लड़की से औरत बनी-3
(Ladki Se Aurat Bani- Part 3)
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मेरे प्रिय चाहने वालो, मैं अपनी पिछली कहानी
में अपनी उम्र और फिगर लिखना भूल गई थी, आप सबने जानना चाहा है तो मैं बता दूँ कि इस वक़्त मेरी उम्र 24 साल और फिगर 34-28-36 है परन्तु जब मेरी सील टूटी तब उम्र 20 साल और फिगर 32-26-34 थी।
आप सभी के बहुत से मेल और मैसेज मुझे लगातार मिल रहे हैं, अधिकतर दोस्तों ने मेरे मुझे चोदने की तमन्ना की है।
आप सबको मेरा प्यारा सा चुम्बन। मैं आप सबसे माफ़ी चाहती हू कि सबके मेल का जबाब नहीं दे पाऊँगी, न ही सब से चुदा सकती हूँ। लेकिन कुछ दोस्तों को यह मौका जरुर दूँगी। आप मेरी आप बीती अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मुझे रमेश का दोस्त चोद रहा था और मैं दर्द और आनन्द की मिश्रित आहें भर भर के चुदा रही थी। उसके सीने से मेरी चूचियाँ पिस सी रही थी, उसके सीने के बाल मेरे चुचूकों से रगड़ खाकर मुझे स्वर्ग की सैर करा रहे थे। अब मेरी चूत उसके लण्ड के अनुरूप फ़ैल चुकी थी और पूरे लण्ड को गपागप निगल रही थी, उसकी और मेरी झांटे आपस में रगड़ खा जाती थी। चुदाई में इतना आनन्द आता है, मैंने कल्पना भी नहीं की थी, अन्यथा कब की चुदा चुकी होती।
आनंद के अतिरेक में मैं अपनी चूत को ऊपर उठा देती तो उसका लण्ड मेरी बच्चेदानी से टकराता तो दर्द से कराह देती थी।
अब मेरी नींद पूरी तरह खुल चुकी थी, नशे की खुमारी भी कम हो गई थी, मैं समझ चुकी थी कि रमेश अपने दोस्त को बुला कर मेरी चुदाई करा रहा है लेकिन अंदर अंदर खुश थी कि इसी बहाने इतना मज़ा मिल रहा है।
मैंने अपने पैर उसके कूल्हों पर लपेट लिए और जब वो लण्ड अन्दर पेलता तो मैं अपनी गाण्ड ऊपर को उठा देती ताकि पूरा लण्ड मेरी चूत निगल सके।
करीब आधा घंटा चुदने के बाद मैं झड़ने लगी तो मैंने अपने पैरों और हाथों से उसे क़स लिया और मज़ा लेकर पूरा रज उसके लण्ड पर गिरा दिया। मेरी चूत के रस को पीकर उसका लड़ मस्त हो गया और मस्ती को संभाल नहीं सका और वो भी गिराने लगा मेरी चूत में ही और पूरी चूत अपने रस से भर दी।
उसका माल चूत से निकल कर गाण्ड से होता हुआ बिस्तर की चादर पर गिर रहा था।
वह कुछ देर तक ऐसे ही मेरे ऊपर लेटा रहा फिर बाथरूम चला गया।
मैंने करीब दस मिनट बाद उठ कर रमेश को आवाज़ दी तो रमेश आ गया।
फिर मैंने अनजान बन कर कहा- इस बार तुम्हारा लण्ड बहुत मोटा लग रहा था?
तो वो मेरे बदन से चिपक के लेटा रहा और मेरी चूचियाँ मसलने लगा। उसका लण्ड खड़ा था तो मैंने कहा- अभी अभी चोद कर गए हो और यह फिर खड़ा है?
तो रमेश बोला- वो मेरा दोस्त था जिसने तुझे अभी अभी चोदा !
तो मैंने नाराज़गी दिखाते हुए कहा- उससे क्यों चुदवाया मुझे ?
तो बोला- जान, तुमने ही कहा, तब उसे बुलाया और कितना मज़ा ले लेकर चुद रही थी?
मैंने नाराज़गी दिखाई कि तुमने धोखे से अपने दोस्त को बुला कर मेरी चूत जूठी करा दी तो वो कहने लगा- डार्लिंग, तुमने हाँ की तभी उससे कराया ! अब माफ़ कर दो !
थोड़ी देर बाद मैं मान गई तो अपने दोस्त को आवाज़ दे कर दूसरे कमरे से बुला लिया। वो मेरा पड़ोसी और मेरे पापा का दोस्त अनिल था। वैसे तो वो उम्र में पापा से छोटा था, करीब 35 साल का होगा मैं उसे अंकल बोला करती थी।उसे देख कर मैंने शर्म से अपना मुँह छुपा लिउआ।
वो मेरे बिस्तर पर बैठ गया और कम्बल में हाथ डाल कर मेरी गाण्ड और चूत सहलाने लगा और बोला- अब मुझे अंकल नहीं, डार्लिंग कहना ! अब हम दोनों तुम्हारे प्रेमी और पति हैं। कई साल से तुम्हारी गाण्ड और चूत की सोच कर मुठ मारते रहे हैं, आज नंगी देखने और चोदने को मिल गई हो ! पता नहीं क्या पुण्य किये थे हमने जो तुम जैसी अप्सरा को चोदने का मौका मिला।
उसने मेरे मुँह से कम्बल हटा दिया और बोला- शरमाओ मत डार्लिंग, मज़ा लूटो !
अनिल मेरे होंठ चूसने लगा और मेरी गाण्ड में ऊँगली पेल दी।
मैंने गाण्ड हिला कर उसकी ऊँगली निकाल दी तो बोला- जब वो चोद रहा था तब गाण्ड खूब पाद रही थी। इसका मतलब इसको भी लण्ड चाहिए।
मैं बस मुस्कुरा दी तो बोला- वाह डार्लिंग, तेरी इसी मुस्कराहट पर तो हम मरते हैं।
अनिल ने मेरे नंगे बदन से पूरा कम्बल हटा दिया। मैं शरमा कर एक हाथ से चूत और दूसरे हाथ से चुचिया छुपाने का प्रयास करने लगी।
यह देख कर दोनों हँस पड़े और मेरे दोनों तरफ़ लेट गए और मुझे प्यार करने लगे।अनिल मेरे होंठ चूस रहा था और रमेश मेरे चूचे !
मेरी एक जांघ अनिल ने अपने जांघों में दबा रखी थी और दूसरी रमेश ने ! इस कारण मेरी चूत और गाण्ड दोनों फैले हुई थी। दोनों के लण्ड मेरे हाथों में थे। अनिल का लण्ड सोया हुआ था लेकिन रमेश का लण्ड फुफकार रहा था। चूत पर रमेश की उंगलियाँ चल रही थी जबकि दूसरा मम्मा अनिल मसल रहा था। चूत पानी निकाल कर पुनः चुदने को तैयार है, इसका सन्देश दे रही थी।
फिर अनिल अपना हाथ मेरे चूतड़ों के नीचे डाल कर गाण्ड में ऊँगली डालने लगा और होंठ छोड़ कर स्तन चूसने लगा।
अब हालत यह थी कि अनिल और रमेश के कब्ज़े में एक एक जांघ और एक एक मम्मा था, रमेश के पास चूत थी तो अनिल चूतड़ों के नीचे हाथ डाल कर गाण्ड में ऊँगली पेल रहा था।
मैं तो मदहोश थी, मेरी आँखें बंद हो चुकी थी और मुँह से कामुक सिसकारियाँ निकल रही थी।
अनिल जब गाण्ड में ऊँगली ज्यादा पेल देता तब दर्द तो नहीं लेकिन चुभन हो जाती तो गाण्ड हिला कर मैं ऊँगली निकालने का असफल प्रयास करती।
लेकिन दो भूखे शेरों के बीच फंसी हिरनी जैसा हाल था मेरा ! फर्क यही था कि हिरनी को शेरो से ज्यादा आनन्द आ रहा था।
फिर मोर्चा रमेश ने संभाला और मेरी जांघों के बीच आ गया।
अब मेरी चूत उसके लण्ड के आगे थी उसने चूत के होंठों को फैला के अपना सुपारा चूत में रख कर धक्का मारा तो लण्ड गपाक से घुस गया।
मेरी गाण्ड से पु ऊऊ करके पाद निकल पड़ी तो अनिल बोला- जान, अब तुम्हारी चूत का आकार तो मेरे लण्ड का हो गया है, इसके लण्ड पर तो मत पादो !
मैं बस मुस्कुरा दी।
फिर रमेश मेरी चूत चोदने लगा।
अनिल सच ही बोल रहा था, रमेश का लण्ड आसानी से आ-जा रहा था, दर्द बिल्कुल नहीं हो रहा था और मैं गाण्ड उठा-उठा कर लण्ड खा रही थी।
पूरा कमरा आह आह्ह ऊह्ह उह की आवाज़ से गूंज रहा था।
अनिल गाण्ड सहला रहा था और चूचे चूस और मसल रहा था। उसकी उंगलियाँ मेरी चूत के होंठों का फैलाव भी चेक कर रही थी।
फिर उसने एक ऊँगली गाण्ड में डाल दी पूरी ! और आगे-पीछे करके ऊँगली से चोदने लगा।
अब अनिल का लण्ड भी फुफकारने लगा था, उसने उठ कर मेरे मुँह के पास अपना लण्ड कर दिया, खड़ा होने के बाद उसका लण्ड बहुत बड़ा हो गया था, मैं उसके सुपारे पर जीभ फेरने लगी तो मुझे भी अच्छा लगा और लण्ड और तमतमा गया।
फिर मैं सुपारा चाटने लगी और उसने मेरे मुँह में लण्ड डाल दिया। अब मेरी चूत और मुँह की चुदाई एक साथ होने लगी।
रमेश चूत का बाजा बजा रहा था तो आनिल मुँह में चोद रहा था। मुँह में जब ज्यादा अंदर लण्ड पेल देता तो मेरी साँस रुक जाती थी।
करीब आधे घंटे बाद मैं रमेश के लण्ड पर झड़ गई और उसके लण्ड को अपने काम-रस से नहला दिया।
रमेश को हटा कर अनिल मेरी चूत पर अपना मुँह लगा कर मेरा सारा रस पीने लगा और चूत को चूसने लगा।
मुझे असीम आनन्द आ रहा था।
रमेश उठ कर मेरे मुँह के पास आ गया और अपना मेरी चूत के रस से भीगा लण्ड मेरे मुँह के आगे कर दिया।
मैं उसके लण्ड के मोटे हिस्से को चाटने लगी तो उस पर मेरा और उसका मिश्रित रस बड़ा स्वादिष्ट लगा। फिर मैं उसे पूरा चूसने लगी तो वो जोश में भर गया और अपना माल मेरे मुँह में छोड़ने लगा। जब तक मैं उसका लण्ड मुँह से निकालती, तब तक ढेर सारा माल मुँह में भर गया और बाकी मेरे चेहरे और चूचियों पर गिरा।
मुँह वाला माल मैं निगल गई लेकिन लगा कि उलटी हो जाएगी परन्तु संभल गई। जो माल चूचियों और चेहरे पर गिरा, उसकी मालिश उसने कर दी।
आगे क्या हुआ?
आप लोगों के जबाब मिलने के बाद लिखूंगी।
आप सबकी दोस्त
पूनम
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