लिफ़्ट देने के बाद
प्रेषक : स्वप्निल
हेलो दोस्तो, मेरा नाम नील है, मैं पुणे का रहने वाला हूँ। मैं आपको अपने यौन जीवन के बारे में बताने जा रहा हूँ। यह कहानी लगभग चार साल पुरानी हैं जब मैं एक लेडीज़ हॉस्टिल के एरिया में रहता था। वहाँ पर बहुत सी लड़कियाँ थी। मैं हमेशा किसी चूत को ढूंढता रहता था पर मैं दिखने में इतना खास नहीं था तो कोई लड़की मुझे घास नहीं डालती थी।
एक रात मैं अपने जॉब से बहुत लेट आ रहा था, करीब रात के साढ़े बारह बजे होंगे, एक लड़की ने मुझे लिफ्ट के लिए इशारा किया। वैसे मैं रात को किसी को भी लिफ्ट नहीं देता था पर एक सुनसान रास्ते पर एक लड़की को खड़े देख उसे लिफ्ट देने का विचार आया और मैं मुड़ कर वापस उसके पास गया।
मैंने पूछा- कहाँ जाना है?
उसने उसके जगह का नाम बताया तो मैंने कहा- मेरे घर के बाजू में ही है।
उसने सलवार-सूट पहना था तो वो दोनों साइड पैर रख कर बैठ गई। रास्ते में हम इधर उधर की बातें करने लगे तो पता चला कि वो एक प्रायवेट कंपनी में काम करती है और तलाक़शुदा है। थोड़ी ही देर में हम उसके घर के पास आ गये। उतरने के बाद उसने मुझे थैंक्स कहा और चाय के लिए ऑफर किया, कोई चूतिया ही रहेगा जो ऐसे ऑफर ठुकराए।
वो अकेली रहती थी, जब हम अंदर आए तो उसने पूछा- तेरे पास टाइम है ना?
मैंने कहा- हाँ, कल छुट्टी है तो कोई जल्दी नहीं है।
फिर वो अंदर गई और चाय बना लाई। चाय पीते पीते हम एक दूसरे की जिन्दगी के बारे में बहुत कुछ जान गये थे और मैं उसकी तरफ आकर्षित हुए जा रहा था, मेरी नज़रें उसको उपर से नीचे तक टटोल रही थी। मेरा यह सलूक उसने देख और समझ लिया था।
वो बोली- नील, मैं ज़रा चेंज करके आती हूँ।
वो अंदर चली गई और मैं उसको चोदने की सोच में डूबा रह गया। जब वो वापस बाहर आई तो कयामत ढा रही थी, उसने गुलाबी नाइट सूट पहना था, मेरे तो होश ही उड़ गये।
मेरा हाल देखकर वो बोली- क्या हुआ नील?
“कुछ नहीं ! तुम्हें देखकर थोड़ा बहक गया !”
मेरा सीधा जवाब देने से वो सिर्फ़ मुस्कुराई और बोली- कुछ करने का इरादा मत बनाओ, कुछ नहीं कर पाओगे।
मैंने कहा- इरादा तो नहीं, अगर इजाज़त मिल जाए तो कुछ भी हो सकता है।
“सही में तुम कुछ भी कर सकते हो?”
मैंने कहा- हाँ !
वो फिर से मुस्कुराई और एकटक मुझे देखने लगी, मेरी आँखों में पहले से ही वासना भरी पड़ी थी, उसको देखकर और भी बढ़ गई थी। पर वो मुझसे इज़हार नहीं कर पाई, अपने आप को रोकते हुए बोली- मैं वॉशरूम होकर आती हूँ।
मैं पहले ही उससे बात करके जान चुका था कि यह पिछले दो साल से चुदाई की भूखी है।
बाथरूम में घुसने के बाद उसने दरवाजा पूरा बन्द नहीं किया, मैं उसको बाहर से देखने लग गया। वो एक एक करके अपने सारे कपड़े उतारने लगी और पूरी नंगी हो गई। उसके चुचे इतने बड़े नहीं थे पर मस्त और प्यारे थे। उसकी चूत भी दिखी मुझे, एकदम साफ़ थी और एक बाल भी नहीं था उसकी चूत के आसपास !
वो पूरी नंगी होकर बैठ कर मूतने लगी और इधर मैंने अपना लण्ड निकाल कर हिलाना शुरू कर दिया। मूतने के बाद उसने अपनी चूत साबुन लगा कर खूब अच्छे से धोई, तब तक मैं झड़ चुका था तो मैं जाकर टीवी देखने लगा और थोड़ी देर के बाद वो भी गाउन पहन कर आ गई। गाउन बहुत झीना था, हल्का फुल्का अंदर का दिख रहा था। उसने नीचे कच्छी, ब्रेजियर कुछ नहीं पहना था।
वो आकर मेरे सामने बैठ गई और मैं उसे देख रहा था और देखते देखते मेरा फिर से खड़ा हो गया। वो उठ कर मेरे पास आकर बैठ गई और बोली- नील, तुम्हें पता है जब तुम मुझे वाशरूम में पेशाब करते हुए देख रहे थे तब मैं भी तुम्हें देख रही थी, तिरछी नजर से ! इतना सुनते ही एक पल के लिए मेरी फट गई कि साला यह क्या हो गया, पर उसके बाद जो हुआ तब मेरी गांड में जान आ गई। उसने मेरे दोनों हाथों को पकड़ कर अपने मम्मो पे रख दिया, मुझे पहले कुछ समझ नहीं आया पर फिर मैं उन्हें दबाने लग गया और वो सोफे पर पीछे सर रख कर बैठ गई।
नमिता भी अब मुझसे अपने अंगों को मसलवा कर मज़े लेना चाहती थी, उसने अपने होंठ आगे बढ़ा दिए और मैं उसके होंठों को चूसते उसके गाउन को उतार कर चुचों चूसने लगा। उसकों चुचों को दबाने पर वो भी मस्ती दिखाती हुई मेरे लंड को सहलाने लगी। अब मैं उसकी चूत की फांकों में अपनी उँगलियों से उसकी चूत के अंदर देते हुए आगे–पीछे करने लगा और वो भी मेरे लंड को निकालकर अपने हाथ में मसल रही थी। मैं भी अब ज़बरदस्त मूड में आ गया तो मैंने उस सोफे पर पूरा लिटाते हुए अपने लंड को उसकी चिकनी चूत में अंदर दे दिया जिससे उसकी वासना भरी सीत्कार निकल पड़ी, उसकी चूत बहुत ही कसी हुई थी।
लंड क़रीब तीन इंच तक अन्दर चला गया था, फिर धीरे-धीरे मेरा पूरा छः इंच का लण्ड उसकी चूत में चला गया और मैं पूरी ताक़त से धक्का लगाया तो वह कहने लगी- प्लीज़ ! दर्द हो रहा है।
फिर मैंने उसके एक निप्पल को मुँह में भर लिया और दूसरे को हाथ से दबाता रहा।
वो अब कराह रही थी, मुझसे छुटने की कोशिश कर रही थी पर मैंने कस कर पकड़ रखा था उसे ! वो आआ आई ईई ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह करके रोने लग गई पर मैं रुका नहीं और लगातार धक्के मारता गया, साथ ही चूचियों को भी दबाता जा रहा था।
तभी वह चिल्ला उठी- आआह हह… मैं गई… और तेज़ करो…
पर मैं अब ख़ुद पर नियंत्रण पा चुका था और लगातार चोदे जा रहा था।
थोड़ी देर के बाद वह कहने लगीं- अब मुझे छोड़ दो, जलन हो रही है, मैं दो बार छूट चुकी हूँ।
मैंने कहा- पर अभी मेरा तो नहीं हुआ है।
फिर मैंने उसे लगातार दस मिनट और चोदा और उसके अंदर ही झड़ गया। अगले दस मिनट मैं उसके ऊपर ही लेटा रहा।
मैं उठा तो बोली- क्या हुआ, कहाँ जा रहे हो?
“कुछ नहीं, कहीं नहीं जा रहा !” मैंने हँस कर जवाब दिया।
उसके चेहरे पे बहुत खुशी झलक रही थी- तुमने आज मुझे बहुत दिनों के बाद ढेर सारा सुख दिया है, थॅंक्स आ लॉट !
मैं कुछ नहीं बोला, उसके होठों पर होंठ रख दिए और उसको बाहों में लेके वहीं पर सो गया।
हम एक साल तक साथ में रहे, बाद में उसके पिताजी ने उसकी शादी कहीं करवा दी और वो मुझे छोड़ कर चली गई।
मेरी कहानी के बारे में अपनी राय बताने के लिए मुझे मेल करें !
What did you think of this story??
Comments