माँ-बेटियों ने एक-दूसरे के सामने मुझसे चुदवाया-7
(Maa Betiyon Ne Ek Dusri Ke Samne Mujhse Chudvaya-7)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left माँ-बेटियों ने एक दूसरे के सामने मुझसे चुदवाया-6
-
keyboard_arrow_right माँ-बेटियों ने एक-दूसरे के सामने मुझसे चुदवाया-8
-
View all stories in series
मैंने मुस्कुरा कर कहा- अगर तुम मेरे सामने अपनी पैन्टी भी खोल कर अपना बदन पोंछो… तो ! असल में मैं तुम्हारी बुर पर निकले बालों को देखना चाहता हूँ, कभी तुम्हारे जैसी लड़की की बुर नहीं देखी है न आज तक !
मैंने सब साफ़ कह दिया। वो राजी हो गई और अपना पैन्ट नीचे सरका दी, फ़िर झुक कर उसको अपने पैरों से निकाल दिया।
बिन्दा की सबसे छोटी बेटी रीता की नंगी बुर मेरे सामने चमक उठी, वो मेरे सामने खड़ी थी, 5 फ़ीट लम्बी दुबली-पतली, गोरी-चिट्टी, गोल चेहरा, काली आँखें… चेहरे से वो सुन्दर थी, पर उसका अधखिला बदन… आह अनोखा था। एकदम साफ़ गोरा बदन, छाती पर ऊभार ले रही गोलाइयाँ, जो अभी नींबू से कुछ ही बड़ी हुई होगीं, जिसमें से ज्यादातर हिस्सा भूरा-गुलाबी था और जिसके बीच में एक किशमिश के दाने बराबर निप्पल जिसको चाटा जा सकता था, पर चूसने में मेहनत करनी पड़ती। अंदर की तरफ़ हल्के से दबा हुआ पेट, जिसके बीच में एक गोल गहरी नाभि… और मेरी नजर अब उसके और नीचे फ़िसली।
दो पतली-पतली गोरी कसी हुई टाँगें और उसकी जाँघों की मिलन-स्थली का क्या कहना, मेरी नजर वहाँ जाकर अटक गई। थोड़ी फूली हुई थी वह जगह, जैसे एक डबल-रोटी हो जिसको किसी पेन्सिल से सीधा चीरा लगा दिया गया हो। चाकू नहीं कह रहा क्योंकि रीता की डबल रोटी इतनी टाईट थी कि तब शायद चीरा भी ठीक से न दिखता। इसीलिए पेन्सिल कह रहा हूँ क्योंकि उसकी उस फूली हुई डबल-रोटी में चीरा दिख रहा था, लम्बा सा, करीब 4 ईंच का तो मुझे सामने खड़े हो कर दिख रहा था।
मेरी पारखी नजरों ने भाँप लिया कि इसमें करीब दो ईंच का छेद होगा, वो दरवाजा जो हर मर्द को स्वर्ग की सैर पर ले जाता है। उस चीरे से ठीक सटे ऊपर की तरफ़ काले बालों का एक गुच्छा सा बन रहा था। औसतन करीब आधा ईंच के बाल रहे होंगे, सब के सब एक दूसरे से सटे बहुत घने रूप से बहुत ही कम क्षेत्र में, फ़ैलाव तो जैसे था ही नहीं। अगर नाप बताऊँ तो 1 ईंच चौड़ाई और करीब 3 ईंच लम्बाई में हीं उगी थी अभी उसकी झाँटें। इसके बाद के इलाके में जो बाल था उसको मैं झाँटें भी नहीं कहूँगा… बस रोएँ थे जो भविष्य में झाँट बनने वाले थे।
मैंने बोला- एक बार जरा अपने हाथ से अपनी बुर को खोलो न जरा सी।
उसने तुरन्त अपने दोनों हाथों से अपनी बुर के फूले हुई होंठों को फ़ैला दिया। मैं भीतर का गुलाबी भाग देख कर मस्त हो गया।
तभी उसने अपने कपड़ा उठा लिए- अब चलिए न, दिखा दीजिए जल्दी से रागिनी दीदी का… कहीं माँ आ गई तो बस…
मेरा लण्ड वैसे भी गनगनाया हुआ था, सो मैंने रागिनी को पुकारा- रागिनी…!!
हम लोगों के लिए नाश्ते की तैयारी कर रही थी वो, चौके में से ही पूछा- क्या चाहिए…?
मैंने कह दिया- तेरी चूत…आओ जल्दी से।
रागिनी अब मुस्कुराते हुए आई- आपका मन अभी भरा नहीं? अभी तो रीना को चोदा है।
मैंने मक्खनबाजी की- अरे रीना तो भविष्य की रन्डी है जबकि तू ओरिजनल है… सो जो बात तुझमें है, वो और किसी में नहीं (मैंने जो बात तुझमें है तेरी तस्वीर में नहीं… गाने के राग में कहा)
रागिनी हँस पड़ी- अरे अभी नाश्ता-पानी कीजिए, दस बज रहे हैं।
मैं अब असल बात बताया- असल बात यह है रागिनी कि रीता का मन है कि वो एक बार चुदाई देखे और बिन्दा के घर पर रहते तो यह संभव है नहीं तो…
अब रागिनी बिदकी- हट… वो अभी छोटी है, कमसिन है… यह सब दिखा कर उसको क्यों बिगाड़ रहे हैं आप?
और रागिनी अब रीता पर भड़की, रीता का मुँह बन गया।
मैंने तब बात संभाली- रागिनी, प्लीज मान जाओ… मेरा भी यही मन है। बेचारी अब ऐसी भी बच्ची थोड़े ना है, और फ़िर अब जिस माहौल में रह रही है… यह सब तो जानना ही होगा उसको।
रागिनी शांत हो कर बोली- ठीक है… उम्र हो गई है इसकी पर रीता अभी उस हिसाब से छोटी दिखती है।
मैं फ़िर से रीता की तरफ़दारी में बोला- पर रागिनी तुमको भी पता है रीता से कम उम्र की लड़की को भी लोग चोदते हैं, यहाँ तो बेचारी को मैं सिर्फ़ दिखा रहा हूँ, अगर अभी मैं उसको चोद लूँ तो…? एक बात तो पक्की है कि वो अब तुम्हारे उम्र के होने तक कुँवारी नहीं बचेगी। बिन्दा खुद ही उसको चुदाने भेज देगी, जब रीना की कमाई समझ में आएगी। उसके पास तो दो और बेटी है। वैसे अब बहस छोड़ो मेरी बच्ची… मेरा भी मन है कि मैं उसको चुदाई करके दिखाऊँ। तुम मेरी यह बात नहीं मानोगी मेरी बच्ची…
मेरा स्वर जरा भावुक हो गया था।
रागिनी तुरन्त मेरे से लिपट गई- आप ऐसा क्यों कहते हैं अंकल, मुझे याद है कि आपने मुझे पहली बार कितना इज्जत दी थी और मैंने वादा किया था कि आपके लिए सब करुँगी।
फ़िर वो रीता को बोली- आ जाओ, कमरे में चलते हैं।
कमरे में पहुँचते ही मैंने रागिनी को बांहों में समेट कर चूमना शुरु किया और वो भी मुझे चूम रही थी। मैंने रागिनी को याद कराया कि उन सबको गए काफ़ी समय बीत गया है तो जल्दी-जल्दी कर लेते हैं, तो वो हटी और अपने कपड़े उतारने लगी। मैंने अपना तौलिया खोला। मैंने रीता को भी पूरी तरह नंगी होने को कहा।
वो बोली- क्यों?
मैंने कहा- चुदाई देखते समय दूसरे को भी नंगा रहना चाहिए।
बेचारी रीता ने अपने बदन पर के एकलौते वस्त्र पैन्टी को उतार दिया और नंगी खडी हो गई। रागिनी ने रीता को दिखा कर मेरा लण्ड अपने हाथ में लिया और चूसने लगी। रीता सब देख रही थी।
मैंने रीता को बताया- ऐसे जब लण्ड को चूसा जाता है तो वो कड़ा हो जाता है, जिससे कि लड़की की चूत में उसको घुसाने में आसानी होती है।
इसके बाद मैंने रागिनी को लिटाकर उसकी क्लिट को सहलाया और फ़िर मसलने लगा, रागिनी पर मस्ती छाने लगी।
मैंने रीता को बताया- ऐसे करने से लड़की को मजा आता है, तुम अपने से भी यह कर सकती हो, जब मन करे।
फ़िर मैंने रागिनी की चूत में अपनी उंगली घुसा कर उसको बताया कि लड़की कैसे सही तरीके से हस्तमैथुन कर सकती है।मैंने देखा कि रीता की चूत से पानी निकल रहा है यानि इसे मज़ा आ रहा है। इसके बाद मैंने रागिनी की चूत में अपना लण्ड पेल दिया।
रागिनी के मुँह से एक आह निकली तो मैंने कहा- इसी ‘आह आह’ को न तुम बोल रही थी कि दीदी रो क्यों रही थी… देख लो जब कोई लड़की चुदती है तो उसके मुँह से आह-आह और भी कुछ कुछ आवाज निकलने लगती हैं, जब उनको चुदाई का मजा मिलता है। तुम्हारे मुँह से भी अपने आप निकलेगा जब तुम्हें चोदूँगा।
यह कहने के बाद मैंने ने जोरदार धक्कमपेल शुरु कर दिया। हच-हच फ़च-फ़च की आवाज होने लगी थी और मैं अपने लण्ड को एक पिस्टन की तरह रागिनी की चूत में अंदर-बाहर कर रहा था।
रीता पास में खड़ी होकर सब देखती रही और फ़िर रागिनी की चूत के भीतर ही मैं झड़ गया… रागिनी भी अब शान्त हो गई थी।
मैं उठा और रीता से पूछा- अब सीख समझ गई सब?
उसके ‘जी कहने पर मैंने कहा- फ़िर चलो अब मुझे गुरु दक्षिणा दो…
रीता मुस्कुराते हुई पूछे- कैसे…?
मैंने मुस्कुरा कर कहा- मेरे लण्ड को चाट कर साफ़ कर दो, बस… यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
और घोर आश्चर्य… रीता खुशी-खुशी झुकी और मेरे लण्ड को चाटने लगी। रागिनी सब देख रही थी पर चुप थी। मैंने रीता के मुँह में अपना लण्ड घुसा दिया और फ़िर उसका सर पीछे से पकड़ कर उसकी मुँह में लण्ड अंदर-बाहर करने लगा। एक तरह से अब मैं उस लड़की का मुँह चोद रहा था और रीता भी आराम से अपना मुँह मरा रही थी।
तभी बाहर से दरवाजा खटखटाने की आवाज आई। सब लोग आ गए थे।
रीता तुरन्त अपनी पैन्टी लेकर रसोई में भाग गई फ़िर वहाँ से आवाज दी- खोल रही हूँ…रूको जरा।
मैं दो कदम में नल पर पहुँच गया एक तौलिया को लपेट कर। रागिनी कपड़े पहनने लगी। दरवाजा खुला तो सब सामान्य था। मैं नाश्ते के बाद घूमने निकल गया। मैंने रागिनी और रीता को साथ ले लिया क्योंकि रूबी और रीना पहले ही दो घन्टे के करीब चल कर थक गए थे।
उस दिन मैंने तय किया कि अब एक बार रीना को सबके सामने चोदा जाए, और फ़िर इस जुगाड़ में मैंने रागिनी और रीता को भी अपने साथ मिला लिया। रागिनी ने मुझे इसमें सहयोग का वचन दिया।
घर लौटने के बाद मैंने दोपहर के खाने के समय कहा- बिन्दा, अभी खाने के बाद दो घन्टे आराम करके रीना को फ़िर से चोदूँगा, अभी जाने में दो दिन है तो इस में 4-5 बार रीना को चोद कर उसको फ़िट कर देना है ताकि शहर जाकर समय न बेकार हो, और वो जल्दी से जल्दी कमाई कर सके।
रागिनी भी बोली- हाँ अंकल, उसकी गाण्ड भी तो मारनी है आपको, क्या पता पहला कस्टमर ही गाण्ड का शौकीन मिल गया तो…!
कहानी जारी रहेगी।
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
What did you think of this story??
Comments