गोआ में खुशी मिली

प्रेषक : राकेश पाण्डे

हाय दोस्तो, मेरा नाम रोहित है और मैं 35 साल का अविवाहित हूँ मगर मेरी सेहत बहुत ही अच्छी है और मैं दिखने में भी ठीकठाक हूँ। शायद अविवाहित होने का ही यह एक फ़ायदा है। मैं इस समय गोआ में एक थ्री स्टार होटेल में मैनेजर के पद पर काम कर रहा हूँ।

मैं आपको एक सच्ची आपबीती सुनाता हूँ। मेरे होटेल में मुम्बई से एक सात लोगों के ग्रुप की बुकिंग थी जिसमें चार लड़कियाँ और तीन लड़के थे यानि के तीन जोड़े शादीशुदा थे और एक अकेली थी, उसके साथ कोई नहीं था। उनके चार कमरे बुक थे।

मैंने उन चारों कमरों में उन्हें चेक-इन करवा दिया और अपने काम में लग गया।

दोस्तो, लोग गोआ में मस्ती करने आते हैं और मेरा काम है कि होटल में किसी मेहमान को कोई तकलीफ़ ना हो।

मैं यों ही होटल में राऊन्ड मार कर देख़ रहा था कि सब अपना काम ठीक से कर रहे हैं या नहीं कि तभी मैंने देखा कि वो लड़की जो उस ग्रुप के साथ थी, वो स्वीमिंग पूल के एक तरफ़ खड़ी अपने दोस्तों को मजे करते हुए गुमसुम सी देख रही थी।

मैं यों ही उसके पास गया और उसे गुड मोर्निंग बोल कर उससे पूछा- आपको होटल में कोइ असुविधा तो नहीं है?

तो उसने कोई जवाब नहीं दिया।

तो मैंने कहा- मैडम, मैं इस होटल का मैनेजर हूँ, मेरा नाम रोहित है, अगर आप को किसी भी तरह की कोई परेशानी हो तो मुझे जरूर बोलें, मुझे आपकी मदद करने में बहुत खुशी होगी।

उसने मेरी तरफ़ एकदम से देखा और बोली- ठीक है, मेरे पति को यहाँ ला दो ताकि मैं भी मजे कर सकूँ।

और रोते हुए वो अपने कमरे की तरफ़ चली गई।

मैं उसकी तरफ़ देखता ही रह गया कि मैंने कुछ गलत तो नहीं कह दिया। बाद में उनके ग्रुप के लोगों से पता चला कि उसका नाम सोनल (काल्पनिक नाम) है वो एक विधवा है और उसके पति को गुजरे एक साल और कुछ महीने ही हुए हैं।

मुझे बहुत बुरा लगा क्योंकि उसकी उम्र 30-32 साल होगी और देखने में भी खूबसूरत थी। मैंने ऊपर वाले को बहुत गाली दी और अपने काम में लग गया।

दूसरे दिन वो मुझे होटल के रेस्तराँ में मिल गई, वह नाश्ता कर रही थी। मैंने उसे दूर से ही स्माइल दी और नजदीक जाकर पूछा- आप अकेली नाश्ता कर रही हैं, आपके सभी दोस्त कहाँ गये?

तो उसने बताया कि सब “कलनगुट बीच” पर गये हैं पर मैं नहीं गई।

मैंने कहा- आपको जाना चाहिये था।

तो उसने कहा- मुझे अच्छा नहीं लग रहा था, इसलिये नहीं गई।

मैंने बोला- आपको खुश रहना चाहिए और आप जब तक गोआ में हैं उसमें जितना हो सके, खुश रहने की कोशिश करनी चाहिये। किसी की याद में दुखी होने के बजाय जो साथ है उनके साथ खुश रहो और याद रखो कि यह दुनिया बहुत खूबसूरत है।

और मैं वहाँ से चला आया, मैंने सोचा कि अगर मैंने कुछ ज्यादा बोला तो कहीं वो फिर ना रोने लगे।

शाम को मेरी छुट्टी थी, मैंने नाईट मार्केट (ग़ोआ का नाईट में लगने वाला बाजार जिसमें ज्यादातर विदेशी जाते हैं) जाने की योजना बनाई क्योंकि मुझे वहाँ बहुत मजा आता है।

मैं बाईक से निकल ही रहा था कि सोनल मेरे सामने आ गई और पूछा- कहीं जा रहे हो?

तो मैंने उसे बताया कि मैं कहाँ जा रहा हूँ।

तो उसने पूछ लिया- क्या मैं भी साथ चल सकती हूँ?

मैंने कहा- क्यों नहीं !

और उसे बोला- रुको, मैं कार निकाल लेता हूँ।

तो उसने मना किया और कहा- बाइक पर चलेंगे तो पेट्रोल भी बचेगा और पार्किंग की भी समस्या नहीं होगी !

मैंने कहा- ठीक है, चलो !

तो उसने जल्दी से अपने दोस्तों को जाकर बताया कि वो मेरे साथ जा रही है। उन लोगों ने भी कोई आपत्ति नहीं की और बोले- ठीक है।

सोनल ने कपड़े बदले, नीली जीन्स और गुलाबी टीशर्ट पहन ली।

क्या लग रही थी वो ! मैं कह नही सकता।

सोनल बाहर आकर मेरे बाइक के पीछे बैठ गई।

बाईक मैं आराम से चला रहा था और सोनल को गोआ के टूरिस्ट-स्पाट्स के बारे में बता रहा था। वो भी रुचि ले रही थी मेरी बातों में ! और मैं भी खुश था कि चलो एक सुन्दर औरत की कम्पनी मिल रही थी।

मार्केट जाकर मैंने उसे पूरा मार्केट दिखाया, वो हैरान रह गई कि विदेशी इतने कम कपड़े कैसे पहनते हैं।

मैंने सोनल से पूछा- क्या ड्रिन्क लोगी?

तो पहले तो ना कहा पर बाद में उसने अपने लिये बीयर ली और मैंने भी साथ देने के लिये बीयर ही ली।

बाद में मैं वहाँ से उसे टिटो क्लब में ले गया और उसके साथ बीयर पीते हुए डान्स किया।

रात के दो बज रहे थे, वो वापस जाना चाह रही थी। मैंने कहा- ठीक है, चलो।

शायद सोनल ने बीयर ज्यादा पी ली थी। मैंने उसे बेमतलब छूने की कोई कोशिश नहीं की थी, शायद वो इसी वजह से मेरे साथ इतनी कम्फ़रटेबल थी। रास्ते में ज्यादा बात तो नहीं की पर उसने मेरे पीठ पर अपना पूरा शरीर चिपका दिया। तो मेरी हालत खराब होने लगी।

किसी तरह हम होटल पहुँचे और उसे मैं उसके कमरे तक ले गया। जैसे ही मैं उसे बिस्तर पर लिटा कर जाने लगा, सोनल मेरे गले में अपने हाथ डाल कर बोली- तुम बहुत अच्छे हो !

और मुझे चूम लिया। तब तक तो मैं कन्ट्रोल में था और वैसे भी ऐसे काम में कभी किसी की मजबूरी का फ़ायदा नहीं उठाना चाहिये। मुझे लगा कि शायद वो नशे में है तो मैं बाहर जाने लगा तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और पूछा- क्या मैं तुम्हें अच्छी नहीं लगती?

तो मैंने कहा- नहीं, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो !

तो उसने कहा- तुम मुझे खुश होने का मौका क्यों नहीं देते? तुमने ही तो कहा था कि हमेशा खुश रहना चाहिये ! तो मुझे खुश क्यों नहीं करते?

वो मेरी तरफ़ देखने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।

अब मेरी बारी थी, मैंने प्यार से उसके ओठों पर अपने ओंठ रखे और उसे चूमने लगा, वो मेरा साथ देने लगी। उसकी बेताबी बता रही थी कि वो प्यार की भूखी थी।

मैं अपने ओठों की प्यास बुझाते हुए सोनल के शरीर पर अपना हाथ फिराने लगा। तब वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और पता ही नहीं चला कि कब हमारे शरीर के सारे कपड़े हमसे अलग हो गये। अब उसका स्तन मेरे मुँह में था और मैं उन्हें एक एक करके चूस रहा था।

वो एकदम से बेचैन हो गई मगर मैंने अपना काम चालू रखा और धीरे-धीरे मैंने अपनी जीभ का कमाल दिखाया और उसकी दोनों टाँगों के बीच के फ़ूल को मैंने बड़ी ही कोमलता से चूसने लगा।

सोनल के मुंह से अजीब-अजीब सी आवाज आने लगी- चूसो ! और चूसो ! रुकना मत प्लीज़ ! और और और आह आह आह !

और अचानक उसने मेरा सर अपनी जांघों के बीच कस कर दबा लिया। मैं समझ गया कि अब वो झड़ने वाली है और वो झड़ गई।

सोनल ने तब कहीं जाकर मेरा सर छोड़ा। उसने मेरा चुम्बन लिया और हम एक दूसरे की गोद में आराम करने लगे।

थोड़ी देर बाद मैं अपने कमरे में गया और कोन्डम का एक पैकेट ले आया, फ़िर हम एक दूसरे को अब हराने के खेल में लग गये।

मैंने कोन्डम पहन लिया था, मैं सोनल के ऊपर था उसकी प्यास बुझाने को एकदम तैयार !

मैंने अपना हथियार निकाला और उसकी चूत पर रख कर रगड़ने लगा। उससे रहा नहीं गया तो सोनल ने कहा- अब चोदो भी ! और इन्तजार मत करवाओ।

उसकी बात को मानते हुए मैं धीरे धीरे अपना लण्ड अन्दर दबाने लगा अन्दर जाते ही उसने मुझे कस कर पकड़ लिया। सायद वो पूरा मजा चूस लेना चाहती थी। किसी तरह मैंने उसकी पकड़ ढीली की और धीरे धीरे अपनी कमर हिलाने लगा।

सोनल भी अब अपना कमर हिला हिला कर मेरा साथ देने लगी। थोड़ी देर बाद मैंने सोनल के कहने पर आसन बदला, अब सोनल ऊपर थी और मैं नीचे !

तब सोनल ने जो घुड़सवारी की उसको मैं शब्दों में ब्यान नहीं कर सकता।

हम दोनों लगभग एक साथ झड़े। सोनल मेरी बाहों में थी और उसके चेहरे पर पूरी सन्तुष्टि थी।

थोड़ी देर में वो सो गई तो मैं उठा और अपने कमरे में चला आया।

सुबह के छः बज रहे थे इसलिये मैं नहा कर अपने डयूटी पर जाकर खड़ा हो गया और उनके दोस्तो को बोल दिया कि वो अभी अभी सोई है तो किसी ने डिस्टर्ब नहीं किया।

सोनल थोड़ी देर तक सोती रही और उसी दिन उनके ग्रुप का मुम्बई लौटने की योजना थी तो मैंने आधे दिन की छुट्टी ली और सोनल और उसके ग्रुप को थोड़ी-बहुत शॉपिंग करा दी।

शाम को वो होटल से अपना सामान लेकर जब चले तो मैंने देखा कि सोनल का चेहरा रोने वाला हो रहा था तो मैंने बड़ी ही अदा से कहा- मैडम, मैं इस होटल का मैनेजर हूँ, मेरा नाम रोहित है, अगर आपको किसी भी तरह की कोई परेशानी हो तो मुझे जरूर बोलें, मुझे आपको खुश रखने की कोशिश करने में बहुत खुशी होगी।

इतना कहना था कि सोनल हंस पड़ी।

सोनल आज भी मुझे फ़ोन करती है और मैं उसे खुश रखने की कोशिश करता हूँ।

दोस्तो, यह कहानी असली है या नकली यह आपको सोचना है। आप सभी से अनुरोध है कि मुझे मेल जरूर करें।

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