आधुनिक चुदाई

rr30733 2013-09-22 Comments

प्रेषक : रॉकी

दोस्तो मेरा नाम रॉकी है, मैं मंदसौर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 21 साल है, मेरी हाइट 5 फिट 7 इंच है और मैं काफ़ी सुंदर भी हूँ।

यह आज से 2 साल पहले की घटना है, जब मैं 12 क्लास में था।

एक बार मैं और मेरा दोस्त मोहन स्टडी कर रहे थे मेरे घर पर। मैं पढ़ाई में हमेशा उससे आगे रहता था और हमेशा मुझसे ही पढ़ता था।

एक दिन मोहन मुझसे कहने लगा- यार तू सब चीज़ में उस्ताद है। पढ़ाई में तो बहुत ही अच्छा है और पढ़ाई में मेरी हेल्प भी करता है। यार तू मेरा एक काम करेगा क्या?

मैंने उससे पूछा- क्या काम है?

उसने कहा- यार तू सपना को भी हेल्प कर दे पढ़ाई में।

सपना उसकी छोटी बहन, जो उसके साथ किराए के मकान में रहती थी।

मैंने कहा- यार जैसे तेरी छोटी बहन वैसे ही मेरी छोटी बहन। मैं उसे पढ़ा दूँगा।

अगला दिन तय हुआ कि हम उसके घर में पढ़ेंगे। अगले दिन रात को ठीक 8 बजे मैं उसके घर पहुँच गया।

उसकी छोटी बहन मोनू ने दरवाजा खोला और मुझसे पूछा- आप कौन हैं?

मैं उसे बताया कि मैं मोहन का दोस्त हूँ और आज हम लोग आपके घर ही पढ़ेंगे।

उसने मुझे अंदर आने के लिए कहा और मैं जाकर सोफे पर बैठ गया।

पर वहाँ मुझे मोहन नहीं दिखाई दिया। मैंने उससे पूछा- मोहन कहाँ है?

उसने बताया- वो कहीं गए हैं, अभी आते ही होंगे।

मैंने उससे फोन करके पूछा- भाई तू कहाँ है?

उसने मुझसे कहा- भाई आने में थोड़ी देर हो जाएगी और वो मोनू को पढ़ाना शुरु कर, मैं एक घंटे में आ जाऊँगा।

मैंने उसके कहने के बाद मोनू से कहा- मैं दरअसल तुम्हें पढ़ाने आया हूँ।

वो अपनी बुक लेकर मेरे साथ सोफे पर बैठ गई और मैंने उसे पढ़ाना शुरू कर दिया।

तभी अचानक पढ़ते-पढ़ते मेरा ध्यान उसके सीने पर चला गया।

पहली ही नज़र में दिल ने कह दिया कि अब तो इसके साथ कुछ किया जाए। उसकी गजब की छातियाँ थीं, उसने अंदर ब्रा भी नहीं पहनी थी।

उसकी मस्त और मोटी-मोटी चूचियाँ थीं।

बस अब तो मन में आ ही चुका था कि आज तो मस्ती करनी है, चाहे कुछ भी हो जाए। तभी मैंने दोबारा मोहन को फोन किया कि भाई तू कहाँ है? और कब तक आएगा?

मोहन ने जवाब दिया- यार आज रात शायद ना आ पाऊँ। तू भी वहीं पर सो जाना और सुबह चले जाना और उसने अपनी बहन से भी यही कह दिया। फिर क्या था।

मेरी तो समझो जैसे लॉटरी लग गई हो। पढ़ाने के बाद उसे पटाने के लिए मैं मोनू से इधर-उधर की बातें करने लगा।

मैंने उससे पूछा- तुम्हारा कोई दोस्त नहीं है क्या?

उसने कहा- कोई उससे दोस्ती ही नहीं करता। क्योंकि सब दोस्त कहते हैं कि तू कुछ नहीं जानती है।

“कुछ नहीं जानती, मतलब? क्या कुछ नहीं जानती हो तुम?”

उसने अपनी नजरें नीचे झुका लीं और मेरे जोर देने पर उसने कहा- मैं आजकल के चलन के हिसाब से नहीं चल पाती हूँ। मुझे बहुत शर्म आती है।

मैं समझ गया कि यह चाहती तो है पर संकोच करती है।

मैंने उसको और खोला- क्या तुम वही कहना चाह रही हो जो आजकल के लड़के लड़कियाँ खुल कर करते हैं?

उसने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

मैंने कहा- तो इसमें क्या है, वो सब कुछ तुम्हें मैं सिखा दूँगा, अगर तुम्हें कोई प्राब्लम ना हो तो।

तो वो तुरंत मान गई।

मैं उससे कहा- पहले तो कपड़े उतारो।

वो थोड़ा घबरा गई।

मैंने उसे समझाया तो वो मान गई।

फिर क्या था मैंने उसके बूब्स को दबाना शुरू कर दिया और फिर उसके होंठों पर चूमना शुरु किया और मैंने फिर उसकी पेंटी में हाथ दे दिया और फिर वो सिसकारियाँ भरने लगी।

मैं समझ गया कि लौंडिया गर्म हो चुकी है, अब डालने का मज़ा आने वाला है।

मैंने उससे पूछा- कुछ हो रहा है?

उसने कहा- हाँ मुझे नशा सा हो रहा है।

मैंने अपने कपड़े उतार दिए और उससे लंड मुँह में लेने के लिए कहा और उससे यह भी कहा कि इसको मुँह में लेने से तुम्हारा नशा कम हो जाएगा।

उसने मेरा लौड़ा मुँह में ले लिया।

हाय क्या मज़ा आ रहा था। उसे भी और मुझे तो बस। उसके बाद मैंने उसकी चूत को सहलाना शुरू किया।

सब काम फिट था। मेरा लवड़ा भी तन्ना रहा था। सुपाड़ा भी फूल गया था। बस फिर मैंने इंतज़ार किए बिना उसको लिटाया और उसकी चूत में लंड ठोक दिया।

वो इतनी ज़ोर से चिल्लाई कि बस मुझे तो लगा कि वो मर गई।

लेकिन यह बात हमको याद रखनी चाहिए कि आज तक लौड़े को ठूंसने के कारण एक भी लौंडिया नहीं मरी होगी।

कुछ देर तक उसके साथ इकसठ-बासठ करने के बाद उसे भी मज़ा आने लगा।

वो आराम से ‘ऊहह’ करती हुई वो सब कुछ करवाती रही जो मैं चाहता था।

उसके बाद हम बाथरूम में एक साथ नहाने गए। वहाँ भी यही प्रोग्राम चला और फिर सारी रात चुदाई समारोह चलता रहा।

उसको आजकल के जमाने का ज्ञान प्राप्त हो चुका था।

आज भी मेरे उससे सम्बन्ध हैं।

बस अब तो आप यूँ समझ लो कि वो मेरी परमानेंट ना होने वाली वाइफ है।

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