चाहत मॉडल बनने की-3
प्रेषिका : पूनम
वापस आई तो देखा कि हर्ष अपने कपड़े पहन चुका था और वो कैमरामैन के साथ खड़ा था।
मुझे आता देख कैमरामैन मुस्करा कर बोला- मैडम, फ़िल्म तो पूरी हो गई मगर मेरी फ़िल्म तो बाकी है।
मैंने पूछा- क्या मतलब?
वो बोला- मैडम, हम भी तो इन्सान हैं, हमारी भी कुछ चाहत है !
मैं उसका इशारा समझ गई, बोली- तो जो चाहो कर लो।
वो बोला- ऐसे नहीं मैडम ! मेरे तरीके से !
मैंने पूछा- क्या है तुम्हारा तरीका?
“कुछ खास नहीं, बस आप इस मेज पर खड़ी हो जाओ, जैसा मैं बोलूँ, करती जाना बस ! उसने अक्खड़पन से कहा।
मैं अपने घर से सलवार कुरता पहन कर आई थी, पास रखी मेज पर खड़ी हो गई और वो सामने कुर्सी पर बैठ गया।
“चुन्नी हटा !” मैंने चुपचाप चुन्नी हटा कर नीचे गिरा दी।
“पीछे घूम !” मैं उसकी तरफ़ पीठ करके खड़ी हो गई।
“कुरते की जिप खोल !” मैंने अपने दोनों हाथ पीछे करके ज़िप को कमर तक खोल दिया।
“अपने बाल खोल !”
मैंने अपने बाल जो कमर तक लम्बे थे, खोल दिये।
“घूम !” मैं उसकी तरफ़ मुँह करके खड़ी हो गई।
“कुरते के कन्धे तो जरा नीचे कर !”
मैंने कुरते के कन्धे थोड़ा सा नीचे कर दिये।
“नहीं कोहनी तक !”
मैंने कन्धे को थोड़ा और नीचे कर दिया अब मेरे कुरते से मेरे बा साफ़ नजर आ रही थी।
“ब्रा को पूरा नीचे कर बिना हुक खोले !”
मैंने कुरते के अन्दर हाथ डाल कर ब्रा नीचे कर दी, अब कुरते में से मेरी छाती लगभग साफ़ दिख रही थी।
“पीछे घूम कर अपने बाल आगे कर !” मैंने उसकी तरफ़ पीठ करके बाल आगे कर दिये।
“ब्रा का हूक !”
मैंने एक हाथ पीछे करके हूक खोल दिया, अब मेरी नंगी पीठ उसकी तरफ़ थी। मैं समझ गई कि वो मेरे ही हाथ से मुझे नंगी करेगा।
“घूम !”
मैं उसकी तरफ़ मुँह करके खड़ी हो गई।
“अपने हाथ कुरते की आस्तीन से निकाल !”
मैंने अपने दोनों हाथ कुरते से अलग कर दिए। अब मैं उसके सामने कुरते को एक हाथ से सम्भाले खड़ी थी।
“कुरते को निकाल !” मैंने अपनी ब्रा को एक हाथ से सम्भालते को पकड़े हुए दूसरे हाथ से निकाल दिया और मेज के नीचे डाल दिया।
“अपने कपड़े यहाँ दे मेरे पास !” मैं मेज से नीचे उतर कर कुरता और चुन्नी उठा कर उसको दे आई। उसने बैठे-बैठे मेरे पेट पर एक चुम्बन किया और बोला- सलवार का नाड़ा ढीला कर…उतारना नहीं !
मैंने एक हाथ से सम्भालते हुये एक हाथ से सलवार का नाड़ा ढीला कर दिया और सलवार को पकड़ कर खड़ी हो गई। अब मैं दोनों हाथ से अपने कपड़े हाथ सम्भाले हुये थी। उसके बाद वो कभी एक तरफ़ से सलवार खींचता तो कभी दूसरी तरफ़ से, कभी पीठ पर हाथ फिराता तो कभी ब्रा को खींचता।
थोड़ी देर के बाद उसने मुझे बिल्कुल नंगा कर दिया। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करना चाहता है।
मुझे उसका तरीका समझने के लिये ज्यादा इन्तज़ार नहीं करना पड़ा।
“मेरे कमीज के बटन खोल !” वो बोला।
मैं नंगी ही उस के कमीज के बटन खोलने लगी उस के हाथ मेरे नीचे चलने लगे।
काफ़ी देर तक इन्तज़ार करने के बाद उसने मुझे छूना शुरू किया था, मुझे उसका छूना अच्छा लग रहा था।
“उतार कमीज को !”
उसके बटन खुल चुके थे, अब मैंने उसकी कमीज को उतार दिया, उसका हाथ लगातार मेरे जिस्म पर दौड़ रहा था।
“पैंट खोल !”
पैंट उतरने के बाद उसने मेरे हाथ से अपना अन्डरवियर भी उतरवा दिया।
अब हम दोनों एक दूसरे के सामने नंगे खड़े थे। फ़िर उसने मुझे वहीं नीचे लिटा दिया और कहीं से शराब की बोतल उठा लाया और मेरी नाभि, मेरे पेट पर थोड़ी सी शराब डाल दी। मैं उसका तरीका समझ गई थी, उसने मेरे पेट पर फ़ैली शराब को अपने होंटों से पीना शुरू कर दिया।
मुझे भी मजा आ रहा था। फ़िर शराब को मेरी छाती पर डाल कर कर चूसने लगा। शराब की बदबू के बावजूद उसकी हर हरकत मुझे मजे दे रही थी। अब मैंने भी उसका मोटा लिंग पकड़ कर हिलाना शुरु कर दिया और उसने अपने हाथ से मेरी योनि को सहलाना।
2-3 मिनट के बाद मेरे शरीर की अन्तर्वासना ने अंगड़ाई लेना शुरु कर दिया था। मैं एक हाथ से उसका चेहरा अपने पास ले आई और अपने होंट उसके होंठों के साथ चिपका दिए।
अब मेरे शरीर में 440 वोल्ट का करन्ट दौड़ने लगा। मैं लगातार उसके लिंग को तेजी से हिला रही थी और वो अपनी उंगली मेरी योनि में !
मैं गर्म होती जा रही थी मगर वो अपने लिंग को मेरी योनि में डालने के लिये तैयार ही नहीं था।
मैंने कहा- डालो ना !
“क्या?” उसने पूछा।
मैं समझ गई कि वो मेरे मुँह से कहलवाना चाहता है- अपना लिंग !
“लिंग नहीं लण्ड बोल !
“अच्छा लण्ड डालो !” मैं थोड़ा बेशर्म हो कर बोली।
“कहाँ?”
“यहाँ !” मैंने इशारे से बताया।
“यह क्या है?”
“योनि” मेरा जबाब था।
“नहीं ! बुर बोल !”
अब मैंने जबाब दिया- अच्छा अब डालो अपना लण्ड मेरी बुर में !
उसने अब पूछा- क्या करना है?
मैं भी बेशर्मी दिखाते हुए बोली- अपना लण्ड मेरी बुर में डालकर चोद मुझे !
वो हँसा और बोला- इतनी जल्दी क्या है क्या है रानी? थोड़ी मलाई तो खा ले !
उसने उठ कर मेरे मुँह में अपना लण्ड डाल दिया और मुझे मुँह में ही चोदने लगा। एक-दो मिनट के बाद अब उसने मेरी चुदाई शुरू की और 3-4 मिनट के बाद हम
दोनों शान्त हो गए।
कुछ देर बाद मैं कपड़े पहन कर बाहर आई तो दीदी और रोहन दोनों अपने अफ़िस में बैठे थे, वहीं मुझे मेरा मेहनताना मिला।
मैंने दीदी की तरफ़ देखा वो बिलकुल शान्त थी।
पता नहीं कि उन्हें इस फ़िल्म के बारे में मालूम था या नहीं। मगर मैंने उन्हें कुछ नहीं बताया।
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