अतुलित आनन्द-2
प्रेषक : फ़ोटो क्लिकर
हमने एक दूसरे को देखा, अब आँखों ही आँखों में बातें होने लगी। उन्होंने मेरे हाथ पर अपनी हाथ रख दिया मैंने भी उनके हाथ को धीरे से दबाया, अब हम दोनों मस्त हो रहे थे।
मुझे लगने लगा कि क्या यह मस्त चीज मेरे ही लिये है? अगर हाँ तो ईश्वर का शुक्रिया।
इसी तरह हाथ दबाते हुए सहलाते हुए आधा घण्टा से ऊपर हो गया तो कहने लगी- चलिये, अब घर भी जाना है।
मैं अपने किस्मत को कोसते हुए चल पड़ा कि शायद मुझे ही पहल करनी चाहिए थी।
हम गाड़ी में बैठे और चल पड़े। रास्ते में मैंने फ़िर उनका हाथ पकड़ा वो कुछ नहीं बोली। मैं सहलाने लगा तो उन्होंने मेरे कंधे पर सर रख दिया। मैं उनके होंठों को छूने लगा, सुनसान जगह देख कर गाड़ी रोक दी और उनके होंठों को चूमने लगा, वो भी पूरा साथ देने लगीं। हम दोनों एक दूसरे के होठों को अच्छी तरह चूसने लगे तो मैंने उनके कमर पर हाथ रख दिया और कमर को सहलाने लगा, उनकी नाभि में उंगली से गुदगुदाने लगा। नंगी कमर को सहलाते हुए बड़ा मजा आ रहा था।
अब लगा कि वो भी मेरे ही तरह उत्तेजित हो गई थी। अचानक उन्होंने कहा- चलिए, गाड़ी चलाइए मेरे पति घर पर फ़ोन करने वाले हैं।
तब आज की तरह मोबाईल आम नहीं थे।
मैंने गाड़ी चालू की तो उन्होंने कहा- आप अपनी पैंट की जिप खोल दीजिए और फ़िर गाड़ी चलाइए।
मुझे झटका सा लगा, मैंने वैसे ही किया तो उन्होंने मेरी पैन्ट में हाथ डाल दिया अण्डरवीयर नीचे कर कर लण्ड को मुट्ठी में दबा कर बाहर निकाल लिया और गजब की नजरों से मुझे देखने लगी।
मैंने फ़िर चूमना चाहा तो मना करते हुए बोली- आप अपना काम कीजिए, मैं अपना कर रही हूँ।
मैंने मुस्कुराकर कहा- तब आपका काम भी देखता हूँ कि कितने अच्छे से करती हैं !
मेरा कहना था कि झट से झुककर मेरे लण्ड पर जीभ फ़ेरने लगी जैसे वो कोई आईसक्रीम या कुल्फ़ी हो, हर बार जीभ फ़ेर कर वो मुझे देखने लगती थी। आनन्द से मेरी आँखें बंद हो रहीं थीं, डर था कि गाड़ी ठोक ना दूँ।
अचानक उन्होंने मेरे लण्ड को मुँह में लेकर चूसना शुरु कर दिया और अण्डकोषों पर उंगलियाँ फ़िराने लगी, लण्ड पर मुँह से दबाव देने लगी और ऊपर-नीचे कर के चूसने लगी।
सच कहता हूँ दोस्तो, कभी किसी ने मेरे लण्ड को ऐसे नहीं चूसा था, जी चाह रहा था उन्हें गाड़ी में ही पटक दूँ और चोद दूँ ! पर मैं इस आनन्द को भी नहीं खोना चाहता था, किसी बच्चे की तरह दिल सब कुछ चाह रहा था।
वो मेरे लण्ड को चूसे ही जा रही थी और हाथों से हिला भी रही थी।
मैं पूरा मस्त हो गया था और लग रहा था कि निकलने ही वाला है तो मैंने कहा- मेरा शायद निकलने वाला है !
पर वो कुछ नहीं बोलीं, पर हाथों और मुँह का काम तेज जरूर हो गया।
मैंने सड़क के किनारे गाड़ी रोक दी, मेरी आँखें बंद हो गई और मेरे लण्ड ने उनके मुँह में फ़व्वारे छोड़ने शुरु कर दिए और वो मेरे लण्ड को निचोड़ते हुए मेरे सारे वीर्य को गटकने लगी जैसे और कभी उन्हें पानी भी नसीब नहीं होगा।
अच्छी तरह चूसने के बाद उन्होंने मेरे लण्ड पर एक चुम्बन किया और लण्ड को सहलाते हुए बोली- क्यों कैसा लगा मेरा काम?
मैंने कहा- मेरे से अच्छा !
और उन्हें चूम लिया तो उन्होंने कहा- और भी बेहतर कर सकती हूँ अगर आप रात मेरे घर पर रूक जाएँ तो !
मैंने कहा- कहें तो कभी ना जाऊँ?
और गाड़ी चालू कर उनके घर की ओर चल दिया, मैंने कहा- मैं अपने घर जाकर मकान मालिक को कह आता हूँ कि रात घर नहीं आऊँगा।
तो उन्होंने कहा- अपना सामान ले आना और कह देना कि हफ़्ते भर के लिये बाहर जा रहा हूँ ! और कार ले जाना !
मैं मुस्कुरा दिया और कार पर घर की ओर चल दिया। सारे रास्ते रात को होने वाली चुदाई के बारे में सोच सोच कर मेरा लण्ड खड़ा होकर परेशान कर रहा था। सोच रहा था उनकी चूत कैसी होगी, गुलाब की पखुड़ियों जैसी, खुशबूदार, नर्म नर्म जाँघों में बालों में घिरी होगी या बिन बालों के, स्वाद कैसा होगा? उनकी चूचियाँ कैसी होंगी, दबाने से कैसे लगेगा, क्या रात में भी मेरे लण्ड को वैसे ही चूसेंगी और भी बहुत कुछ।
वैसे ही मैं अपना सामान ले आया, दरवाजा उन्होंने ही खोला, कपड़े बदले जा चुके थे और वो एक सफ़ेद स्लैक्स और गुलाबी कुर्ते में थी, ऊपर वाले ने उन्हें चीज ही ऐसी बनाया था कि शायद चीथड़ों में भी मुर्दों को जिंदा कर दे।
मैंने अपना बैग रखा और उन्हें गले लगा कर चूमने लगा, वो भी साथ देने लगी, हमने एक दूसरे को खूब चूमा। मैंने अपने हाथ उनकी गोल गोल चूचियों पर रख दिये, उन्होंने होंठों से हट कर मेरे माथे को चूमा और मुस्कुरा कर कहा- तुम नहा लो, तब तक खाना बन जाता है, खा-पी कर बेडरूम में चल कर करेंगे, सब्र कीजिये ! ना रात भागी जा रही है न मैं !
मैं भी उनके होंठों पर एक चुम्मी देकर नहाने चला गया।
हम दोनों ने साथ खाना खाया, खाने का स्वाद गजब का था, अंत में गाजर का हलवा भी परोसा गया।
मैंने कहा- आप तो बहुत अच्छ खाना बना लेती हैं !
इस पर उन्होंने कहा- मैंने होटल मैनेजमेंट किया हुआ है, तीन साल एक बड़े ही नामचीन होटल में काम भी किया है, पति को मेरा काम करना पसंद नहीं था सो छोड़ना पड़ा !
कहते-कहते उदास हो गई, मैंने उनके कन्धे पर हाथ रखा तो उन्होंने मेरा हाथ चूम लिया, होंठों पे मुस्कान पर आँख भरी थी मानो और छेड़ा तो सैलाब !
मैं भी मुस्कुरा दिया।
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