नीलम के साथ एक दिन की मस्ती-2

इस कहानी का पहला भाग
नीलम के साथ एक दिन की मस्ती-1
आप अन्तर्वासना पर पहले ही पढ़ चुके हैं !

अब पेश है दूसरा भाग :

करीब आधे घण्टे बाद हम दोनों जागे … दिन भर की बेताबी तो निकल चुकी थी, हम दोनों को होटल पहुँच कर फ़्रेश होने तक का ख्याल नहीं रहा, उस वक्त नौ बज चुके थे, हम दोनों बारी-2 से बाथरूम गये, चाय मँगाई, फ़िर सलाद और चिकेन चिल्ली, सोडा आदि का आर्डर किया, साथ ही डिनर भी मँगा लिया ताकि डिस्टर्ब न हों। मेरे पास एक अच्छे ब्राण्ड की व्हिस्की थी, हमने पैग बनाये और आपस में जाम टकराये … बातें करते रहे और दूसरा पैग भी खत्म कर दिये हमने आधे-पौन घण्टे में … अब तक शरीर में गरमाहट आ चुकी थी तथा पहली चुदाई की खुमारी भी उतर चुकी थी। नीलम मेरी गोद में आ के बैठ गई और लगी मेरा गाल सहलाने … छाती सहलाने और चूमने … दो पैग व्हिस्की उसकी आँखों से बोलने लगी थी … हम दोनों एक दूजे के होठों को किस करने लगे, हमारी गरमागरम साँसें आपस में टकराने लगी और वो बेतहाशा मेरे होठों को चूसने लगी … ओह्ह्ह्ह्ह्ह् … क्या मस्त होके मुझे प्यार कर रही थी नीलम … मेरा तो लौड़ा फ़िर फ़नफ़नाने लगा और मैं भी उसे जोर-2 से चूमने लगा और उसके होठों को चूसने और दाँतो से काटने लगा।

उसका एक हाथ मेरे लण्ड को सहलाने लगा और मैं उसकी चूँचियों को दबाते हुए बुर पर हाथ फ़ेरने लगा … और वह अपनी दोनों जाँघो के बीच मेरे हाथ को दबाने लगी … मैंने उसके निप्पल को मुँह में लिया तो वह उछल पड़ी और मुझे जोर से जकड़ लिया … उईईईईइ … राजा क्या करते हो??? मार ही डालोगे आज इस प्यासी आत्मा को ? … ओह्ह्ह्ह … क्या जादू है तुम्हारे मुँह में लेते ही मैं बेकाबू हो जाती हूँ मेरे दोस्त … मेरे सनम … काश मैं तुम्हारी बाँहो में हमेशा-2 के लिये कैद हो जाती ! पर जानती हूँ तुम बीबी-बच्चे वाले हो, तुम और तुम्हारा घर सलामत रहे ! मैं तो इतने प्यार से ही खुश हूँ मेरे राजा … फ़िर वह अचानक ही मेरे लण्ड को अपने मुँह के पास ले जाकर टिप को अपने मुँह में डालकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी … ओऽऽऽहऽऽह् … मैं तो बेहाल होने लगा, फ़िर वो मेरे लण्ड को अपने मुँह में पूरा भर कर जीभ से चाट-2 कर रस ले-ले कर चूसने लगी और मेरी आँखों में आँखें डाल कर नशीले अन्दाज में बोली- आप भी मेरी चूसिये ना प्लीज …

चूँकि वो बहुत सुन्दर नहीं थी अतः मेरा मन उसकी चूत चाटने का नहीं हुआ पर मैंने कहा- मुझे यह अच्छा नहीं लगता और मैंने आज तक किसी की चूत पर मुँह नहीं लगाया है, बस मैं लण्ड से चुदाई करता हूँ और मस्ती अनलिमिटेड … इस बार मैं तुम्हारे हवाले हूँ जैसे मर्जी हो वैसे चुदाओ ! समझी जानेमन …

इस पर वो बोली- अच्छा तो अब आप मेरे हवाले हैं ना ?
मैंने कहा- हाँ।
ठीक है जानू अब आप नहीं चोदियेगा मुझे ! मैं ही आपकी चुदाई करूँगी ! मन्जूर है?

मैंने कहा- चाहे छुरी खरबूजे पर चले या खरबूजा छुरी पर … कटना तो खरबूजे को ही है नीलम रानी !

इस पर उसने एक मोहक मुस्कान फ़ेंकते हुये मुझे लिटा दिया तथा मेरे लण्ड को सहलाते हुये अपनी चूत को मेरे लण्ड पर टिका कर दबाई तो थोड़ा सा अन्दर गया … उसने और दबाया तो आधा लण्ड उसकी बुर में घुस गया …

फ़िर उसने मेरे ऊपर झुक कर मेरे गालों पर एक जोरदार चुम्मा देते हुए मेरे होठों को चूसना शुरु किया और फ़िर एक जोर का धक्का मार कर मेरा पूरा लण्ड अपनी बुर में ले लिया …

मैंने भी उत्तेजना में उसको अपनी बाहों में जकड़ लिया और जोर-2 से उसके होठ चूसने लगा …

ओऽऽहऽ साली क्या चुम्मा लेती थी ओह … पूरी जीभ अन्दर डालकर जोर-2 से चूसते हुए वो लगी धका-धक अपने चूतड़ ऊपर-नीचे करने और कमरे में फ़च-फ़च-फ़च-फ़च की रसीली आवाज गूँजने लगी …

यारों क्या कमर हिला-2 के वो मुझे चोद रही थी और बीच-2 में झुक कर मेरे होठ चूसने लगती ! ओऽहह् … मैं भी उसकी चूँचियों को मसल रहा था … उसके चूतड़ सहला रहा था … कमर सहला रहा था और नीचे से धक्का भी मार रहा था, वाह क्या मस्ती और रिदम था नीलम की चुदक्करी में ! मुझे कभी लगता कि मैं लड़की हूँ और मुझे कोई लड़का उचक-उचक के चोद रहा है।

बहुत देर तक वो यूँ ही मुझे पेलती रही और मैं नीचे से धक्का लगाता रहा। एकाएक वो गनगना गई और जोर से मुझ पर गिर के मुझसे चिपक गई और बोलने लगी … आऽआऽ आऽहहह मेरे राजा आपकी नीलम तो गई काम से … ओह राजाऽ आऽऽऽआ आपने तो मेरा सोया हुआ नारित्व जगा दिया आज तो मैं झरने की तरह झर रही हूँ … ओऽह आपने तो मेरा मन मोह लिया जानू … आई लव यू … मैं तो बिन मोल बिक गई मेरे राजा ! आज तो आपने जिन्दगी में पहली बार इतना मजा दिया कि मन कर रहा है कि सारी जिन्दगी आपके लण्ड को अपनी बुर में ही रखे रहूँ मेरे सनम … मेरे दोस्त … उसने मेरे दोनों गालों पर बारी-2 से चुम्मा लिया … बल्कि यूँ कहिये कि दाँतो से काटा। फ़िर मेरे बालों को सहलाते हुए मुझे प्यार करने लगी और कहने लगी- आप कहें तो मैं सारी जिन्दगी आपकी सेवा करने को तैयार हूँ, मैं खुद अपने लिये कमा लूँगी, बस आप मुझे कभी-2 प्यार करते रहा करिये।

मैं बोला- अभी आज की बात करो यार … तुम तो दो बार झड़ चुकी हो, मेरा तो अभी एक ही बार गिरा है।

वह बोली- जानू चिन्ता मत करो ! अभी थोड़ी मोहलत दे दीजिये ठाकुर साहब … जल्दी ही मेरी मुनिया आपसे तिबारा चुदवाने को तैयार हो जायेगी … इस बार उसका कचूमर निकाल दो यार … फ़ाड़ डालो साली को … मुझे बड़ा तंग करती है, आज ऐसा चोदो कि फ़िर महीनो नाम ना ले चुदवाने का … मैं देखने में दुबली पतली जरूर हूँ पर हूँ बड़ी सेक्सी।

वह मुझसे चिपक कर मेरे बगल में लेट गई और दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे। मेरा लण्ड तो तना ही था वह उससे खेलने लगी … और मैं उसके होठो तथा निप्पल को चूसने लगा। अहिस्ता-2 नीलम फ़िर उत्तेजित होने लगी … उसकी साँसे तेज होने लगी, वो मेरे लण्ड को दबाते हुए अपनी बुर पर रगड़ने लगी।

अब मुझसे रहा नहीं गया और एक झटके में उसे पटक के मैं उस पर चढ़ गया और दोनों टाँगो को फ़ैला कर उसकी बुर को आसमान की ओर करके मुहाने पर लण्ड टिका कर तत्काल एक ही बार में पूरा लण्ड नीलम की बुर में पेल दिया … वह तड़प उठी और चिल्लाई … उईऽऽऽमाँऽऽऽ अरे आपने तो मार ही डाला … कहते हुए उसने मुझे जकड़ लिया और आँखें बन्द कर ली तथा अपनी बुर को इतना टाइट कर लिया क्या बताऊँ … लगा कि मेरे लण्ड का दम निकल जायेगा … ओऽह क्या सुखद अनुभूति थी ! लगा कि उसने मेरे लण्ड को लॉक कर दिया हो।

वह मुझे झुका कर धीरे से बोली- राजा थोड़ी देर इसे यूँ ही पड़ा रहने दो … अच्छा लगता है।

मैं भी उसी हालत में उसकी छाती आहिस्ता-2 सहलाने लगा, फ़िर दोनों चूँचियों को हौले-2 दबाने लगा, वह और उत्तेजित होने लगी … उसके काले चने के बराबर निप्पल कड़े हो गये और भाले के नोक की तरह तन गये … ओऽओऽहऽऽह् … पिया … ओऽ मेरे रंगीले साँवरिया … अब अपने इस मूसल से मेरी ओखली में दनादन कूटो मेरे राजा … वैसे ही जैसे हमारे क्षेत्र में धान कूटा जाता है, ऐसी कुटाई करो बलमू कि मेरी बुर से मांड़ का सोता बह निकले !!!!!!

अब क्या था … ऐसा खुला आमन्त्रण पाकर सिंह इज किंग हो गया और मेरा शेरू फ़ुफ़कारते हुये दे दनादन नीलम के बिल में अन्दर-बाहर करने लगा … नीलम भी मुझे ललकार रही थी और नीचे से अपनी चूतड़ उछाल-2 कर मेरे हर धक्के का इमानदारी से जवाब देने लगी एकदम एक लय-ताल में … बस हमारी आह-ऊह … ओह … फ़च् … फ़च् … फ़च् … फ़चा-फ़च … की सेक्सी आवाजें गूँज रही थी कमरे में, हम दोनों बस एक दूसरे में डूबकर अपने आप को भूल चुके थे … तकरीबन आधे घण्टे बाद सिर्फ़ उस जन्नत की मन्जिल पर पहुँच कर ही थोड़ा थमें जिसे आचार्य रजनीश ने “सम्भोग से समाधि” की अवस्था कहा है।

मैं तो लगा कि नीलम की बुर में अपना सर्वस्व ही बहा रहा हूँ एक गरम लावे के रूप में, और उसकी बुर स्खलित होने की प्रक्रिया में लगातार संकुचित और फ़ैल रही थी, उसने मुझे चिपक के जकड़ा हुआ था ऐसा कि साँस लेना भी मुश्किल था …

लगभग 10 मिनट तक हम यूँ ही पड़े रहे समाधि की अवस्था में, फ़िर अलग हुए तो देखा कि बिस्तर पर अच्छा खासा दाग लग गया है और नीलम की बुर से अभी भी मेरा वीर्य चू रहा था, उसने तौलिये से पौंछा और फ़िर मुझसे चिपट गई और प्यार से चूमने लगी और बोली- मैं तो कई साल से चुदवा रही हूँ, 4-5 लोगो से चुदाई हूँ, उनमें से एक का लण्ड आपसे भी बड़ा और मोटा था पर कसम खा के कहती हूँ जो आनन्द आपसे मुझे मिला वह कभी नहीं मिला … यह रात मुझे जीवन भर याद रहेगी, आज लगता है मैं सुहागिन बन गई और ये मेरी सुहागरात है … आपको मैं अपना पति मानती हूँ ऐसा कहते हुये वह मेरे पैरों पर अपना सिर रखकर प्रणाम करने लगी।

जब मैंने उसे उठाया तो देखा उसकी आँखे गीली हैं …

मैं भी भावुक होने लगा। फ़िर अपने को सम्भालते हुए व्यवहारिक बनते हुए बोला- पगली तुम जानती हो कि मैं एक शादी-शुदा बाल-बच्चेदार सम्मानित व्यक्ति हूँ, ऐसा सपना पूरा हो ही नहीं सकता, इसलिये यह सब सोचो ही मत, हाँ दुबारा मौका मिला तो फ़िर कभी मज़ा ले लेंगे।

मुझे बड़े जोर की भूख लग आई थी, देखा खाना ठण्डा हो चुका था, होता भी क्यों नही, रात के दो बज चुके थे। हम दोनों ने गरम-2 चुदाई के बाद ठण्डा-2 खाना खाया और नंग-धड़ंग कम्बल में घुस कर एक दूसरे को बाहों में ले के सो गये तो सुबह 8 बजे ही नींद खुली।

जागने पर वो फ़िर मुझसे चिपटने लगी, गरमाहट तो मुझमें भी आने लगी पर 9 बजे डी पी ने जगतगंज बस स्टैण्ड पर पहुँचने को कहा था ताकि नीलम और उसके भाई को चन्दौली की बस पर बैठा कर विदा किया जा सके।

मैंने कहा- जल्दी से तैयार हो जाओ ! चुदी हुई मत दिखो।

करीब नौ बजे हमने होटल छोड़ा, रास्ते में वह बोली- अभी जी नहीं भरा है, 2-3 दिन साथ रहते तो शायद मुझे भरपूर मस्ती मिलती।

और यह भी कहा कि मैं बस से नहीं जाऊँगी, जैसे इज्जत से लाये थे वैसे इज्जत से कार से ही छोड़िये।

मैंने हँस के कहा- तुम्हारी इज्जत अब बची कहाँ? रात भर तो मुझे लुटाती रही.
इस पर वह बनावटी गुस्से से मुझे मुक्के मारने लगी।
मैंने कहा- मेरा लखनऊ जाना आवश्यक है, रिजर्व आटो कर देता हूँ तुम दोनों चले जाओ।

फ़िर वो मान गई। बस स्टैण्ड पर डी पी उसके भाई के साथ इन्तजार करता मिला, हमने एक आटो तय किया और उसे किराया देकर नीलम को कार से निकालने मैं अकेला ही गया, चूँकि उसका भाई पास ही में खड़ा था अतः वह सिर्फ़ मेरा हाथ जोर से दबा कर उतर गई और आटो में बैठकर बोली- फ़िर मिलियेगा और अगली बार डी एम साहब से जरूर मुलाकात करवा दीजियेगा और धीरे से एक आँख मार कर मुस्करा दी … टा-टा करते हुए चल दी।

मेरी सत्यकथा आपको कैसी लगी, जरूर बताइयेगा.
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