मौजां ही मौजां-2
मैंने भी अपने सीने को उभारा और मैं इतरा कर उसके साथ साथ चलने लगी। वो भी अपना लण्ड पकड़ाये हुए आराम से पूल के किनारे किनारे चलने लगा। जाने कब मैंने भी उसके लण्ड को धीरे धीरे आगे पीछे करना शुरू कर दिया था। रोहित भी उत्तेजना में घिरने लगा था। सभी लड़कियों को चोदने में व्यस्त थे। आखिर मेरी सहन शक्ति जवाब दे ही गई।
“रोहित, अब बस करो, नहीं रहा जाता है !” मैं उतावली होकर कह उठी और उससे जोर से लिपट गई।
अब मैं उसके कठोर चूतड़ों को दबाते हुए नीचे बैठने लगी। कुछ ही क्षणों में उसका सुन्दर सा लण्ड मेरी आंखों के सामने था।
“ओह रोहित … रोहित, मुझे अपना लो, हाय अल्लाह मुझे ये क्या हो गया है !”
उसका लहराते हुए लण्ड को चूसने का लालच मैं नहीं छोड़ सकी। उसके मस्त कड़क लण्ड को मैंने अपने मुख में भर लिया। उसका नरम सुपाड़ा मुख में गुदगुदा रहा था। मैं उसे जोर जोर से चूसने लगी, यहां तक कि चप चप की आवाज भी आने लगी थी। रोहित मस्ती में झूम उठा। फिर जब बहुत चूस लिया तो उसने मुझे खड़ी कर दिया और खुद नीचे झुक गया। मेरी चूत के बराबर में आकर उसने मेरी पैंटी उतार दी। मेरी भीग़ी हुई चूत का रस उसने चाट लिया और मेरी यौवन कलिका को अपनी जीभ से हिला हिला कर मुझे मस्त करने लगा। मैं एक मस्त चुदैल रण्डी की तरह उसका सर पकड़ कर अपनी भोसड़ी हिला हिला कर उसे चटवा रही थी। मैं मदहोश सी हो कर झूम रही थी। बीच बीच में इधर उधर देख कर संतुष्ट हो जाती थी कि अधिकतर लड़के मेरी चूत चटाई को ध्यान से देख रहे थे। उनके मुझे इस तरह से देखने से मैं अपने आप को हिरोईन जैसा महसूस करने लगी थी। मेरी उत्तेजना तेज होती जा रही थी।
तभी पास पड़े गद्दे पर रोहित ने मुझे कमर से उठा कर लेटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया।
“रोहित, क्या कर रहे हो?”
“कुछ नहीं बानो, अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें बहुत प्यार से चोद दूँ, बोलो?”
साला चोदेगा भी मुझे पूछ पूछ कर। मैं भला उस चोदू को क्या कहती। मैंने कुछ नहीं कहा, बस अपनी आँखें बन्द ली और आने वाले सुखदायी पलों का इन्तज़ार करने लगी। रोहित मेरे से लिपट गया। उसका भार मुझ पर बढ़ने लगा। तभी मुझे चूत में खूबसूरत सी, मीठी सी गुदगुदी हुई। मैं तड़प उठी। उसका मस्त लण्ड मेरी योनि में प्रवेश कर रहा था। मैंने अपनी दोनों टांगें चुदवाने के लिये ऊपर उठा ली और उसकी कमर से लिपटा दी। उसके भीगे होंठ मेरे नाजुक लबों पर आ गए और उसकी जीभ मेरे मुख में आकर कुछ तलाशने लगी।
मेरी चूत ने भी ऊपर उठ कर लण्ड लेने की भरपूर कोशिश की । नतीजा लण्ड की एक मधुर ठोकर पड़ी मेरी बच्चेदानी पर । अब रोहित मेरी चूत पर आगे पीछे घर्षण करने लगा था। मेरा तन पसीजने लगा था। उसके मनोहर धक्कों ने मुझे मदमस्त कर दिया और मैं अपना होश खो बैठी। मुझे होश जब आया जब मैं झड़ी थी। रोहित ने भी तभी अपना वीर्य त्याग दिया था। रोहित अब खड़ा हो गया था। मैं भी खड़ी हो गई थी।
मैंने देखा कि सभी मुझे देख रहे थे, कुछ तो हाथ से लण्ड की शेप बना बना कर उसे हिला हिला कर मुझे चुदाने की दावत दे रहे थे। मुझे यह देख कर मन में उत्साह की तरंगें उठने लगी। मैं वैसे ही नंगी पूल में उतर गई। अन्य लड़कियों की तरह नंगी होकर मैं भी तैरने लगी। बहुत सुहाना सा लग रहा था। कहाँ मैं अपनी वासना तृप्ति के लिये भीड़ में अपने तन को घिसवाती थी। यहां तो कोई बन्धन नही, सभी कितने अच्छे हैं।
तभी तेजी सरदार पीछे से आया और मेरी पतली कमर थाम ली।
“नई सदस्या का स्वागत है !”
उसने मेरी गाण्ड से चिपकते हुए कहा। उसका मोटा लण्ड मेरी गाण्ड से चिपक चुका था। सरदार लोग मुझे वैसे ही बहुत अच्छे लगते थे। खास कर उनकी सेक्स अपील बहुत प्यारी होती है।
“धन्यवाद तेजी, पर मेरे पीछे तुम क्या कर रहे हो?”
“तुम्हें पक्की सदस्या बना रहा हूँ, और क्या !” उसका सख्त लण्ड मेरी गाण्ड को खोलने की कोशिश कर रहा था।
मुझमें सनसनी सी छा गई। अब गाण्ड चुदेगी मेरी ! ये लोग कितना ख्याल रखते है सबका। मेरा मन खुश हो गया। मैं उसकी सहायता करने लगी। कुछ देर में पानी के भीतर मेरी गाण्ड में उसका लण्ड घुस गया था।
तेजी ने जोर से सभी को पुकारा,”हमारी नई मेम्बर शमीम बानो जी !”
सभी का ध्यान मेरी ओर आ गया। सभी आस पास झुण्ड बना कर कोई तैर रहा था तो कोई किनारे पर आ कर पानी में ही मुझे निहारने लग गया था।
“ये देखो, मेरा लण्ड इसकी गाण्ड में भीतर चला गया है, इसे बधाई दो !”
उफ़्फ़, ये क्या, अब तो सबने देख लिया, ओह मां, चुदाते देखते तो साधारण बात थी पर गाण्ड मराते हुए देख लिया। ओह मैया री, ये तो सब जाने क्या सोचेंगे। एक नम्बर की चुदक्कड़ होते हुए भी शरम के मारे मैं तो मर ही गई थी।
तभी सबने कहा,”तेजी, मारो उसकी गाण्ड मारो, बना लो मेम्बर उसे !” ओह तो क्या यहाँ गाण्ड मार कर मेम्बर बनाया जाता है।
आह मुई ! मैं मर क्यों नहीं जाती। उसका लण्ड जैसे मेरे तन को फ़ाड़ने लगा। मेरी चीख निकल गई। वो बेदर्दी से गाण्ड मारता रहा। मुझे उतना दर्द नहीं हुआ जितना मैं चीखी थी। पर मुझे लगा कि सभी को मेरा चीखना अच्छा लग रहा है। सो मैं अब जान कर बिना दर्द के ही जोर जोर चीखने लगी। तब तक चीखती रही जब तक तेजी झड़ नहीं गया। सभी मेरी कष्टमय चुदाई को देख देख कर खुश हो रहे थे। लड़कियाँ तो खुशी के मारे चीख रही थी मेरी गाण्ड फ़ाड़ चुदाई देख कर।
मुझे तो गाण्ड चुदाने में भी बहुत आनन्द आ रहा था पर मैं सब कुछ समझ रही थी। यानि चुदाओ तो जोर जोर से ! खुशी की सीत्कारें भरो और गाण्ड चुदाओ तो चीखो, चिल्लाओ जैसे बहुत कष्ट हो रहा हो।
हम सभी लन्च के लिये एक बन्द हॉल में बड़े से गद्दे पर नंगे ही गए थे। वहाँ अब दारू, बीयर का दौर चलने वाला था। मैंने भी अपने लिये एक बीयर मंगवा ली। मुझे बीयर बेहद स्वादिष्ट लगती है। लगभग आधे घण्टे में ही सभी नशे में मस्त हो गए थे।
“अरे नई मेम्बर कहाँ है यार, चलो उसे तो चख लें !”
मेरे पास सबसे पहले आने वाले में विकास था। उसने मुझे कमर से पकड़ लिया और चूमने चाटने लगा। तभी पीछे से राहुल लिपट गया। मैं बहुत मस्ताने लगी थी। नशे में इन सब कामों में बहुत मजा आ रहा था। तभी जाने कब मुझे नीचे गद्दे पर गिरा दिया। विकास ने मुझे ऊपर लेकर मुझे कहा,”बानो आज मुझे चोद दे यार, दिल की हसरत निकल जायेगी।”
“ओह तो यह बात है !” मैंने उसके तने हुए लण्ड पर अपनी कोमल चूत रख दी और उसका लण्ड भीतर घुसा लिया। अब मैं उस पर झुक गई उसे चोदने के लिये। तभी मेरी गाण्ड में राहुल का लौड़ा प्रवेश कर गया।
आह ! मैं दोनों ओर से चुदने लगी। हाय मेरे अल्लाह, मुझे ये कहा जन्नत में ले आया। शायद जन्नत होती होगी तो कुछ ऐसा ही होता होगा। बहुत देर तक मस्ती से चुदती रही। जब वे दोनों मस्त हो कर अपना वीर्य त्यागने लगे तब मेरी तन्द्रा टूटी।
लंच लग चुका था। सभी खाने के बाद अब थक कर सोने लगे थे। मुझे भी बहुत शांति की नींद आ गई। मेरी नींद खुली तब मेरे ऊपर ताहिर और शब्बीर चढ़ चुके थे। ओह ये इतना मोटा लण्ड बहुत सख्त है यार !
“अरे कौन, ओह ताहिर, यार जरा प्यार से, तेरी आपा जैसी हूँ ना !” मेरी बात सुन कर वो मुस्कराने लगा।
फिर एक दौर और चल गया। सो कर सभी तरोताजा हो गए थे और लगे थे फिर से चुदाई में।
गाड़ी शहर की ओर चल दी थी। सभी अत्यन्त सभ्य तरीके से बैठे थे। कोई नहीं कह सकता था कि अभी ये ही सब वासना के खेल में खूब चुद रहे थे।
“हां भाईयों और बहनों !”
सभी ने अपना मुख दबा लिया और हंसने लगे।
“अगला कार्यक्रम हमारे नई मेम्बर बहना शमीम बानो प्रस्तावित करेगी।”
“बताऊं, वो विकास भैया के फ़ार्म हाउस पर !” विकास ने मेरी ओर देखा और मुझे आँख मार दी।
“विकास। बोलो ठीक है, और यह आंख मारना मना है।”
“जैसा बानो बहन ने कहा है वैसा ही होगा !” विकास झेंप सा गया।
गाड़ियाँ एक होटल के आगे खड़ी हो गई। हमारा रात्रि-भोज यहीं पर था। खाना खाते खाते रात के नौ बज गए थे। अन्त में सभी लड़कियों को दस दस हजार रुपये लड़कों को भरपूर सहयोग देने के लिये दिये गए थे और ये राशि हम लड़कियों को उनकी ओर से मनपसन्द गिफ़्ट लेने के लिये दी गई थी। धन्यवाद के साथ हम सब विदा हुए।
शमीम बानो कुरेशी
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