कार में मंगल
(Car Me Mangal)
मैं पूना में रहता हूँ। आज मैं जो घटना बताने जा रहा हूँ वो मेरी जिदंगी मे घटी सची घटना है।
एक महीने पहले की बात है, मैं ऑफ़िस से निकलने के बाद बस स्टॉप पर खड़ा था। अचानक मेरे सामने एक कार आकर रूकी। मैंने देखा पर गाड़ी के शीशे काले होने के कारण अंदर का कुछ दिखाई नहीं दिया। गाड़ी के शीशे नीचे हुए तो मैं चोंक गया क्योंकि अंदर जो लड़की थी वो हमारे बाजू वाले ऑफ़िस की मालकिन नेहा थी। उसने मुझे अंदर बैठने का इशारा किया। मैं तुरंत ही अंदर बैठ गया। मैं सोच रहा था कि यह सपना है या हकीकत! क्योंकि नेहा से सिर्फ़ बात करने के लिये सब तरसते थे और मैं आज उसकी गाड़ी में उसके पास बैठा था। गाड़ी चल पड़ी। उसने शीशे बंद कर दिए।
नेहा के बारे में कुछ बता दूँ। नेहा की उमर 25 साल। मुझसे 4 साल बड़ी। रंग गोरा भूरी भूरी सी आंखें और फ़िगर के बारे में क्या बताऊँ, एकदम कयामत है, कहीं पर भी जरूरत से ज्यादा या कम नहीं है। कुल मिलाकर सोनाली बेंद्रे जैसी दिखती है। और बात रही मेरी, तो मैं एक साधारण 21 साल का लड़का हूँ। बहुत स्मार्ट नहीं पर दिखने में अच्छा हूँ। मेरा स्वभाव एकदम शांत है। शायद इसीलिए आज तक मुझसे एक भी लड़की नहीं पटी। जाने दो, अब कहानी की ओर चलते हैं।
गाडी के अंदर ए सी चालू था। मौसम भी अच्छा था। उसने अचानक पूछा- तुम्हें गाड़ी चलानी आती है?
मैंने हाँ कहा तो उसने गाड़ी साईड में रोक ली। उसने मुझे गाड़ी चलाने को कहा। मैं गाड़ी चलाने लगा। उसने कुछ रोमांटिक गाने लगाए। गाड़ी तेजी से आगे बढ़ रही थी। उसने गाड़ी धीरे चलाने को कहा। वो मुझे बार-बार देख रही थी। कोई कुछ नहीं बोल रहा था। पहल उसी ने की।
नेहा- तुम कहाँ रहते हो?
मैं- हडपसर में! आप?
नेहा- मैं चंदन नगर में।
मैं- तो फ़िर हडपसर क्यों जा रही हैं?
नेहा- बस आज तुम्हारे साथ जाने का मन हुआ!
यह सुनकर तो मैं चौंक ही गया। मेरे दिमाग में घंटी बजने लगी। मैंने उसकी तरफ़ देखा, उसकी आंखो में एक चमक थी और उसकी सांसें तेजी से चलने लगी थी। उसने गाड़ी साइड लेने को कहा। वहाँ पास में एक गार्डन था। नेहा ने मेरी तरफ़ देखा ओर कहा- चलो थोड़ी देर गार्डन में बैठते हैं।
मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मेरे साथ आज क्या हो रहा है। मैं बस पागलों की तरह उसकी तरफ़ देख रहा था। उसने मेरा हाथ पकड़ा और चलने लगी। मैं भी उसके साथ चलने लगा। मैं बस सोच रहा था कि आगे क्या होने वाला है।
हम एक पेड़ के नीचे बैठ गए। वो जगह काफ़ी सुनसान थी। सामने की झाड़ी में एक प्रेमी-युगल था। वो दोनों चुम्बन कर रहे थे। उन्हें शायद पता ही नहीं था कि हम वहाँ थे। वो तो बस एक दूजे में ही खोए हुए था। धीरे धीरे लड़के का हाथ लडकी के टॉप के अंदर जाकर उसके स्तन दबाने लगा था। यह देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया जो कि 6′ का है (मैं सब लोगों की तरह झूठ नहीं बोलना चाहता)। मैं यह पूरी तरह से भूल गया था कि मैंनेहा के साथ हूँ। मेरी नजर उधर जाते ही मुझे होश आया। वो मेरी तरफ़ ही देख रही थी। मेरी नजर शर्म के मारे झुक गई।
नेहा- तुम अभी क्या देख रहे थे?
मैं-?
नेहा- मैं नहीं जानती थी कि तुम ऐसे निकलोगे।
मेरी तो जैसी जान ही निकल गई। वो उठी और जाने लगी। मैंने उसे सॉरी बोला पर वो नहीं रुकी और जाकर गाड़ी में बैठ गई। मैं ड्रायविंग सीट पर आ गया। मैंने फ़िर से उसे सॉरी बोला पर वो कुछ नहीं बोली।
मैं गाड़ी चालू करने लगा, तभी मेरे लण्ड को कुछ स्पर्श हुआ। मैंने नीचे देखा तो वो नेहा का हाथ था। मैं उसकी तरफ़ देखने लगा। उसने मेरी ज़िप खोली और मेरे लण्ड को बाहर निकाला जो कि घबराहट की वजह से छोटा हो गया था। वो उसे सहला रही थी।
मैं- आप क्या कर रही हो?
नेहा- मुझे मत रोको। मैं इसके लिए तरस रही हूँ। मैं तुम्हारे साथ इसके लिए ही आई थी। मैंने जबसे तुम को देखा है तबसे तुम्हें अपने ऊपर लेने को तरस रही हूँ। इसीलिए मैं तुम्हें यहाँ लाई थी।
यह सुनकर मेरी हिम्मत बढ़ गई। उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। मैं जैसे स्वर्ग में था। मैंने भी उसे जोर से चूमना शुरु कर दिया और उसके मुँह में अपनी जबान सरका दी। इसका असर मेरे लण्ड पर होने लगा जोकि अब भी उसके हाथ में था। वो धीरे धीरे अपनी असली रूप में आने लगा। हम इतनी जोर से चूमा-चाटी कर रहे थे कि गाड़ी में चप-पच ऐसी आवाजें आ रही थी।
मैंने अपना एक हाथ उसके वक्ष पर रख दिया और उसे दबाने लगा। वो आहें भरने लगी। मेरा लण्ड भी पूरा खड़ा हो गया था। उसने मुझसे कहा कि आराम से बाद में करेंगे, अभी जल्दी से अपने लण्ड को मेरी बुर में डाल दो।
उसने जल्दी से अपने पैंट और पेंटी को निकाल दिया। मैंने सीट पीछे की और सीट को सीधा कर उस पर लेट गया। मेरा लण्ड तो उसकी चिकनी बुर को देख कर उछल रहा था। वो मेरे लण्ड के ऊपर बैठ गई और मेरे लण्ड को अपने हाथों से सही जगह लगा कर जोर से उस पर बैठ गई। मेरा लण्ड अंदर जाते ही जोर से चिल्लाई। मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गया था।
उसने मेरे होटों पर अपने होंट रख दिये और हम फ़िर से किस करने लगे। मैं अपने हाथों से उसके दोनों स्तनों को दबा रहा था। वो जोर जोर से मेरे लण्ड के ऊपर ऊपर-नीचे हो रही थी और जोर जोर से आह आह्ह अहह अह कर रही थी। वो शायद बड़ी जल्दी में थी। वो झड़ने के करीब थी और मैं भी। वो जोर से ऊपर नीचे होने लगी। अचानक वो सिकुड़ने लगी। उसने मुझे जोर से पकड़ रखा था। मैं समझ गया कि वो झड़ चुकी थी। वो शांत हो गई पर मैं अभी तक झड़ा नहीं था।
मैंने उसे अपनी जगह लिटा दिया मैं उसके ऊपर आ गया। मैंने अपना लण्ड उसकी बुर में डाल दिया और जोर जोर से झटके मारने लगा। मेरा भी समय करिब आ गया था। 5-7 झटके मारने के बाद मैं उसकी बुर में झड़ गया। तकरीबन 30 मिनट तक हमारी चुदाई चली होगी।
उस दिन के बाद जब भी हमें चोदने का मन हो तो मैं उसके घर जाकर उसको रात भर खूब चोदता हूँ। हफ़्ते एक बार तो मैं उसके घर जरूर जाता हूँ। और जब हम ऑफ़िस में हों तो वहाँ पर भी हमारा मन हुआ तो मैं टेरेस पर उसे चोदता हूँ! वो कैसे! मैं आपको अगली कहानी में बताऊँगा। पर आपको यह कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताइए।
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