जन्म दिन का तोहफ़ा-1

(Janamdin Ka Tohfa- Part 1)

रवीश सिंह 2013-03-17 Comments

आपको मेरी कहानियाँ पसंद आ रही है उसके लिए शुक्रिया।

पिछली कहानी पर किसी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि मैंने कैसे अपने दोस्त इमरान की गर्ल फ्रेंड शाहीन को चोदा !

तो बताना चाहता हूँ कि जो भी हुआ, वो उसकी मर्ज़ी से हुआ। मैं जबरदस्ती के सख्त खिलाफ हूँ। सेक्स जिस्मों का खेल तो है पर करने के समय मानसिक सुख की अनुभूति भी होनी चाहिए। आज की कथा के पात्र मुख्यतः अंग्रेजी बोलने वाले हैं पर मैं सारा वर्णन हिंदी में करूँगा। पहचान छिपाने के लिए कुछ नाम बदल दिए हैं।

एक शनिवार शाम रिया का फ़ोन आया,”कहाँ है अभी?”

“बार में दारु पी रहा हूँ, आ रही है क्या?” मैंने पलट सवाल किया।

“चूतियों जैसी बातें मत कर ! विक्की आता होगा, तुझे लिंडा मैडम ने अभी याद किया है।” रिया बोली।

“तू रूम नंबर मैसेज कर, ड्रिंक खत्म करके जाता हूँ।” मैंने कहा।

वह हमेशा 5 सितारा होटल में कमरा बुक करा वहीं बुलाती थी, अपने घर पर कभी नहीं।

“रूम नहीं, उनको फ़ोन कर, तेरे को पिक करने गाड़ी भेज रही हैं, पूरे वीकेंड का प्रोग्राम है, और सुन चोदू, जल्दी से सेंट वेंट मार के तैयार हो जा, बहुत जल्दी में थी।” रिया ने कह कर फ़ोन काट दिया।

मुझे रिया की यह बात ही अच्छी नहीं लगती है ‘साली रोब बहुत मारती है।’

जल्दी से ड्रिंक गटक बार से बाहर निकला और पास के मॉल से महंगा परफ्यूम ख़रीदा, लिंडा को फ़ोन लगाया, “हाय लिंडा, रवीश बोल रहा हूँ !”

“हाई डियर कहाँ हो? मैं लेने आ रही हूँ।” लिंडा ने मॉल से मुझे अपनी गाड़ी में पिक किया और शहर के बाहर एक फार्म हाउस में ले गई।

उसने बताया कि यह उसकी फ्रेंड का है, संडे शाम तक मुझे यहीं रहना है, साथ में उसकी दो फ्रेंड्स भी होगी। उनमें से एक फ्रेंड का जन्मदिन है और मैं उसका गिफ्ट हूँ।

फार्म हाउस में एक केयरटेकर और उसकी पत्नी थी।

“मैं कुछ समझा नहीं?” मैंने कहा और सच में मेरे लिए पहली बार था, “मैं कैसे गिफ्ट हो सकता हूँ?”

लिंडा ने समझाया, “मेरे जैसे मेरी फ्रेंडस, कनिका और मीरा, भी अपने पतियों से अतृप्त है, आज मीरा का जन्मदिन है इसलिए उसकी प्यास बुझाने के लिए तुम्हें चुना है। अब एक अच्छे बच्चे की तरह यहाँ इंतज़ार करो, रात 12 के बाद हम आयेंगे, तब बॉक्स में ही रहना। और हाँ आज मीरा जो कहे कर लेना, प्लीज !”

“बॉक्स?”

“हाँ, वो सामने !”

वहाँ एक बड़ा 5 फ़ीट ऊंचा और इतना ही लम्बा चौड़ा ऊपर नीचे से खुला पर रंगीन चमकीले कागज़ से ढका, रिबन बंधा डिब्बा रखा था।

उसने मुझेएक शैम्पेन की बोतल और दूसरा सामान दिखाते हुए बताया कि कैसे करना है।

अमीरों के चोंचले भी समझ नहीं आते हैं। जो भी हो, आज मैं मीरा का ग़ुलाम था। बहरहाल रात पौने बारह के करीब औरतों की किलकारियाँ सुनाई देने लगी साथ ही मैंने खुद को उस डिब्बे में बन्द कर लिया सामान के साथ्।

बाहर कई औरतों के वार्तालाप और खिलखिलाहट की आवाजें गूंजने लगी, जाम टकराने की आवाजें भी आ रही थी।

हैप्पी बर्थडे का गाना बजा और ठीक 12 बजे मीरा ने बॉक्स खोला और मुझे देखा और बोली- “वाओ, फक्किंग हॉट गिफ्ट !”

जैसा लिंडा ने कहा वैसे मैं बॉक्स में सिर्फ अंडरवियर में दायें घुटने पर हाथों में महंगी शैम्पेन लिए बैठा था। तीनों देवियाँ सेक्सी टॉप और छोटी छोटी शॉर्ट्स में क़यामत ढा रही थी। सभी हाथों में जाम और सुलगती सिगरेट पकडे हुए थी।

कनिका और मीरा तो लिंडा से ज्यादा सेक्सी और बड़े बड़े वक्षों की मालकिन थी (बाद में पता लगा इम्प्लांट्स की वजह से)। मीरा का चेहरा केक से भरा था और थोड़ा उसके चूचों पर भी गिरा था।

मीरा अपना जाम रख मेरी बाईं जांघ पर बैठ गई और मेरे हाथों से शैम्पेन की बोतल ले लिंडा और कनिका को धन्यवाद दिया। उसने कॉर्क खोल शैम्पेन बहने दी, मीरा ने मस्ती में लिंडा और कनिका को गीला किया तो उन्होंने मीरा को।

तीनों ने अंदर ब्रा नहीं पहन रखी थी, उनकी निपल्स साफ़ चमक रही थी।

लिंडा ने उसकी दोनों दोस्तों को मेरा परिचय दिया और बताया कि मैं बिस्तर में कितना मस्त हूँ।

मीरा ने कहा, “आज यह मेरा गुलाम है और मेरी आज्ञा के बिना किसी की फुद्दी में धूम नहीं मचाएगा।”

मेरी तरफ मुख़ातिब होकर बोली, “मेरे ऊपर लगे केक को साफ़ करो।मैंने टिश्यू लेने के लिए हाथ बढ़ाया तो टोका, “अहह, चाट कर.…”

मैंने मीरा की गर्दन में हाथ डाल का चेहरा अपनी ओर खींचा और चाट कर साफ़ किया। होठों पर आते ही मीरा ने चुम्बन ले लिया। मेरा मुँह केक की मिठास से ज्यादा मीरा के थूक से मीठा हो गया। लिंडा और कनिका ने अपनी शराब से मीरा को गीला कर दिया और हमारा सेक्सी चुम्बन तोड़ दिया।

कनिका बोली, “मीरा, तेरा ग़ुलाम तो कामचोर है, केक तो साफ़ ही नहीं किया।”

चूचों पर गिरे केक की ओर इशारा करके कहा।

“इसे भी साफ़ करो, बेबी !” कहते हुए मीरा ने टॉप नैक से खींचते हुए चूचों को मेरे चाटने के लिए परोस दिया। मैंने चाट के चूस के साफ़ किया। फिर अंदर जाना तय हुआ और मीरा के आदेश पर मुझे उसे बाँहों में उठा कर ले जाना था।

अंदर लिंडा और कनिका हॉल में चली गई और मीरा ने एक रूम में ले जाने का आदेश दिया। रूम में ले जा मैंने मीरा को नर्म बिस्तर पर लिटाया।

“मेरे कपड़े उतारो… और अपने भी !” मीरा ने आदेश दिया। समझ नहीं आया मेरे बदन पर तो सिर्फ अंडरवियर है कपड़े कौन से? मीरा की शॉर्ट्स के बटन खोले और नीचे किया तो मस्त गुलाबी चूत चमक रही थी। भेनचोद पैसा हो तो इंसान किसी भी उम्र में सेक्सी रह सकता है। टॉप उतारा अब मीरा मेरे सामने नंगी अंगड़ाई ले रही थी। अपना अंडरवियर ऐसे उतारा कि लंड इलास्टिक में अटक कर झटके से छूटा और हवा में ऐसा उछला कि मीरा की आँखें लालच से खुली रह गई।

मीरा उठी और मुझे सीने से लगा लिया। उसके शैम्पेन से गीले मम्मे मेरी छाती से चिपके हुए थे। होठ निरंतर चुम्बनरत थे। उसका हाथ मेरे लंड को सहला रहा था नाप रहा था।

10 मिनट में तन्द्रा टूटी तो बोली, “बाहर से, मेरा केक ले आओ।”

ग़ुलामों की ज़िन्दगी कैसी होती होगी, अब पता चला। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

अंडरवियर पहने लगा तो एक और फरमान आया, “नहीं, ऐसे ही जाओ !”

खड़े लौड़े के साथ बाहर गया तो जो नज़ारा देखा तो सुस्त पड़ते लंड फिर अटेन्शन में आ गया। लिंडा और कनिका पूरी नंगी एक दूसरे को चूम रही थी और कनिका लिंडा की चूत में ज़ोर ज़ोर से उंगली कर रही थी। रह रह कर लिंडा का मूत निकल रहा था। मन तो बहुत हुआ में भी चूत के पानी से थोड़ी होली खेल लूँ लेकिन आदेश याद आया, मेज पर रखा केक उठाया और कमरे में मीरा के पास चला गया।

मीरा कमरे के बाहर बालकनी में सिगरट पी रही थी। चाँद की रोशनी में नंगा बदन संगेमरमर सा चमक रहा था। पीछे से पकड़ दोनों चूचों का मर्दन करने लगा और गर्दन कन्धों पर गीला चुम्बन देने लगा। मेरा लंड उसकी पीठ पर ज़ोर मार रहा था और मेरे टट्टे उसकी गांड की दरार में।

मीरा के किसी भी आदेश की प्रतीक्षा किये बिना उसके धुंए से भरे मुँह को चूमा और लंड पीछे से चूत में डाल दिया। चाँदनी रात में मीरा बालकनी में चुदने लगी। सिगरेट फेंक अपने मम्मो को सँभालने में लग गई वो। हर धक्के के साथ लंड चूत की नई ऊँचाइयों को छू रहा था और मीरा उन्मुक्त सेक्स में मदहोश हो रही थी।

मीरा की चूत ने पानी छोड़ दिया पर मेरा लंड अभी भी गरम मोटे लम्बे सरिये की तरह था। मीरा को उठा बालकनी की डोर पे बिठाया और आगे से फिर लंड पेल दिया। उसने दोनों हाथों से डोर पकड़ रखी थी और मैंने पीठ पर हाथ रख सम्भाल रखा था। मैं उसके चूचों को बारी बारी चूस रहा था और धकाधक चोद रहा था।

20 मिनट के बाद मीरा को नीचे उतारा और उसके वक्ष पर अपना गाढ़ा माल निकाल दिया। मीरा के चेहरे से लग रहा था कि वो प्रसन्न थी।

मैंने उसे बाँहों में उठाया और अंदर बिस्तर पर एक दूसरे की बाहों में सो गए।

कहानी ज़ारी रहेगी।

रवीश सिंह

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