कमाल की हसीना हूँ मैं-38

शहनाज़ खान 2013-05-30 Comments

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मैंने साँस ली ही थी कि एक बार फिर मुझे उसकी मुठ्ठियाँ अपनी गर्दन के पीछे बालों पर कसती महसूस हुईं और उसने गालियाँ देते हुए अपना लंड फिर एक ही झटके में मेरे हलक में ठाँस दिया। दो-तीन धक्कों में ही उसने पूरा लंड अंदर घुसा दिया।

मेरे होंठ अब उसके लंड की जड़ में चिपके थे और मेरी नाक उसकी झाँटों में धँसी हुई थी। फैल कर बाहर को निकली मेरी आँखों से आँसू बहने लगे थे लेकिन मैंने उसे रोकने की कोई कोशिश नहीं की।

इस दुर्दशा के बावजूद अपने पतन और नीचता का एहसास मेरी चुदास भड़का रहा था। मेरे जिस्म का पोर-पोर ऊपर वाले का शुक्रगुज़ार था कि मुझे एक नहीं बल्कि एक साथ दो-दो मुस्टंडे हब्शी लौड़े नसीब हुए।

मैं तो ऐसे मोटे-लंबे लौड़े को पूरा अपने मुँह में लेकर चूस पाने की काबिलियत पर ही मन ही मन इतरा रही थी। उसका लौड़ा अपने हलक में चूसते हुए साँसें रुकने से अगर मेरी जान भी निकल जाती तो मुझे गम ना होता।

मेरे गले से गोंगियाने की दबी-दबी आवाज़ें निकल रही थीं। माइक के बैल जैसे टट्टे मेरी थुड्डी पर चोटें मार रहे थे। दोनों काले हब्शियों के मुँह से लगातार मस्ती भरी आँहें और गालियाँ फूट रही थीं… “स्लट… फकिंग कॉक सकर ! यू हॉर्नी बिच ! सो फकिंग गुड !”

उनकी गालियाँ सुनकर मेरा जोश भी बढ़ता जा रहा था और अब मैं उस लंड की क्रीम चखने के लिये बेकरार होने लगी थी।

मुझे ज़्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ा और कुछ ही देर में माइक का जिस्म अकड़ता हुआ महसूस हुआ और उसने मेरे बाल खींचते हुए अपने चूतड़ पूरी ताकत से आगे ठेल दिये। उसका लौड़ा पत्थर की तरह सख्त होकर मेरे हलक में धँस कर धड़कने लगा।

फिर उसके लंड में से उसका वीर्य तूफानी दरिया की तरह उमड़-उमड़ कर मेरे हलक में बहने लगा। मैं भी पूरे जोश से उसका वीर्य पीने लगी। उसका वीर्य भी उसके लौड़े के नाप की तरह बेशुमार था। मैंने पहले कभी इतना सारा वीर्य नहीं पीया था। गाढ़ा वीर्य लगातार उसके लंड में से फूट रहा था और मैं उसका मुकाबला नहीं कर पा रही थी। उसका गाढ़ा वीर्य मेरे मुँह में इस कदर भर गया कि मेरे गाल फूल गये और मेरे होंठों से वीर्य बुदबुदाता हुआ बाहर निकलने लगा।

मैंने अपने एक हाथ को अपने मुँह के नीचे ले जाकर वो वीर्य अपने चुल्लू में भर लिया।

इस दौरान मैं ओरिजी को तो भूल ही गई थी लेकिन उसकी मस्ती भरी कराहें मेरे कानों में पड़ी तो मैंने देखा कि उसका लंड स्टील के रॉड की तरह सख्त था और उसका फूला हुआ काला सुपाड़ा बहुत ही भयानक लग रहा था।

उसकी हालत से मुझे ज़ाहिर हो गया कि उसका वीर्य भी छूटने को था। मुझे थोड़ी मायूसी हुई क्योंकि उस विशाल लौड़े को अपने मुँह में चूस कर उसका रसपान करने का मौका मेरे हाथ से निकल गया था।

अचानक बिना सोचे ही मैं चीख पड़ी, “नोऽऽऽ! डोंट कम… डोंट वेस्ट… ऑय वाँट टू ड्रिंक योर क्रीम ! ( अभी अपना माल मत गिराना, मैं तुम्हारी मलाई पीना चाहती हूँ।)

पता नहीं उसने पहले से ही सोच रखा था या मेरी गुहार सुनकर उसने ऐसा किया लेकिन अगले ही पल उसने मेरी कॉकटेल का आधा भरा लंबा गिलास उठा कर अपने लंड के आगे कर दिया और उसमें अपने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी।

मैं हैरत में थी कि ये दोनों इंसान थे या जानवर। इतना वीर्य किसी इंसान के टट्टों में कैसे हो सकता है।

वो गिलास कॉकटेल से सिर्फ आधा भरा था और अब उसके ऊपर बाकी गिलास ओरिजी के दही जैसे गाढ़े वीर्य से लबालब भर गया था और उसके लंड में से अभी भी वीर्य फूट रहा था।

“दिस बिच इज़ अमेज़िंग मैन ! शी इज़ सो क्रेज़ी फॉर कम!” मुझे मेरे चुल्लू में भरे वीर्य को जीभ से चाटते देख कर माइक हंसते हुए बोला। (यह अदभुत कुतिया है यार ! माल पीने के लिये कैसे पागल हो रही है?) यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

“टेक दिस गिलास… यू फिलथी स्लट एंड ड्रिंक दिस कॉकटेल!” ओरिजी ने वो गिलास मेरे आगे किया! (ले पकड़ चुदक्कड़ ! पी ले इस शराब मिली मलाई को !)

मैंने झपट कर वो गिलास अपने होंठों से लगा लिया और उसका माखनिया वीर्य पीने लगी। थोड़ा सा पीने के बाद मैंने दो उंगलियों से वो गाढ़ा वीर्य कॉकटेल के साथ मिलाया और फिर गटागट पी गई। ऐसा स्वाद और ऐसी लज़्ज़त कि मैं बयान नहीं कर सकती।

“लुक ऐट दैट! हर कंट इज़ लीकिंग लाइक ए टैप!” ओरिजी बोला तो मैंने नीचे देखा। (अरे देख ! इसकी फ़ुद्दी कैसे पानी बहा रही है !)

मेरी चूत से रस टपक-टपक कर मेरे सैंडलों के बीच में ज़मीन पर इकट्ठा हो गया था।

“यस ऑय एम ए होर… फक मी प्लीज़… राइट नॉव…!” मैंने उन दोनों के लौड़े हाथ में ले कर हिलाये जो अभी भी काफी सख्त थे। (हाँ , मैं राण्ड हूँ ! चोदो मुझे !)

मेरा सिर नशे और उत्तेजना में घूम रहा था और मैं उनसे चुदने के लिये बेकरार थी। चुदास से मैं पागल हुई जा रही थी।

“श्योर बेब! लैट अस गो टू मॉय रूम!” (जरूर जान ! चलो कमरे में !)

“ऑय एम टू ड्रंक टू वॉक! फक मी हिअर! नॉव… प्लीज़!” मैं गिड़गिड़ाने लगी और वहीं पसर गई। (मुझे चढ़ी हुई है, नहीं चल सकती, यहीं मसल दो मुझे !)

सच में मैं नशे में धुत्त थी और दो कदम चल पाने के भी काबिल नहीं थी।

“ऑय कैन पिक यू अप!” ओरिजी ने बड़ी आसानी से मुझे रबड़ की गुड़िया की तरह अपनी गोद में उठा लिया और वो दोनों मुझे लेकर अपने कमरे की ओर चल पड़े। ( अरे, मैं उठा कर ले जाता हूँ ना !)

हम तीनों ही मादरजात नंगे थे। मैंने अपनी बाँहें उसकी गर्दन में लपेटी हुई थीं।

मुझे कुछ भी होश नहीं था और मैं उसकी गोद में भी बड़बड़ाती जा रही थी, “फक मी… चोदो मुझे… जस्ट फक मी नॉव!”

मुझे अब अपनी ज़ुबान पर बस नहीं था और मैं इंगलिश और हिंदी दोनों ज़ुबानों में बोल रही थी। दोनों मेरी तड़प देख कर हँस रहे थे।

“जस्ट वेट बिच ! वी विल फक यू लाइक द स्लट यू आर!” (ठहर ना कुतिया, अभी तुझे राण्ड की तरह चोदते हैं !)

“वी विल फक यू ऑल नाइट… अन्टिल यू कैंट वॉक!” (सारी रात पेलेंगे तुझे ! सुबह को चल भी नहीं पाएगी !)

उनके फिकरे सुनकर मेरी आग और भड़क रही थी और मैं ओरिजी की गोद में छटपटाने लगी।

उनका कमरा ग्यारहवीं मंज़िल पर था। जब हम लिफ्ट में पहुँचे तो ओरिजी ने मुझे गोद से उतारा और माइक ने मुझे अपनी बाँहों में थाम लिया। ऊँची ऐड़ी के सैंडलों के बावजूद मैं उसकी छाती तक ही पहुँच पा रही थी। उसने मेरी कमर लिफ्ट की दीवार से चिपका दी और मेरे चूतड़ों को पकड़ कर दीवार के सहारे खूँटे की तरह मुझे उठा दिया और मुझे चूमने और सहलाने लगा।

मैंने भी मस्ती में अपनी टाँगें उसकी कमर पर कैंची की तरह कस दीं और उससे चिपक गई। जब लिफ्ट का दरवाज़ा खुला तो माइक मुझे वैसे ही उठाये हुए अपने कमरे तक ले गया।

कमरे में पहुँचते ही उसने मुझे बिस्तर पर पटक दिया। सिर्फ सैंडल पहने बिल्कुल नंगी मैं उनके बिस्तर पर टाँगें फैलाये चुदने के लिये तड़प रही थी।

अपनी भीगी चूत पर हाथ फिराते हुए मैंने फिर से गुहार की, “प्लीज़ फक मी नॉव! ऑय वांट योर कॉक्स! फक मी लाइक योर बिच!” ( अब तो चोदो मुझे अपनी कुतिया बना कर ! मुझे तुम्हारे लण्ड चाहियें !)

उनके भयानक हब्शी लौड़ों से चुदने की हवस में मैं इतनी गिर गई थी कि मैं गिड़गिड़ाते हुए उनसे चुदने की भीख माँग रही थी। मेरे अंदर कोई शर्म या गैरत नाम की चीज़ बाकी नहीं रह गई थी।

“लुक ऐट हर माइक! शी इज़ सो हंगरी फ़ोर आवर ब्लैक कॉक्स!” मेरी हालत पर ओरिज़ी हंसते हुए बोला। (अरे माइक देखो, हमारे काले लण्डों के लिए कैसे पागल हो रही है !)

“प्लीज़… ऑय विल डू एनीथिंग यू वांट! जस्ट फक मी!” मैं तड़पते हुए फिर से गिड़गिड़ाने लगी। ( कुछ भी करो, कैसे भी चोदो मुझे बस !)

एक गिलास पानी और दो अलग-अलग रंग की गोलियाँ मेरी तरफ बढ़ाते हुए माइक बोला, “ओके स्लट! टेक दीज़ टेबलेट्स… दैन ओनली यू विल बी एबल टू इम्जॉय एंड हैंडल दीज़ ग्रैंड कॉक्स!” (ये दो गोलियाँ खा ले ! तब तुम्हें हमारे बड़े लण्डों का पूरा मजा आयेगा।)

मैंने बे-हिचक वो दोनों गोलियाँ पानी के साथ निगल लीं! मैं नशे में चूर थी लेकिन इतना तो मैं समझ सकती थी कि ये कोई नशीली ड्रग की गोलियाँ हैं लेकिन उस समय तो उनके हलब्बी लौड़ों से चुदने के बदले में मैं ज़हर भी हंसते-हंसते पी जाती।

“गुड गर्ल ! नॉव गैट ऑन योर नीज़ एंड सक दीज़ बिग कॉक्स बैक टू लाइफ!” दोनों अपने लौड़े झुलाते हुए मुझे ललचाने लगे। ( अब अपने घुटनों पर आकर हमारे लण्डों को तैयार करो !)

हालांकि मेरी चूत इस समय उनके लौड़ों के लिये बिलबिला रही थी लेकिन मेरे पास कोई चारा नहीं था। उनके लौड़ों के लिये मैं बिस्तर से जैसे ही उतरी तो वहीं लुढ़क गई।

“ओहो !” वो दोनों हंसे तो मैं भी उनके साथ अपनी हालत पर खिलखिला कर हंस पड़ी।

एक तो बेहिसाब पी हुई शराब का नशा और साथ में पाँच इंच उँची ऐड़ी के सैंडल। नशीली गोलियों का भी असर होने लगा था शायद ।

हकीकत में तो अपनी हवस में मैं कितनी नीचे गिर गई थी लेकिन उस समय मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं बादलों में उड़ रही हूँ! सारा माहौल गुलाबी-गुलाबी सा महसूस हो रहा था।

मैं नागिन की तरह सरकते हुए उन दोनों के पास पहुँची और उनके लौड़ों को अपने हाथों लेकर सहलाने लगी। मेरे मुँह में फिर पानी भर आया और मैं बारी-बारी से उनके लौड़े चूसने और मुठियाने लगी।

कुछ ही देर में उनके लौड़े फौलाद की तरह सख्त हो गये और वो दोनों बेरहमी से बारी-बारी से मेरे हलक में अपने लौड़े ठूँसते हुए धक्के मार रहे थे।

” ऑय थिंक शी नीड्स टू बी फक्ड नॉव!” माइक बोला। (मेरे ख्याल से अब इसे चोद ही देना चाहिये !)

कहानी जारी रहेगी।

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