काम भी अपना- दाम भी अपने
मेरा नाम संदीप है। मैं वैसे तो जयपुर में नौकरी करता हूँ, पर आजकल एक कॉल-ब्वॉय का काम भी करता हूँ। ये काम मेरे शौक की वज़ह से मुझे मिला।
हुआ यूँ कि पहले-पहल जब मैं जयपुर आया तो यहाँ की हसीन लड़कियों को देख कर मैं पहले बहुत तड़पता था। मेरी बहुत इच्छा होती चूत की, पर कुछ कर नहीं पाता था। फ़िर मेरी दोस्ती एक लड़की से हुई और मैंने उसको बहुत अच्छे से संतुष्ट किया। फिर उसने मुझे अपनी दोस्तों से मिलवाया और फिर दोस्तों के दोस्तों से मिलते चले जाने का सिलसिला चलता ही रहा। कई बार तो कोई बदसूरत मिलती है, कभी बहुत ही मस्त ग्राहक मिल जाती है तो मज़ा आ जाता है।
मैं आपको अपना सच्चा अनुभव सुनाता हूँ जो मुझे हमेशा याद रहेगा। एक बार मेरी दोस्त ने कहा, “कुछ काम है।”
.मैंने पूछा – “बोल, क्या काम है?”
“मुझे कुछ पैसों की ज़रूरत है।” उसने बताया।
पर मेरे पास उस समय पैसे तो थे नहीं, और वह मेरी अच्छी दोस्त थी। तो मैंने कहा, “ठीक है, मैं कहीं से लाकर देता हूँ।”
तो उसने कहा, “किसी से लेने की ज़रूरत नहीं है, मैंने उसका भी इन्तज़ाम भी कर लिया है, बस तू मेरा एक काम कर दे।”
“तुम्हारे लिए तो जान भी हाज़िर है, तू बोल तो सही।”
“मेरी एक दोस्त है जो तुम्हें पैसे दे देगी, पर तुझे उसकी प्यास बुझानी पड़ेगी।
“ये भी कोई बात है, पैसे भी, मज़े भी। इसके लिए कौन मना करता है।”
“तो शाम को मेरे कमरे पर आ जाना।” उसने कहा।
मैं शाम को उसके कमरे पर गया। कुछ देर बाद ही उसके दरवाज़े पर किसी ने खटखटाया। मैं समझ गया कि मेरी ग्राहक आ गई है। मेरी दोस्त ने दरवाज़ा खोला तो सामने एक बला की ख़ूबसूरत लड़की खड़ी थी। उसे तो देखते ही मेरी लंड एकदम खड़ा हो गया। मैं मन-ही-मन सोचने लगा, क्या क़िस्मत है, ऐसे माल को तो कोई भी उल्टे पैसे देकर भी नहीं छोड़ेगा। फिर वो अन्दर आ गई। मेरी दोस्त ने कहा कि मुझे कुछ काम है, मैं एक-दो घंटे में आ जाऊँगी। तब तक तुम लोग अपना काम कर लो। कह कर वह कमरे से चली गई।
उसके जाते ही मैं उसके पास आ गया। उसने अपना नाम बताया, मैंने उससे पूछा कि उसे पैसे देकर सेक्स करने की क्या ज़रूरत है। उसे चोदने के लिए तो कोई भी तैयार हो जाएगा। तो उसने कहा कि आजकल की लड़की किसी पर भी भरोसा नहीं कर सकती। पता नहीं कौन कब अपनी ज़बान खोल दे। इसलिए तुम्हारी ज़रूरत पड़ी। प्रोफेशनल लोग ऐसा नहीं करते। मैंने नीमा (मेरी दोस्त) से इस बारे में पहले पक्की बात की है। मैंन कहा, ये तो सच है, इस बारे में तुम बेफ्रिक रहो।
फिर वह मेरा हाथ पकड़कर मुझे बेडरूम में ले गई। हम दोनों बेडरूम में थे, रंग एकदम सफेद, और फ़िगर तो गज़ब का था। उसने मेरे होठों पर किस किया। फिर मैंने उसकी कमीज़ उतार दी। उसकी चूचियाँ बड़े और मस्त थे, और ऊपर से झाँक कर शायद कह रहे थे, कि हमें भी आज़ाद कर दो। मैंने उसकी जीन्स भी खोल दी. अब वो ब्रा-पैन्टी में मेरे सामने खड़ी थी। उसने मेरे कपड़े भी उतारे और मेरे लंड से खेलने लगी। कभी वो मेरी गोलियाँ दबाती, कभी मेरे लंड को मुँह में लेती, फिर उसने मेरे लंड को चूसना चालू कर दिया। मैं तो आसमान में था। उसने १५ मिनट ऐसी ही मेरे लंड की चुसाई की। अब मैंने उसकी ब्रा खोल दी और उसके दूध जैसे रंग की चूचियाँ मेरे सामने थीं। उसकी गुलाबी-गुलाबी घुंडियाँ जैसे मुझे अपनी ओर खींच रहीं थीं, मैंने उसकी एक घुंडी को मुँह में लिया और दूसरी घुंडी को एक हाथ से मसलने लगा। उसे बहुत मज़ा आ रहा था. मैंने उसी बीच उसकी पैंटी भी उतार दी।
अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे। मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर लेट गया, पर उसकी निप्पल की चुसाई मैंने जारी रखी। उसे बड़ा मज़ा आ रहा था। उसने कहा, जान बहुत अच्छा लग रहा है। बहुत समय के बाद आज चुदाई का मौक़ा मिला है। ख़ूब जम कर चोदना। मैंने उसकी चूत में एक ऊँगली डाल कर आगे-पीछे करना शुरू किया तो वो तड़प उठी। मुझे लगा जैसे अब उँगली नहीं लंड डाल कर फाड़ दो।
फिर उसने कहा कि बस अब डाल दो, और सहन नहीं होता। मैंने उसकी दोनों टाँगें अपने कंधे पर रखीं और लंड को उसकी चूत से लगा गिया। बहुत गरम थी उसकी चूत… उसकी चूत में से चिकनाई निकल रही थी। मैंने एक धक्का मारा तो आधा लंड उसकी चूत में समा गया। उसके मुँह से स्स्स्स्सीईईई की आवाज़ निकल गई। बोली – थोड़ा धीरे !
फिर मैंने धीरे-धीरे धक्के मारना चालू किया। मैं तो बस ज़न्नत में था, उसकी कसी हुई चूत में अलग ही मज़ा था। मैं उसे चोदता जा रहा था और उसकी चूचियाँ भी चूस रहा था। फिर मैंने उसे कुतिया बनाकर के भी चोदा। वह लगभग १५ मिनटों में झड़ गई। उसके चूत की पानी के कारण अब फच्च-फच्च की आवाज़ें आ रहीं थीं।
मैंने उसे आधे घंटे चोदा और मैं भी झड़ गया, इस बीच वो दो बार झड़ गई थी। उसे आज बड़ा मज़ा आया था। मैंने कहा कि तो फिर मज़े ले लो। उसने कहा पर अभी तुम्हारी दुगुनी फ़ीस मेरे पास नहीं है। मैंने कहा, तुमसे फ़ीस की बात किसने की है, तुम जब चाहो, दे देना। बस तुम्हारा जब मन करे, मुझे बता देना। तुम्हारे जैसी लड़की से तो फ़ीस लेने का मन भी नहीं करता। मैंने उसे दोबारा चोदा।
थोड़ी देर बाद मेरी दोस्त आ गई। उसके जाने का समय हो गया। उसने मेरा मोबाईल नम्बर लिया, और बाद में मिलने का वादा करके चली गई।
What did you think of this story??
Comments