माँ-बेटियों ने एक दूसरे के सामने मुझसे चुदवाया-5
(Maa Betiyon Ne Ek Dusri Ke Samne Mujhse Chudvaya-5)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left माँ-बेटियों ने एक दूसरे के सामने मुझसे चुदवाया-4
-
keyboard_arrow_right माँ-बेटियों ने एक दूसरे के सामने मुझसे चुदवाया-6
-
View all stories in series
रागिनी सब समझ गई और किसी के कहने से पहले बोल पड़ी- आ जाओ रीना, यहाँ तो सब अपने ही हैं और फ़िर तुम अब जिस धन्धे में जा रही हो उसमें जितना बेशर्म रहेगी उतना मजा मिलेगा और पैसा भी।”
अब मैं बोला- बिन्दा, अपनी बाकी बेटियों को तुम संभालो अब। मैं और रीना नंगे हैं और मैं भी सोच रहा हूँ कि एक बार पेशाब कर लूँ, फ़िर रीना की सील तोड़ूँ !
कहते हुए मैं नंगा ही कमरे से बाहर आ गया और मेरे पीछे रीना भी बाहर निकल आई। मैंने उसकी कमर में अपना हाथ डाल दिया और आँगन की दूसरी तरफ़ ऐसे चला जैसे कि हम दोनों कैटवाक कर रहें हों।
बिन्दा के चेहरे पर अजीब सा असमंजस था, जबकि उसकी दोनों बेटियाँ मुँह बाए हम दोनों के नंगे बदन को देख रही थी। रागिनी सब समझ कर मुस्कुरा रही थी। जल्द ही हम दूसरी तरफ़ पहुँच गए तो मैंने रीना के सामने ही अपने लण्ड को हाथ से पकड़ कर मूतना शुरु किया। रीना भी अब पास में बैठ कर मूतने लगी। उसकी चूत चुदास से ऐसी कस गई थी कि उसके मूतते हुए छर्र-छर्र की आवाज हो रही थी। उसका पेशाब पहले बन्द हुआ तो वो खड़ी हो कर मुझे मूतते देखने लगी।
मैं बोला- लेगी अपने मुँह में एक धार…?
रीना ने मुँह बिचकाया- हुँह गन्दे…!
अब मेरा पेशाब खत्म हो गया था, मैंने हँसते हुए अपना हाथ उसकी पेशाब से गीली चूत पर फ़िराया और फ़िर अपने हाथ में लगे उसके पेशाब को चाटते हुए बोला- क्या स्वाद है…? इसमें तुम्हारी जवानी का रस मिला हुआ है मेरी रानी।
यह सब देख रीता बोली- आप कैसे गन्दे हैं, दीदी का पेशाब चाट रहे हैं।
मैंने अब अपना हाथ सूँघते हुए कहा- पेशाब नहीं है, ऐसी मस्त जवान लौन्डिया की चूत से पेशाब नहीं अमृत निकलता है मेरी रानी… पास आ तो मैं तेरी चूत के भीतर भी अपनी उंगली घुसा कर तेरा रस भी चाट लूँगा।
बिन्दा अब हड़बड़ा कर बोली- ठीक है, ठीक है, अब आप दोनों कमरे में जाओ और भाई साहब आप अब जल्दी चोद लीजिये रीना को, इसे नहाना-धोना भी है फ़िर उसको मंदिर भी भेजूँगी।
मैंने रीना के चूतड़ पर हल्के से चपत लगाई- चल जल्दी और चुद जा जानू, तेरी माँ बहुत बेकरार है तेरी चूत फ़ड़वाने के लिए…!
फ़िर मैंने बिन्दा से कहा- बहुत जल्दी हो तो यहीं पटक कर पेल दूँ साली की चूत के भीतर क्या?
बिन्दा अब गुस्साई- यहाँ बेशर्मी की हद कर दी…कमरे में जाइए आप दोनों !
मैं समझ गया कि अब उसका मूड खराब हो जाएगा सो मैं चुपचाप रीना को कमरे में ले आया। इतनी देर में पेशाब कर लेने के बाद मेरा लण्ड करीब 40% ढीला हो गया था। मैंने रीना को बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और फ़िर से उसकी चूत को चाटने लगा। मैं अपने हाथ से अपना लण्ड भी हिला रहा था कि वो फ़िर से टनटना जाए। देर लगते देख मैंने रीना को कहा कि वो मेरा लण्ड मुँह में ले कर जोर-जोर से चूसे।
रीना अब मुँह बना कर बोली- नहीं, आप पेशाब करने के बाद इसको धोए नहीं थे, मैंने देखा था।”
मैंने उसको समझाया- और जैसे तुमने अपनी चूत धोई थी… तुमने देखा था न कि मैंने तुम्हारे चूत पर लगे पेशाब को कैसे चाट कर तेरी छोटी बहन को दिखाया था… औरत-मर्द जब सेक्स करने को तैयार हों तो ये सब भूल-भाल कर एक-दूसरे के लण्ड और चूत को पूरी इज्जत देना चाहिए। चूसो जरा तो फ़िर से जल्द कड़ा हो जाएगा। अभी इतना कड़ा नहीं है कि तुम्हारी चूत की सील तोड़ सके। अगर एक झटके में चूत की सील पूरी तरह नहीं टूटी तो तुमको ही परेशानी होगी। इसलिए जरूरी है कि तुम इसको पूरा कड़ा करो।
इसके बाद मैंने पहली बार रीना को असल स्टाईल में कहा- चल आ जा अब, नखरे मत कर नहीं तो रगड़ कर साली तेरी चूत को आज ही भोसड़ा बना दूँगा साली रंडी मादरचोद…!
और मैंने अपने ताकत का इस्तेमाल करते हुए उसका मुँह खोला और अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया।
वो अनचाहे हीं अब समझ गई कि मैं अब जोर जबर्दस्ती करने वाला हूँ, वो बेमन से चूसने लगी पर मेरा तो अब तक कड़ा हो गया था, पर मैं अपना मूड बना रहा था, उसकी मुँह में लण्ड अंदर-बाहर करते हुए कहा- वाह मेरी जान, क्या मस्त होकर अपना मुँह चुदवा रही हो, मजा आ रहा है मेरी सोनी-मोनी…
और मैं अब उसको प्यार से पुचकार रहा था। वो भी अब थोड़ा सहज हो कर लण्ड को चूस रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
थोड़ी देर में मैं बोला- चल अब आराम से सीधा लेट, अब तुमको लड़की से औरत बना देता हूँ… बिना कोई फ़िक्र के आराम से पैर फ़ैला कर लेट और अपनी चूत चुदा… और फ़िर बन जा मेरी रंडी…
मैंने उसको सीधा लिटा दिया और उसकी जाँघों के बीच में आ गया। मेरा लण्ड एकदम सीधा फ़नफ़नाया हुआ था और उसकी चूत में घुसने को बेकरार था। मैंने उसको आराम से अपने नीचे सैट किया और फ़िर उसकी दोनों टाँगों से अपनी टाँगें लपेट कर ऐसे फ़ँसा दिया कि वो ज्यादा हिला न सके।
इसके बाद मैंने अपने दाहिने हाथ को उसके काँख के नीचे से निकाल कर उसके कंधों को जकड़ते हुए उसके ऊपर आधा लेट गया। मेरा लण्ड अब उसकी चूत के करीब सटा हुआ था। अपने बाँए हाथ से मैंने उसकी दाहिनी चूची को संभाला और इस तरह से उसके छाती को दबा कर उसको स्थिर रखने का जुगाड़ कर लिया। पक्का कर लिया कि अब साली बिल्कुल भी नहीं हिल सकेगी जब मैं उसकी चूत को फ़ाड़ूंगा
सब कुछ मन मुताबिक करने के बाद मैंने उसको कहा- अब तू अपने हाथ से मेरे लण्ड को अपकी चूत की छेद पर लगा दे।
और जैसे ही उसने मेरे लण्ड को अपनी चूत से लगाया, मैंने जोर से कहा- अब बोली साली.. कि चोदो मुझे… बोल नहीं तो साली अब तेरा जबरन चोदन हो जाएगा। लड़की के न्यौतने के बाद ही मैं उसको चोदता हूँ… मेरा यही नियम है !
वो भी अब चुदने को बेकरार थी सो बोली- चोदो मुझे…!
मैं बोला- जोर से बोल कि तेरी माँ सुने… बोल कुतिया…जल्दी बोल मादरचोद…
वो भी जोर से बोली- चोदो मुझे, अब चोदो जल्दी…आह…
और उसकी आँख बन्द हो गईं।
मैंने अब अपना लण्ड उसकी चूत में पेलना शुरु कर दिया। धीरे-धीरे मेरा सुपारा भीतर चला गया और इसके बाद उसने दर्द महसूस किया। उसका चेहरा बता रहा था कि अब उसको दर्द होने लगा है। मैं उसके चेहरे पर नजर गड़ाए था और लण्ड भीतर दबाए जा रहा था। मैं रुका तो उसको करार आया वो राहत महसूस की और आँख खोली।
मैं पूछा- मजा आ रहा था?
रीना बोली- बहुत दर्द हुआ था…!
मैं बोला- अभी एक बार और दर्द होगा, अबकी थोड़ा बरदाश्त करना।
मैंने अपना लण्ड हल्का सा बाहर खींचा और फ़िर एक जोर का नारा लगाया- मेरी रीना रंडी की कुँआरी चूत की जय…रीना रंडी जिन्दाबाद…!
मैंने इतनी जोर से बोला कि बाहर तक आवाज जाए ! इस नारे के साथ ही मैंने अपना लण्ड जोर के धक्के के साथ ‘घचाक’ पूरा भीतर पेल दिया।
रीना दर्द से बिलबिला कर चीखी- ओ माँ… मर गई… इइइस्स्स्स्स… अरे बाप रे… अब नहीं रे…माँ…!!
वो सच में अपनी माँ को पुकार रही थी, पर एक कुँआरी लड़की की पहली चुदाई के समय कभी किसी की माँ थोड़े न आती है, सो बिन्दा भी सब समझते हुए बाहर ही रही और मैं उसकी बेटी की चूत को चोदने लगा।
“घचा-घच… फ़चा-फ़च… घचा-घच…फ़चा-फ़च…”
रीना अब भी कराह रही थी और मैं मस्त होकर उसके चेहरे पर नजर गड़ाए, उसके मासूम चेहरे पर आने वाले तरह-तरह के भावों को देखते हुए उसकी चूत की जोरदार चुदाई में लग गया।
रीना के रोने कराहने से मुझे कोई फ़र्क नहीं पर रहा था। आज बहुत दिन बाद मुझे कच्ची कली मिली थी और मेरी नजर तो अब इसके बाद की संभावनाओं पर थी। घर में रीना के बाद भी दो और कच्ची कलियाँ मौजूद थीं। मैं रीना को चोदते हुए मन ही मन रागिनी का शुक्रिया कर रहा था जो वो मुझे यहाँ बुला कर लाई।
करीब दस मिनट की चुदाई, कभी धीरे तो कभी जोर के धक्कमपेल के बाद जब मैं झड़ने के करीब था तो रीना का रोना लगभग बंद हो गया था, मैं रीना को बोला- अब मैं झड़ने वाला हूँ।
तो वो घबड़ा कर बोली- अब बाहर कीजिए, निकालिए बाहर, खींचिए न उसको मेरे अंदर से !
और वो उठने लगी।
मगर मैंने एक बार फ़िर उसको अपनी जकड़ में ले चुका था। पहली बार चुद रही थी, सो मैंने भी सोचा कि उसको मर्द के पानी को भी महसूस करा दूँ। मैंने रीना की चूत को अपने पानी से भर दिया।
कहानी जारी रहेगी।
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
What did you think of this story??
Comments