बच्चे की चाहत

हर्ष मीत 56 2008-03-17 Comments

हाय दोस्तो, मेरा नाम हर्ष है, मैं सूरत से हूँ। मैं आपको अपनी एक सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ।

मैं पहले मोबाइल शॉप चलाता था। वहाँ पर एक भाभी हमेशा रिचार्ज करवाने आती थी। उसका नाम चेतना था। चेतना इतनी सुन्दर और बातें करने में माहिर थी कि बस उससे काफी देर बातें करता रहता था। मेरा लंड 9 इंच का है, मैं चोदने का बहुत शौकीन हूँ इसीलिए मैं जब भी चेतना को देखता तो मेरा लंड उसे चोदने के लिए मचल उठता था। दोस्तों क्या फिगर था उसका। मैं उसे चोदने के बारे में सोच कर उसे पटाने में लग गया।

एक दिन मैंने कह दिया- चेतना जी, आपकी शादी को कितना वक्त हो गया?

उसने कहा- पाँच साल।

मैंने कहा- कोई बच्चा नहीं है, क्या बात है?

उसने अपना सर नीचे कर लिया और कुछ मानसिक में आ गई।

मैंने कहा- क्या हुआ? चिन्ता में क्यों हो गई आप? अगर मैंने कुछ गलत कहा हो तो माफ़ी चाहता हूँ।

उसने कहा- नहीं, ऐसी बात नहीं है, मै तो चाहती हूँ, मगर हमारे उनसे कुछ होता नहीं है।

कह कर उसकी आँखों में आंसू आ गए।

मैंने हिम्मत करके कहा- क्या मैं आपकी कोई मदद कर सकता हूँ?

उसने कहा- आप मेरी इसमें क्या मदद करेंगे, जबकि पूरा दोष मेरी किस्मत का हो।

मैंने कह दिया- अगर आप चाहें तो हम दोनों के सेक्स सम्बन्ध से आपकी समस्या दूर कर हो सकती है।

उसने कहा- आप क्या बकवास कर रहे हो। मैं यह सब आपको एक दोस्त समझ कर बता रही हूँ और आप इसका फायदा उठाने की सोच रहे हो? मैं अब यहाँ कभी नहीं आऊँगी।

मैंने कहा- अगर आपको पसंद नहीं है तो कोई बात नहीं, बस आप नाराज मत हो।

वह बिना कुछ कहे वहाँ से चली गई। मैंने अपने आप को बहुत गालियाँ दी और उस दिन बहुत उदास रहा। फिर पाँच दिनों तक वो मेरी दुकान पर नहीं आई। मैं मन ही मन उसके बारे में सोचने लगा कि चेतना को कैसे मनाया जाए।

पाँच दिनों के बाद चेतना जब मेरी दुकान पर आई तो उसे देखकर मैं बहुत खुश हो गया, मैंने कहा- चेतना, मैं माफ़ी चाहता हूँ, मुझे तुम्हें वो सब नहीं कहना चाहिए था।

वह दो मिनट तो चुप रही फिर बोली- मैंने इस बारे में बहुत सोचा, मैं तैयार हूँ।

मेरे तो जैसे होश ही उड़ गए।

उसने कहा- लेकिन सिर्फ बच्चा होने तक ही ! और इस बात का किसी को पता नहीं चलना चाहिए।

मैंने कहा- किसी को पता नहीं चलेगा।

मेरी ख़ुशी का कोई पार नहीं रहा।

उसने कहा- मैं तुम्हें काल करुँगी !

इतना कह कर वहाँ से वह चली गई।

उस दिन मैं बड़ा बैचेन रहा और उसको चोदने के बारे में सोचकर मुठ मारनी पड़ी। रात को सपने में उसकी चूची, चूत, गांड ही दिख रही थी।

अगले दिन दोपहर एक बजे उसका फ़ोन आया और उसने मुझे अपने घर पर बुलाया।

मैंने पूछा- घर पर कोई नहीं है क्या?

नहीं ! पति ऑफिस गए हैं और सास-ससुर को अचानक गाँव जाना पड़ा, वे एक हफ़्ते के बाद आएँगे। आप अभी आ जाइए।

मैंने तुरंत ही दुकान बंद की और पाँच मिनट में उसके घर पहुँच गया। वो मेरा ही इंतज़ार कर रही थी।

मैंने कहा- क्या बात है? आप तैयार कैसे हो गई।

उसने कहा- ये सब बातें छोड़ो और अपना काम शुरु करो, कहीं कोई देख न ले।

मैंने कहा- ऐसे ही चोदने से बच्चा नहीं होता है। उसके लिए तुम्हें पूरे दिल से चुदवाना पड़ेगा, तभी बच्चा होगा।

वो तैयार हो गई और मुझसे लिपट गई।

मैंने समय ख़राब न करते हुए तुरंत ही उसके होंठों को चूम लिया और करीब 5 मिनट लम्बा चुम्बन लिया। वो उसी चुम्बन से ही गर्म हो गई। उसने तुरंत मेरा लंड पकड़ लिया और पैंट के ऊपर से ही उसे जोर से रगड़ने लगी। मेरा 9 इन्च का लंड उसकी बुर चोदने को तड़प उठा।

हम तुरंत ही एक दूसरे के सारे कपड़े उतारकर एकदम नंगे हो गए।

मेरा लंड देखकर वो चौंक गई- अरे राम इतना बड़ा, आज पहली बार देखा है। मेरे उनका तो इससे आधा ही है।

कहकर उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और हाथ से हिलाने लगी।

दोस्तो, उस समय मेरा क्या हाल हुआ होगा वो तो आप सब समझ ही रहे हो।

उसने तुरंत ही मेरे लंड को मुँह में लिया और जोर-जोर से अन्दर बाहर करने लगी। मैं तो जैसे सातवें आसमान पर था। मेरे मुँह से आह.. आह्ह…लो ! पूरा लो मेरी जान ! पूरा निगल जाओ, यह लंड तुम्हारा ही है ! जैसी आवाजें आ रही थी।

फिर मैंने उसे अपना लंड छोड़ने को कहा और उसे पलंग पर लिटाकर उसकी चूत को धीरे धीरे सहलाने लगा। उसे काफी मजा आ रहा था। मैंने उसकी चूत को जीभ से चाटना शुरु कर दिया। वह भी अपनी गांड उठाकर चूत चटवाने का मजा ले रही थी। वह पागल हुए जा रही थी।

उसने कहा- अब चाटना छोड़ो और जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दो, अब मुझसे नहीं रहा जाता, मुझे जल्दी चोदो, जल्दी ! नहीं तो मैं मर जाउंगी।

मैंने मौके को समझते हुवे चाटना छोड़कर उसे अपने ऊपर आने को कहा। चेतना मेरे ऊपर आ गई और उसने तुरंत ही मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत पर रखकर जोर से धक्का मारा तो पहली बार में ही मेरा लंड उसकी चूत में करीब 5 इंच अन्दर चला गया। चेतना पर पूरी तरह से चुदाई का नशा छाया हुआ था, इसीलिए तुरंत ही दूसरे धक्के में उसने मेरा पूरा लंड अपनी चूत में समां लिया। चेतना पागलों की तरह पूरी तेजी से चुदवा रही थी। करीब दस मिनट में ही उसकी गति और बढ़ गई और उसने मुझे जोर से दबा दिया। मैंने भी उसकी चूचियों को जोर से दबा दिया। और हम दोनों एक साथ झड़ गए। 5 मिनट तक वह मेरे ऊपर ऐसे ही पड़ी रही।

मैंने उसे फिर से चोदना चाहा पर उसने मना कर दिया, कहा- रात को घर पर कोई नहीं है, तब तुम अपनी सारी इच्छाएँ पूरी कर लेना।

फिर मैंने कपड़े पहने और उसको चूम कर वहाँ से चला आया।

दोस्तो, रात को क्या क्या हुआ, इसके बारे में मैं आपको अपनी अगली कहानी में बताऊंगा। तब तक के लिए अलविदा।

मेल भेजना मत भूलिएगा।

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