चुद गई अन्तर्वासना की दीवानी-2

(Chud Gai Antarvasna Ki Diwani-2)

This story is part of a series:

नीलम मेरे लंड को सहलाते हुए मुझसे बोली- साजन जी, अब तो आप अपनी और मेरी कहानी लिखोगे न?
मैंने नीलम से कहा- हाँ जान, अब तो लिखनी ही पड़ेगी।
नीलम बोली- उसको अन्तर्वास ना पर कब डालोगे आप?
मैंने उससे कहा- जब कहानी पूरी हो जाएगी तब मैं अ न्तर्वासना पर पोस्ट कर दूँगा।

“सच में साजन जी?” नीलम खुश होती हुई बोली- आप बहुत अच्छे है।
मैंने नीलम से पूछा- मुझे एक बात तो बताओ? तुम क्यों चाहती हो कि तुम्हारी कहानी अन्त र्वासना पर आये?

नीलम मुझसे बोली- साजन जी मैंने अन्तर्वासना पर बहुत कहानियाँ पढ़ी हैं, उन कहानियों को पढ़ कर मेरे दिल ने कहा मेरी भी एक कहानी इस पर होनी चाहिए।
मैंने नीलम से कहा- अच्छा जी, और इसके लिए तुमने मुझे यहाँ जयपुर बुला लिया?
नीलम ने कहा- हाँ मेरे साजन, तभी तो मैंने आपको जयपुर बुलाया है।
मैंने कहा- हाँ सही कह रही हो तुम ! नीलू तुम मेरे लंड को इतना न हिलाओ कि मैं झड़ जाऊँ।

मेरे इतना कहते ही नीलम ने मेरे लंड को हिलाना बंद कर दिया और उसको मुँह में लेकर चूसने लगी। मैंने नीलम को सही से बेड पर लिटाया और उसके पैरों को चौड़ा करके पैरों के बीच बैठ गया, नीलम की चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा। नीलम की आँखें उत्तेजना के कारण बंद होती जा रही थी। नीलम की चूत पूरी गीली हो चुकी थी, उसमें से उसका पानी रिस रहा था।

फिर मैंने उसकी चूत को अपने एक हाथ से फैलाया और उसके छेद पर अपना लंड लगा दिया, उसकी कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और एक धक्का उसकी चूत पर दे मारा।

जैसे ही मेरा लंड नीलम की चूत को फाड़ता हुआ उसके अन्दर गया। नीलम जोर से चीख पड़ी- आऐ ईइआ आईई ईईइ म्माआआआ !

पर उसकी ये चीखें उसके मुँह में ही घुट कर रह गई क्योंकि तब तक मैंने उसके होंठ अपने होंठ से बंद कर लिए थे। अब उसके मुँह से गूऊउ गुम्म्मम्हा की आवाज ही निकल रही थी।

नीलम की आँखों से आँसू निकल पड़े, उसको बहुत ही दर्द हो रहा था। कुछ देर तक मैं उसके होंठों को चूसता रहा, जब वो कुछ सामान्य हुई तो मैंने उसके होंठ अपने होंठों की कैद से आजाद कर दिए !

जैसे ही मेरे होंठ से उसके होंठ अलग हटे तो नीलम ने कहा- मर गई साजन जी ! आपने तो कहा था, ज्यादा दर्द नहीं होगा पर मुझे तो बहुत दर्द हो रहा है।

नीलम की आँखों के आँसू निकल कर उसके गालों पर आ गए थे। मैंने उसके गालों से अपने होंठ लगा दिए और उसके आँसू पीने लगा। नीलम के आँसू पीने के बाद मैं नीलम से बोला- सॉरी जान, बहुत दर्द हो रहा है क्या?

उसने मुझसे कहा- हाँ साजन जी, बहुत दर्द हो रहा है, पर यह तो एक बार होना ही था।
फिर नीलम ने मुझसे पूछा- साजन जी, आपका पूरा लंड मेरी पुसी में चला गया क्या?
मैंने कहा- नहीं यार, अभी तो टोपा ही गया है तेरी चूत में।
नीलम हैरान होती हुई मुझसे बोली- बस !
मैंने नीलम से कहा- अगर यकीन न हो तो हाथ लगा कर देख लो।

नीलम ने वही किया और मेरे लंड को टटोल कर अपने हाथ से देखा- हाय रे, यह तो अभी पूरा ही लंड बाहर है। नीलम हैरान होती हुई बोली।

नीलम ने मुझसे कहा- साजन जी, अबकी बार पूरा का पूरा अन्दर डाल देना।
मैंने नीलम से कहा- तुमको तकलीफ होगी।
नीलम बोली- कोई बात नहीं, मैं सहन करने की कोशिश करुँगी, आप बस एक बार में ही अपना पूरा लंड डाल देना।
मैंने कहा- ठीक है जैसी तुम्हारी मर्जी।
फिर मैंने नीलम को सही से पकड़ा और बोला- तुम तैयार हो?

तो नीलम ने जवाब में अपना सर हिला दिया। फिर क्या था ! मैंने पूरे जोश के साथ एक धक्का उसकी चूत पर दे मारा और साथ ही उसका मुँह अपने लबों से बंद कर लिया। मेरा लण्ड नीलम की चूत को ककड़ी की तरह फाड़ता हुआ उसकी चूत में जड़ तक घुस गया। नीलम ने बहुत कोशिश की अपनी चीख रोकने की पर उसकी चीख निकल ही गई और मेरे होंठ भी उसकी चीख रोक नहीं पाए- अई… ऊऊ ऊउईई ईई आह आआऐईई ई ईई !

पूरा कमरा उसकी चीख से गूंज रहा था।
नीलम तो ऐसे तड़प रही थी, जैसे जल बिन मछली, नीलम ने मेरी बांहों को इतना कस के पकड़ा कि मुझे भी उसकी पकड़ से मेरे बाजुओ में दर्द हो लगा। मेरा लंड नीलम की चूत में इतना कसा हुआ था कि क्या बताऊँ। मुझे भी एहसास हो रहा था कि मेरा लंड उसकी कसी हुई चूत से छिल सा गया है। नीलम की चूत से रक्त की धार बह रही थी।

इतनी ठण्ड होने के बाद भी नीलम ओर मैं पसीने से नहा उठे। अब तक मैंने बहुत चूतें चोदी हैं, पर मुझे आज तक इतनी कसी हुई चूत किसी की भी नहीं मिली। कुछ देर उसके लबों को चूसते हुए उसकी चूचियाँ सहलाता रहा। कुछ देर बाद नीलम का दर्द कुछ कम हुआ, तो मैंने अपने लब नीलम के लबों से हटाये, तो नीलम मुझसे बोली- साजन, आज तो तुमने मेरी जान ही निकाल दी।
मैंने नीलम से कहा- पर अब तो ठीक हो न?

नीलम ने मुस्कुराते हुए अपना सर हिलाया, फिर मैं घुटनों के बल सही से बैठ गया और उसकी कमर को पकड़ कर धीरे-धीरे उसकी चूत पर धक्के लगाने लगा। अब मेरा लंड उसकी चूत में आराम से आने-जाने लगा, तो मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी।

नीलम भी मुझे सहयोग देती हुई मुझसे चुदने लगी। मेरे हर झटके से नीलम के उरोज उछलते, पूरा कमरा नीलम सिसकारियों से गूंज रहा था ‘आह्ह हा ओह्हो आह स्स अस्स स्सीईईईई’ नीलम की सिसकारियाँ मेरे जोश को दुगना कर रही थी।

नीलम को भी आनन्द की अनुभूति हो रही थी, नीलम ने मुझे बताया- मेरे अन्दर से कुछ निकलने वाला है। मुझे ऐसा लग रहा है कि मुझे बहुत जोर से सू सू आ रही है।

नीलम ने मुझसे कहा- साजन जी एक मिनट रुको, मैं पेशाब करके आती हूँ।
मैंने नीलम से कहा- नीलू, तुम बस लेटी रहो वो तुम्हारा सुसु नहीं, बल्कि तुम्हारा माल निकलने वाला है।

फिर मैंने भी अपने धक्के लगाने की रफ़्तार बढ़ा दी, कुछ पलों बाद नीलम ने मुझे कस कर जकड़ लिया। तभी वो अकड़ने लगी, मैं समझ गया कि अब नीलम झड़ने वाली है, फिर मैंने नीलम को तीव्र गति से चोदने लगा, ‘ऊऊऊऊउह आह्ह्ह्ह’ और कुछ देर बाद ‘उईई माँआआअ आहह्ह्ह्ह’ करते नीलम ने अपना सारा रस मेरे लंड पर छोड़ दिया।

नीलम झड़ने के बाद शांत हो गई थी पर मेरा माल तो अभी निकला ही नहीं था, इसलिए कुछ देर बाद मैं फिर से नीलम चूत पर धक्के लगाने लगा। कुछ देर में नीलम को इसी प्रकार चोदता रहा, मेरे लगातार चोदने के कारण नीलम फिर से उत्तेजित हो गई। मैंने नीलम को घोड़ी बनने के लिए कहा तो नीलम ने बिना समय गंवाए घोड़ी बन गई।

फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत में पीछे से डाल दिया और मैं उसके चूतड़ों को दबाते और मसलते हुए अपना लंड नीलम की चूत में अन्दर बाहर करने लगा। नीलम को इतना मज़ा आ रहा था कि वो भी अपके कूल्हे आगे-पीछे कर रही थी और मैं पूरी रफ़्तार से उसकी चूत चोद रहा था।

जब नीलम घोड़ी बने हुए थक गई, तो मैंने उसको लेटने के लिए कहा। नीलम के लेटते ही मैंने फिर से उसकी चूत में अपना लौड़ा डाल दिया और उसकी चूची को पकड़ जोर जोर से धक्के लगाने लगा। कुछ देर बाद मेरा भी माल निकलने को हुआ तो मैंने नीलम से कहा- नीलू मेरा होने वाला है, बताओ कहाँ पर निकालूँ?

नीलम ने मुझसे कहा- आज मेरी पहली चुदाई है ! और मुझे पहली बार हाथ भी आप ही ने लगाया है तो मेरी चूत में माल भी आपका ही पहले जायेगा, आप अन्दर ही कर दो !
इसके बाद नीलम ने मुझसे कहा- मेरा भी होने वाला है, आप रुकना नहीं।

फिर मैं ओर तेजी से नीलम की चूत पर धक्के लगाने लगा। मेरे 10-12 धक्के लगाते ही, मेरा और नीलम का काम साथ साथ हो गया।

नीलम की चूत मेरे माल से भर चुकी थी और वो रिस कर बाहर निकल रहा था। मैं नीलम के ऊपर ही लेट गया, कुछ देर बाद मेरा लंड सिकुड़ कर नीलम की चूत से अपने आप ही बाहर आ गया।

कुछ देर हम ऐसे ही लेटे रहे, फिर नीलम ने मुझे अपने ऊपर से हटने के लिए कहा, तो मैं नीलम के ऊपर से उतर कर बेड पर लेट गया।

नीलम बेड से उठने लगी पर उठ नहीं पाई, अब उसको उठने में दिक्कत हो रही थी। मैंने उसको सहारा देकर उठाया और उसको बाथरूम में ले जाकर उसकी चूत को बड़े ही प्यार से साफ़ किया। नीलम ने भी मेरे लंड को साफ़ किया, फिर हम दोनों बेड पर वापस आ गये। नीलम को बेड पर खून से सनी चादर दिखाई दी तो मुझसे पूछने लगी- साजन जी ये?
मैंने नीलम से कहा- नीलू ये सबूत है, कि अब तुम कुँवारी नहीं रही।
नीलम के मुँह से बस इतना ही निकला- ओहो।

मैंने घड़ी में टाइम देखा, दोपहर के 12:30 हो चुके थे, मैंने नीलम से कहा- अब मुझे भी तैयार होना चाहिए, मेरे जाने का टाइम भी होने वाला है।
उसने कहा- हाँ आप तैयार हो जाओ, मैं आपके लिए खाना बना देती हूँ।

इतना कह कर नीलम अपने कपड़े पहनने लगी और मैं भी अपने कपड़े पहनने लगा। नीलम जब उठी तो वो लंगड़ा कर चल रही थी। मैंने उसको सहारा देकर रसोई तक पहुँचाया और फिर नीलम खाना बनाने लगी और में मालवीय नगर जाने के लिए तैयार होने लगा। कुछ देर बाद नीलम खाना बना कर ले आई और फिर हमने मिलकर खाना खाया।
मैंने नीलम से कहा- तुम दर्द की गोली खा लेना, शाम तक तुम बिल्कुल ठीक हो जाओगी।

नीलम ने हाँ में अपना सर हिलाया, दोपहर के 1:15 हो चुके थे, मैंने नीलम के होंठो पर एक लम्बा सा चुम्बन किया और जाने लगा। नीलम मुझसे बोली- साजन जी, घर पर जल्दी आना, मैं आपका इंतजार करुँगी।
मैंने भी जवाब में अपना सर हिलाया और मैं नीलम के रूम से बाहर निकल गया।

मैं सही समय पर मालवीय नगर पहुँच गया। पर उस वक़्त तक क्लाइंट ही नहीं पहुँचा था, इसलिए मुझे उसका इंतजार करना पड़ा। वो करीब शाम को 5:30 बजे पर आया, उससे पेमंट लेने में मुझे 6:50 बज गए। इस दौरान नीलम के कई बार कॉल आई, मुझे जल्दी आने को कहती रही हर बार।

मैं फ्री होकर नीलम के घर पहुँच गया, घर पहुँचते पहुँचते मुझे रात के 8 बज गए थे। मैंने नीलम को कॉल कर के बताया कि मैं घर के बाहर गेट पर हूँ।

नीलम मुझे लेने नीचे आई, जब नीलम नीचे आई तो मुझे नीलम बहुत गुस्से में लग रही थी। मैं चुपचाप उसके पीछे रूम में पहुँच गया, रूम में पहुँचते ही नीलम ने गेट बंद करते ही गुस्से होते हुये मुझसे कहा- आ गए आप? क्या जरुरत थी आने की, वहीं पर रहते।

“सॉरी नीलू, पर मैं क्या करता, क्लाइंट ही नहीं नहीं आया था ! फिर कल रविवार है इसलिए मुझे उसका इंतजार करना पड़ा।” नीलम को बड़ी मुश्किल से मनाया।

नीलम मान तो गई, पर उसने मुझसे कहा- अब जब भी तुम जयपुर आओगे तो बस मेरे लिए ही किसी और काम से नहीं।
मैंने नीलम से कहा- ठीक है, मैं बस तेरे लिए ही जयपुर आऊँगा और किसी काम से नहीं।
तब जाकर नीलम शांत हुई, मुझसे कहा- आप फ्रेश हो जाओ, तब तक मैं खाना लगाती हूँ।

मेरे फ़्रेश होने के बाद हम दोनों ने खाना खाया। खाना कहने के बाद नीलम ने मुझसे कहा- साजन जी आप थक गए होंगे। सफ़र से आने के बाद भी आपको आराम नहीं मिला, इसलिए आप आराम करो, तब तक मैं भी अपना काम निपटा लेटी हूँ।

नीलम की बात बिल्कुल सही थी, मुझे भी आराम की आवश्यकता महसूस हो रही थी। मैंने नीलम से कहा- ठीक है ! फिर नीलम ने मुझे रजाई दे दी ओड़ने के लिए, फिर मैंने अपने सारे कपडे उतारे और नंगा ही रजाई ओढ़ कर लेट गया। कुछ ही पलों में थकान के करण मुझे नींद आ गई।

मुझे सोते हुए महसूस हुआ कि कोई मेरा लंड चूस रहा है, मैंने आँख खोल कर देखा ! नीलम रजाई के अन्दर मेरा लंड चूस रही थी। नीलम ने रूम हीटर चला रखा था, जिससे रूम भी गर्म हो चुका था। मैंने रजाई हटा कर देखा तो नीलम पूरी नंगी होकर मेरा लंड चूस रही थी। नीलम ने मुझे उठा हुआ देख मुस्कुराने लगी, उसको मुस्कुराते देख मैं भी मुस्कुरा दिया।

मैंने नीलम से कहा- नीलू मुझे जगा तो लेती।
नीलम ने मुझसे कहा- मैं आपको जगा ही तो रही हूँ और एक आप हैं जो सोने में मस्त हैं, देखो टाइम ! रात के 11 बज गए हैं। ये देखो, अब तो तुम्हारा शेर भी उठ गया ! नीलम ने मेरे लंड को हिलाते हुए मुझसे कहा।नीलम सही तो कह रही थी, उसने मेरे लंड को चूस-चूस कर खड़ा जो कर दिया था।

नीलम फिर से मेरा लंड चूसने लगी और मैं उसके बालों को सहलाने लगा, नीलम मुठ मारते हुए मेरा लंड चूस रही थी, हम दोनों तो पहले से ही नंगे थे, इसलिए उसको मेरा लंड चूसने में कोई परेशानी नहीं हो रही थी। नीलम मेरे लंड को चूसे जा रही थी, अगर मैं अपना लंड नीलम के मुँह से नहीं निलकता तो मेरा वीर्य नीलम के मुंह में गिर जाता।
मेरा माल निकलते निकलते रह गया। मैंने नीलम से कहा- नीलू एक बात बोलू, अगर तुम गुस्सा न करो तो !

नीलम ने कहा- आप बोलो जो बोलना है।
मैंने कहा- मैं यह चाहता हूँ, मेरी कहानियों में जो आजतक कभी नहीं हुआ, वो पहली बार तुम्हारी कहानी में हो।
नीलम मुझसे बोली- साजन जी, मैं कुछ समझी नहीं, सही से बोलो आप क्या कहना चाहते हो।

मैंने नीलम से कहा- मैंने आज तक किसी लड़की की गाण्ड नहीं मारी, पर आज मैं यह शुरुआत तुमसे करना चाहता हूँ।
नीलम ने मुझसे कहा- नहीं साजन जी, उसमें तो बहुत दर्द होगा।
मैंने नीलम से कहा- होगा तो, अगर तुम चाहती हो, तुम्हारी कहानी में वो सब हो, जो होना चाहिए तो तुमको अपनी गांड आज मुझसे मरवानी होगी।
नीलम कुछ देर बाद सोच कर बोली- ठीक है साजन जी, पर आप आराम से करना।
मैंने नीलम से कहा- ठीक है मैं आराम से ही करूँगा।

मैं नीलम की बात सुनकर बहुत खुश हुआ क्योंकि आज ही सुबह मैंने नीलम की चूत की सील तोड़ी और अब उसकी गांड की सील तोड़ने जा रहा था। सच में दोस्तो, यह लड़की कितनी दीवानी है अपनी स्टोरी अन्तर्वासना पर डलवाने के लिए। अपनी मासूम सी गांड को भी मेरे हवाले करने को तैयार हो गई।

मैंने नीलम को एक तगड़ा सा क़िस किया और उसको लिटा दिया। फिर मैंने नीलम की चूत में अपना लंड डाल दिया और उसकी चूत में अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा। कुछ देर बाद नीलम की चूत से लंड निकल लिया, फिर मैंने उसकी गांड पर अपने मुंह से काफी थूक निकल कर नीलम की गांड पर सही से लगा दिया। मैंने नीलम के एक पैर को ऊपर की तरफ सीधा उठा दिया जिससे नीलम की गांड का छेद खुल गया।

नीलम अपने दोनों हाथों के बल सीधी लेटी गई, अब वो मेरे लंड को अपनी गांड में जाते हुए देख सकती थी। फिर मैंने अपने एक हाथ से अपना लंड नीलम की गांड के छेद पर लगा दिया और फिर एक धक्का उसकी गांड पर दे मारा !
“अऐइ आइऐई अऊऊओ मर गई !” नीलम चीख पड़ी, अगर मैंने उसके मुँह पर हाथ न रखा होता तो नीचे रहने वालों के कानों तक नीलम की आवाज पहुँच जाती।

नीलम की गांड उसकी चूत से भी ज्यादा टाईट थी, तभी तो मेरे लंड का आध सुपारा ही उसकी गांड में जा सका। नीलम ने अपने हाथ से मेरा हाथ अपने मुँह से हटाया और रुआंसी मुझसे बोली- मैंने आपको बोला था न, आराम से करना, बहुत दर्द हो रहा है।

मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ, मैंने नीलम से सॉरी बोला और उससे कहा- नीलू, अब आराम से ही करूँगा।

मेरा लंड का अभी पूरा सुपारा भी अन्दर नहीं गया था। फिर भी मैंने अपना लंड उतने पर ही आगे पीछे करने लगा। दो मिनट बाद मैं नीलम की गांड पर दबाव बढ़ाने लगा, नीलम फिर से चिल्लाने लगी, मेरा लंड नीलम की गांड में अभी 2 इंच ही अन्दर गया था।
नीलम ने मुझसे कहा- साजन, बस अब मत डालना जितना भी गया है, उतना ही रहने दो, इतने पर ही अपना काम कर लो, या फिर अपना लंड मेरी चूत में डाल दो।

मैंने सोचा अगर इतने पर ही रहने दिया तो इसको भी मज़ा नहीं आएगा और मुझे भी नहीं, और फिर यह कभी मुझे अपनी गांड में लंड नहीं डालने देगी।

मैंने सोच लिया था आज तो इसकी गांड की भी सील तोड़नी है। बस फिर क्या था, मैंने नीलम को कहा- ठीक है, मैं ऐसा ही करूँगा। नीलम के दोनों पैरों को ऊपर किया जिससे उसके चूतड़ थोड़े ओर ऊपर हो गए। फिर मैंने उतने ही फँसे हुए लंड को आगे पीछे करने लगा, मैं नीलम के होंठ को अपने होंठ में दबाकर चूसने लगा।
और फिर एक जोरदार झटका नीलम की गांड पर दे मारा !

“गूऊऊ गुआआ आआआ आआअ ग्ग्गस्स्स्स !” उसकी चीख उसके मुँह से बाहर ही नहीं निकल पाई क्योंकि मैंने उसका मुँह अपने होंठों से बंद जो कर रखा था, मेरा लंड नीलम की गांड फाड़ता हुआ उसमें पूरा समा गया था, नीलम की आँख दर्द के कारण बाहर को निकल पड़ी थी।

मैं नीलम की परवाह न करते हुए उसकी गांड पर जल्दी जल्दी धक्के लगाने लगा, मेरा लंड नीलम की गांड में बहुत ही कसा हुआ जा रहा था। मैं अपने लंड को पूरा बाहर निकलता और फिर पूरा जड़ तक नीलम की गांड में पेल देता। कुछ मिनटों बाद नीलम की गांड ढीली हो गई जिससे मेरा लंड अब आसानी से अन्दर बाहर आ जा रहा था।
कुछ देर बार शायद नीलम को भी मज़ा आने लगा, तभी तो वो भी मुझे भरपूर सहयोग कर रही थी।

मैंने नीलम के होंठ से अपने लब हटाते ही आःहह आह्ह्ह्हा चीईई ऊऊऊऊओ उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। नीलम का एक पैर मैंने अपने कन्धे से लगा कर सीधा कर लिया, और उसके उसी पैर को अपने एक हाथ से पकड़ कर उसकी गांड पर धक्के लगाने लगा। मेरे हर धक्के पर नीलम की चूचियाँ हिल रही थी, जिसे देख कर मैं उत्तेजित हो रहा था।

नीलम की उत्तेजना भी देखने वाली थी, वो अपनी चूचियाँ अपने ही हाथ से मसल रही थी। कुछ देर तक मैं उसको चोदता रहा, फिर मैंने नीलम को घोड़ी बने के लिए कहा तो नीलम घोड़ी बन गई। मैंने पीछे से नीलम की गांड में लंड डाल दिया, नीलम आगे से नीचे की ओर झुकी हुई थी और उसने पीछे से अपनी गांड पूरी ऊपर उठा रखी थी।

मैंने नीलम के चूतड़ों पर अपने दोनों हाथ रखे हुए थे और मैं नीलम के चूतड़ दबाते हुए नीलम की गांड में लंड पेले जा रहा था। नीलम आआई आह आआऐई ईईईइ ऊऊओह आआ कर के मस्त हुए जा रही थी। कुछ देर बाद मैंने नीलम की गांड से लंड बाहर निकाल कर उसकी चूत में डाल दिया।

नीलम ने पीछे मुड़कर मुझे देखा तो मैं मुस्कुरा दिया और फिर से मैं नीलम की चूत पर अपने लंड से प्रहार करने लगा। मैं कभी तो नीलम की चूत में अपना लंड डाल देता तो कभी उसकी गांड में, इस प्रकार में नीलम की चूत और गांड दोनों ही बारी-बारी मार रहा था।

कुछ देर बाद मैं नीचे लेट गया और नीलम को अपने ऊपर आने के लिए कहा, नीलम मेरे ऊपर आकर बैठ गई। मैं अपने पैर मोड़ कर लेटा हुआ था, नीलम मेरे ऊपर इस प्रकार बैठी थी कि उसकी पीठ मेरे सामने और नीलम का मुंह मेरे पैरो की तरफ था। नीलम ने खुद मेरा लंड अपने हाथ से पकड़ कर अपनी गांड में लगाया और फिर मेरे लंड पर बैठती चली गई।

जब पूरा लंड नीलम की गांड में पहुँच गया तो नीलम ने अपने हाथ पीछे की ओर बेड पर टिका दिए और मैं नीचे से नीलम की गांड पर धक्के लगाने लगा। मैं अपने चूतड उठा उठा कर नीलम की गांड पर नीचे से धक्के लगाने लगा। जब मैं नीचे से धक्के लगाते हुए थक गया तो नीलम ऊपर की ओर उठ कर खुद ही मेरे लंड पर ऊपर नीचे होने लगी और साथ साथ ऊउह ओआ अओ आअ ओअ भी चिल्ला रही थी।

फिर मैंने भी नीचे से धक्के लगाने लगा, मैं नीचे से ऊपर की तरफ धक्का मारता तो नीलम ऊपर से नीचे की तरफ, बहुत ही सही तालमेल के साथ हम दोनों धक्के लगा रहे थे।
कुछ देर बाद मेरी उत्तेजना चरम सीमा पर पहुँच गई और मेरे लंड ने अपने वीर्य की बौछार नीलम की गांड में कर दी जब नीलम को अपनी गांड में कुछ गर्म-गर्म महसूस हुआ तो नीलम मेरे ऊपर से हट कर मेरी बगल में लेट गई, नीलम ने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और उसको गोर से देखने लगी।मेरे लंड नीलम की गांड के खून से सना हुआ था, नीलम ने मुझसे कहा- साजन यह क्या हो गया, आपके लंड को?

मैंने नीलम से कहा- नीलू मेरे लंड को कुछ नहीं हुआ, ये तो तेरी गांड की सील टूटने से मेरे लंड पर तेरी गांड का खून लग गया।
नीलम हैरान होती हुई, मुझसे बोली- क्या? आपने मेरी गांड भी फाड़ डाली।

मैंने नीलम से कहा- वो फटनी ही थी। फिर नीलम ने मुझसे कहा- साजन जी मैंने अपनी चूत और गांड की सील आपसे तुड़वा ली है, अब तो आप खुश हैं?
मैंने नीलम से कहा- हाँ नीलू मैं बहुत खुश हूँ, और तुम? मैंने नीलम से पूछा।
तो नीलम बोली- मैं भी बहुत खुश हूँ।

मैंने नीलम को रात में दो बार और चोदा फिर अगले दिन नीलम को कई बार चोदा और उसकी गांड भी मारी। रविवार की रात को 10 बजे में नीलम से विदा ली और घर जाने लगा, तो नीलम ने मुझे एक लिफाफा मेरे हाथ में दिया। मैंने नीलम से पूछा- यह क्या है?
तो उसने बताया- आप अपने घर जाकर देख लेना। इस लिफाफे को यहाँ मत खोलना, आपको मेरी कसम है।

नीलम ने मुझे दुबारा जल्दी आने के लिए कहा, तो मैंने नीलम को जल्दी आने का वादा किया। फिर मैंने नीलम से विदा ली और अपने घर आ गया घर आकर मैंने लिफाफा खोला तो उसमें हजार हजार के पाँच नोट थे। नोट देख कर मैं हैरान हुआ, मैंने उसी समय नीलम को फ़ोन किया। जब मैंने उससे पूछा- ये क्या है, इस लिफाफे में पाँच हजार रूपये तुमने मुझे क्यों दिए?
नीलम मुझसे बोली- साजन जी, मेरे दिल ने कहा तो मैंने आपको दे दिये। इसको आप आने जाने का किराया समझ कर रख लो। आप इन्कार नहीं करना और न ही कभी इसको लोटने की कोशिश करना आपको मेरी कसम है।
कह कर उसने फ़ोन काट दिया।

दोस्तो, यह थी उस लड़की की कहानी जो अपनी कहानी मेरे साथ अन्तर्वासना पर देखना चाहती थी। आज नीलम का यह सपना भी पूरा हो गया, मेरी नीलम से बात आज भी होती है, कभी नेट से तो कभी फ़ोन से।

नीलम अपनी और मेरी कहानी देख कर बहुत खुश होगी और उससे ज्यादा ख़ुशी मुझे है क्योंकि नीलम के इस सपने को पूरा करने का मौक़ा मुझे मिला।

नीलम ने मुझसे कहा- यह कहानी पढ़ने के बाद आपको बहुत मेल आयेंगे और मेरे बारे में आपसे जरूर पूछेंगे। आप मेरे बारे में और कुछ भी किसी को नहीं बताना।

मैंने नीलम से वादा किया कि मैं किसी को उसके बारे मैं कुछ नहीं बताऊँगा।
मेरी और नीलम की यह कहानी आपको कैसी लगी, मुझे जरुर बताना !
और हाँ आपको ये तो बताना भूल ही गया कि आप मुझे जो मेल भेजोगे, उसको नीलम भी पढ़ेगी।
[email protected]

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