रास्ते में मिली एक हसीना-2
लेखक : जय कुमार
मैं कहने लगा- वन्दना, मुझे बहुत भूख लगी है !
वन्दना ने कहा- हाँ क्यो नहीं ! अभी दो मिनट में खाना लगाती हूँ।
और फिर हम दोनो ने बैठकर खाना खाया।
खाने खाने के बाद मैंने कहा- वन्दना जी आप इस घर में अकेली ही रहती हैं या फिर साथ में और भी कोई रहता है?
वन्दना ने कहा- जय आप मुझे वन्दना ही कहो। चलो बेडरूम में चलते हैं !
हम दोनों वन्दना के बेडरूम चले गये, बेड पर बैठकर बातें करने लगे।
वन्दना ने कहा- जय मैं जिन्दगी मैं बिल्कुल अकेली हो गई हूँ, जब से शादी हुई है पहले तो पति साथ रहता था, हम दोनों बहुत ही खुश थे, पर धीरे-2 सब कुछ इतना बदल गया कि मैं आपको क्या बताऊँ !
यह कहकर वन्दना रोने लगी। मैंने वन्दना से कहा- जो भी कुछ हुआ, उसमें आपका क्या कसूर है ! जो भी होना था, वो हो गया, आपके पति घर आते तो होगें?
तो कहने लगी- हाँ, 15-20 दिन में आता हैं और एक दो दिन रहकर चला जाता है। मेरे साथ जब तक रहता है, बहुत खुश रहता है और मुझे भी हर खुशी देता है। पर हमारे बच्चा ना होने की वजह से थोड़ा दुखी रहता है और कहता है कि शायद हमारे नसीब में भगवान ने सारी खुशी नहीं लिखी है।
मैंने कहा- वन्दना इसमें दुखी होने की क्या बात है, 5 साल आपकी शादी को हुए हैं, फिर इतनी जल्दी से आप लोग घबरा गये, मैं आज आपको अपनी तरफ से वादा करता हूँ कि आपके घर की खुशियों को दोबारा से वापस लाने में आपकी अपनी तरफ से पूरी-पूरी कोशिश करुँगा।
और इतना कहकर मैंने वन्दना को बाहों में भर लिया और मैं अपना हाथ वन्दना की पीठ पर चलाने लगा। वन्दना भी मेरा साथ देने लगी। मैंने अपने होंठ वन्दना के होठों पर रख दिये तो वन्दना ने सहयोग करते हुए मुझे भी बाहों मे भर लिया और हम दोनों एक दूसरे के शरीर से खेलने लगे। उसके बाद मैं वन्दना की चूचियों को ऊपर से ही दबाने लगा। वन्दना की गोल गोल चूचियों को मसलता रहा। फिर मैंने वन्दना की साड़ी उसके बदन से अलग की और वन्दना अब केवल काले पेटीकोट और ब्लाउज में मेरे सामने थी।
मैंने वन्दना की फीगर के बारे में तो बताया ही नहीं। वन्दना की फीगर 23-28-34 रंग साफ और लम्बाई 5 फीट 4 इंच और वजन 45-48 किलो होगा और उम्र 29 साल, दिखने में काफी अच्छी लगती थी, किसी का भी दिल वन्दना पर पहली ही नजर में आ जाये।
उसके बाद मैंने वन्दना का ब्लाउज भी उतार दिया और अब वन्दना केवल काली ब्रा और काले पेटीकोट में रह गई। मैंने उसके बाद वन्दना का पेटीकोट और ब्रा भी उतार दी। वन्दना अब केवल पैन्टी में मेरे सामने खड़ी थी।
वन्दना ने कहा- जय, आपने मेरे तो कपड़े एक एक करके उतार दिये, लाओ, मैं आपके कपड़े उतार देती हूँ।
और वन्दना ने मेरे शरीर से सारे कपड़े उतार कर अलग कर दिये। मैं अब वन्दना के सामने बिल्कुल नंगा खड़ा था। मैंने वन्दना को बिस्तर पर लिटाया और उसके होंठों को चूसने लगा। वन्दना ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और हम दोनों एक दूसरे को काफी देर तक चूमते रहे।
8-10 मिनट के बाद मैं वन्दना की चूचियों को दोनों हाथों से दबाने और मसलने लगा। वन्दना की चूचियाँ थोड़ी सख्त होने लगी। 3-4 मिनट तक दबाने के बाद मैं वन्दना के एक चुचूक को मुँह में लेकर चूसने लगा और एक हाथ से वन्दना की एक चूची को दबाने लगा। वन्दना के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। मैं कभी एक चूची को मुँह से चूसता तो कभी दूसरी को !
8-10 मिनट तक मैं ऐसे ही चूसता तो कभी मसलता और वन्दना परम आन्न्द में गोते लगा रही थी। फिर मैं वन्दना की चूचियों को छोड़कर वन्दना के पेट पर हाथ फिराने लगा और धीरे धीरे अपना हाथ नीचे ले जाने लगा। फिर मैं वन्दना की पैन्टी उतराने लगा और वन्दना ने भी मेरा साथ देते हुए अपने चूतडों को ऊपर उठा दिया। मैंने पैन्टी को उतार कर एक तरफ फ़ेंक दिया और वन्दना की क्लीन शेव की हुई चूत पर हाथ फेरने लगा। वन्दना के शरीर में जैसे कोई करंट लगा हो और मेरे हाथ फेरने से वन्दना का शरीर अकड़ने लगा, आँखें भी बन्द होने लगी। वन्दना चूत में से सफेद सफेद पानी निकलने लगा और वन्दना झड़ गई।
मैंने वन्दना की चूत को अपनी अँगुलियों से खोला और अपनी जीभ वन्दना की चूत पर चलाने लगा तो वन्दना के शरीर में उत्तेजना होने लगी। मैं अपनी जीभ को वन्दना की चूत में अन्दर तक डाल कर चोदने लगा तो वन्दना की उत्तेजना बहुत ही ज्यादा बढ़ गई और वन्दना ने मेरा लन्ड अपने मुँह में डाल लिया और मुँह से मेरे लन्ड से खेलने लगी। मेरा लन्ड लोहे की छड़ की तरह से अकड़ गया। वन्दना भी मेरे लन्ड को अपने मुँह से चोदने लगी लेकिन कुछ ही देर के बाद वन्दना ने मेरे लन्ड को मुँह से निकालकर मुझे अपने से अलग किया, मेरे ऊपर सवार हो गई, मेरे लन्ड को अपनी चूत पर रखा और चूत तो वन्दना की गीली थी ही, वन्दना ने ऊपर से एक ऐसा धक्का मारा कि एक ही बार लन्ड पूरा अन्दर पहुँच गया। वन्दना को कुछ भी नहीं हुआ।
बस फिर क्या था वन्दना के धक्कों की रफ्तार बढ़ने लगी और मेरे मुँह से भी सिसकारियाँ निकलने लगी। मैं भी मजे में बड़बड़ाने लगा और वन्दना और जोर से जोर से आ आ आ ईईईईईईईइ आइऐइ आऐ ऐअ करने लगी!
मुझे पूरा मजा देना वन्दना के बस की बात नहीं थी, थोड़ी ही देर 5-7 मिनट में वो झड़ गई और बोली- अब आप मेरे ऊपर आ जाओ !
तो मैं कहाँ रुकने वाला था, मैंने वन्दना को नीचे डाला और अपना लन्ड वन्दना की चूत पर रखा और एक ही बार में पूरा का पूरा अन्दर तक डाल दिया। वन्दना ने उफ तक नहीं की और मैं भी वन्दना की चूत में जबरदस्त धक्के पे धक्के लगाने लगा।
वन्दना कहने लगी- जय, और जोर से ! जोर आ आ म्म्म्म म एम अम मेमेमे मेए आ अ अ !
पता नहीं क्या क्या कहने लगी। फिर मैंने कहा- वन्दना जी आप बिस्तर से नीचे आ जाओ।
वन्दना अपने दोनों हाथ बिस्तर पर रख कर झुक गई और मैंने अपना लन्ड वन्दना की चूत में पीछे से डाल दिया। पहले धक्के धीरे-धीरे से मारने शुरु किये तो वन्दना को भी मजा आने लगा, फिर मैंने अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ानी शुरु कर दी। वन्दना अपने मजे से मदहोश होने लगी और पता ही नहीं क्या-क्या बड़बड़ाने लगी। मुझे मजा तो आ रहा था पर पता ही नहीं मैं चरम सीमा तक नहीं पहुँच पा रहा था।
वन्दना अपने मजे में पूरी मदहोश होती जा रही थी और एक ही झटके मे वन्दना की आवाज तेज हुई और वन्दना की चूत और मेरे लन्ड ने एक साथ पानी छोड़ दिया। उसके बाद हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे।
3-4 मिनट के बाद वन्दना मेरे लन्ड पर फिर हाथ फेरने लगी और कुछ ही देर के बाद मुँह से चूसने लगी तो मेरा लन्ड फिर से खड़ा होने लगा।
मैंने कहा- वन्दना, अब क्या विचार है ?
तो वन्दना बोली- जय, आप चुदाई करने में तो माहिर हो ! मैं तो आज सन्तुष्ट हो गई ! काफी दिनों के बाद इतनी सन्तुष्टि मुझे मिली है।
मैंने कहा- वन्दना, अब मैं चलता हूँ !
वन्दना कहने लगी- नहीं जय ! एक बार और हो जाये, फिर चले जाना।
मैंने कहा- हाँ ठीक है पर अबकी बार मैं आपकी पिछ्ली लूँगा !
तो वन्दना ने कहा- जय, तुमको मेरी अगली में मजा नहीं आया क्या ?
मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं वन्दना जी ! मुझे आपकी पिछ्ली बहुत ही अच्छी लग रही है ! वैसे आपकी मर्जी, आप जैसा कहेंगी, मुझे तो वही करना पड़ेगा। बोलो वन्दना जी!
मैंने जैसे दबी सी जुबान में कहा- बोलो वन्दना, मुझे क्या करना है?
तो वन्दना ने कहा- जय, ऐसे अपना दिल छोटा नहीं करते ! आपको जो भी आपको चाहिए, वो कर लो ! मुझे कोई एतराज नहीं !
तो मैंने कहा- वन्दना जी कोई क्रीम है?
वन्दना ने कहा- हाँ, मैं अभी लाकर देती हूँ !
वन्दना ने क्रीम लाकर मुझे दी, मैंने अच्छी तरह से अपने लन्ड और वन्दना की गान्ड पर क्रीम लगाई, उसके बाद मैंने वन्दना को कहा- वन्दना जी आप बिस्तर से नीचे आ जाओ !
वन्दना अपने दोनों हाथ बिस्तर पर रख कर झुक गई और मैंने अपना लन्ड वन्दना की गाण्ड पर रख कर जोर से धक्का मरा। मेरा आधा से ज्यादा लन्ड वन्दना की गान्ड में पहुँच गया। वन्दना थोड़ी कसमसाई पर ज्यादा कुछ नहीं बोली।
फिर मैं अपने लन्ड को वहीं पर आगे पीछे करने लगा और थोड़ी सी देर के बाद में मैंने एक जोर से धक्का मारा और मेरा लन्ड पूरा का पूरा वन्दना की गान्ड में पहुँच गया जड़ तक। वन्दना को थोड़ा दर्द हुआ पर ज्यादा नहीं !
मैंने वन्दना से कहा- दर्द तो नहीं हो रहा?
वन्दना बोली- जय, आप अपना काम करते रहो ! मुझे कोई परेशानी नहीं हैं !
और मैंने पहले धीरे धीरे से धक्के लगाने शुरू किये और फिर रफ्तार तेज कर दी। वन्दना भी आ ईईईईइ आआईइआई एएइएइएऐइदिदिदल्ल् ग्ग्ग्गएएए करके मेरा पूरा साथ देती रही।
जैसे ही मेरा छुटने को हुआ तो मैंने कहा- वन्दना मेरा निकलने वाला है, कहाँ निकालूँ?
वन्दना ने कहा- जय ! आप मेरी ही चूत में छोड़ना !
मैंने कहा- ठीक है वन्दना जी आप बिस्तर पर चलो।
वन्दना बिस्तर पर लेट गई और मैंने वन्दना की दोनों टांगों को ऊपर उठा कर अपनी कमर के ऊपर रखा और जोर से धक्का मारा। पूरा लन्ड वन्दना की चूत में ऐसा गया कि पता ही नहीं चला। मैं भी जोर जोर से धक्के लगाने लगा और वन्दना भी मेरा पूरा उत्साह बढ़ाने लगी। उसने अपनी दोनों टांगों को मेरी कमर पर कस लिया और अपने मुँह से सिसकारियाँ निकालने लगी- जय ओ जय आ आ एए ए ए अ अएए ई इ ईईईईईई इआएएआअ एएएएए ! पता ही नहीं क्या-क्या बड़बड़ाने लगी।
3-4 मिनट में ही मैं भी वन्दना की चूत में झड़ गया और वन्दना के ही उपर लेट गया। 6-7 मिनट के बाद मैंने वन्दना से कहा- वन्दना जी, मैं अब चलता हूँ ! आप सन्तुष्ट हैं या नहीं?
वन्दना ने कहा- जय, आपने क्या बात कर दी ! आपने तो मुझे जन्नत की सैर करा दी ! और मुझे क्या चाहिए था।
वन्दना जी मेरी फीस दो और मैं निकलता हूँ !
वन्दना ने मेरी फीस दी और मैं अपने घर चला आया।
उसके दो दिन बाद फिर वन्दना का फोन आया, कहने लगी- जय, अब कब आ रहे हो ?
मैंने कहा- वन्दना जी, जब आप बुलाओ, मैं हाजिर हो जाऊँगा।
तो कहने लगी- आज शाम को ?
मैंने कहा- नहीं कल !
तो वन्दना कहने लगी- नहीं, आज ही !
तो मैंने कहा- ठीक हैं पर रात को 2 बजे !
तो वन्दना ने कहा- नहीं !
मैंने कहा- आज मेरी शिफ्ट बदल गई है, इससे पहले मैं नहीं आ सकता।
तो कहने लगी- मैं आपक इन्तज़ार करूँगी, आप जरूर आना !
मैंने कहा- हाँ मैं समय से पहुँच जाऊँगा !
और मैंने ठीक दो बजे वन्दना की बैल बजाई। वन्दना ने दरवाज़ा खोला और मेरे गले लग कर कहने लगी- जय, इतना इन्तज़ार मत करवाया करो !
मैंने कहा- क्यों वन्दना, मुझे भी तो काम होता है।
तो वन्दना ने कहा- जय, मेरे लिये भी टाईम नहीं?
तो मैंने कहा- आपके लिये ही तो आया हूँ ! फिर भी ऐसी बात करेंगी तो मैं आगे फिर कभी नहीं आऊँगा।
मेरे यह कहते ही वन्दना ने मुझे बाहों में भर लिया और हम दोनों ने आपस में चुम्बन लिया। फिर मैंने कहा- वन्दना जी, पहले कुछ खाने को !
तो वन्दना कहने लगी- जय, मुझे मालूम था कि आप आते ही खाने को कहोगे ! इसलिये मैंने पहले ही आपके बताये समय के हिसाब से ही लगा के रखा है।
हम दोनों ने खाना शुरू किया तो वन्दना कहने लगी- जय यार कुछ पीने को हो जाये?
मैंने कहा- जैसी आपकी मर्जी।
वन्दना ने कहा- फिर ठीक है ! सिर्फ दो दो पैग !
मैंने कहा- चलो जल्दी करो, मुझे बहुत ही तेज भूख लगी है !
वन्दना ने दो पैग विस्की के बनाये, हम दोनों ने आपस में चियर्स किया, अपने अपने पैग खत्म किये, एक दूसरे के गले लगे और फिर हम दोनों ने मिलकर खाना खाया।
उसके बाद वन्दना ने दो और पैग बनाये और हम दोनों ने अपने अपने पैग खत्म किये और फिर हम दोनों ने अपना चुदाई का कार्यक्रम शुरु किया।
उसके बाद हमारा यही सिलसिला हफ्ते में कभी दो दिन कभी 3-4 दिन चलता रहा जब तक कि वन्दना को बच्चा नहीं हो गया।
तो दोस्तो, मेरी यह कहानी आपको कैसे लगी, मुझे मेल करना।
जय कुमार
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