कॉलेज़ के गबरू
(College Ke Gabroo)
हैलो दोस्तो, मेरी तरफ से आपको नमस्कार, आपने मेरी सभी कहानियाँ पसंद की उसके लिए मैं आपका धन्यवाद करती हूँ।
आप मेरे बारे में जानते हो मगर फिर भी अपने नए दोस्तों को अपने बारे में बताना चाहूँगी। मेरे पति आर्मी में हैं और मैं अपनी सास और ससुर के साथ जालंधर के पास एक गाँव में रहती हूँ। मैं इतनी सेक्सी हूँ कि मेरा गोरा बदन, मेरी पतली कमर, लम्बे रेशमी बाल, कसे हुए चूतड़ और मोटे मम्मों को देख कर लड़के तो क्या बुड्ढों का भी दिल बेईमान हो जाये।
अब मैं आपको अपनी बात बताती हूँ।
यह बात तब की है जब मेरी सासु जी जालंधर के एक अस्पताल में दाखिल थी और मेरे ससुर जी भी रात को उनके पास ही रहते थे, मैं सुबह घर से खाना वगैरा लेकर जाती थी। एक दिन मैं सुबह जब बस में चढ़ी तो बस में बहुत भीड़ थी, जिनमें ज्यादा कॉलेज के लड़के थे।
जहाँ पर मैं खड़ी थी वहां पर मेरे आगे एक बूढ़ी औरत और मेरे पीछे एक लड़का था। कुछ देर बाद उस लड़के ने अपना लण्ड मेरी गाण्ड से लगा लिया, बस में इतनी भीड़ थी कि ऐसा होना आम था और किसी को पता भी नहीं चल सकता था। यह तो मुझे और उस लड़के को ही पता था।
मेरी तरफ से कोई विरोध ना देख कर लड़के ने अपना लण्ड मेरी गाण्ड पर रगड़ा, मेरे बदन में एक करंट सा दौड़ गया, मुझे लण्ड के स्पर्श से बहुत मजा आया !
और आता भी क्यों ना? लण्ड होता ही मजे के लिए है.. खासकर मेरे लिए… लड़के का लण्ड सख्त हो चुका था और बेकाबू भी होता जा रहा था क्योंकि अब उसकी छलांगे मेरी गाण्ड महसूस कर रही थी.. जब भी बस में कहीं धक्का लगता तो मैं भी उसके लण्ड पर दबाव डाल देती..
हम दोनों लण्ड और गाण्ड की रगड़ाई के मजे ले रहे थे.. अब बस जालंधर पहुँच चुकी थी और सब बस से उतर रहे थे, मुझे भी उतरना था और उस लड़के को भी।
बस से उतरते ही लड़का पता नहीं कहाँ चला गया, मेरा चुदने का मन कर रहा था, मगर वो लड़का तो अब कॉलेज चला गया होगा, यह सोच कर मैं उदास हो गई।
अब मुझे अस्पताल जाना था, मैं बस स्टैंड से बाहर आ गई और ऑटो में बैठने ही वाली थी कि वही लड़का बाईक लेकर मेरे पास आकर खड़ा हो गया..
मैं उसे देख कर हैरान हो गई, वो बोला- भाभी जी आओ, मैं आपको छोड़ देता हूँ।
पहले तो मैंने मना कर दिया, मगर फिर उसने कहा- आप जहाँ कहोगी मैं वहीं छोड़ दूंगा..
तो मैं उसके साथ बैठ गई।
वैसे भी लड़का इतना सेक्सी था कि उसको मना करना मुश्किल था। रास्ते में उसने अपना नाम अनिल बताया। मैंने भी अपने बारे में बताया। थोड़ी आगे जाकर उसने कहा- भाभी अगर आप गुस्सा ना करो तो यही पास में से मैंने अपने दोस्त से कुछ किताबें लेनी थी..
मैंने कहा- कोई बात नहीं, ले लो..
फिर आगे जाकर उसने एक बड़े से शानदार घर के आगे बाईक रोकी, गेट खुला था तो वो बाईक और मुझे भी अन्दर ले गया।
उसका दोस्त सामने ही खड़ा था.. वो दोनों मुझे थोड़ी दूर खड़े होकर कुछ बातें करने लगे। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मुझे चोदने की बातें कर रहे हों..
काश यह दोनों लड़के आज मेरी चुदाई कर दें !
फिर अनिल ने अपने दोस्त से मिलवाया, उसका नाम सुनील था, सुनील ने मुझे अन्दर आने को कहा मगर मैंने सोचा कि सुनील के घर वाले क्या सोचेंगे।
इसलिए मैंने कहा- नहीं मैं ठीक हूँ !
और अनिल को जल्दी चलने को कहा..
तो अनिल ने कहा- भाभी जी, दो मिनट बैठते हैं, सुनील घर में अकेला ही है।
यह सुनकर तो मैं बहुत खुश हो गई कि यहाँ पर तो बड़े आराम से चुदाई करवाई जा सकती है..
मैं अन्दर चली गई और सोफे पर बैठ गई। सुनील कोल्ड ड्रिंक लेकर आया, हम कोल्ड ड्रिंक पीते हुए आपस में बातें कर रहे थे।
अनिल मेरा साथ बैठा था और सुनील मेरे सामने। वो दोनों घुमा फिरा कर बात मेरी सुन्दरता की करते।
अनिल ने कहा- भाभी, आप बहुत सुन्दर हो, जब आप बस में आई थी तो मैं आपको देखता ही रह गया था..
मैंने कहा- अच्छा तो इसी लिए मेरे पास आकर खड़े हो गये थे?
अनिल- नहीं भाभी, वो तो बस में काफी भीड़ थी, इस लिए…
फिर मुझे वही पल याद आ गये जो बस में गुजरे थे इसलिए मैं शरमाते हुए चुप रही।
फिर अनिल बोला- भाभी वैसे बस में काफी मजा था… मेरा मतलब इतनी भीड़ थी कि सर्दी का पता ही नहीं चल रहा था..
मैंने शरमाते हुए कहा- हाँ…! वो… वो… तो है..
मैं समझ गई थी कि वो क्या कहना चाहता है।
उसने अपना हाथ बढ़ाया और मेरे हाथ पर रख दिया और बोला- भाभी अब काफी सर्दी लग रही है, अब क्या करूँ?
उसका हाथ पड़ते ही मैं शरमा गई और बोली- क क.. क्या… क्या.. कर…. करना.. है… चाय पीओ गर्म गर्म…
अनिल- भाभी, मगर मुझे तो वोही गर्मी चाहिए जो बस में थी…
मैं शरमाते हुए अपने बाल ठीक करने लगी..
मेरा शरमाना उनको सब कुछ करने की इजाजत दे रहा था।
अनिल ने मौके को समझा और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए…
मैंने आँखे बंद कर ली और सोफे पर ही लेट गई..
अनिल भी मेरे ऊपर ही लेट गया..
अब सारी शर्म-हया ख़त्म हो चुकी थी..
अनिल ने मेरे होंठ अपने मुँह में और मेरे चूचे अपने हाथों में पकड़ लिए थे..
मेरी आँखें बंद थी, इस वकत सुनील पता नहीं क्या कर रहा था मगर उसने अभी तक मुझे नहीं छुआ था..
अनिल मेरे होंठों को जोर जोर से चूस रहा था, मैंने हाथ उसकी कमर पर ढीले से छोड़ रखे थे..
फिर सुनील मेरी सर की तरफ आ गया और मेरी गोरी गोरी गालों और मेरे बालों में हाथ घुमाने लगा..
मेरी आँखें अब भी बंद थी…
वो दोनों मुझसे प्यार का भरपूर का मजा ले रहे थे…यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
कभी अनिल मेरे होंठ चूसता तो कभी सुनील..
अनिल ने मेरी पजामी और कमीज उतार दी..फिर सुनील ने ब्रा और पेंटी भी उतार दी..
मैं बिलकुल नंगी हो चुकी थी..
फिर मैं सोफे पर घुटनों के बल बैठ गई और सुनील की पैंट उतार दी.. उसका लौड़ा उसके कच्छे में फ़ूला हुआ था..
मैंने झट से उसका लौड़ा निकाला और अपने हाथों में ले लिया और फिर मुँह में डाल कर जोर जोर से चूसने लगी। मैं सोफे पर ही घोड़ी बन कर उसका लौड़ा चूस रही थी और अनिल मेरे पीछे आकर मेरी चूत चाटने लगा..
अनिल जब भी अपनी जीभ मेरी चूत में घुसता तो मैं मचल उठती और आगे होने से सुनील का लौड़ा मेरे गले तक उतर जाता..
सुनील भी मेरे बालों को पकड़ कर अपना लौड़ा मेरे मुंह में ठूंस रहा था..
फिर सुनील का वीर्य निकल गया और मैंने सारा वीर्य चाट लिया.. उधर अनिल के चाटने से मैं भी झड़ चुकी थी।
अब अनिल का लौड़ा मुझे शांत करना था।अनिल सोफे पर बैठ गया और अनिल के आगे उसी की तरफ मुंह करके उसके लौड़े पर अपनी चूत टिका कर बैठ गई। उसका लोहे जैसा लौड़ा मेरी चूत में घुस गया..अह्ह्ह. मुझे दर्द हुआ मगर मैंने फिर भी उसका पूरा लौड़ा अपनी चूत में घुसा लिया।
मैं ऊपर-नीचे होकर उसके लौड़े से चुदाई करवा रही थी, सुनील मेरे मम्मों को अपने हाथों से मसल रहा था।
अनिल भी नीचे से जोर जोर से मेरी चूत में अपना लौड़ा घुसेड़ रहा था। इसी दौरान मैं फ़िर झड़ गई और अनिल के ऊपर से उठ गई मगर अनिल अभी नहीं झड़ा था तो उसने मुझे घोड़ी बना लिया और अपना लौड़ा मेरी गाण्ड में ठूंस दिया..
उफ़ यह बहुत मजेदार चुदाई थी..
फिर सुनील मेरे सामने आ गया और उसने मुझे अनिल के लौड़े पर बिठा दिया। अब अनिल मेरे नीचे था और मैं अनिल का लौड़ा अपनी गाण्ड में लिए उसके पैरों की ओर मुंह कर के बैठी थी..
सुनील मेरे सामने आ कर बैठ गया और अपना लौड़ा मेरी चूत में घुसाने लगा, मैं अनिल पर उलटी लेट गई और सुनील ने मेरे ऊपर आकर अपना लौड़ा मेरी चूत में घुसा दिया..
उफ़ अब तो मुझे बहुत दर्द हो रहा था, मेरा दिल चिल्लाने को कर रहा था मगर थोड़ी ही देर में चुदाई फिर शुरू हो गई। मैं दोनों के बीच चूत और गाण्ड की प्यास एक साथ बुझा रही थी और वो दोनों जोर जोर से मेरी चुदाई कर रहे थे।
मैं दो बार झड़ चुकी थी.. फिर अनिल भी झड़ गया और उसके बाद सुनील भी झड़ गया।
हम तीनों थक हार कर लेट गये..
फिर मैंने अपने कपड़े पहने और हस्पताल चली गई,
रात को मैं अकेली ही घर होती थी इस लिए वो अनिल और सुनील दोनों रात को मुझे हस्पताल से घर ले जाते और सारी रात मेरी चुदाई करते, सुबह होते ही वो दोनों लोगों के जागने से पहले निकल जाते और मैं बाद में हस्पताल आ जाती..
इसी तरह पाँच दिन चुदाई चलती रही और फिर सासु ठीक होकर घर आ गई तो चुदाई बंद हो गई।
मेरी कहानी आपको कैसी लगी जरूर बताना..
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