पलक की सहेली सरिता-1

(Palak Ki Saheli Sarita- Part 1)

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जैसा कि आपने
पलक और अंकित के बाद
में पढ़ा कि सरिता और पलक की फोन पर बात हुई।

मैं कुछ कहता उसके पहले ही पलक का फोन जो पहले ही तीन बार बज कर बंद हो चुका था एक बार और बज गया।

इस बार पलक ने फोन उठाया और सीधे बोली- तुझे सब पता है तो इन्तजार नहीं कर सकती क्या? नीचे जा कर कॉफी पी लेती, पैसे में दे देती।

मैं समझ गया कि दूसरी तरफ़ सरिता ही थी।

उधर से सरिता ने कुछ कहा और पलक बोली- ठीक है, देख ले कॉरिडोर में कोई है तो नहीं, मैं दरवाजा खोल रही हूँ, बिना सवाल करे अंदर आ जाना।

मैं अभी भी पूरी तरह से प्राकृतिक अवस्था में ही था और पलक भी, मैंने पलक से कहा- ‘क्या पागलपंथी कर रही है, कपड़े तो पहन लेने दे!

तो पलक ने कहा- कपड़े उठा और अन्दर जाकर पहन ले, मैं दरवाजा खोल रही हूँ, नहीं तो यह जान खा जायेगी।

उसकी बात सुन कर मैं समझ गया था कि पलक दरवाजा खोलने जा रही है तो मैंने कपड़े उठाये और अंदर जाकर कपड़े पहनने लगा।

बाहर पलक ने दरवाजा खोला और तुरंत बंद कर दिया। यह बात मुझे दरवाजे के खुलने और बंद होने की आवाज से समझ आ गई।

मैं अंदर के कमरे में था तो अंदर से ही कपड़े पहन कर पेशाब करने चला गया जब तक मैं वापस आया तो पलक भी कपड़े पहन ही चुकी थी। पलक की वैसी हालत देख कर सरिता सब समझ ही गई थी और उसे मेरे बारे में सब पलक ने बता ही दिया था तो मैं थोड़ा झेप रहा था पर सरिता बिल्कुल भी नहीं शरमा रही थी, ना ही पलक।

मैंने पलक से कहा- चलें?
तो पलक बोली- तू रुक! सरिता बियर लेकर आई है, तो मैं घर होकर आती हूँ, बाकी लोग भी यही आयेंगे।

मैंने कहा- मैं भी चलता हूँ यार! क्या करूँगा यहाँ रुक कर, तेरे साथ ही वापस आ जाऊँगा।

मेरी बात सुन कर सरिता बोली- हाँ, मैं मानती हूँ कि खूबसूरती में मैं पलक के आसपास भी नहीं हूँ लेकिन इसका यह मतलब नहीं यार कि मैं इतनी बुरी कम्पनी हूँ कि दो घंटे मेरे साथ नहीं बिता सकता?

यह सुनने के बाद मैं फिर से जाने के लिए तो कह ही नहीं सकता था तो मैंने सिर्फ यही कहा- नहीं यार, ऐसा नहीं है।

‘तो फिर कैसा है?’ सरिता बोली।

‘तू भी काफी आकर्षक है यार!’ मैंने जवाब दिया।

पलक बीच में शरारती अंदाज में बोली- तुम दोनों लव-बर्ड्स साथ में चोंच लड़ाओ! मैं चली घर, कुछ काम है घर पर!

और सरिता को आँख मारते हुए वो बाहर निकल गई।

उसके जाने के बाद सरिता बोली- आप कुछ कह रहे थे जनाब?
मैंने कहा- किस बारे में?
सरिता बोली- मेरे आकर्षक होने के बारे में!
मैंने कहा- हाँ, तू सच में बहुत आकर्षक है यार!

और हम दोनों ही गद्दे पर बैठ गए।

वो बोली- मैं तो समझती थी कि मैं तुझे अच्छी नहीं लगती और मेरे काले होने के कारण तू मुझे भाव नहीं देता!

मैंने कहा- अरे नहीं रे! ऐसा कुछ नहीं है, और तू बस थोड़ी सी सांवली है, काली थोड़े ही है! पर तू बहुत आकर्षक लगती है।

सरिता ने सवाल किया- अच्छा ऐसा क्या है मुझमें जो आकर्षक है, बता जरा?

मैंने कहा- क्या नहीं है यार आकर्षक तुझमें? तू ऊपर से ले कर नीचे तो तो सेक्सी ही है।

वो मेरे बहुत पास खिसक गई और मेरे चेहरे के पास अपना चेहरा लाकर बोली- तुझे मैं सेक्सी लगती हूँ तो तूने कभी मुझे घास क्यों नहीं डाली?

मैंने कहा- पता नहीं, शायद कभी कोई ऐसा मौका ही नहीं आया!

तो वो तपाक से बोली- तो आज तो है ना!

मैंने कहा- तू पीकर तो नहीं आई है ना बाहर से ही?

तो सरिता बोली- तेरा यह जवाब इसीलिए है ना क्यूँकि मैं खूबसूरत नहीं हूँ!

सरिता को दूसरों की नजरों से खूबसूरत कहूँ या नहीं, वो नहीं पता! पर वो आकर्षक बहुत थी, बड़े ही सलीके से तीन स्टेप में कटे हुए बाल, चेहरे पर कोई मुंहासा या दाग नहीं, बदन से हमेशा ही अच्छे परफ्यूम की महक आती रहती थी, दांत मोतियों जैसे सजे हुए, आँखें बड़ी बड़ी, चेहरा लंबा, गाल भरे हुए, आवाज भी बहुत मीठी, शरीर का अनुपात ऐसा था कि सीने के ही उभार किसी को भी आकर्षित कर लें! और नितम्ब भी उतने ही उन्नत और उसके कपड़े पहनने का ढंग कुछ ऐसा था कि वो उसे और आकर्षित बना देता था।

कुल मिला कर भगवान ने उसे लगभग सम्पूर्ण बना रखा था पर इस सम्पूर्णता में एक कमी भगवान ने यह दे दी थी कि वो बहुत काली थी, सांवली नहीं सच में काली।

मैंने कहा- नहीं रे! ऐसा नहीं है, तू बहुत सुन्दर है लेकिन तू पलक की बेस्ट फ्रेंड है यार! और फिर बाद में दिक्कत होगी क्यूँकि हम दोनों का कुछ नहीं हो सकता।

वो बोली- कोई दिक्कत नहीं होगी यार, इट्स नो स्ट्रिंग्स अटैच्ड रिलेशन (इस रिश्ते में किसी बंधन की बात नहीं है)।

मैंने कहा- पक्का?

तो बोली- हाँ, और तू भी जानता है कि मैं कोई पहली बार नहीं करने जा रही हूँ!

‘वो तो ठीक है लेकिन आज अचानक क्या हो गया यार? जो देखा उसके कारण तो नहीं?’ मैंने पूछा।

तो वो बोली- नहीं रे, आज का तो मैंने पलक से कहा था कि आज तुझे यहाँ छोड़ कर घर चली जायेगी और मैं निपट लूंगी! लेकिन वो नालायक खुद ही तुझ पर चढ़ गई!

उस वक्त सरिता के बोलने में एक झुंझलाहट थी जिसे देख कर बड़ा मजा आया था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

‘और जो बाकी लोग आने वाले हैं?’ मैंने कहा तो जवाब मिला- कोई नहीं आ रहा!’

आज फिर से मुझे मामू बनाया गया था!

मैंने फिर पूछा- तो अचानक इस सबकी वजह क्या है? यह सब तो पहले भी हो सकता था?

तो वो बोली- एक तो तू मेरी बेस्ट फ्रेंड का बेस्ट फ्रेंड इसलिए मैंने कभी नहीं सोचा और दूसरा पलक को जिस तरह से तूने प्यार किया वो सुन कर मैं खुद को रोक नहीं पाई।

और यह बोलते हुए वो अपने दोनों पैर मेरे पैरों के दोनों किनारे रख कर मुझ पर बैठ गई और मेरे होठों को चूमना शुरू कर दिया। मैं भी उसके रेशमी बालों को सहलाते हुए उसे चूमने लगा और हम दोनों की प्रेमक्रीड़ा शुरू हो गई।

आगे क्या हुआ वो जानने के लिए अगले भाग का इन्तजार कीजिए।

अपनी राय भेजने के लिए मुझे मेल कीजिए।

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