जीना इसी का नाम है-1
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Jeena Isi Ka Naam Hai-1
मेरा नाम सौरभ गुप्ता है, मैं मध्यप्रदेश के छोटे से गांव का निवासी हूँ मेरा स्वभाव सीधा सादा है।
लेकिन दिखने में मैं एक ऊँचा गोरा व सुंदर नौजवान हूँ, जिसे लड़कियाँ आसानी से पसंद कर लें।
मैं 6 साल का हुआ तब तक मेरे माता पिता दोनों ही इस दुनिया से जा चुके थे। मेरा पालन पोषण मेरे चाचा जी और चाची जी ने किया, बड़े होने पर मैंने बी कॉम पास कर लिया।
मुझे कंप्यूटर का भी थोड़ा ज्ञान है चाचा जी का कहना था कि तुझे पढ़ाने लिखाने में मेरा काफी पैसा खर्च हो गया है इसलिए तुम्हारा पुश्तैनी जायजाद पर कोई हक नहीं है, तुम अपनी नौकरी देख लो।
इस तरह जो छोटी मोटी जायजाद मेरे हिस्से में आनी थी वो मेरे हाथ से चली गई।
नौकरी की तलाश में मैं शहर आ गया, यहाँ पर मैंने एक कंसल्टेंट की मदद से एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में एच आर डिपार्टमेंट में नौकरी हासिल कर ली।
मेरे चाचा व चाची मुझसे कोई संपर्क नहीं रखना चाहते थे क्योंकि उन्हें डर था कि मैं जायजाद मैं हिस्सा न माँग लूँ इसलिए मैं शहर में अकेला रह गया।
एक साल के भीतर ही मैं अपने सीधे, सच्चे स्वभाव व मेहनत के बल पर कंपनी में ऑफिसर के निगाह में चढ़ गया। मेरे बॉस मिस्टर भंडारी सबसे ज्यादा मुझ पर भरोसा करते थे।
इस समय मेरी उमर 23 साल थी मेरे बॉस 38 साल के थे।
एक दिन की बात है जब मेरे बॉस मिस्टर भंडारी छुट्टी पर थे, रिसेप्शन से मुझे फोन आया, मोना (रिसेप्शन वाली लड़की) ने मुझे बताया कि होटल सन राइज़ से किसी अनिता मोदी का फोन है। भंडारी साहब से बात कराने का बोल रही है, तू अटेंड कर ले।
मैंने कहा- अच्छा ठीक है लाइन दे दो।
फोन लेने पर दूसरी तरफ़ से एक सेक्सी और मीठी आवाज़ आई- मेरा नाम अनिता मोदी है, मैं होटल सन राइज़ में मॅनेजर हूँ, मुझे जहाँ तक जानकारी है कि आपकी कंपनी में काम के सिलसिले में अक्सर फॉरेन से गेस्ट आते रहते हैं जिन्हें आप लोग होटल क्राउन पॅलेस में रुकवाते हैं।
मैंने कहा- यह बात सही है पर आप क्या चाहती हैं?
इस पर जवाब मिला कि हम क्राउन पॅलेस से ज़्यादा अच्छी सर्विस देंगे और हमारे चार्ज भी उन लोगों से कम है, हमारा होटल एकदम नया है। तो आप लोग हमें सेवा का अवसर दें।
मैंने कहा- यह तो भंडारी साहब ही डिसाइड कर सकते हैं।
वो बोली- आप उनसे मेरी बात करा दें।
मैं बोला- मैडम, आज तो सर छुट्टी पर हैं, आप कल सुबह 10 बजे कॉल कर लीजिए।
वो बड़े मीठे अंदाज में बोली- आप उनका मोबाइल नंबर दे सकते हैं प्लीज़?
मैं मुस्कुरा कर बोला- नहीं मैडम, यह मुझे अलाउड नहीं है।
वो बोली- आप इतना तो कर सकते हैं ना कि कल जब वो सीट पर रहें, आप मुझे मेरे इस मोबाइल नंबर पर कॉल कर दें।
मैंने कहा- ठीक है।
और उससे नंबर ले लिया।
दूसरे दिन मैंने उसका काम कर दिया, शाम को भंडारी साहब बोले- सौरभ, आज तुम मेरे साथ कार में चलो, होटल सनराइज़ में विज़िट करना है, डिनर भी वहीं पर लेना है।
मैं तैयार हो गया, शाम को करीब सात बजे मैं भंडारी साहब के साथ होटल सनराइज़ पहुंचा।
रिसेप्शन पर भंडारी साहब ने बात की तो एक सर्विसमैन हमें लेकर अनिता मोदी के केबिन में गया।
उसे पहले से हमारे आने की जानकारी थी, उसने उठ कर बड़े ही शालीनता से हमारा स्वागत किया।
मैं उसे देखते ही रह गया, क्या लड़की थी, उमर 25 के आसपास होगी, संगमरमर में ढली हुई थी, रंग एकदम गोरा, एक अच्छी हाइट, बड़ी बड़ी और सुन्दर काली आँखें, मॉडल जैसा फिगर मेनटेन करके रखा था, बाल कटे हुए चेहरा खूबसूरत और स्मार्ट…
उसने घुटनों के ऊपर तक का स्कर्ट पहना हुआ था जिससे उसकी गोरी गोरी चिकनी टाँगें व जाँघ का कुछ हिस्सा दिख रहा था।
ऊपर वो सफेद शर्ट व उसके ऊपर समरकोट पहने थी।
उसे देख कर मुँह से शब्द निकलने बंद हो गये, मैं सम्मोहित सा उसे देखता रह गया, वो एक बला की खूबसूरत लड़की थी जिसे देख कर किसी का भी ईमान डोल सकता था।
वो बोली- हमारे होटल में आपका स्वागत है, आप चाय, काफ़ी लेंगें या कुछ ठंडा मंगवा लूँ?
भंडारी साहब बोले- आप सिर्फ चाय मंगवा लें।
अनीता ने वेटर को बुलवा कर चाय लाने को कहा। भंडारी साहब से अनीता कुछ औपचारिक बातें करने लगी।
कुछ देर बाद वेटर चाय व पानी लेकर आ गया, हम लोग चाय पीने लगे, मैं अनीता के सामने खुद को बहुत छोटा समझ रहा था।
मैं ठीक से उसे अटेंड भी नहीं कर पा रहा था, मुझे काफी असहज महसूस हो रहा था।
चाय ख़त्म करने के बाद अनीता हम लोगों को होटल दिखने ले गई, उसने हमें मीटिंग हॉल, बार, डांस रूम, सेपरेट रूम, स्विमिंग पूल, जिम, प्लेग्राउंड सब कुछ दिखाया।
उसके बात करने और चलने का अंदाज़ एकदम इम्प्रेस करने वाला था। तभी भंडारी साहब के घर से फ़ोन आ गया, वो अपने घर चले गए।
अनीता मुझे लेकर वापस केबिन में आ गई, मैं उससे नजरें नहीं मिला पा रहा था।
कैबिन में सीट पर बैठ कर अनीता ने सिगरेट का पैकेट निकाल लिया, मुझसे बोली- क्या आप सिगरेट पीना पसंद करेंगे?
मैं घबरा कर बोला- नहीं!
वो मुस्कुरा कर बोली- क्या मैं पी सकती हूँ?
मैंने कहा- जी हाँ, क्यों नहीं।
उसने लाइटर से सिगरेट जलाया और अपना एक पैर दूसरे पर चढ़ा कर हल्के हल्के कश लगाने लगी, मैं उसे सम्मोहित सा देख रहा था, 10 सेकंड में मैंने मुश्किल से अपने होश को काबू किया, मेरे अन्दर डर, हीनभावना और सेक्स तीनों एक साथ जाग रहे थे।
अनीता व्हील चेयर पर टिक कर हिलते हुए, आँख बंद करके सिगरेट पी रही थी।
इधर मेरी हालत ख़राब हो गई थी, उसके रूप व जवानी पर मेरी ऐसी लार टपक रही थी, जैसे भूखा कुत्ता किसी आदमी को खाना खाते देख कर टपकता है।
मेरा लंड खड़ा हो गया था, कामवासना बुरी तरह मुझ पर हावी होती जा रही थी, जी चाहता था कि साली का यहीं स्कर्ट उठा कर लंड घुसेड़ दूँ।
पर अपनी औकात का मुझे पता था और इस बात का डर भी था कि वो मेरे इरादे जान गई तो मेरा इम्प्रैशन और ख़राब हो जायेगा।
कुछ समय बाद वेटर आया और बोला- मै’म डिनर रेडी है।
अनीता मुझे लेकर हॉल में आ गई, अब तक मैं अपने आपको काफी संभाल चुका था।
डिनर लेते वक्त अनीता बोली- आपके यहाँ से कांटेक्ट मिलना हमारे लिए बहुत महत्त्व की बात है, हम अपनी बेस्ट सर्विस आपको देंगे! आप हमारे लिए जो भी कर सकते हैं, प्लीज करो! हाँ जाते वक्त हमारे चार्जेस का कोटेशन लेते जाना, रेगुलर कस्टमर बनने पर हम आपको 10% डिस्काउंट भी देंगे।
मैंने कहा- ठीक है।
घर आकर मुझे वो ही वो नजर आ रही थी, उसकी चिकनी टांग गोरा रंग मॉडल जैसा फिगर चलने और बात करने का स्टाइल… अनीता के नाम की मुठ मारनी पड़ी तब जाकर नींद आई।
कुछ दिन बाद हमारी कंपनी और होटल सनराइज में कांटेक्ट हो गया।
अनीता ने मेरा धन्यवाद किया।
एक बार हमारे ईरान से कोई बहुत महत्वपूर्ण गेस्ट अनीता के होटल में आकर रुके, अनीता उनको लेकर कम्पनी ऑफ़िस आई।
यहीं पर उससे दूसरी मुलाकात हुई।
गेस्ट लोग अपना काम कर रहे थे, अनीता मेरे पास आकर बैठ गई। आज मैं अनीता के साथ उतना असहज नहीं था।
अनीता बोली- सौरभ कैसे हो?
मैंने कहा- ठीक हूँ।
बात चलने लगी, बोली- ये ईरान वाले कल से पका रहे हैं, पता नहीं क्या क्या खाते हैं और कैसे रहते हैं।
उसने फिर सिगरेट निकाल ली।
मैंने कहा- मैडम, यह फार्मा (दवाई) कंपनी है, सिगरेट अलाउड नहीं है। आप मेरे साथ केन्टीन चलें, वहाँ पर आप पी सकती हैं।
अनीता थैंक्स कह कर मेरे साथ केन्टीन आ गई, उसके सिगरेट पीने के बाद हमने चाय भी पी।
अनीता बोली- तुम सिगरेट नहीं पीते, यह अच्छी बात है, मैं भी छोड़ना चाहती हूँ पर छोड़ नहीं पा रही हूँ।
अनीता के साथ बात करते समय अब मैं सहज होता जा रहा था, अब मुझमें हीनभावना मरती जा रही थी।
अनीता जाते वक्त मुझसे बोली- तुम एक सीधे और सरल स्वभाव के हो, मुझे यह बात अच्छी लगी।
मैं यह सुन कर खुश हो गया।
एक दिन मैं ऑफिस का काम समाप्त करके रूम (किराये का) पर जा रहा था तो मिस्टर भंडारी ने मुझे बुला लिया, उन्होंने मुझसे कहा- आज शाम को 7 बजे होटल सनराइज वाले पार्टी दे रहे हैं, मैं नहीं जा सकता इसलिए तुम चले जाओ, वहाँ बड़े बड़े लोग आयेंगे इसलिए होशियारी से रहना, अपनी कम्पनी का इम्प्रैशन ख़राब नहीं होना चाहिए। मैं संतोष (कंपनी का कार ड्राईवर) से बोल दूँगा, वो तुम्हें लेकर जायेगा और वापस तुम्हारे रूम पर छोड़ देगा।
मैं खुश हो गया कि आज अनीता से तीसरी मुलाकात होने वाली थी।
मैं शाम 7 बजे होटल पहुँच गया तब तक पार्टी शुरू नहीं हुई थी। एक दो लोग ही दिख रहे थे।
मैंने रिसेप्शन पर पूछा तो जवाब मिला- सर, ऐसी पार्टी में लोग देर से ही आते हैं।
मैंने उससे अनीता के बारे में पूछा तो बोली- मैम तो ऊपर जिम में एक्सरसाइज कर रही होंगी।
मैंने कहा- आप उनसे मेरी बात करा दें।
उसने एक दो पल मेरी ओर देखा फिर अनीता को काल कर दिया। अनीता ने मुझे ऊपर जिम में बुला लिया।
वो एक स्किन टाईट ड्रेस में थी, एक्सरसाइज की ड्रेस में उसका सारा फिगर दिख रहा था, उसके बूब्ज़ कूल्हे कमर सबका पता चल रहा था। चलते वक्त उसके बूब्ज़ हिलते और पिछवाड़ा भी हिल रहा था, मेरा दिल फिर से बेईमान होने लगा था।
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वो हंस कर बोली- अरे तुम आ गए? ठीक है, मैं चेंज करके आती हूँ, तुम यहीं बैठो।
मैं बैठ गया, वो चेंज करके आई।
कुछ देर बात करने के बाद वो बोली- तुम हॉल में चलो, मैं तुम्हें वहीं मिलती हूँ।
9 बजे के बाद पार्टी रंग पर आई, बड़े लोगों की बीवियाँ और बेटियाँ सेक्सी कपड़े पहने थी जिसमें से उनके बदन की नुमाइश हो रही थी। लोग ड्रिंक ले रहे थे, सिगरेट का धुँआ उड़ा रहे थे।
अनीता भी ब्लैक कलर की सेक्सी ड्रेस में थी, नीचे से ड्रेस कटी थी, चले वक्त उसकी जांघों तक पैर दिख रहे थे, ऊपर से उसके बूबे का लगभग आधा हिस्सा ओपन था, पीठ का बड़ा भाग भी खुला हुआ था, सामने से पेट के पास कपड़ा जालीदार था जिससे उसके पेट के भाग और नाभि क़ी झलक दिख रही थी।
ड्रिंक लेने के बाद कई लोग बहकने लगे थे, अनीता भी ड्रिंक ले रही थी, एक घंटे बाद उस पर नशा हावी होने लगा था, नशे की हालत में वो मेरे पास आकर बैठ गई, लड़खड़ाते हुए बोली- तुम एक सीधे आदमी हो… आई लाइक यू! तुम कुछ खुल कर बोलते क्यों नहीं… मुझसे कोई गलती हो गई? तुम मुझे अपना दोस्त समझो, कभी कोई मदद चाहिये तो बोलना! घबराना मत…तुम एक अच्छे आदमी हो…
पर एक बात बोलूँ, बुरा मत मानना… थोड़े स्मार्ट बनो…
फिर मेरे कान के पास फ़ुसफुसाई- तुम्हारे बॉस ने कांटेक्ट देते समय अपना कमीशन सेट कर लिया है, तुम चाहते तो तुम्हें भी कुछ न कुछ मिल जाता… खैर कोई बात नहीँ, आगे देख लेंगे।
तभी होटल का एक सीनियर मेरे पास आकर बोला- इसे ज्यादा हो गई है, तुम इसे घर पर ड्राप कर दो।
मैंने कहा- ठीक है।
अनीता जाने को तैयार नहीं हो रही थी, तब सीनियर ने कहा- अनीता, तुम्हारे घर से फ़ोन है, तुम्हारे पापा तुम्हें बुला रहे हैं।
तब अनीता बोली- गुड बाय… मैं जाती हूँ सौरभ, तुम मुझे लेकर चलो, मैं तुम्हें अपने घर का रास्ता बताती हूँ।
मैं अनीता को लेकर कार की तरफ चला गया। सीढ़ियों से उतरते समय वो थोड़ा लड़खड़ा गई, मैंने उसका हाथ पकड़ लिया उसका हाथ पकड़ते ही लंड खड़ा हो गया।
वो बोली- मेरा हाथ छोड़ो… मैं चल सकती हूँ।
मैंने किसी तरह उसे कार में बैठाया और उसके घर पहुँचे, घर पर उसके पिताजी अकेले थे। अनीता को इस हाल में देख कर बेचारे तिलमिला गए, बडबड़ाये- इस लड़की से मैं परेशान हूँ।
अनीता के घर से लग रहा था कि वो अपर मिडल क्लास को बिलोंग करती है, अनीता का कमरा ऊपर था, वो सीढ़ियाँ चढ़ने के लायक नहीं थी, मैंने उसे सहारा दिया, उसको खड़ा करके उसका एक हाथ अपने गले में डाला और अपना एक हाथ उसकी कमर में डाला, फिर उसको लेकर सीढ़ियाँ चढ़ने लगा।
उसका नरम बदन मेरे शरीर से रगड़ रहा था, उसकी जांघों तक नंगी टांगें मेरी टांगों से रगड़ रही थी, उसके गाल मेरे गालों को टच कर रहे थे और उसके आधे खुले बूब्ज़ मेरी छाती से दब रहे थे, मेरा एक हाथ आलरेडी उसकी खुली पीठ लपेटे था और मेरे पंजा उसके चिकने गोरे पेट पर था, बहुत मजा आ रहा था, लंड टाईट हो गया था, मैं सोच भी नहीं सकता था कि अनीता को इस तरह टच करूँगा।
चलते वक्त मैं उसको थोड़ा जोर से भींच लेता था, वो मदहोश थी। मुझे इतना मजा आ रहा था कि लग रहा था कि पैंट में ही छुट हो जाएगी।
कहानी जारी रहेगी।
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