जबलपुर की ममता की अतृप्त वासना -2
(Jabalpur Ki Mamta Ki Atrapt Vasna- Part 2)
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अब तक आपने पढ़ा..
मैं उसको लेकर होटल आ गया.. जहाँ से लंच के बाद उसको अपने कमरे में ले गया। वो बहुत डर रही थी.. पर मैं नहीं माना और उसको कमरे में ले गया। कमरे का दरवाजा बंद करके मैं उसको लेकर बिस्तर पर गया और उसका हाथ अपने हाथ में लेकर प्यार से बातें करने लगा। थोड़ी देर में वो नार्मल हो गई और शायद भूल गई कि वो मेरे साथ अकेले कमरे में है।
अब आगे..
अब मेरे एक्शन का टाइम था.. जिसके लिए मैं आया था। धीरे से मैं उसके कंधे पर हाथ रख कर उसके और पास आ गया और हल्के से उसके गाल पर एक चुम्बन दे दिया.. वो अपने में सिमट गई।
मैंने उसको बाँहों में ले लिया और उसकी आँखों में देखा.. और उसके होंठों पर एक चुम्बन धर दिया।
आह.. क्या नर्म मुलायम से होंठ थे..!
दोस्तो, इस उम्र में भी बिल्कुल नर्म और रस से भरे होंठ.. वो मेरी बाँहों में थी और मैं उसको किस कर रहा था। उसके बदन की सिहरन मैं महसूस कर रहा था.. उसके हाथों का कसाव.. मैं अपने जिस्म में महसूस कर रहा था.. लगातार मैं उसके होंठों का चुम्बन कर रहा था।
थोड़ी देर में उसने भी रेस्पॉन्ड करना शुरू कर दिया और दोस्तो आआह्ह्ह्ह.. क्या जादू था उसके चुम्बन में.. पता नहीं कितनी देर हम दोनों किस करते रहे। जब अलग हुए.. तो दोनों ही पूरी तरह नशे जैसी हालत में थे।
मैंने उसको फिर से बाँहों में ले लिया, फिर गोद में उठा कर पलंग पर लिटा दिया और मैं उसके ऊपर लेट गया और फिर होंठों का किस करने लगा।
मैं कभी होंठ पर.. कभी गर्दन पर.. कभी कानों पर किस कर रहा था। थोड़ा नीचे आकर मैंने उसकी चूची पर हाथ रखा और हल्के से दबाया.. आह.. क्या सॉफ्ट माल सी थी। उसकी चूची को छू कर ऐसा लगा था कि जैसे उसकी चूची को किसी ने कायदे से मसला ही न हो।
ममता- राजी नहीं.. और आगे नहीं..
मैं- ममता मुझको मत रोको.. मैं जनता हूँ कि तुम ये चाहती हो.. तुम भी प्यासी हो और मैं भी.. तुमको मैं वो अहसास दूँगा.. जो तुमको तेरे पति ने नहीं दिया.. वो प्यार दूँगा.. जिसकी तुमको तलाश है।
ममता- हाँ मैं भी चाहती हूँ.. पर मुझे डर लगता है.. किसी को पता चल गया.. मेरे बच्चों को पता चल गया.. तो वो सब मेरे बारे में क्या सोचेंगे।
मैं- किसी को क्या पता चलेगा और फिर हम दोनों रोज़-रोज़ थोड़े कर रहे हैं.. मैं यहाँ से चला गया.. तो किसी को कोई शक भी नहीं होगा।
मुझे लगा कि कहीं वो ‘न’ न कर दे इसलिए मैंने उसकी वासना को जगाना शुरू कर दिया, फिर से उस पर लेट कर उसे चूमना चाटना शुरू कर दिया।
थोड़ी ही देर में वो फिर से पिघलने लगी और मैं उसकी टी-शर्ट में हाथ डाल कर उसकी पीठ को सहलाने लगा। अपने हाथों में उसकी ब्रा की स्ट्रिप को मैं महसूस कर रहा था। वो मुझको कस के बाँहों में पकड़ रही थी.. मेरे लब उसके कान की लौ को चूस रहे थे। मेरा दूसरा हाथ उसकी चूची को धीरे-धीरे ब्रा के ऊपर से सहला रहा था। मेरी गर्म सांस उसके कानों में जा रही थी।
आप सबको पता होगा कि सांसों की गर्मी से कोई लड़की या महिला खुद को कितनी जल्दी गर्म महसूस करती है.. कभी आप भी आज़माना।
उसकी इसी बात का फायदा उठा कर मैंने उसकी टी-शर्ट को ऊपर उठा दिया। उसको हल्के से उठाया और टी-शर्ट उतारने लगा, उसके थोड़े से विरोध के बावजूद मैंने उसकी टी-शर्ट को उतार दिया।
आह.. क्या नज़ारा था.. लाल ब्रा में.. उसका गोरा बदन चमक रहा था।
मेरी काफी दिनों की प्यास अब और बढ़ गई थी। मेरा लण्ड इतना टाइट बहुत दिनों के बाद हुआ था।
मैंने भी शर्ट उतारी और फिर से उसके ऊपर आ गया। अब हम दोनों के जिस्म ऊपर से नग्न थे और मैं अपने हाथों से उसकी चूची को मसल रहा था। अपने नग्न सीने को उसके जिस्म से रगड़ कर मैं उसकी वासना को जगाने लगा।
ममता- आह राजी.. यह मत करो न.. प्लीज रुक जाओ.. यह गलत है.. ना.. आह्ह्ह्ह.. क्यों कर रहे हो.. रुको ना..
मैं- ममता अब मत रोको मुझे.. अगर हम रुके.. तो हम दोनों के जिस्म की आग हम दोनों को जला देगी।
मैं लगातार उसको किस कर रहा था उसकी चूची को दबा-सहला और पिंच कर रहा था। उसके जिस्म की थरथराहट से मुझे पता चल रहा था कि वो पल दूर नहीं.. जिसके लिए मैं आया था। उसकी कराहटों से कमरे में अनोखा संगीत गूँज रहा था.. जो मुझको और उकसा रहा था। मैंने उसकी ब्रा की स्ट्रिप खोल दी और ब्रा निकाल कर अपना मुँह उसकी चूची में लगा कर उसको चूसने लगा।
ममता- आअह राजी.. यह क्या कर दिया.. हाँ.. तुम सच में बहुत अच्छे हो.. आह्ह..
मैं कभी उसकी एक चूची चूसता और कभी दूसरी.. मेरी जीभ से उसके निप्पल पर गोल-गोल घूम रही थी। मेरे दांत उसके निप्पलों को काट रहे थे। उसकी कराहट मेरे अन्दर जोश भर रही थी। मैं और जंगली बन रहा था.. उसकी चूचियाँ मेरी लार से पूरी गीली हो गई थीं।
उसके हाथ मेरी पीठ और मेरे बालों की सहला रहे थे। दोस्तों उसके निप्पल के चारों तरफ का भूरा घेरा काफी बड़ा था.. बड़ा ही नहीं शायद बहुत बड़ा था।
ममता अब पागल हो रही थी।
मैं उसकी चूची को चूसता हुआ नीचे बढ़ने लगा.. तभी ममता ने मुझे रोक दिया- राजी.. रुक जाओ.. बहुत हो गया अब आगे नहीं..
मैं- ममता देखो.. जब इतना सब कुछ हो गया.. तो अब मुझे मत रोको.. काफी दिनों से मुझे इस पल का इंतज़ार था और तुमको भी था.. ये मैं जानता हूँ।
ममता- हाँ.. पर ये सब गलत है.. मेरी बेटी को पता चला तो वो क्या सोचेगी..
मैं- किसी को क्या पता चलेगा और तुम बेकार का डर रही हो।
कह कर मैं उसके होंठों को फिर से चूसने लगा। ममता ने भी अपना जिस्म ढीला छोड़ दिया। मैं समझ गया कि अब वो मेरे लण्ड के लिए तैयार हो गई है। मैंने उठ कर अपनी पैन्ट उतार दी। अब मेरे जिस्म पर सिर्फ एक फ्रेंची थी.. जिसमें मेरा लण्ड फूला हुआ दिख रहा था और ऊपरी हिस्सा फ्रेंची के बाहर आ रहा था।
दोस्तो, काफी समय के बाद मैं अपने लण्ड में इतना कसाव और कड़ापन देख रहा था। ममता ने मुझको इस हालत में देख कर शर्म से अपनी आँख ढक लीं।
मैंने धीरे से उसके हाथों को उसकी आँखों से हटाया और फिर उनको अपनी फ्रेंची के ऊपर रख दिया।
उसने तुरंत हाथ हटा लिया..
मैं- क्या हुआ ममता.. पकड़ो ना!
ममता- नहीं.. मैं नहीं कर सकती.. ये बहुत बड़ा है।
मैं- क्या बड़ा है?
ममता- तुम्हारा वो..
मैं- वो क्या? हिंदी में बोलो..
ममता- नहीं मैं नहीं बोल सकती..
मैं- बोलो ना.. तुमको और मुझे अच्छा लगेगा..
ममता शर्माते हुए धीरे से बोली- लण्ड..
दोस्तो, ऐसा लग रहा था कि मेरी युवा अवस्था लौट आई है, मेरी बीवी ने आज तक हिंदी में नहीं नाम लिया था, ममता के मुँह से सुन कर मैंने जोश से भर कर उसकी जांघों के ऊपर बैठ कर उसकी नाभि को चूमना शुरू कर दिया।
थोड़ी ही देर में ममता के मुँह से ‘आअह..’ की आवाज़ आने लगी। मेरा हाथ उसकी जींस के बटन खोलने लगा। ममता ने एक बेकार सी कोशिश की.. मेरा हाथ पकड़ कर.. पर उसका विरोध बहुत कमज़ोर था और मेरे हाथ उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी बुर के आस-पास आ गया था।
मैं जानबूझ कर वहाँ हाथ नहीं लगा रहा था। ममता अपनी कमर को उठा कर मेरी उंगलियों को अपनी बुर से टच कराने की कोशिश कर रही थी।
मैं उसको तड़पा रहा था.. ममता का हाथ अचानक मेरे लण्ड पर आ गया और उसने उसे काफी जोर से दबा दिया.. मेरे मुँह से चीख निकल गई- अइ ई एई..। अब वो धीरे-धीरे जंगली बन रही थी। मैंने उसकी जींस उतार दी.. अब वो सिर्फ लाल पैंटी में थी।
मैंने झुक कर उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी बुर को चूम लिया।
आह्ह.. क्या महक थी.. जो मुझको मदहोश कर गई..
ममता- छी:.. यह क्या करते हो.. वो गन्दी जगह है..
मैं- नहीं.. मुझे करने दो.. तुमको अच्छा लगेगा..
यह कह कर मैं उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी बुर चूसने लगा। उसकी पैंटी पहले से ही उसकी योनि रस से भीगी हुई थी, मेरी लार ने पूरी पैंटी को गीला कर दिया।
उसका एक हाथ मेरे सर पर था.. दूसरे से चादर को जोर से पकड़ रखा था, उसका सर उत्तेज़ना से इधर-उधर हो रहा था।
ममता- राजी.. यह क्या कर दिया तुमने.. मुझको कभी इतना अच्छा महसूस नहीं हुआ.. अब बस अब आ जाओ।
वो कमर उठा-उठा कर मुझे बुला रही थी। मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी.. अब वो बिल्कुल नंगी मेरे सामने थी।
मैं गौर से उसके जिस्म को देख रहा था। नारी सौंदर्य सच में ऐसा होता है.. कंचन सी कोमल सी काया.. गोरी-गोरी त्वचा.. माथे पर बिंदी.. गले में सोने की माला.. सचमुच वो कामदेवी लग रही थी।
उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था.. मैं समझ गया कि वो जानती थी कि आज कुछ ना कुछ होगा।
मैंने फ़ोन में बात के दौरान बोला था मुझे क्लीन चूत पसंद है..
मैंने उसके भरी-भरी जांघों को चूमना और सहलाना शुरू कर दिया।
‘आआह राजी.. यह क्या हो रहा है मुझको..’
मैं धीरे से उसके दोनों पैरों को फैला कर उसके बीच में बैठ गया।
ममता- आह्ह.. ये गलत है..
मैं- क्या गलत है..
ममता एक नॉटी सी मुस्कान के साथ बोली- तुमने मुझको पूरी नंगी कर दिया.. पर खुद अभी भी फ्रेंची में हो..
मैं- ओह्ह.. वो तुम्हारा काम है.. तुमको देखना हो तो तुम उतार लो.. जो मुझको देखना था.. वो मैंने उतार दिया।
यह सुन कर वो उठी और मुझको नीचे गिरा दिया.. मेरे ऊपर आ कर मुझको लिप-किस करने लगी। उसका एक हाथ मेरी छाती से होता हुआ मेरी फ्रेंची के अन्दर चला गया और उसने मेरे लण्ड को पकड़ किया.. उसको सहलाने लगी।
साथियो.. जीवन के मोड़ पर ममता और मेरा ये एकदम नया अनुभव हम दोनों को किस पड़ाव पर ले जाने वाला था इसको पूरा जानने के लिए अन्तर्वासना पर मेरे साथ जुड़े रहिए।
आपके विचारों का मेरी मेल पर स्वागत है।
कहानी जारी है।
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