कुंवारी चूत अनुभवी लंड के चंगुल में- 2

(Hot Girl New Desi Sex Kahani)

हॉट गर्ल न्यू देसी सेक्स कहानी में एक भाभी एक लड़के और एक लड़की का पीछा करती हुई उनकी हरकतें देख रही है. उसने कुछ ही देर में लड़की को पटा कर चुदाई होती देखी.

फ्रेंड्स, मैं आपको एक सीलबंद चुत की चुदाई की कहानी का मजा दे रहा था.
मेरी कहानी के पहले भाग
कुंवारी चूत अनुभवी लंड के चंगुल में
में अब तक आपने पढ़ा था कि नदीम ने साइमा को कुछ देर रुकने के लिए कहा और वह उधर से नदारद हो गया.

अब आगे हॉट गर्ल न्यू देसी सेक्स कहानी:

परी उन दोनों के बग़ल की टेबल में बैठी हुई ये सब जुमले सुन रही थी और अन्दर ही अन्दर वासना के वशीभूत होकर अपना यौवन रस प्रसारित करने लगी थी.

तभी नदीम लौट आया और बोला- हमारे पास वक़्त बहुत कम है. मैंने यहीं एक कमरे का प्रबंध कर लिया है. मैं कुछ पल आपके साथ अकेले में बिताना चाहता हूँ.

यह कहते-कहते उसने अपना बायां हाथ आगे किया और साइमा की शर्ट के थोड़ा डीप कट गले में से झांकते सांचे में ढले उसके उभारों को छूकर नाजुकता से सहलाने लगा.

हाथ तक फिर भी सही था.
किंतु यह सेक्स के लिए प्रत्यक्ष आमंत्रण था.

नदीम का नफासत भरा स्पर्श साइमा के बदन में सनसनी पैदा कर रहा था.
अब साइमा चाह कर भी इसके लिए मना नहीं कर पा रही थी.

साइमा को उसकी बातों में वासना की बू नहीं आ रही थी, जो उसे घिनौनी लगती.
बल्कि अब साइमा की मुस्कुराहट और जिस्म में होती सिहरन साफ़ दिखाई दे रही थी.

नदीम- आप जैसी सुंदरी कब और कहां मिल सकती है मुझे? इस मौक़े को आसानी से मैं गंवाने को तैयार नहीं हूँ. एक बार मैं पुनः आपको यक़ीन दिलाता हूँ कि ये पल मेरे लिए ही नहीं, आपके लिए भी अविस्मरणीय होने वाले हैं.

अब नदीम के शब्दों में वजन बढ़ने लगा था.
उसकी यह रणनीति काम करने लगी थी.

साइमा भी उसके शब्दों के बोझ तले दबने लगी थी.

इतना कहते हुए नदीम उठा और साइमा के पीछे आकर खड़ा हो गया.

वह अपने मज़बूत हाथों से साइमा की कनपटी, गर्दन और बालों का सुख लेने लगा.

नदीम बिना समय गंवाए अपने हाथ साइमा के सफ़ेद शर्ट के अन्दर सरकाने लगा.
हाथों के अन्दर पहुंचते ही साइमा के ज़बरदस्त आकार के सुडौल कोमल स्तनों को अपने अधिकार में लेने लगा.

एक तरफ़ नदीम 26 वर्षीय मज़बूत जिस्म वाला 6 फ़ुट का बांका युवक था.
उसका पूरा जिस्म कसा हुआ था. उसके शरीर पर कोई भी थुलथुलाहट नहीं थी.

दूसरी तरफ़ एक लड़की थी, जो कि नयी नयी जवानी में अपने पांव पसार रही थी. हरकतें तो बहुत की थीं उसने … पर आज तक वह एक मर्द के स्पर्श से अनछुई थी.

शायद आज उसका कौमार्य भंग एक मंजे हुए खिलाड़ी से होने जा रहा था.
साइमा की उम्र 22 वर्ष की थी.

साइमा के मन में रस्साकसी चल रही थी नदीम जिसकी बाज़ी लगभग पूरी जीत ही चुका था.
उसके स्तनों की गर्माहट को महसूस करते हुए नदीम ने बोलना चालू किया- आह लगता है ये सांचा ऊपर वाले ने एक बार प्रयोग करके तोड़ दिया, आज तक मैंने इतने कातिल और मंजुल उरोज नहीं देखे … इन्हें शब्दों में बयान करना बहुत कठिन है. इन में होती थिरकन और आपकी गर्म सांसों से पता लगता है कि पहली बार ये किसी मर्द के आग़ोश में आए हैं. आप तो स्वर्ग की अप्सराओं से भी ऊपर हैं साइमा जी!

सार्वजनिक स्थान पर होती इस हरकत से साइमा शर्मा गई और दोनों हाथों से अपने आपको ढक लिया.
लेकिन ऐसा करने से नदीम को रोक ना पायी.

स्पर्श ने अपना असर दिखाया और साइमा के जिस्म ने दो तीन बार सरसराहट ली. उसकी रीढ़ सिहर गई और आंखें आधी बंद हो चलीं.
उसकी हथेली अब बंद हो चली थी, उसका दिमाग़ उसके क़ाबू से बाहर था.

इसमें साइमा की कोई गलती नहीं थी.
अपने 22 साल के समय में इस तरह का स्पर्श, अनुभव और बातें वह पहली बार सुन रही थी.

इस पूरे काम में तहज़ीब थी, नज़ाकत थी, संवेदनशीलता थी और दबाव भी था जो नदीम के हाथों से साइमा के उरोजों पर महसूस हो रहा था.

लगातार साइमा का मन खुलने लगा था.
नदीम के हर कामों में साइमा भरपूर साथ दे रही थी.

स्पष्ट रूप से नदीम मंजा हुआ कलाकार था जिस पर साइमा अब अंतिम सीढ़ी चढ़ने को तैयार थी.

नदीम- अब उठिए भी … आपके घर के बुलावे आने से पहले फ्री भी तो होना है. समय कम है हमारे पास, आपको पूर्णता का अहसास कराने के लिए मुझे थोड़ा समय और चाहिए था, पर कोई बात नहीं … मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि आपको अपनी आशा के अनुकूल आनन्द मिलेगा!

नदीम के हाथ साइमा के ऊपरी जिस्म पर स्वंत्रता से विचरण कर रहे थे.
साइमा के चिकने बदन पर अब लालिमा आने लगी थी.

नदीम ने उसका चेहरा ऊपर किया और साइमा के अधरों पर एक गहरी छाप छोड़ दी, नाक की कोर के साथ ऊपरी होंठों का रस पी लिया.

इसी के साथ नदीम ने अपने हथेली उसकी हथेली में लगा कर उठने का इशारा किया.

अब परी के हाथ अपने आप ही अपनी जांघों और स्तनों पर चलने लगे थे.

परी ने हल्के नीले रंग की साड़ी पहन रखी थी जो परी भी सोच रही थी कि काश कोई उसे भी यूँ मदहोशी के सफ़र में ले चले.

परी का मुँह लार से भर गया था और वह अपने गुप्तांग के रस को अपने टांगों के बीच महसूस कर पा रही थी.
आख़िर करे भी क्यों ना महसूस … उसकी भी जवानी इस वक्त हिलोरें मार रही थी.

परी झट से उठी और दोनों का पीछा करने लगी.

वे दोनों एक हॉल में गए और एक कमरे में बंद हो गए.
रास्ते में नदीम साइमा के नितंबों को महसूस करता हुआ और कभी बग़ल से उसके स्तनों को नोंचता हुआ ज्वाला को भड़का रहा था.

अब परी कमरे के अन्दर का नज़ारा देखने के लिए परेशान थी.
वह कोई होटल नहीं था, वह एक रेस्तरां था.

कमरे के गेट के बग़ल एक और गेट था.
परी उसमें घुसी और उसने देखा कि ये एक बाथरूम है, जिसमें एक गेट और था … जो कि उस कमरे में खुलता था और एक खिड़की भी थी.

एक बाथरूम जिसमें दो गेट एक बाहर हॉल में खुलता था … और एक कमरे में. मतलब यह कॉमन बाथरूम था.

खिड़की में काँच लगा था, जिसमें से बड़ी ही आसानी से कमरे में देखा जा सकता था.
चूंकि बाथरूम में अंधेरा था, तो परी का दिख पाना असंभव था.

परी ने आराम से कुण्डी लगाई और कमरे में देखने लगी.

नदीम ने अपने मज़बूत हाथों से साइमा की जवानी के पहाड़ों पर अपनी पकड़ बना रखी थी और पूरे बदन का क्रमशः स्वाद ले रहा था.

अब नदीम ने अपने दोनों हाथ उभरे हुए नितंबों पर रख दिए और साइमा को अपनी ओर खींच कर अपनी पैंट में हो रही हलचल से साइमा को रूबरू कराया.

जल्दी ही वे दोनों नवजात अवस्था में आ चुके थे.

साइमा बोली- आप कोई जादूगर लगते हो!
जवाब में नदीम ने साइमा का बायां कान चूस डाला और उसकी कनपटी और गर्दन को चाटने लगा.

दोनों एक दूसरे के बदन को निहार रहे थे.
नदीम के बदन पर कसरत साफ़ दिख रही थी पर साइमा कम वजन और छरहरी थी, कहीं से भी उसकी अस्थियां नहीं दिख रही थीं.

वह नाज़ुक, मुलायम, गर्म और गुदगुदे बदन की मालकिन थी.

दोनों अब बिस्तर पर पड़े थे.
नदीम की उंगलियां उसके बदन पर सरकने लगी थीं.
कोई भी अंग ऐसा नहीं बचा था, जिसे नदीम ने मसला ना हो.

नदीम साइमा के बदन के अलग अलग अंगों पर थाप देने लगा था जिससे निकलने वाली आवाज़ और भी मादक माहौल बना रही थी.

माथे, गाल, सीने, पेट, कमर, नितंब, पीठ, जांघ सब जगह से अलग अलग आवाजें आ रही थीं.
नदीम उसके स्तनों पर अलग अलग कोण से थाप दे रहा था, जो कि अलग अलग आवाज़ पैदा कर रहे थे.

अब बैचनी बढ़ती जा रही थी.
नदीम साइमा के गुप्तांगों की मालिश करने लगा था, जो कि और भी अधिक वासना जगाने का कार्य कर रहा था.

एक हाथ से उरोजों की मालिश और दूसरे हाथ से जांघों के बीच संवेदनशील अंग की मालिश चल रही थी.
नदीम की मर्दानगी का सबूत साइमा अपने कूल्हे पर चुभन के तौर पर महसूस कर रही थी.

अब नदीम ने अपने कामोत्तेजना के तने अंग को साइमा के नाज़ुक होंठों के संपर्क में लाकर रसपान कराना शुरू किया.
साइमा ने जो जो आज तक फ़ोन में देखा और सुना था, वह आज हक़ीक़त बन कर उसके साथ गुज़रने लगा था.

साइमा के मुँह से लार टपक रही थी. उसके मुँह में और अधिक समाने की सीमा समाप्त हो गई थी.
अटकती सांसों से साइमा ने इस आसन से निजात पायी.

उसके मुँह से निकलती लार को नदीम चखने लगा.

अब साइमा, नदीम के उस अनोखे तगड़े, मज़बूत, लंबे और तने अंग को अपने अन्दर समाने को आतुर थी.

पर नदीम अभी कहां बैचनी दूर करने वाला था.

उसने अपने मुख को साइमा की जांघों के बीच फंसा दिया और खलबली मचानी शुरू कर दी.

इसी बीच परी अब परी की साड़ी अपने आप ऊपर हो चली थी और वह भी अपने हाथों के प्रयोग से निढाल हो गई थी.

नदीम अब साइमा की तंग सुरंग को चीरने, फाड़ने को आतुर था.
वह अब अपनी उंगलियों से सुरंग की गहराई को नाप रहा था.

वह जानता था कि पहली बार में इस दर्द को सह पाना साइमा की लिए सामान्य नहीं होगा.
इसलिए वह साइमा के मुख को बांधने की तैयारी करने लगा.

अब आग इस कदर लग चुकी थी कि अब ज्वालामुखी से लावा टपक टपक कर जांघों को गीला कर रहा था.

साइमा का मुँह अब नदीम की बनियान से बंध चुका था.
नदीम ने अपने आपको साइमा के अन्दर समा जाने की पहल शुरू की.

अब धीरे धीरे बढ़ते दर्द को आंखों से साफ़ देखा जा सकता था.
नदीम ने अपने दोनों मजबूत हाथों से साइमा को जकड़ रखा था और वह उसे अपनी और खींच भी रहा था.

साइमा बिन पानी मछली की तरह सर को पटक रही थी.
नदीम ने सोचा कि इस समय रूकने का अवसर नहीं है.
तकलीफ़ तो हो ही रही है, तो होने दो.

नदीम सामान्य से थोड़े बड़े अंग को क़रीब 5-7 प्रयासों के बाद पूरा समा जाने में सफल हो गया.
इसके बाद अब साइमा का हाल बेहाल हो चुका था.

हॉट गर्ल न्यू देसी सेक्स में छटपटा कर अब थक गई थी, उसका सफ़ेद बदन लाल हो गया था.
पसीने से दोनों लथपथ थे.
मुँह बंधा होने से चीख दब चुकी थी.
दोनों के गुप्तांग साइमा की रक्त कणिकाओं से सन चुके थे.

धीरे धीरे साइमा अपने होश में आ रही थी.
अब वह मानो लाचार हो चुकी थीं.
वह दर्द भी धीरे धीरे साइमा के मन के अनुरूप ढलने लगा था.

साइमा के नाखून नदीम के बदन पर रगड़ खाते हुए चल रहे थे.

नदीम जैसे दक्ष खिलाड़ी के आगे साइमा की एक ना चली.
जिस तरह मच्छर को मसल दिया जाता है, ठीक उसी प्रकार से अब नदीम साइमा को मसलने की तैयारी करने लगा था.

साइमा इशारे पर नदीम ने उसका मुँह खोल दिया.
राहत पाते ही साइमा ने अधिक से अधिक अपशब्दों का प्रयोग कर अपने दिल की पीड़ा व्यक्त की, पर इसके विपरीत नदीम की कामवासना अब और भड़क रही थी.

साइमा की चीख अब सिसकारियों में बदल चुकी थी.
नदीम ने अब उसकी योनि की पंखुड़ियों की रगड़ना शुरू किया.

एक एक झटका मानो साइमा के चेहरे पर साफ़ झलक रहा था.

नदीम ने चार पांच मिनट तक सामान्य गति का प्रदर्शन कर अपने आकार को सन्तुलित किया और अब जल्लादों की भाँति वह साइमा के कोमल बदन को नोंच रहा था.

यह तरीक़ा साइमा की सोच से दूर था.
जिसके कारण उसका बदन में कंपन बढ़ गई और एक गर्म धार छूट गई.

नदीम ने कुछ पल रुक कर प्रवाह को बह जाने दिया.
फिर उसने पोजीशन बदल कर साइमा के पैर मोड़ दिए और उसे जानवरों की भाति दोहरी कर दिया.

अपने एक हाथ से उसके बंधे हुए बालों को खोल कर घोड़ी की लगाम की तरह जकड़ लिया.

दूसरे हाथ से कभी वह स्तनों को मींजता तो कभी उसके कूल्हों के पास एकत्र मांसपेशियों को दबाता.

अब वह लगाम को खींच कर लगातार अपने बदन की हलचल को बढ़ा रहा था.

साइमा की सुरंग से लगातार लावा टपक रहा था और साथ में नदीम अपने एक हाथ से साइमा के कूल्हे पर वार किए जा रहा था.
मानो कोई वीर लगाम को खींचते हुए घुड़सवारी कर रहा हो और लगातार घोड़ी को मार रहा हो.

इस काल के वश में साइमा एकदम अपने होश खो बैठी थी.

अब पूरे कमरे में तीन आवाजें गूंज रही थीं.
एक नितंबों पर पड़ने वाली थाप की … दूसरी सुरंग से टकराने वाले अंडकोशों की … तीसरी सिसकारियों की.

इधर परी अब एक हाथ से अपने स्तनों को मींज रही थी और दूसरे हाथ से नाज़ुक अंग को सहला रही थी.
एक बार ज्वाला निकाल देने के बाद परी का अंग भी चिकनाई से भर चुका था.

उधर नदीम पूरा का पूरा साइमा के अन्दर समा चुका था.
साइमा एक ओर सीने में दर्द महसूस कर रही थी, तो दूसरी ओर वह अपने पेड़ू में बेतहाशा पीड़ा सहन कर रही थी.

पहली बार नदीम भी अपने मोटे लंबे अंग के कारण अपने बेक़ाबू सैलाब के उमड़ने को तैयार था.

इसी बीच साइमा को बहुत तेज हलचल महसूस हुई जिसके कारण वह फिर से कंपन के साथ झटके लेने लगी और चीखने लगी.
नदीम समझ चुका था.

उसने अपने अंग को बाहर खींच कर अपनी दो उंगलियों और अपनी खुरदुरी ज़ुबान का प्रयोग शुरू कर दिया.

साइमा अब अपने यौवन रस के साथ साथ अपने गर्म मूत्र के साथ स्खलित होने लगी जो नदीम को बहुत भाया.
नदीम ने उसे चखना भी शुरू कर दिया और गट-गट की आवाज़ से पीना शुरू कर दिया.
अब साइमा का बदन जवाब दे चुका था. वह बिस्तर पर ज़िंदा लाश की तरह पड़ी थी.

उसका चाँदनी जैसा सफ़ेद, मख़मली बदन अब गुलाबी पड़ चुका था. जिस्म पर कहीं कहीं अधिक चूसे और काटे जाने के बाद रक्त मानो आने को तैयार था.
जांघों पर यौवन रस लिपटा हुआ था और हाथ पैरों में जान ना के बराबर थी.

नदीम ने अब अपने फ़ौलाद नुमा अंग को अपने हाथों में थामा और साइमा के जिस्म के ऊपर उसमें से गर्म लावा की बारिश कर दी.

दस मिनट दोनों आपस में लिपटे पड़े रहे.
तभी साइमा बोली- तुम सही थे नदीम … ये पल मेरे लिए जीवन पर्यंत अविस्मरणीय रहेंगे. काश ये पल और भी अधिक होते.

इसी बात के साथ दोनों ने अपने कपड़े पहनने शुरू कर दिए.

तमाम कोशिशों के बाद भी साइमा ने अपना पता या अपना नंबर देने से इंकार कर दिया.

क्योंकि हॉट गर्ल साइमा अभी जवानी की दहलीज़ पार कर ही रही थी और वह जानती थी कि इस तरह से ना जाने कितने लोग उसके बदन से आकर्षित होंगे.

परी भी अब दो बार बह चुकी थी.
अपनी इस लत के कारण परी ना जाने कितने नवयुवकों में अपने सुख को खोजती रहेगी.

मेरी हॉट गर्ल न्यू देसी सेक्स कहानी पर आपके विचारों का स्वागत है.
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