अन्दर ले गई।
वो हैरानी से देख रहे थे, बोले- माल है तू ! घोड़ी बन जा !
इतना कह वो मेरे ऊपर छा गए, ताबड़तोड़ वार से मेरी गांड फाड़नी चालू की। मैंने रोका मगर वो नहीं रुके और फाड़ डाली मेरी गांड !
इस तरह झटकों से इस बार झड़ने के करीब आए तो मुंह में डाल दिया। मैंने मुठ मारते हुए उनका सारा माल अपने मुँह में ले लिया। उसके बाद उन्होंने पूरी रात मुझे ४ बार चोदा।
मैंने कहा- माँजी पॉँच बजे उठ जायेंगी !
ठीक साढ़े चार बजे वो अपने कपड़े पकड़ चादर लपेट गेस्ट रूम में चले गए। आंख खुली तो दोपहर के १२ बजे थे अंकल भी अभी तक सोये हुए थे। माँजी बोली- चाय दे आ अपने अंकल को !
मैं चाय देने गई, अंकल को उठाया, चाय साइड पे रख वो मुझे अपनी ओर खींचने लगे और गरम करने लगे।
दादी बाहर है !
अंकल बोले- चूस दे थोड़ा बस ! कपड़े नहीं उतारना ! नाड़ा खोल कर सलवार घुटनों तक सरका के डाल लूँगा। देखना डर की चुदाई में अलग ही मजा आता है ! रानी जब डर सा लगा हो तब !
उनकी बात सही थी, कपड़े पहने ही मुझे अलग फीलिंग आ रही थी। मैंने नाड़ा खोल कर सलवार घुटनों तक उतार दी। उन्होंने लोअर की जिप खोल लण्ड मुझे पकड़ा दिया। मैं सहलाने लगी, दो चार चूपे मारे और मुझे बेड के कोने पे ला उन्होंने डाल दिया और १० मिनट चोदने के बाद सारा माल निकाल दिया और एक दूसरे को चूमने चाटने लगे।
बाद में अंकल माँ जी से बोले- माँ जी ! अब मैं होटल रह लूँगा !
माँ जी बोली- बिल्कुल नहीं ! अगर पुरुषोत्तम को मालूम हुआ न तो वो हम दोनों की वाट लगा देगा ! तू अपना काम कर ! तू रात को घर आयेगा।
रात को अंकल ने ८ बजे मां जी को कहा कि वो आज लेट हो जायेंगे, खाना बाहर से ही खा के आएंगे, आप सो जाना, मैं ख़ुद दरवाज़ा खोल लूँगा।
मैं अंकल के कमरे में लेट गई और सिप कर कर के दारू पी रही थी। इंतजार में मैंने ३ पेग डाल लिए। तभी अंकल को कोई कार से छोड़ने आया, दोनों बातें करते हुए गेट बंद कर अन्दर आ गए। मैंने सोचा कि अंकल अकेले आयेंगे इसलिए मैं सिर्फ़ पैंटी टी-शर्ट में थी। अंकल बोले- यह मेरा पार्टनर है, बहुत बढ़िया चोदेगा।
वो दोनों मेरी तरफ़ बढ़े, बेड पे एक एक ओर से, दूसरा दूसरी ओर से।
अंकल मेरी जांघें सहलाते हुए बोले- इतनी खूबसूरत हसीन लड़की क्या चीज़ है यार गुप्ता ! अपनी माँ से ज्यादा आग लिए घूमती है।
ओह वो मेरे होंठ चूसने लगा। पास में बोतल देख अंकल बोले- पी ली?
चल एक एक पैग लगायें !
नशे मे मैंने कब उनका लण्ड निकाल चूसना शुरू कर दिया.
उसके बाद क्या क्या हुआ, जरूर बताऊंगी, अगर मेरी यह चुदाई अन्तर्वासना वाले छापते हो तब !
दोस्तों ! चुदाई का किस्सा जारी रहेगा।
उम्मीद है इस बार अन्तर्वासना अपनी इस नियमित पाठक को नजरअंदाज़ नहीं करेगी !
बाय बाय !
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