मुझे मिली इक माधुरी-1
प्रेषक : धीरज
नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम धीरज है, उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में रहता हूँ। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ और काफी दिनों से सोच रहा था कि मैं भी अपनी कहानी आप लोगों तक पहुँचाऊँ और अब जाकर मैं कहानी लिख रहा हूँ।
मैं शुरू से ही अकेला रहा हूँ, मेरे घर वाले गाँव में रहते हैं और मैं पढ़ाई की वजह से अकेला रहता हूँ।
मैंने अब तक कई लड़कियों को चोदा है। यह कहानी तब की है जब मैं राजस्थान गया था, वहाँ हमारे जीजा जी के दोनों भाइयों की शादी थी।
जब मैं गया तो मैं वहाँ बहुत ज्यादा लोगों को नहीं जानता था लेकिन मेरे नाम से वहाँ मुझे बहुत लोग जानते थे। मैं शादी से सगाई से एक दिन पहले ही पहुँचा, मुझसे पहले मेरे बड़े भाई वहाँ पहुच चुके थे।
वहाँ 4-5 लड़कियाँ आई हुई थी, उनमें एक लड़की कुछ ज्यादा ही चमक रही थी, उसने नीले रंग के कपड़े पहन रखे थे, उम्र होगी करीब 18-19, रंग गोरा और चुचे तने हुए !
मैंने मन ही मन सोचा कि अगर यह चोदने को मिल जाये तो मजा आ जाये !
मैंने पता किया कि यह कहाँ से आई हुई है, और कैसी है। जीजाजी के भाई से पता चला कि बारहवीं क्लास में पढ़ती है और यह उस तरह की लड़की नहीं है।
मैंने उनसे कहा- कोई बात नहीं, कोशिश करने में क्या जाता है !
फिर शाम को मैं अपनी बहन के लड़के को लेकर घर में ही घूम रहा था तो उसे लेने के लिए वो मेरे पास आई और लड़के को मेरी गोद से लेने लगी।
मैंने कहा- यह ऐसे नहीं आता, पहले इसे अपना नाम बताओ, अगर इसे अच्छा लगा तो आयेगा, नहीं तो नहीं आयेगा।
वो कहने लगी- पहले यह अपना नाम बताएगा तो ही मैं अपना नाम बताऊँगी।
मैंने कहा- यह तो नहीं बोलता, क्या मैं बता दूँ?
फिर बोली- ठीक है।
मैंने कहा- मेरा नाम धीरज है। और तुम्हारा?
तो उसने अपना नाम माधुरी बताया।
मैं बोला- नाम तो बहुत अच्छा है।
फिर मुझे दीदी ने आवाज लगा दी, मैं चला गया और वो भी। मैं सोचने लगा कि अगर यह रात को मिल जाये तो मसल कर रख दूँगा। फिर रात को खाना खाया, वो बहुत देर तक मुझे दिखाई नहीं दी। मैं उसे खोजने लगा तो तभी मैंने देखा कि वो ऊपर वाले कमरे में लेटी हुई टीवी देख रही थी, वो और एक लड़की और थी वहाँ।
मैंने उससे कहा- मैं तुम्हें बहुत देर से खोज रहा था, तुम कहीं दिखाई नहीं दी तो मैं तुम्हें देखने आ गया।
वो मुझसे बोली- तुम मुझे तुम क्यों कहते हो? मैं तुमसे छोटी हूँ !
मैंने कहा- तो क्या कहूँ?
उसने कहा- मेरे नाम से बुला सकते हैं ! मुझे सब मधु बुलाते हैं।
मैंने कहा- मधु तुम किसके साथ आई हो यहाँ?
तो वो बोली- मेरी मम्मी मेरे साथ आई हुई हैं।
फिर एकदम से बोली- वैसे तुम मुझे क्यों खोज रहे थे?
इतने में वो दूसरी लड़की थी, कमरे से चली गई, मुझे लगा कि उसी ने उसे इशारा किया हो उसे जाने के लिए।
मैंने कहा- कैसे कहूँ?
फिर बोली- मुँह से ही कह दो !
मैंने कहा- सच में कह दूँ?
बोली- कह दो !
मैंने कहा- तुम बहुत ही सुन्दर हो !
वो बोली- फ्लर्ट कर रहे हो?
मैंने कहा- नहीं ! सच बताऊँ? तुम्हें नीचे बुला रहे हैं।
वो एकदम हंस पड़ी और कहने लगी- तुम मजाक अच्छा कर लेते हो !
मैंने कहा- मैं बहुत कुछ अच्छा कर लेता हूँ।
फिर मैंने कहा- रात को जल्दी मत सोना, दीदी वाले कमरे में देर तक बैठेंगे, अगर तुम नहीं आई तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा।
मैंने कहा- वैसे तुम्हें भी मुझसे बातें करना अच्छा लगता है ना?
“तुम्हें कैसे पता चला कि…?”
“हम मन की बातें भी जान लेते हैं।”
वो बोली- अच्छा बहुत कुछ जानते हो?
तो मैंने लाइन मारते हुए कहा- बताऊँ कि तुम क्या सोच रही हो?
बोली- बताओ !
मैंने कहा- तुम सोच रही हो कि ज्यादा बातें करता है वैसे ही वक्त बर्बाद कर रहा है।
वो शरमा गई और जाने लगी।
मैंने कहा- जब सच बात आई तो जाने लगी?
बोली- मुझे बहुत देर हो गई है, मम्मी आ जाएँगी।
मैंने कहा- वाकई तुम जाना चाहती हो?
तो वो बोली- बाद में बात करेंगे, अभी मैं चलती हूँ !
मैं बोला- दिल तोड़ के ना जा…..
….और वो चली गई।
अब रात को सभी लोग अपने अपनी जगह सोने के लिए जाने लगे, मैं दीदी के कमरे में बैठा उसका इंतजार कर रहा था।
वो आ गई, वो आकर मेरे पास में ही बैठ गई।
बैठते ही मैंने अपना पैर उससे छुआ दिया, उसने कुछ नहीं कहा। फिर मैंने उसके पैर पर अपना पैर रगड़ना शुरु कर दिया वो मेरी तरफ देखने लगी और उस तरह का मुँह बनाया जैसे मुझे ऐसा करने से रोक रही हो।
फिर उसकी मम्मी ने उसे आवाज लगा दी और वो जाने लगी, तो मैं वहाँ भी वहाँ से उठकर जाने लगा और ऊपर जाकर उसके ख्यालों में खोकर अपना लंड हिला कर सो गया।
फिर सवेरे को वो मुझे ऊपर की छत पर ही मिली और बोली- गुड मोर्निंग !
मैंने कहा- मैंने तुम्हें सपने में देखा और सबसे पहले तुम ही दिख गई। फिर तो शायद जो सपने में देखा था सच हो जायेगा।
बोली- क्या देखा था सपने में?
मैंने कहा- पूछो मत ! बस निक्कर में स्वप्नदोष हो गया।
वो बोली- तुम भी ना !
मैंने कहा- मैं क्या? जो सच था मैंने कह दिया !
फिर बोली- मुझे पता नहीं क्यों, फिर भी तुमसे बात करना अच्छा लगता है।
उस दिन सगाई की रस्म थी तो मैंने कहा- आज तो मजा आयेगा, पर अगर तुम मेरा साथ दो तो !
फिर मैं उसे अकेले देखकर अन्दर कमरे में ले गया और उसे कहा- मुझे बस एक किस करने दो !
मैंने उसके हाथ पकड़ रखे थे !
वो ममा करने लगी, मैंने कहा- क्यों क्या तुम यह नहीं चाहती? तुम्हें नहीं पता कि तुम्हारी चूचियाँ कैसी हैं, बस दिल करता है कि पी जाऊँ इन्हें !
वो बोली- कोई देख लेगा !
मैंने उसके होटों से अपने होंठ लगा दिए और बुरी तरह से चूसने लगा।
फिर बोली- कोई आ जायेगा !
मैंने कहा- खिड़की बंद कर दूँ !
वो नहीं कहकर मेरे से अलग हो गई।
मैंने कहा- एक बात कहूँ?
वो बोली- कहो !
मैंने कहा- मुझे तुम्हारे साथ सब कुछ करना है !
कहानी जारी रहेगी।
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