पेंटिंग टीचर
मेरी उम्र 28 साल है। मैं दिल्ली में एक पेंटिंग टीचर हूँ और एक खास तरह की पेंटिंग सिखाता हूँ जिसका मैं आपको नाम नहीं बता सकता क्यूंकि हो सकता है कि यहाँ मुझे कुछ लोग पहचान जायें।
यह अन्तर्वासना में मेरी पहली कहानी है।
यह अभी पिछले महीने की ही बात है, मुझे एक महिला का फ़ोन आया- क्या आप पेंसिल स्केचिंग घर पर आकर सिखा सकते हैं?
मैंने उसे मना कर दिया यह कह कर कि मैं स्केचिंग अपने इंस्टिट्यूट पर सिखाता ही हूँ, घर जाकर नहीं सिखाता।
उसने पूछा- क्यों नहीं सिखाते?
मैंने बताया- हमारी पेंटिंग्स बहुत महंगी होती हैं और स्केचिंग में इतना पैसा नहीं मांग सकते इसलिए…
उसने कहा- ठीक है, थैंक यू।
बोल कर फ़ोन रख दिया।
दो दिन बाद उसका फ़ोन फ़िर आया- क्या आप लाइव स्केच सिखा सकते हैं? मुझे सीखना है।
मैंने उसे बताया- आप इंस्टिट्यूट में आ जाइए, मैं आपको सिखा दूँगा।
उसने कहा- नहीं, आप मेरे घर आकर सिखा दीजिये प्लीज !
मेरे कई बार मना करने के बाद भी वह आग्रह करती रही, उसने कहा- एक बार घर तो आ जाइए, मैं स्केचिंग के साथ पेंटिंग भी सीख लूँगी।
मैंने बताया- हमारी पेंटिंग्स बीस हजार से शुरु होती हैं।
उसने कहा- नो प्रॉब्लम !
कहकर दो दिन बाद की मीटिंग तय की।
मैं दो दिन बाद उसके घर गया, वह एक बड़ी सी कोठी में रहती थी। मैंने घण्टी बजाई तो एक नौकरानी ने दरवाज़ा खोला।
उसने मुझे सोफे पर बिठाया, पानी पिलाया और कहा- मैडम ऊपर बाथरूम में हैं, अभी आ जाएँगी।
थोड़ी देर बाद वह महिला नीचे आई। वह दिखने में एक 30-35 की उम्र वाली सामान्य महिला थी, मध्यम फिगर था, सांवली सी थी।
हमारी कुछ देर तक बात हुई, वह थोड़ी देर बाद बोली- न मुझे पेंटिंग सीखनी है और न ही स्केचिंग !
मैंने कहा- फिर आपने मुझे क्यों बुलाया?
उसने बताया- मुझे अपना लाइव पोर्ट्रेट बनवाना है !
मैंने कहा- मैंने आपको बताया था कि यह हम हमारे इंस्टिट्यूट में ही करते हैं, घर आकर नहीं।
मुझे थोड़ा गुस्सा सा आ रहा था।
उसने कहा- मुझे एक खास तरह का पेंसिल स्केच बनवाना है अपना जो मैं आपके इंस्टिट्यूट में आकर नहीं बनवा सकती थी।
मैंने पूछा- किस तरह का?
और उसने जो जवाब दिया उसे सुन कर मैं हतप्रभ रह गया, उसने कहा- जैसा लेओनार्दो ने टाइटैनिक मूवी में हीरोइन का बनाया था !
हालांकि मैंने पहले अपनी गर्लफ्रेंड का ऐसा पोर्ट्रेट बनाया था पर किसी और का कभी नहीं।
मैंने उसे मना किया और जाने लगा… पर वह अनुग्रह करती ही रही।
मैंने उससे पूछा- आपको अजीब नहीं लगेगा किसी अनजान आदमी के सामने बिना कपड़ों के आना?
उसने कहा- अनजान हो इसलिए आसान रहेगा, और यह मेरी एक पाश्विक सी फन्तासी रही है, जब से मैंने टाइटैनिक देखी, तबसे ऐसा पोर्ट्रेट बनवाने की इच्छा थी मेरी !
मुझे बहुत अजीब लग रहा था अभी भी ! फिर मुझे लगा कि यह सेक्स के लिए यह नाटक कर रही है इसलिए मैंने टालने के लिए उससे कहा- मैं पोर्ट्रेट बना दूँगा पर कुछ और नहीं करूँगा।
उसने पूछा- क्या मतलब है आपका?
मैंने कहा- मेरा मतलब सेक्स से है ! मैं वो नहीं कर पाऊँगा।
उसने कहा- प्लीज, आप मुझे गलत मत समझिये, मैं भी यह नहीं करना चाहती, उसके लिए मेरा बॉयफ्रेंड है।
मैं आपको बता दूँ कि वह एक तलाकशुदा महिला थी और अभी उसका बॉयफ्रेंड था।
मेरी हालत बहुत अजीब सी हो रही थी, मैं कुछ बोल नहीं पा रहा था।
वह उठी और ऊपर चली गई और कुछ देर बाद अपनी नौकरानी को फ़ोन पर मुझे ऊपर भेजने को कहा।
मैं ऊपर उसके कमरे में गया, उसने नौकरानी को बुला कर मेरे लिए जूस मंगवाया। जब नौकरानी जूस रख कर जाने लगी तो उसने उसे कहा- अब ऊपर मत आना जब तक मैं ना बुलाऊँ।
हम थोड़ी देर तक बात करते रहे, फिर उसने पूछा- अब शुरु करें?
मैंने उसे बताया- मेरे पास स्केच-बुक और पेन्सिल नहीं है अभी !
उसने नौकरानी को बुला कर मुझसे सामान की लिस्ट बनवाकर उसे दे दी। उसने आधा घंटा लिया वापस आने में, वो सामान हमें देकर कर नीचे चली गई।
फिर वह उठी और बाथरूम में चली गई। कुछ देर बाथरूम का दरवाज़ा खुला, मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था, वह सामने आई, उसने एक गाउन पहना हुआ था। मुझे अंदाजा हो गया था कि इसने इसके अन्दर कुछ और नहीं पहना है।
फिर थोड़ी देर बैठी रही और शर्म से बार बार मुस्कुराती रही।
फिर वह खड़ी हुई और गाउन उतार दिया।
मेरा दिल बहुत जोर से धड़कने लगा, ऐसा लग रहा था जैसे हार्ट अटैक हो जायेगा।
उसके चेहरे पर अजीब सी मुस्कान थी, वह सोफे पर लेट गई जैसे मूवी में था और कमाल की बात तो यह कि उसने उससे मिलता जुलता लॉकेट भी ख़रीदा हुआ था और उसके बदन पर अभी सिर्फ वही था।
मेरा लण्ड उसी वक्त खड़ा हो गया था, मैं उससे नज़र नहीं मिला रहा था।
मैंने कांपते हाथों से स्केच-बुक और पेन्सिल उठाई और उसे देखकर थोड़ा-थोड़ा ड्रा करने लगा।
अभी भी मेरे हाथों को कांपता देखकर उसने पूछा- …क्या हुआ?
मैंने कहा- मैं कंसन्ट्रेट नहीं कर पा रहा हूँ।
उसने मेरी पैंट का उभार देख लिया था !
थोड़ी देर तक यही चलता रहा, मैं ड्रा करता रहा पर अभी भी हाथ ठीक नहीं चल रहा था और पैंट एक टेंट की तरह खड़ी थी।
उसने फिर पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं।
वो खड़ी हुई और सीधे मेरे पास और मेरी पैंट की ज़िप खोल कर मेरा लिंग बाहर निकाल लिया और हिलाने लगी,
मैं 10-12 मिनट में स्खलित हुआ।
फिर उठ कर बोली- अब बनाओ।
और सबसे बड़ी बात कि अब मुझे ठीक लगने लगा था और यह भी यकीन हो गया था कि यह सच में सिर्फ पोर्ट्रेट ही बनवाना चाहती थी और कुछ नहीं।
मैंने भी अब बड़ी प्रोफेशनल तरीके से उसका पोर्ट्रेट बनाया और उसके साथ सेक्स का सोचा भी नहीं।
वह पोर्ट्रेट देख कर बहुत खुश हुई और जाते समय मेरे हाथ में दो हजार रूपये रख दिए।
उसके बाद उसने मुझसे 3-4 पोर्ट्रेट और भी बनवाए, सारे अलग अलग अवस्थाओं में ! और आखिरी दिन उसने मेरे लिए मुख्मैथुन भी किया।
अभी कुछ दिनों से उसका फ़ोन नहीं आ रहा है।
मेरी कहानी कैसी लगी मुझे जरूर लिखियेगा।
What did you think of this story??
Comments