कातिल हसीना की हवस
प्रेषक : पवन कुमार
मेरा नाम पवन कुमार उम्र 18 साल है, मथुरा, उत्तर-प्रदेश का रहने वाला हूँ।
यह अन्तर्वासना पर मेरी पहली कहानी है। मुझे यह विश्वास है कि यह कहानी आप सभी को बहुत पसन्द आयेगी। पहली बार लिख रहा हूँ इसीलिये अनुभव की कमी है।
मैं अपने बारे में सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ कि भगवान ने जो कुछ दिया है एकदम शानदार दिया है।
यह एक महीने पहले की बात है जब मैं मथुरा से देहली गया था।
मैं आपको बताना चाहूँगा कि मुझे सेक्स के बारे में जानकारी काफ़ी पहले से थी परंतु किस्मत में अभी तक सेक्स नहीं था। इसीलिए अभी तक केवल इन्तज़ार किया।
पर अफसोस इस बात का है कि इन्तज़ार खत्म होने पर भी सिर्फ़ तन्हाई ही साथ रह गई।
रात का सुहाना समय था, 9 बज रहे थे, जैसे ही मैं रेल में सवार हुआ तो देखा कि मेरी सामने वाली सीट पर एक अत्यंत खूबसूरत हसीन लड़की बैठी थी।
उसके शरीर पर काली स्कर्ट ऐसी लग रही थी जैसे कोई अप्सरा हो। उसके गाल पर काला तिल तो इतना कातिल लग रहा था कि बूढ़े भी जवानी के लिए तरस उठें। मैं उसके ख्यालों में खो चुका था कि अचानक रेल का होर्न बजा तो मुझे लगा कि जैसे मैं किसी नींद से जगा हूँ।
मन तो किया कि सीधा उसके पास बैठ जाऊँ पर हिम्मत नहीं हुई इसीलिए उसके सामने वाली सीट पर बैठ गया।
रात के करीब 12 बज चुके थे सभी लोग सो चुके थे लेकिन मैं और वो दोनों जाग रहे थे।
तभी उसने मेरा मोबाइल माँगते हुऐ बात प्रारंभ की और पूछा- तुम कहाँ जा रहे हो?
मैंने कहा- मैं देहली जा रहा हूँ और तुम?
तो उसने जबाब दिया- मैं भी वहीं जा रही हूँ।
मैंने पूछा- क्या तुम्हें कोई जरूरी फोन करना है?
तो उसने कहा- नहीं नीद नहीं आ रही इसलिए म्यूजिक सुनना चाहती हूँ। मैं अपना मोबाइल घर पर भूल आई हूँ, क्या तुम अपना मोबाइल दोगे?
मैंने मोबाइल तो तुरंत दे दिया परंतु सोचने लगा कि वो सेक्सी फिल्में न देख ले। और दूसरे ही पल सोचने लगा कि देख भी ली तो क्या कह सकती है, कह दूँगा कि क्यों माँगा था, और यह भी तो हो सकता है कि शायद आज मेरी मन माँगी मुराद पूरी हो जाये।
थोड़ी देर बाद मैंने गौर किया कि वो सिसकारियाँ ले रही है, मैं तुरन्त सब समझ गया, मैंने पूछा- क्या तुम्हें ये सब पसंद है?
तो उसने बड़ी बेचैनी से कहा- क्या तुम मुझे इस प्रकार का मजा लेने का मौका दोगे?
मैं भी सोचने लगा कि मौके पर चौका मारना तो मुझे बहुत पसंद है परंतु हालात को देखते हुए मैंने कहा- यहाँ ये सब ठीक नहीं रहेगा।
वह भी अपने सेक्स पर केवल उंगली से और चूची मसल कर नियंत्रण करने लगी और मेरी बात मान ली और कहा- देहली में होटल में किराये का कमरा लेकर करेंगे।
हमने वैसा ही किया और होटल मे उसने मेरे साथ जो धाँसू सेक्स किया उसे मैं कभी नहीं भूल सकता ! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
जब हम होटल पहुँचे तो उस समय भी उस पर सेक्स का भूत पूरी तरह सवार था, वही हाल मेरा था। आप सब भी जानते हैं कि आखिर यह उम्र ही ऐसी है। होटल आते समय मैंने कोण्डोम का पैकेत ले लिया।
मेरा लंड आज पहली बार इतना ताकतवर दिख रहा था- साढ़े छः इन्च लम्बा और डेढ़ इन्च मोटा। आग दोनों ही तरफ लगी थी, सब्र का बाध टूट चुका था। वो तुरंत मुझ से ऐसे लिपट गई जैसे वो मेरे शरीर का ही एक हिस्सा हो।
मैंने तुरंत उसके नाजुक होंठों को चूमना शुरू कर दिया। फिर मैंने उसकी टॉप उतारी, ब्रा भी उतारी और उसके सफेद बड़े से बोबे देखकर मैं पागल हो गया जिन पर गुलाबी रंग के चुचूक उनकी शोभा बढ़ा रहे थे।
मैं उन्हें चूसने लगा पागलों की तरह ! उन्हीं में डूब गया ! वो अपने होंटों को चबा रही थी और मुँह से सिसकारियाँ निकाल रही थी। मैंने अपने दांत उसके चुचूक पर गड़ा दिए। वो ‘आ-आई’ करके चिल्लाई।
फिर मैंने अपनी शर्ट उतारी, पैंट भी उतारी, उसने अपनी स्कर्ट निकाली हम दोनों सिर्फ चड्डी में थे तो मैंने कहा- इसे क्यूँ पहने हुए हो अब तक?
मैंने उसकी और उसने मेरी चड्डी उतारी ! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
हम बिल्कुल नंगे खड़े थे। वो मेरे लंड को घूर रही थी और मैं उसकी काले बालों से ढकी चूत को देखकर पगला रहा था।
उसकी चूत ऐसी लग रही थी मानो काले बादल सफेद नदी पर छा रहे हों।
मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसके होंटों को चूसने लगा। उसकी सीत्कारें बढ़ने लगी। उसके बाद में मैंने समय न गंवाते हुए कोंडम निकाल कर पहन लिया, उसकी टाँगें ऊपर उठा कर लंड सही जगह रख कर मैंने उसका मुँह पूरा जीभ से भर कर जोर से एक धक्का मारा।
मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ता हुआ अंदर दाखिल हो गया और वो मुझसे छुटने की नाकाम कोशिश करती रही।
मैंने उसके बोबे बहुत सहलाए। थोड़ी देर बाद वो कमर उठाने लगी तो तभी मैंने उसका मुँह छोड़ा और आधा लंड अंदर-बाहर करने लगा और दूसरा जोरों का धक्का दिया।
उसका मुँह हाथ से बंद करके रखा था, उसके चुचूक रगड़ रहा था, चूस रहा था।
दो मिनट बाद मैं उसे दनादन चोदने लगा और वो मुँह से आह ! अहा ! ओर जोर से ! ओर जोर से ! कर रही थी। पन्द्रह-बीस मिनट की चुदाई के बाद मेरा छुटने वाला था। वो भी मुझे कसकर पकड़ने लगी। धप-धप की आवाजें गूंजने लगी।
हम दोनों झड़ने लगे और उस स्वर्ग से एहसास के धीरे-धीरे कम होते हुए हम निढाल होकर कुछ देर उसी अवस्था में पड़े रहे।
मैं उठा, उसकी चूत से निकला खून मेरे लंड और चादर पर था।
उसने वो चादर धो कर रख दी। हमने साथ मिलकर खाना खाया। फ़िर हमने आराम किया उसके बाद मुझे नींद लग गई और जब दो-तीन घंटे बाद आँख खुलीं तो खुद को अकेला पाया।
पास मे मेज पर एक खत पड़ा था, जिसमें लिखा हुआ था- मुझे माफ़ करना, परंतु मैं तुम्हारी नहीं हो सकती ! बहुत जल्दी मेरी शादी होने वाली है। इसलिये चुप-चाप जा रही हूँ। होटल का बिल मे दे कर जा रही हूँ और तुम्हारे लिये एक अँगूठी निशानी छोड़ रही हूँ।
उस लड़की की याद में मैंने एक शायरी लिखी जो इस प्रकार है !
“लाया हूँ मैं चावल, रगड़-रगड़ कर धोये !
जानम तेरी याद में हम, लंड पकड़ कर सोये !!”
आपको मेरी यह कथा कैसी लगी जरूर बताएँ।
प्रकाशित : 30 अगस्त 2013
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