कविता की गालियों भरी चूत चुदाई
(Kavita Ki Galiyon Bhari Chut Chudai Masti)
सभी मित्रों को मेरा नमस्कार.. मैं 25 साल का नवयुवक हूँ.. मैं शुरू से दिल्ली का रहने वाला हूँ और मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मैं काफी समय से अन्तर्वासना पर प्रकाशित कहानियों को पढ़ता आ रहा हूँ। यूँ तो पहले मैं सोचता था कि ये सब कहानियाँ सच्ची नहीं होती हैं.. पर बाद में खुद का अनुभव हुआ तो समझ में आया कि सभी कहानियाँ कमोबेश सच्ची ही होती हैं।
मैंने भी सोचा कि क्यों न सभी अन्तर्वासना के मित्रों के साथ अपने साथ घटी एक घटना भी बांटी जाए।
मैं शुरू से ही शादीशुदा और अपने से बड़ी उम्र की औरतों की तरफ काफी आकर्षित रहता हूँ।
यह बात उन दिनों की है.. जब मैं इंटर में था.. मेरे एक दोस्त ने बताया कि याहू चैट पर काफी लड़कियों से बात हो सकती है… तो मैंने सोचा कि क्यों ना अपनी किस्मत आजमायी जाए।
मैंने याहू चैट पर लड़कियों से बात करनी शुरू कर दी। काफी समय बीत जाने पर भी किसी से बात न हो पाने पर मैं निराश हो गया था.. तभी एक दिन मेरी बात कविता नाम की अपने से 4-5 साल की एक बड़ी ही अमीर औरत से हुई.. जिसका पति एक बहुत बड़ी कंपनी में जनरल मैनेजर था और सारा दिन काम में लगा रहता था।
उसका पति कविता पर कुछ ख़ास ध्यान नहीं देता था.. उसके तीन बच्चे भी थे।
शुरू में बात कुछ खास नहीं हुई.. पर धीरे-धीरे बात बढ़ती गई और मैं कविता को चाहने लगा।
धीरे-धीरे वो भी मुझे पसंद करने लगी थी। उसने बताया कि उसे जवान लड़कों के साथ सम्भोग करना बहुत पसंद है और सेक्स के समय उसे पिटना, गालियाँ सुनना और जंगली सेक्स करना पसंद है।
मेरे दोस्त ने बताया था कि शादीशुदा औरतों से बात करते हुए जल्दबाजी नहीं दिखनी चाहिए.. मैंने उसकी बात याद रखते हुए ऐसा ही किया।
तीन महीने तक बात करने के बाद एक दिन उसने कहा- क्या तुम मुझसे मिलोगे?
मेरी तो जैसे मुराद पूरी हो गई।
उसने मुझसे सोमवार के दिन सुबह दस बजे मॉल में मिलने को बुलाया।
मैं माल पहुँचा तो मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ.. वो तो जैसे एक तराशा हुआ नगीना थी.. उसने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी हुई थी और आँखों में काजल लगा रखा था.. उसका 36-32-42 का फिगर भी उसका एकदम लंड खड़ा कर देने वाला था।
उसकी मोटी और उठी हुई गाण्ड देख कर मेरा लंड उसी समय खड़ा होने लगा। मैंने खुद को सम्हाला.. तभी वो मुस्कुरा के बोली- कहाँ खो गए?
मैं भी मुस्कुराया और कहा- आपकी खूबसूरती में… आप बहुत सुंदर हो..
वो मुस्कुरा कर बोली- तुम भी बहुत क्यूट हो..
हम दोनों दो घंटे तक मॉल में घूमते रहे.. तभी मैंने उसका हाथ पकड़ लिया.. वो कुछ नहीं बोली और मुस्कुरा दी।
फिर हमने खाना खाया.. तभी उसने कहा- अब मुझे जाना होगा.. हम फिर मिलेंगे..
यह सुन कर मैं निराश हो गया.. पर मैंने कुछ नहीं कहा और बोला- ठीक है..
उसके बाद भी हमारी बातें होती रहीं। मैंने उससे 15 दिन बाद फिर मिलने को बोला.. वो तुरंत राजी हो गई।
इस बार उसने मुझे अपने घर बुलाया.. मैं ठीक समय 10 बजे उसके घर आ गया। उसने उस समय हरे रंग का गाउन पहना हुआ था और साफ़ दिख रहा था कि अन्दर कुछ नहीं पहन हुआ है, मेरी आँखें यह साफ़ देख सकती थीं।
मैं अन्दर आया तो वो बोली- कुछ खा लो.. मेरे पति अभी गए हैं.. मैं जरा नहा कर आती हूँ..
मैंने चाय पी और घर में घूमने लगा.. उसके कमरे में जाने पर मैंने देखा.. उसका कमरा बहुत सुन्दर ढंग से सजा था। कमरे के साथ बाथरूम भी अटैच था.. मैंने चाबी के छेद से देखा तो मैं देख कर दंग रह गया। इतना सुन्दर और तराशा हुआ जिस्म तो किसी जवान लड़की का भी नहीं हो सकता था।
उसकी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे.. पेट हल्का सा निकला हुआ था.. जो कि बहुत खूबसूरत लग रहा था। उसके बगलों में भी बाल थे.. यह देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया।
अब वो दरवाज़े की तरफ आने लगी.. मैं घबरा गया और जैसे ही पीछे हटा.. तो साथ ही रखा हुआ गिलास गिर पड़ा.. जिससे काफी जोर से आवाज़ हुई।
मैं भाग कर बाहर वाले कमरे में आ गया और वहीं बैठ गया।
कुछ देर बाद वो मुस्कुराती हुई बाहर आई और बोली- तुम मुझे नहाते हुए देख रहे थे ना?
मैं डर गया और कुछ बोल नहीं पाया.. वो एकदम से जोर से हँसी और बोली- तुम डरते हुए कितने क्यूट लग रहे हो..
यह सुन कर मेरी जान में जान आई, मैं बोला- आपके जैसा सुन्दर बदन मैंने कभी नही देखा।
वो बोली- तुम मेरे बदन को दुबारा देखना चाहोगे?
‘अँधा क्या चाहे दो आँखें..’ मैंने बोला- हाँ..
उसने मेरा हाथ पकड़ा और बोली- आओ मेरे साथ..
वो मुझे अपने बेडरूम में ले गई.. और उसने गाउन उतार दिया.. नीचे वो एकदम नंगी थी.. उसे नंगा देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया।
वो बोली- साले.. मैं तुम्हारी कुतिया हूँ.. तुम्हारी नौकरानी हूँ.. मादरचोद.. तुम मुझे मारो-पीटो.. गाली दो.. तुम मेरे साथ जो मर्ज़ी करो..
यह सुन कर मैं जोश में आ गया।
उसने भी धीरे-धीरे मेरे कपड़े उतार दिए। मेरे शरीर पर बस मेरा अंडरवियर बचा था.. जो मैं उतारना नहीं चाहता था.. पर उसने जबरन उसे भी उतरवा दिया।
मैं उसके सामने निर्वस्त्र खड़ा था और वो मेरे सामने पहले ही नंगी हो चुकी थी।
अभी मुझे शर्म सी आ ही रही थी कि उसने मुझे अपने बाहुपाश में जकड़ के बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया। वो इस तरह मुझे चूम रही थी.. जैसे सालों से भूखे को खाना मिल गया हो।
उसने मुझसे चूत चाटने के लिए बोला.. तो मैंने कहा- यह मुझे अजीब लग रहा है.. यह मुझसे नहीं होगा..
उसका मुँह उतर सा गया.. तब मैं हिम्मत करके उसकी चूत के पास मुँह लेकर गया। एक अजीब सी खुशबू आ रही थी.. मैं उसमें खो सा गया और ना जाने कब उसे चाटने लगा।
वो जोर-जोर से ‘आहें’ भरने लगी- आह.. उह.. आहह..ह मह..ह आहह..
उसकी आवाज मुझमें एक मदहोशी ला रही थी.. मैं पागलों की तरह उसकी चूत को चूस रहा था.. तभी वो अकड़ गई और झड़ गई।
मैं भी उसके जिस्म से निकले हुए रस की खुशबू की मदहोशी में मैं उसका पूरा पानी पी गया।
अब मैं पता नहीं किस दुनिया में था.. पर मैं जहाँ भी था.. बहुत खुश था।
कुछ देर बाद उसने मुझे जगह-जगह चूमना शुरू कर दिया.. मैं फिर से उत्तेजित होने लगा।
उसने मुझे अब पीटने को बोला.. मैं सीधा-साधा लड़का.. पर वो बार-बार बोलती रही- मुझे मारो..
यह सुनते-सुनते मुझे ग़ुस्सा आ गया और मैंने उसके गाल पर एक जोर से चांटा लगा दिया। वो जोश में आ गई और बोली- हाँ.. इसी तरह.. बिल्कुल ठीक किया तुमने..
फिर मैंने उसके दोनों हाथ बांध दिए और फिर पैर भी जकड़ दिया और फिर उस पर मैंने जम कर चांटे बरसाने शुरू कर दिए।
उसे बहुत मज़ा आ रहा था.. वो जोर-जोर से चिल्ला रही थी- और मारो.. और जोर से..
अजीब किस्म की वासना थी।
मैंने फिर उसे उलट के लिटा दिया.. और उसकी गाण्ड पर चांटे बरसाने लगा।
वो तो जैसे जन्नत में पहुँच गई.. वो लगातार बोलती रही- मैं तुम्हारी कुतिया हूँ.. मुझे पीटो.. मारो.. मेरी गाण्ड मारो.. मुझे नंगी करके चोदो.. मुझे रंडी की तरह चोदो.. अपना लंड मेरे मुँह में दे दो..
यह सुन कर मुझे और जोश आने लगा.. मैं और जोर से उसको पीटने लगा और उसको और ज्यादा मज़ा आने लगा।
दस मिनट तक उसके पीटने के बाद वो बोली- अब बस करो.. और सामने अलमारी से प्लास्टिक का लंड ले आओ..
मैं प्लास्टिक का लंड ले आया और पास ही रखी हुई एक बेल्ट भी उठा ली।
अब मैंने उसके कहे अनुसार से भी आगे बढ़ते हुए उसकी आँखों पर पट्टी बाँध दी.. वो बोलने लगी- नहीं ऐसा मत करो..
मैंने उसकी नहीं सुनी और उसकी आँखें पट्टी से बंद कर दीं और पहले मैंने बेल्ट निकाल कर उसके सारे शरीर पर बेल्ट बजानी शुरू कर दी।
वो चिल्लाने लगी- नहीं.. अब बस करो और नहीं..
मैंने बोला- साली रंडी.. तुझे बहुत शौक है.. पिटने का.. अब मैं दिखाता हूँ.. कैसे मारा जाता है..
मैं जम कर उसे बेल्ट से पीटने लगा।
फिर मैंने प्लास्टिक के लंड को उसकी चूत में तेज़ी से अन्दर-बाहर करना शुरू किया.. वो 5 मिनट में एक बार फिर स्खलित हो गई.. और रोने लगी- अब बस करो.. अब और नहीं..
मैंने बोला- चुप रह रंडी.. आज मैं तुझे असली चुदाई करके दिखाता हूँ।
मैंने बहुत सी ब्लू-फिल्म देखी थीं.. सो मुझे चुदाई का पूरा ज्ञान था। अब मैंने अपना लंड निकाला और उसकी चूत में घुसा दिया.. वो दर्द के मारे चिल्ला पड़ी- नहीं.. ई..ई..ई.. मेरी जान मत निकालो..
मेरा लंड एकदम कोरा और नया था.. मैंने जैसे ही लंड चूत में डाला.. मुझे जोरदार जलन का एहसास हुआ.. पर मैंने बिना परवाह किए बगैर और तेज़ी से उसे चोदना जारी रखा।
वो पूरी ताकत से चिल्लाने लगी- बस कर हरामी.. और नहीं..
पर मैंने एक न सुनी और धकापेल चोदना जो शुरू किया.. तो बस चोदता ही रहा। मेरा ऐसा मन कर रहा था कि इस साली को चोदता ही रहूँ। मैंने खूब कस-कस कर धक्के मारते हुए उसे चोदा।
उसको चोदते-चोदते मेरा मन ही नहीं भर रहा था। क्या साली मस्त चीज़ थी.. बड़ी मस्त चूत थी।
फिर मैं दो मिनट के लिए रुक गया कि उसे कुछ समय दूँ.. वो एकदम जैसे किसी और जहाँ में चली गई और एक अलग मज़े में अपना जिस्म हिलाने लगी।
करीब 20 मिनट बाद वो अपने पूरे होश में आई और बोलने लगी- मेरे हाथ और पैर खोल दो..
मैंने उसके हाथ-पैर खोल दिए.. खोलते ही वो रोने लगी और मेरी बाँहों में लिपट गई.. मैंने उसे रोने दिया।
कुछ पलों बाद मैं बोला- मैं तुम्हें अभी और चोदना चाहता हूँ।
उसने कहा- ठीक है.. लेकिन अब प्यार से चुदाई करते हैं।
मैं उसके ऊपर आ गया.. उसे पैरों पर चूमना शुरू किया.. वो अजीब सी आवाजें निकालने लगी- आअह… आआह… आअह…
मैं चुम्बन करते-करते उसकी मोटी जांघों के बीच आ गया.. उसकी चूत को किस किया.. वो सिहर उठी और मेरा सर चूत में दबाने की कोशिश करती हुई वो अब एकदम दुबारा गर्म हो चुकी थी।
मैं अब उसकी चूचियों को चूमने लगा.. मुँह में मुँह डालकर हमने 5 मिनट तक किस किया।
वो बोली- अबे इसके आगे भी कुछ और करोगे..? मैं कब से तड़प रही हूँ.. मुझसे अब रहा नहीं जा रहा.. जल्दी मुझे चोद साले..!
मैं शुरू हो गया और उसने मेरे लौड़े की तारीफ़ भी की.. बोली- इतना लम्बा और सख्त… मेरे उस गांडू पति का भी ऐसा नहीं है।
उसकी चूत से अब पानी निकल रहा था.. मैंने उस पानी को भी चखा.. बड़ा नमकीन स्वाद था।
वो मेरे सिर को अपनी चूत में दबाये जा रही थी। अब वो और भी गर्म हो गई और तड़पने लगी.. बोली- जल्दी और जल्दी चोदो राजा..
मैंने अब चोदना शुरू किया… वो आआह्ह… उउह्ह्ह… करने लगी।
हम एक-दूसरे को मुँह में किस भी कर रहे थे। मुझे तो मानो जन्नत मिल गई थी। मैं और तेजी से चोदने लगा.. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी।
पूरा कमरा ‘आआअह्ह… आआह्ह… उउउह… उउउम्म..’ से भर गया था।
इस तरह मैंने उसको 15 मिनट तक चोदा।
कुछ मिनट के बाद वो बोली- अब मैं झड़ने वाली हूँ!
मैं भी झड़ने वाला था.. मैंने उसे बताया.. तो उसने कहा- अन्दर ही झाड़ दो..
अब मैं उसके होंठों को चूमते हुए उसकी चूत में झड़ गया।
हम दोनों सुस्त हो गए थे.. उसने अश्लील भाव से मेरा लौड़ा हिलाया और पूछा- मजा आया न?
मैंने कहा- हाँ बहुत मज़ा आया।
इस तरह एक साल तक मैं उसको चोदता रहा।
कहानी कैसी लगी जरूर लिखिएगा।
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