लिव इन कैरोल-3

प्रेषक : मुकेश कुमार

दिन की घटना को सोच कर फिर उत्तेजित हो ही रहा था कि मोबाइल बज गया।

लाइन पर कैरोल थी, बहुत घबराई हुई रोते हुए बोली- मुकेश, क्या तुम यहाँ आ सकते हो अभी, प्लीज?

“रो नही, में आ रहा हूँ” कह कर मैंने जल्दी जल्दी मुँह धोया और कपडे पहने लगा। मर्दों को ज्यादा वक्त नहीं लगता है। अंडरवियर, जीन्स, टी-शर्ट और तैयार !

बाहर निकला तो पड़ोसन बैठी थी। तिरछी नज़र से देखा और मुस्कराई तो समझ गया इसने मारिया की सिसकारियाँ सुन ली होंगी।

जेनिफ़र आंटी के यहाँ पहुँचा तो अंदर से जोर जोर से झगड़े की आवाज़ें आ रही थी। कैरोल को फोन लगाया तो वो मारिया के साथ बाहर आई।

“मुकेश, आंटी के कजिन आये हैं और जगह को लेकर झगड़ रहे हैं, हमें अभी के अभी निकलने बोला है।” कैरोल रोते हुए बोली।

“सूसन तो अपनी सहेली के घर चली गई, मारिया को लेने उसके अंकल आ रहे हैं…”

मैंने उसे बाँहों में भरते हुए और आंसू पौंछते हुए बोला, “डोंट वरी, तुम मेरे रूम पर चलो, अगर कोई प्रॉब्लम नहीं हो तुम्हें !”

गले लग कर एक चीज़ पता लगी कैरोल के मम्मे बड़े और कड़क हैं।

जब कैरोल मेरी छाती में रो रही थी, मारिया होंठ हिला बिना आवाज़ के ‘फ़क हर’ का अश्लील इशारा कर रही थी।

फिर मैं उन दोनों की पैकिंग में मदद करने लगा। मारिया को एअरपोर्ट की टैक्सी में बिठाया और मैं और कैरोल रूम के लिए चल दिए।

सोच रहा था कि चौबीस से छबीस गंटे में जिंदगी कितनी बदल गई।

फ्लैट पर आया तो तंद्रा टूटी। पड़ोसन अब भी बाहर बैठी थी दूसरी लड़की को साथ देख आँखें फटी रह गई। साड़ी का पल्लू सरक कर गिर गया और चूचों के दर्शन हो रहे थे, उसे इसका भी भान न रहा।

जैसे ही दरवाजा खोला तो दोपहर की वारदात की महक का भबका आया। यानि मारिया के मूत और सिगरेट की महक का भबका। जब आप रह रहे होते हो तब एहसास नहीं होता पर जब बाहर से आते हो तो एकदम महक आती है।

कैरोल का सामान बाहर के कमरे में रख हम खाना खाने चल दिए। अब कैरोल भी शांत थी एक दो बार थैंक यू बोली तो मैंने झिड़क दिया, फ़िल्मी अंदाज़ में बोला, “दोस्ती और प्यार में नो थैंक यू, नो सॉरी !”

“मैं जल्दी कोई और PG देख लूंगी !” कैरोल बोली।

“तुम्हारा जब तक मन करे रहो, मैं किराया नहीं लूँगा। चलो कहीं बैठकर दो-दो पेग लगाते है और मस्त खाना खाते हैं।” मैंने कहा।

“नहीं कल ऑफिस भी जाना है और आज मूड भी नहीं है। इवनिंग वास फ़कड अप !”

“अरे यार इसीलिए तो ! ड्रिंक विल मेक यू कम्फ़र्टेबल। और टेंशन में तुम शायद भूल गई कल 1 मई है, ऑफिस की छुट्टी !” इतना कह कर मैंने एक सिगरेट जलाई और कैरोल की तरफ बढ़ाया, कश मारते हुए एक पब में बैठ गए। हमने बियर का बड़ा पिचर मंगाया साथ में फिश और चिकन स्नैक्स मंगाए।

थोड़ा सुरूर आने के बाद कैरोल बोली, “मैं तुम्हें कैसी लगती हूँ?”

“बहुत अच्छी !” मैं बात बिगाड़ना नहीं चाहता था। दोस्तो, मैं एक बात साफ़ कर दूँ, मुझे कैरोल पहले से पसंद थी, और मैंने मारिया के साथ सेक्स वासना से ग्रसित हो कर लिया पर कैरोल मेरी प्यार थी और मैं उससे ही सम्बन्ध बनाना चाहता था।

“कितनी अच्छी? डू यू लव मी?”

“हाँ !” मैंने तपाक से बोल दिया। यह तो तय था कि वो आज रात तो साथ ही थी।

“बट ऑय ऍम नॉट वर्जिन (मैं कुँवारी नहीं हूँ, चुद चुकी हूँ), एक लड़का था कॉलेज में, गांडू शादी का वादा करता रहा और चोदता रहा !” और फिर कैरोल रो पड़ी।

मैं उठ कर कैरोल के पास गया और उसे बाहों में भर लिया, “मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, ऑय स्टिल लव यू !” कह कर उसके बगल में हाथ फेरने लगा।

फिर क्या था कैरोल ने मुझे चूम लिया और हमारे होंठों की सीमा लाँघ जुबान एक दूसरे के मुँह में घूमने लगी। इस बार वासना नहीं मुँहब्बत थी। हमने बियर खत्म की, खाना खाया और बाहों में बाहें डाले रूम की तरफ चल पड़े।

उसकी बाँहों में मैं मारिया की चुदाई भूल गया। पर रूम खोलते ही फिर उसके पिशाब और सिगरेट की महक का भभका आया।

“डू यू पी हियर? (क्या तुम यहाँ मूतते हो?)” कैरोल ने पूछा और अपना सामान ले कर अन्दर के रूम में चली गई।

अन्दर बेड पर मारिया की पेंटी, जो मेरे लंड पर लगा कर गई थी पड़ी थी। कैरोल के फोन के वक़्त उसे हटाना भूल गया था। कैरोल ग़ुस्से से हाथ में पेंटी से खेलते हुए बाहर आई, बोली, “उस रांड ने तुम्हें भी नहीं छोड़ा, बिच ! तुम्हें मालूम है, साली एक नंबर की चुदक्कड़ है। चुड़ैल की तरह नए लंड की खोज में रहती है। मुफ्त का पीना और चुदाना उसके दो ही शौक हैं।”

“पर कल की दारु वो नहीं लाई थी?” मैंने पूछा।

“नहीं सूसन की थी, पहले बताओ आज क्या हुआ? क्या किया उस रंडी ने?” नशे में कैरोल गाली पर गाली दे रही थी।

मैं कैरोल को चाहने लगा था इसलिये झूठ नहीं बोला और दिन की घटना बता दी। मुझे लगा अभी पब में सुरूर में जो चुम्मा चुम्मी हुई वो आखरी थी।

तभी कैरोल बोली, “जाओ अपना डिक अच्छे से साफ़ कर आओ, तब तक मैं उस रांड का मूत साफ़ करती हूँ।”

“पर हमने धो लिया था !” मैंने कहा।

“गो !” कैरोल ने हुक्म दिया।

लंड धोकर वापस आया तो कैरोल झुक कर ज़मीन पर पौचा लगा रही थी। उसने तोता ग्रीन रंग के शॉर्ट्स पहन लिया और ढीला सफ़ेद स्लीवेलेस टी-शर्ट (मर्दों के बनियान जैसा पर छोटा सिर्फ बूब्स ढकने के लिए। इतनी सेक्सी लग रही थी कि अपने लंड को संभाल ही नहीं सका। टी-शर्ट के अन्दर से मस्त कड़क चुचे दर्शन दे रहे थे।

“हो गया !” कह कर वो उठी तो ध्यान भंग हुआ और मैं भी उसके पीछे चल दिया। उसने जैसे ही पौंछे का कपड़ा सुखाने डाला, मैंने लंड के वशीभूत उसे पीछे से पकड़ लिया और मम्मे दबाते हुए गर्दन चूमने लगा। मेरा लंड उसके शॉर्ट्स के ऊपर गांड की दरार में फिट हो गया।

“आह, यहाँ नहीं जान, बेड पर चलते हैं, एक बात भी करनी है।” कैरोल बोली और बेडरूम में आ गई।

“क्या हम पति-पत्नी की तरह एक साथ रह सकते हैं?” कैरोल ने पूछा।

“तुमने मेरे मन की बात कह दी !”

“पर ऑफिस में किसी को मत बताईयेगा, प्लीज !”

“नहीं, और फिलहाल के लिए घर पर भी नहीं, ओके?” मैंने कहा।

कैरोल मुस्करा दी और गले लग गई। फिर होंठ से होंठ मिले और चूमा चाटी शुरू हो गई। कैरोल की जबान मेरे मुँह कान सब को गिला कर रहे थे। मैंने उसका टी-शर्ट उठा कर उसके चुच्चे दबाना चालू कर दिया। कैरोल के बूब्स बड़े थे पर कड़क, ब्रा न होने पर भी खड़े रहते थे। उसने बताया कि ऑफिस में वो स्पोर्ट्स ब्रा पहन कर आती थी क्यूंकि चलने पर उसके बूब्स हल्के हल्के उचकते हैं और सब मर्दों की पैंट में लौड़ा खड़ा हो जाता है।

फिर उसने कमरे में कैटवाक कर के दिखाया।

“शो मी योर डिक, हैव यू वाश्ड देट बिच प्रोपरली?” (मुझे अपना लौड़ा दिखाओ, क्या उस कुतिया को बराबर से साफ़ किया है?) कैरोल बोली।

उसके आदेश पर मैं पूरा निर्वस्त्र हो गया।

कैरोल ने मेरे टट्टों को हाथ में लिया और झुक कर लंड मुँह में ले लिया। कैरोल एक प्यासी जवान लड़की की तरह लंड को ऐसे चूसने लगी जैसे कई दिन की भूखी हो।

मैं भी प्यासा था और बियर का हल्का सुरूर भी, कैरोल की जांघों पर हाथ फेरने लगा और अपनी तरफ खींचने लगा। कैरोल बिना लौड़ा छोड़े मेरे ऊपर आ गई। मैंने उसकी शॉर्ट्स उतार फेंकी और झाँटों को हटा फुद्दी को चाटने लगा।कैरोल की चूत की महक और उत्तेजित कर रही थी। बीच बीच में झांट के बाल मुँह में आ जाते पर हम 69 की पोजीशन में तब तक लगे रहे जब तक मेरी पिचकारी कैरोल के मुँह में नहीं चल गई। आखरी बूँद तक पीने के बाद कैरोल उठी और मुस्कराते हुए मेरी गोद में बैठ गई। इस दौरान वो भी दो बार झड़ी थी और मैंने उसके चूत का शहद पिया था।

मेरा हाथ अपनी चूत पर ले जाते हुए बोली, “कल शेव कर लूंगी, अब तो रोज चटेगी। तुम्हारी झांटें भी साफ़ कर लेंगे गांड तक ! ओके राजा? टट्टे चूसने में मज़ा आएगा।” हम एक दूसरे के हर अंग को हाथों से ऐसे टटोल रहे थे जैसे अंधे किसी नई चीज़ को टटोलते हैं। हमारे हाथ एक दूसरे के शरीर पर हर तरफ चल रहे थे। फिर उत्तेजना बढ़ने लगी और हाथ के साथ जुबान भी एक दूसरे को टटोलने लगी, अब तक हम फिर गर्म हो चुके थे, हर तरफ चुम्मी ले रहे थे।

“जान, फ़क मी लाइक योर स्लेव (अपनी दासी के तरह चोद)”, कैरोल मिन्नत करने लगी।

मैंने उसे घोड़ी बनाया और उसके मस्त चूतड़ों को चूमने लगा। चौड़ा कर गांड के दर्शन किये और गांड चाटने लगा फिर कुत्ते की तरह पीछे से चूत में लौड़ा डाल दिया। कई दिन से नहीं चुदी थी तो चूत भी मस्त टाइट थी। एक दूसरे को उत्तेजित करने से चूत गीली थी इसलिए लंड मजे से अन्दर-बाहर हो रहा था। हर नई गहराई पर कैरोल की मादक चीखें तेज हो रही थी।

“आह ऊ ओह आह आ आ ओ गॉड …”

कैरोल को चोदते हुए पता लगा रांड और प्रेमिका को चोदने का फर्क। प्रेमिका उचक उचक कर प्रेम क्रीडा का मज़ा लेती है और देती है।

थोड़ी देर के बाद कैरोल को सीधा लिटाया उसके पैर हवा में अपने कंधे पर रख फिर जोश के साथ चोदने लगा। हर धक्के से उसके बूब्स हिल रहे थे। मेरे गति बढ़ने पर कैरोल की आवाज़ें पहले तेज और फिर धीमी हो गई तथा बदन में अकड़न के साथ वो स्खलित हो गई। मेरा भी वीर्य निकलने वाला था तो अपना लौड़ा चूत से निकाल सारा माल कैरोल के पेट पर निकाल दिया। उसकी नाभि मेरे वीर्य से भर गई। फिर सुख से निढाल हो उसके पास लुढ़क गया।

पसीने से लथपथ हम एक दूसरे को चूमते हुए चिपट कर सो गए।

कहानी जारी रहेगी।

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