हसीन धोखा-1

बदनाम 2012-07-01 Comments

दोस्तो, यह कहानी मेरे एक दोस्त की जुबानी सुनाई जाएगी, इस कहानी से तीन किरदार हैं मैं रोहित, मेरा दोस्त शमीम और उसकी बीवी इशरत जो पुणे में रहते हैं।

अब कहानी शमीम की जुबानी…

पहले मैं आपको इशरत के बारे में कुछ बता दूँ।

इशरत 28 साल की औरत है, अभी हमारा कोई बच्चा नहीं है, उसकी फिगर 35-28-36 है, दूध सा उजला रंग, 5’4″ कद और कसा हुआ

बदन, खास तौर से उसके चूतड़ों की बनावट बहुत कामुक है.. जब साड़ी पहनती है तो कूल्हों के उभार अलग से ही दिखते हैं.. अच्छे अच्छे मर्दो का लंड खड़ा कर देने वाली मादक चाल… आह..!

चलिए अब कहानी सुनाता हूँ।

मैं ऑफ़िस में बैठ कर अपना रोज़ का काम कर रहा था कि तभी मुझे मेरी बीवी इशरत का फोन आया- हेलो !

इशरत इठलाकर- हेलो, जानू क्या कर रहे हो..?

मैं- ऑफ़िस में हूँ.. और क्या करूँगा, काम कर रहा हूँ।

इशरत- अम्म..आहह.. तुम्हारी बहुत याद आ रही है !

इशरत की कामुक आवाज़ सुनते ही मेरे लंड में हलचल होने लगी- इशरत क्या कर रही तो तुम, सच सच बताओ?

इशरत- आह.. आज नहा कर बाहर निकली तो खुद को शीशे में देखने लगी.. और देखते ही देखते अपना आप से खेल रही हूँ… आह ह..

पूरी गीली हो गई हूँ..

मैं- ओह.. मेरी छीनाल बीवी, कभी तो अपनी चूत को आराम दे, तेरी बातें सुन कर मैं भी गर्म हो रहा हूँ !

इशरत- बस दूर रहते हो, तो बड़े गर्म रहते हो, बिस्तर में आते ही सारी गर्मी छूमंतर हो जाती है..? सुनो ना, आज बहुत मन कर रहा है करने, प्लीज़ घर आ जाओ ना अभी !!!!

मैं- अरे मज़ाक मत करो इशरत, अभी तो सुबह के 10 बजे हैं, अभी नहीं आ सकता ! और वैसे भी अभी 3 दिन पहले ही तुम्हें खुश किया था… याद है या नहीं?

इशरत- क्या आप भी.. मैं कितनी बार बोलती हूँ, मुझे मर्दों की तरह चोदो, नोच खाओ मुझे.. आहह.. एम्म ! मत करो मुझ पर रहम !

लेकिन आपको तो बस मेरी चूत और गाण्ड से ही प्यार है, दिन रात सिर्फ़ चाटते रहते हो ! सिर्फ़ चाटते रहते हो.. म्‍म्म्मम.. मुंम्माआ… ओह…

मैं- इशरत.. क्क्या हुआ.. हेलो.. इशरत…!?!

इशरत- …आहह.. म्‍म्म्ममम… उफफफ…फफफ्फ़…

मुझे बहुत भारी साँसे लेनी की आवाज़ आ रही थी और साथ में इशरत की कामुक आह… म्‍म्म्मम

मैं- इशरत, सुन रही हो या नही.?

इशरत- म्‍म्म्मममम, रुक ऊ… उह… नहीं !

वो अभी भी हांफ रही थी..

और फोन कट गया।

मैं भी फटक से टायलेट में गया, इशरत को सोच सोच कर मुट्ठी मारने लगा.. और ढेर सारा वीर्य झाड़ कर आ गया।

करीब 2 बजे फिर से इशरत का फोन आया।

इशरत- जानू आप कब आओगे, मेरा दिल नहीं लग रहा.. मन कर रहा है कोई मुझे मसल कर चोदे, इतना चोदे कि खड़ी भी ना हो पाऊँ।

प्लीज़ जानू आ जाओ ना.. आ रुका नहीं जा रहा..

मैं- इशरत, आना बहुत मुश्किल है.. और वैसे भी तुम जैसी गरम औरत को हर रोज खुश कर पाना किसी बड़े ही मर्द का काम हो सकता है..मेरे बस की तो हो नहीं तुम…!!

इशरत- ठीक है, मैं जा रही हूँ किसी से चुदवाने ! फिर मत बोलना कि मैंने कुछ ग़लत किया !

मैं- हा हा, इतनी जल्दी भी क्या है, मेरे आने का तो इंतजार करो, फिर मेरे सामने चुदना किसी से भी.. हा हा !

इशरत मेरे इस मज़ाक से चिढ़ गई और फोन काट दिया।

शाम को मैं घर में घुसा तो एकदम सन्नाटा था हॉल में, लाइट्स ऑफ थी सारी !

यह सब मुझे कुछ अटपटा सा लग रहा था, हॉल से अंदर गया तभी मुझे अंदर से इशरत की दर्द भारी चीख़ सुनाई देने लगी, मैं भाग कर बेडरूम में गया और जैसे ही माने दरवाजा खोला, मेरे दिल की धड़कन वहीं रुक गई !

सामने मेरी बीवी दीवार के किनारे झुकी हुई खड़ी थी और ठीक उसके पीछे एक हैवान जैसी शख्सियत का आदमी उसे पीछे से चोद रहा था और इशरत उसकी चुंगल से निकलना चाह रही थी लेकिन वो बेरेहमी से उसे चोदे जा रहा था। इस वक़्त इशरत ने ऊपर बस एक ब्लाउज पहना हुआ था जिसके सारे बटन खुले हुए थे.. उसके दूध से सफेद चूचे बाहर निकले हुए थे और इस ज़ोरदार चुदाई के साथ ताल से ताल मिला कर हिल रहे थे..

उसके अलावा इशरत के शरीर पर नीचे पेटिकोट था, जो उस आदमी ने पीछे से उठा रखा था।

इशरत की गोरी गोरी मुलायम टाँगें, मांसल जाँघें और गोल गोल चूतड़ का क्या नज़ारा दिख रहा था..

और पीछे से उस आदमी का लंड इशरत की गाण्ड की दरार की बीच से होता होता हुआ चूत में घचागच घुसे जा रहा था..

फ़च फ़च की आवाज़ से कमरा गूँज रहा था।

सच बताऊँ तो यह नज़ारा देख और इशरत की कामुक चीखें सुन मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया लेकिन फिर जब महसूस हुआ कि यह मेरी बीवी है..

एक पल तो मुझे बहुत तेज़ गुस्सा आया और जैसी ही मैं उस आदमी को मारने के लिए आगे बढ़ने लगा…

कहानी अगले भाग में समाप्त होगी !

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