माँ-बेटियों ने एक दूसरे के सामने मुझसे चुदवाया-3

(Maa Betiyon Ne Ek Dusri Ke Samne Mujhse Chudvaya-3)

गबरू 2014-03-31 Comments

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अगली सुबह मैं जरा देर से तब उठा जब बिंदा मुझे चाय देने आई। उस समय तक मैं नंगा ही था। मैंने तौलिये को अपने कमर पर लपेटा। तब तक सब चाय पी चुके थे।

मैं जब बाहर आया तो देखा कि खूब साफ़ और तेज धूप निकली हुई है। पहाड़ों में वैसे भी धूप की चमक कुछ ज्यादा होती है। रागिनी और उसकी मौसी आंगन में बैठ कर सब्जी काट रहे थे, बड़ी रीना सामने चौके में कुछ कर रही थी। रूबी नहा चुकी थी और वो धूले कपड़ों को सूखने के लिए तार पर डाल रही थी।

आंगन के एक कोने में सबसे छोटी बहन रीता नहा रही थी। सब कपड़े उतार कर, उसके बदन पर बस एक जाँघिया था। मुझे समझ में आ गया कि घर में कोई मर्द तो रहता नहीं था, सो इन्हें इस तरह खुली धूप में नहाने की आदत सी थी। मुश्किल यह थी कि मैं जोरों से पेशाब महसूस कर रहा था और इसके लिए मुझे उसी तरह जाना होता, जिधर रीता नहा रही थी। वो एक तरह से बाथरूम में सामने ही बैठी थी। तभी मौसी चौके की तरफ़ गई तो मैंने अपनी परेशानी रागिनी को बताई।

उसने कहा- तो कोई बात नहीं, आप चले जाइए बाथरूम में…

मैं थोड़ा हिचक कर बोला- पर रीता?

अब वो मुस्कुराते हुए बोली- आपको कब से लड़की से लाज लगने लगी?

और उसने आँख मार दी।

मेरे लिए वैसे भी पेशाब को रोकना मुश्किल हो रहा था, सो निकल गया। एक नजर रीता के बदन पर डाली और बाथरूम में पेशाब करने लगा। पेशाब करने के बाद मैं बाहर जहाँ रीता नहा रही थी वहाँ पहुँच गया, अपना हाथ-मुँह, चेहरा धोने। रीता भी समझ गई कि मैं हाथ-मुँह धोना चाह रहा हूँ। उसने बाल्टी-मग मेरी तरफ़ बढ़ा दिया और खुद अपने हाथों से अपना बदन रगड़ने लगी।

अपना चेहरा और हाथ-मुँह धोते हुए अब मैं रीता को घूरने लगा। खूब गोरी झक्क सफ़ेद चमड़ी, हल्का उभार ले रही छाती जिसका फ़ूला हुआ भाग मोटे तौर पर अभी भी चूचक ही था, अभी रीता की छाती को चूची बनने में समय लगना था। पतली-पतली चिकनी टाँग पर सुनहरे रोंएँ।

मेरी नजर बरबस हीं उसके टाँगों के बीच चली गई, पर वहाँ तो एक बैंगनी रंग का जांघिया था, ब्लूमर की तरह का जो असल चीज के साथ-साथ कुछ ज्यादा क्षेत्र को ढंके हुए था।

मेरे दिमाग में आया, ‘काश, इस लड़की ने अभी जी-स्ट्रिंग पहनी होती…’

और तभी रीता अपने दोनों बांहों को ऊपर करके अपने गले के पीछे के हिस्से को रगड़ने लगी। इस तरह से उसकी छाती थोड़ी ऊपर खिंच गई और तब मुझे लगा कि हाँ यह भी एक लड़की है, बच्ची नहीं रही अब।

इस तरह से हाथ ऊपर करने के बाद उसकी छाती थोड़ा फ़ूली और अपने आकार से बताने लगी कि अब वो चूची बनने लगी है। मेरी नजर उसकी काँख पर गड़ गई। वहाँ के रोंएँ अब बाल बनने लगे थे। बाएँ काँख में तो फ़िर भी कुछ रोंआँ हीं था, बस चार-पाँच हीं अभी काले बाल बने थे, पर दाहिने काँख में लगभग सब रोआँ काले बाल बन चुके थे। अब वहाँ काले बालों का एक गुच्छा बन गया था, पर अभी उसको ठीक से उनको मुड़ना और हल्के घुंघराले होना बाकी था, जैसा कि आम तौर पर जवान लड़कियों में होता है। रीता के काँख में निकले ऐसे बालों को देख कर मैं कल्पना करने लगा कि उसकी बुर पर किस तरह के और कैसे बाल होंगे।

अब तक वो भी अपना बदन रगड़ चुकी थी सो उसको बाल्टी की जरूरत थी और मेरे लिए भी अब वहाँ रूकने का कोई बहाना नहीं था। अब तक रीना दोबारा चाय बना चुकी थी और दुबारा से सब लोग चाय लेकर बीच आंगन में बिछी चटाइयों पर बैठ गए थे।

रागिनी ने अब पूछा- कब तक आपको छुट्टी है?

मैंने पूछा- क्यों…?

तो वो बोली- असल में रीना को तो हम लोग के साथ ही चलना है तो उसको अपना सामान भी ठीक करना होगा न…! दो-तीन दिन तो अभी हैं या नहीं?

मैंने कहा- अभी तीसरा दिन है और मैंने एक सप्ताह की छुट्टी ली हुई है, अभी तो समय है।

अब बिन्दा (रागिनी की मौसी) बोली- रीना कर तो लेगी यह सब तुम्हारा वाला काम… कहीं बेचारी को परेशानी तो न होगी?

रागिनी ने उनको भरोसा दिलाया- तुम फ़िक्र मत करो मौसी, जब पैसा मिलने लगेगा तो सब करने लगेगी। मैं भी शुरु-शुरु में हिचकी थी। पहले एक-दो बार तो बहुत खराब लगा, फ़िर अंकल से भेंट हुई और जिस प्यार और इज्जत के साथ अंकल ने मेरे साथ सम्भोग किया कि फ़िर सारा डर चला गया और उसके बाद तो मैं इसी में रम गई। अंकल का साथ मुझे बहुत बल देता है, लगता है कि इस नए जगह में भी कोई अपना है। कल तुमने भी देखा न अंकल का सम्भोग का अंदाज़? कोई तकलीफ हुई क्या तुझे?

बिंदा ने थोड़ा मुस्कुरा कर अपना सर नीचे झुकाया और कहा- नहीं री ! तेरे अंकल तो सच में बहुत प्यार से अन्दर-बाहर करते हैं।

मुझे अपने पर रागिनी का ऐसा भरोसा जान कर अच्छा लगा और उस पर खूब सारा प्यार आया, मेरे मुँह से बरबस निकल गया- तुम हो ही इतनी प्यारी बच्ची…!

और मैंने उसका हाथ पकड़ कर चूम लिया।

रागिनी ने अब एक नई बात कह दी- मौसी, मेरे ख्याल से रीना को आज रात में अंकल के साथ सो लेने दो। अंकल इतने प्यार से इसको भी करेंगे कि उसका सारा डर-भय निकल जाएगा।

मुझे इस बात की उम्मीद नहीं की थी। मैं अब बिन्दा के रिएक्शन के इंतजार में था। रीना पास बैठ कर सिर नीचे करके सब सुन रही थी।

बिन्दा थोड़ा सोच कर बोली- कह तो तुम ठीक रही हो बेटा, पर यहाँ घर पर… फ़िर रीना की छोटी बहनें भी तो हैं घर में… इसीलिए मैं सोच रही थी कि अगर रीना तुम लोग के साथ चली जाती और फ़िर उसके साथ वहीं यह सब होता तो…!

मुझे लगा कि ऐसा शानदार मौका हाथ से जा रहा है सो मैं अब बोला- तुम बेकार की बात सब सोच रही हो बिन्दा ! मेरे हिसाब से रागिनी ठीक कह रही है, अगर रीना अपने घर पर अपने लोगों के बीच रहते हुए पहली बार यहीं चुद ले तो ज्यादा अच्छा होगा। अगर उसको बुरा लगा तो यहाँ आप तो हैं जिससे वह सब साफ़-साफ़ कह सकेगी, नहीं तो वहाँ जाने के बाद तो उसको बुरा लगे या अच्छा, उसको तो वहाँ चुदना ही पड़ेगा।

जब मैं यह सब कह रहा था तब तक रूबी और रीता भी वहीं आ गईं और इसी लिए जान-बूझ कर मैंने चुदाई शब्द का प्रयोग अपनी बात में किया था।

रागिनी भी बोली- हाँ मौसी, अंकल बहुत सही बात कह रहे हैं, वहाँ जाने के बाद रीना की मर्जी तो खत्म ही हो जाएगी। वैसे भी पिछले कई दिनों में रूबी और रीता को क्या समझ में नहीं आया होगा कि चौधरी और उसका मुंशी तेरे साथ रात-रात भर कमरे में रह कर क्या करता है? बाहर एक-एक ‘आह’ की आवाज स्पष्ट सुनाई देती है, क्यों री रूबी और गीता, क्या तुम नहीं जानती कि रात में मैं या तेरी माँ अंकल के साथ क्यों सोते हैं?

रूबी शरमा गई और ‘हाँ’ में सर ऊपर नीचे हिलाया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैं बोला- मेरे ख्याल से तो रात से बेहतर होगा कि रीना अभी ही नहाने से पहले आधा-एक घन्टा मेरे साथ कमरे में चली चले, चुदाई करके उसके बाद नहा धो ले… उसको भी अच्छा लगेगा। रात में अगर चुदेगी तो फ़िर सारी रात वैसे ही सोना होगा।

बिन्दा के चेहरे से लग रहा था कि अब वो कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है और उसने सब कुछ रागिनी पर छोड़ दिया है।

बिन्दा ने अपनी छोटी बेटी तो हल्के से झिड़का- तू यहाँ बैठ कर क्या सुन रही है सब बात… जा, जाकर सब के लिए एक बार फ़िर चाय बना ला !

रीता जाना नहीं चाहती थी सो मुँह बिचकाते हुए उठ गई।

मैंने उसको छेड़ दिया- अरे थोड़े ही दिन की बात है, तुम्हारा भी समय आएगा बेबी… तब जी भर कर चुदवाना। अभी चाय बना कर लाओ।

वो अब शर्माते हुए वहाँ से खिसक ली। चलो अच्छा है दो-दो कप चाय मुझे ठीक से जगा देगा। साँड जब जगेगा तभी तो बछिया को गाय बनाएगा।

मेरी इस बात पर रागिनी ने व्यंग्य किया- साँड… ठीक है पर बुड्ढा साँड !

और खिलखिला कर हँस दी।

मैं भी कहाँ चूकने वाला था सो बोला- अरे तुमको क्या पता…! नया-नया जवान साँड तो बछिया की नई बुर देख कर ही टनटना जाता है और पेलने लगता है, मेरे जैसा बुड्ढा साँड ही न बछिया को भी मजा देगा। बछिया की नई-नवेली चूत को सूँघेगा, चूमेगा, चूसेगा, चाटेगा, चुभलाएगा…! इतना बछिया को गर्म करेगा कि चूत अपने ही पानी से गीली हो जाएगी, तब जाकर इस साण्ड का लण्ड टनटनाएगा…!

अब रूबी बोल पड़ी- छी छी, कितना गन्दा बोल रहे हैं आप… अब चुप रहिए।

मैंने उसके गाल सहला दिए और कहा- अरे मेरी जान… यह सब तो घर पर बीवी को भी सुनना पड़ता है और तुम्हारी दीदी को तो रंडी बनने जाना है शहर ! मैंने तो कुछ भी नहीं बोला है… वहाँ तो लोग रंडी को कैसे पेलते हैं रागिनी से पूछो।

रागिनी भी बोली- हाँ मौसी, अब यह सब तो सुनने का आदत डालना होगा और साथ में बोलना भी होगा।

रीना का गाल लाल हो गए थे, बोली- मैं यह सब नहीं बोलूँगी…

मैंने उसकी चूची सहला दी वहीं सबके सामने, वो चौंक गई, मैं हँसते हुए बोला- अभी चलो न भीतर ! एक बार जब लन्ड तुम्हारी बुर को चोदना शुरु करेगा तो अपने आप सब बोलने लगोगी, ऐसा बोलोगी कि सब सुन कर तुम्हारी इस रूबी देवी जी की गाण्ड फ़ट जाएगी।

रीता अब चाय ले आई, तो मैंने कहा- वैसे रूबी तुम भी चाहो तो चुदवा सकती हो… बच्ची तो अब रीता भी नहीं है। इसकी उम्र की दो-तीन लड़की तो मैं ही चोद चुका हूँ और वो भी करीब-करीब इतने की ही है।

रीता सब सुन रही थी बोली- वो अभी बड़ी नहीं हुई है, अभी कुछ छोटी है।

मैं अब रंग में था- ओए कोई बात नहीं, एक बार जब झाँट उग गई तो फ़िर लड़की को चुदाने में कोई परेशानी नहीं होती। मैं तुम्हारी काँख में भी बाल देख चुका हूँ, सो अब तक तुम्हारी बुर पर झाँट तो पक्का निकल आई होगीं…

रीता को लगा कि मैं उसकी बड़ाई कर रहा हूँ सो वो भी चट से बोली- हाँ, हल्का-हल्का होने लगा है, पर सब दीदियों की तरह नहीं है।

बिन्दा ने उसको चुप रहने को कहा तो मैंने उसको शह दी और कहा- अरे बिन्दा जी, अब यह सब बोलने दीजिए। जितनी कम उम्र में यह सब बोलना सीखेगी उतना ही कम हिचक होगी, वर्ना बड़ी हो जाने पर ऐसे बेशर्मों की तरह बोलना सीखना होता है। अभी देखा न रीना को, किस तरह बेलाग हो कर बोल दिया कि मैं नहीं बोलूँगी ऐसे…!”

सब हँसने लगे और रीना झेंप गई, तो मैंने कहा- अभी चलो न बिस्तर पर रीना, उसके बाद तो तुम सब बोलोगी। ऐसा बेचैन करके रख दूँगा कि बार-बार चिल्ला कर कहना पड़ेगा मुझसे।

उसने अपना चेहरा ऊपर उठाया और मेरे तरह तिरछी नजर से देखते हुए पूछा- क्या कहना पड़ेगा?

कहानी जारी रहेगी।

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