हुस्ना के बदन का आशिक़-2
प्रेषक : आशिक असलम
मैंने उन्हें कहा- मैं आपको चाहने लगा हूँ !
वो बोली- आशिक, मुझे दस साल बाद फिर एक प्यारा सा एहसास मिला है, मैं भी तुम्हें चाहने लगी हूँ पर हमारी उम्र का फासला कुछ ज्यादा है, बेहतर होगा कि तुम मुझे भूल जाओ, मैं भी तुम्हें भूलने की कोशिश करूँगी।
और इतना कहकर वो चली गई, मेरा दिल टूट गया, रात भर मैं सो नहीं सका सिर्फ हुस्ना के बारे में सोचता रहा !
अगले दिन बारात रवाना होनी थी, शाम हो चुकी थी, हुस्ना मुझे पूरा दिन दिखाई नहीं दी थी, मैंने अपनी अम्मी से पूछा- हुस्ना आंटी दिखाई नहीं दे रही?
तो अम्मी बोली- हुस्ना को बुखार है, वो आज बारात में नहीं आएगी !
मैंने उनके कमरे की तरफ देखा तो दरवाज़ा बंद था, शाम को सात बजे बारात शुरू हुई थी, मैं उदास मन से बारात के साथ साथ चल रहा था, बारात थोड़ी दूर थी, लगभग एक घंटे का समय लगा मुकाम तक पहुँचने में तभी मेरे पास एक अनजान नंबर से फोन आया। मैंने फोन उठाया तो हुस्ना की आवाज़ थी, वो बोली- आशिक, क्या तुम अभी घर वापस आ सकते हो? मुझे जरूरी काम है !
मैंने हाँ की और रिक्शा लेकर घर को निकल पड़ा और एक कजिन को कह दिया कि अम्मी या अब्बू मेरा पूछें तो कह देना कि मैं एक दोस्त को लेने गया हूँ।
मैं घर पहुँचा, हुस्ना का कमरा खुला ही था, अंदर गया तो देखा कि वो एक सोफे पे बैठी हैं, उन्होंने एक गाउन पहना हुआ था। मैं उनके पास गया और कहा- मुझे यहाँ अचानक क्यूँ बुलाया है? क्या कुछ जरूरी बात है?
वो बोली- आशिक मैंने तुम्हें यह बताने बुलाया है कि उम्र की वजह से हम साथ तो नहीं रह सकते पर हम एक दूसरे से मौका मिलने पर मिल तो सकते हैं न, मैं तुम्हें चाहने लगी हूँ और तुम्हें नहीं भुला सकती।
इतना कहकर वो मुझसे लिपट गई, मैंने भी हुस्ना को कस कर बाँहों में भर लिया, उसकी आँखों में आँसू थे।
मैंने कहा- क्यूँ इन आँसुओं से अपना खूबसूरत चेहरा ख़राब कर रही हो?
तो वो हंस पड़ी और मुझे पकड़कर चूमने लगी।
आह दोस्तो, क्या बताऊँ बिल्कुल मंझी हुई औरत की तरह चुम्बन कर रही थी, मुझे अपने होंठ इस अदा से खोल कर मुझे चूम रही थी कि मैं तो पागल हो उठा, मेरा लंड बेकाबू हो रहा था, अपनी जीभ को मेरे होंठों के ऊपर फेर रही थी।
उसने कहा- तुम सूट में काफी स्मार्ट लग रहे हो !
मैं बोला- तुम भी कुछ कम नहीं हो !
तो वो बोली- अच्छा क्या ख़ास बात है मुझमें?
तो मैं बोला- आप ऊपर से लेकर नीचे तक एक नायब हीरा हो ! आपके शौहर बहुत ही खुशनसीब थे जो आप उन्हें मिली।
वो हंसी और फिर शरमा कर बोली- क्या तुम भी मुझे अच्छी तरह देखना चाहते हो?
मैंने कहा- हाँ जान, मैं आपको निहारना चाहता हूँ !
उसने अपना गाउन उठा कर निकाल दिया अब वो सिर्फ ब्रा और पेंटी मैं थी, उसने वही ब्रा और पेंटी पहनी थी जो उसने मेरे साथ जाकर खरीदी थी, गोरे गोरे बदन पर काली काली ब्रा पेंटी ! मेरे ख्वाब से भी खूबसूरत लग रही थी वो ! मैं उन्हें देखता ही रह गया।
तभी उन्होंने हल्की सी खराश की और मैं होश में आया।
हुस्ना मेरे पास आई और मेरा हाथ पकड़कर अपने सीने पर रख दिया। क्या मस्त बूब्स थे ! इतने बड़े और जानदार बूब्स ! उनकी ब्रा उसके उरोजों से छोटी थी जिससे बूब्स थोड़े बाहर ही थे !
मैं जोर जोर से अपने हाथों से उनके चूचे दबा रहा था, वो भी मदहोश होने लगी, उन्होंने मेरा कोट उतारा, फिर मेरा शर्ट और फिर मेरी छाती पर बोसे करने लगी। वो बहुत ही एहसास के साथ मुझे चूम रही थी, वो जानती थी कि मर्द को क्या अच्छा लगता है !
फिर उसने मेरी पैंट उतार दी, मेरा लंड चड्डी में तना हुआ था, मेरी धड़कनें तेज़ होने लगी थी, मैं पहली बार ऐसा महसूस कर रहा था। उन्होंने अपना हाथ मेरे लंड पर फेरा तो मुझे मज़ा आने लगा, मैं उनका हाथ पकड़कर अपने लंड पर फिराने लगा।
उन्होंने पूछा- आशिक, कैसा लग रहा है?
तो मैं बोला- मैंने आज तक इतना अच्छा महसूस नहीं किया !
तो उन्होंने मुझे बेड पर लेटने को कहा। मैंने अपनी चड्डी उतारी और बेड पर लेट गया। वो मेरे पास आकर बैठ गई और मेरी जांघें चूमने लगी। मेरा लंड एकदम खड़ा हो चुका था।
उन्होंने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ा और धीरे धीरे लंड को मसलने लगी और दूसरे हाथ को जांघों पे फ़िराने लगी और फिर वो मेरे आंडों से खेलने लगी, वो धीरे धीरे दोनों आंडों को मुँह में भरने लगी फिर अपनी जीभ से मेरे लंड को लोलीपोप की तरह बाहर से चाटते हुए मेरे लण्ड के सुपारे तक पहुँची और ऊपर से चाटने लगी।
मैं अपने काबू में नहीं था।
फिर वो धीरे धीरे मेरे लंड को मुंह में भरने लगी, कभी मुंह में भरती तो कभी सुपारे को चाट रही थी। मैं मदहोश हो रहा था, मैंने कई दिनों से मुठ नहीं मारी थी इसलिए मुझे लगा कि मैं अब माल छोड़ने वाला हूँ लेकिन मैंने उनसे यह कहा नहीं क्यूंकि मैं चाहता था कि वो मेरा माल वो मुँह में ही लें जैसे मैं फिल्मों में देखता था।
वो बड़ी मस्ती से धीरे धीरे मेरा लंड चूस रही थी, मेरा शरीर अकड़ने लगा, उन्होंने मुझे थाम लिया, शायद उन्हें मालूम था कि मैं झड़ने वाला हूँ और वो भी यही चाहती थी इसलिए वो मेरा चूसती जा रही थी। मैंने उनका सिर पकड़ा और उसके मुँह में माल छोड़ दिया। उनका मुँह मेरे वीर्य से भर चुका था फिर भी वो मेरा लौड़ा चूसे जा रही थी, मेरी हालत अब ख़राब हो रही थी, वो बार बार अपने बालों को झटका दे रही थी, मुझे उनका ऐसा करना सेक्सी लग रहा था, वो मेरा माल निकलने बाद 5 मिनट तक मेरा लंड चूसती रही। वो किसी मंझी हुई औरत की तरह मेरा लंड चूस रही थी। उसके बाद उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह से निकाला और अपने होंठ अपनी जीभ से साफ़ करने लगी। मेरे लंड में फिर हलचल शुरू हो चुकी थी लेकिन अब मैं उनकी चूत चाटना चाहता था, मैंने उन्हें गले लगाया और किस करने लगा।
मैं अपने हाथ उनकी ब्रा तक ले गया और ब्रा के हुक खोलने लगा लेकिन ब्रा नई होने के कारण दिक्कत आ रही थी। वो मेरी परेशानी समझ चुकी थी, उन्होंने मेरा हाथ हटाया, अपने हाथ पीछे किये और ब्रा के हुक खोल कर ब्रा निकाल दी।
मेरा लंड उनके विशाल युअन कपोतों को देखकर सलामी देने लगा। क्या मस्त बोबे थे यारों ! एकदम मस्त और ऊपर से बड़े बड़े तने हुए, उन पर गुलाबी चुचूक, मैं उनके ऊपर के काले काले अंगूर चूसने लगा। धीरे धीरे वो मस्त होने लगी थी। कुछ देर चूचे चूसने के बाद मैं उनके पेट से होते हुए उनकी चूत तक जा पहुँचा, उनकी चूत को पेंटी के ऊपर से ही हाथ से रगड़ने लगा।
वो पागल हुए जा रही थी।
फिर मैंने उिनकी पेंटी खींची तो उसने अपनी गांड उठा दी और मैंने पूरी पेंटी खींच ली। उनकी चूत बहुत ही मस्त थी बिल्कुल अंग्रेजी चूत की तरह पिंक बोर्डर वाली लेकिन उस पर थोड़े बाल थे। मुझसे रहा नहीं गया, मैं उनकी चूत के बोर्डर पर किस करने लगा और जांघों को भी किस करने लगा। मैं उन्हें तड़पाना चाहता था इसलिए उसकी चूत के अंदर किस नहीं किया।
मैं उठना चाहता था लेकिन उन्होंने मेरा सिर पकड़ लिया और अपनी चूत पर दबा दिया। मैं समझ गया वो अब और नहीं सह सकती, उनकी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी, मैंने पूछा- जान, आप कितनी बार झड़ चुकी हो?
तो वो बोली- तीन बार !
और फिर बोली- जान प्लीज़, और मत तड़पाओ ! मैं बहुत सालों से नहीं चुदी हूँ ! अपनी जीभ मेरी चूत में घुसा दो और चाट लो मेरी चूत को !
मैंने अपनी जीभ उनकी चूत में डाल दी, मेरी जीभ जितनी अंदर जा सकती थी, मैंने डाल दी और उसे जीभ से चोदने लगा। उनकी चूत की महक बहुत ही शानदार थी, मैंने कहा- जान, इन झांटों को साफ़ मत करना ! मुझे अब तुम्हारी बालों वाली ही चूत चाहिए, मुझे तुम्हारी चूत की झांटों की पसीने की महक भा गई है !
वो बोली- ठीक है जान, तुम बोल रहे हो तो वैसा ही करूँगी, अब मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ !
मैं उठा और उनके होंठों को चूमने लगा, वो मेरा लंड मसलने लगी। मेरा लंड शवाब पर था। मैंने अपना लंड हुस्ना की चूत पर रखा हुस्ना सिसकारियाँ भरने लगी, वो बोली- प्लीज़ मेरे आशिक, अब डाल दो तुम्हारे लंड को मेरी प्यासी चूत में !
यह मेरा पहला सेक्स था तो मैं नादानी में बिना देखे ही डालने की कोशिश करता रहा लेकिन हुस्ना की चूत में नहीं घुसा पाया। फिर हुस्ना ने अपने हाथ से मेरे लंड को अपनी चूत के एकदम अंदर रखा और मैंने जोर से धक्का मारा तो मेरा लंड हुस्ना की चूत की दीवारें चीरता हुआ अंदर चला गया।
मैं जोर जोर से अनाड़ी की तरह धक्के मार रहा था तो हुस्ना ने कहा- जान, आराम से करो, धीरे धीरे अंदर बाहर करो !
मैं धीरे धीरे हुस्ना को चोदने लगा, वो भी मस्ती में आहें भर रही थी, मेरा पूरा साथ दे रही थी, कभी मेरी गांड को जोर देती तो कभी पीठ पर हाथ फेरती, बहुत ही मस्ती से चुदवा रही थी हुस्ना !
कुछ देर के बाद मैंने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ !
तो वो बोली- अभी मेरी चूत में नहीं निकलना, इसको मेरे मुंह में दे दो !
मैंने लंड उसकी चूत में निकालकर उनके मुँह में डाल दिया। वो मेरे लंड को चूसती रही, मैंने अपना वीर्य उसके मुँह में छोड़ दिया, उसने मेरा लंड चाट चाट कर साफ़ किया, मैं नहाने बाथरूम में चला गया।
फिर मैं कपड़े पहनकर फिर शादी में जाने के लिए तैयार हो गया, मैंने हुस्ना को गले लगाया और जल्दी वापस आने कह कर शादी में चला गया।
दोस्तो, उसके बाद क्या क्या हुआ, यह आपको आगे की कहानियों में बताऊंगा, आप मुझे यह जरूर बताना कि आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मैं आपके मेल का इंतज़ार करूंगा, शुक्रिया !
आपका अपना आशिक असलम
प्रकाशित : 10 जनवरी 2014
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