पति के दोस्त ने रंडी बनाकर चोदा- 1
(Hot Bhabhi Chodo Chodo Kahani)
हॉट भाभी की चोदो चोदो कहानी में पढ़ें कि शादी के बाद मुझे भरपूर चुदाई नहीं मिली तो मुझे किसी जोरदार लंड की तलाश थी. मेरे पति के दोस्त के रूप में मेरी तलाश पूरी हुई.
नमस्ते दोस्तो, मैं शिप्रा एक नई सेक्स कहानी लेकर हाजिर हूँ.
मैं 26 साल की लड़की हूँ और शादीशुदा हूँ. मेरी शादी को छह महीने हुए हैं. मैं अपने पति के साथ ससुराल से दूर एक बड़े शहर में रहती हूँ.
मुझ पर जब से जवानी चढ़ी थी तब से मुझे चुदने में बहुत मज़ा आता है. खासकर जब मैं कुतिया बन कर चुदती हूँ, मुझे अपनी चूत में लंड लेने में बड़ा मजा आता है.
लंड चूसना भी मुझे अच्छा लगता है.
शादी से पहले मेरे चार मर्दों के साथ अवैध संबंध थे और मैं अपने जिस्म की भूख उनके साथ मिटाती थी.
वो चारों लोग मुझसे अलग अलग समय में मिलते थे और मुझे खूब बुरी तरह से रगड़ते थे.
मेरे पति यह सब कर नहीं कर पाते थे जिससे मेरी प्यास बढ़ने लगी थी.
लेकिन मेरी सेक्स की इच्छा जल्दी पूरी हो गई.
मेरी ससुराल में एक शादी निकल आई और मुझे अपने पति के साथ घर जाना पड़ा.
घर में सभी लोग शादी की तैयारी में जुट गए थे.
उसी दौरान वहां मुझे एक अजनबी मर्द से मिलना हुआ.
वो मेरे पति के दोस्त थे. उनका नाम शिशु पाल था.
शिशु पाल जी मुझे देखते ही मुझ पर फिदा हो गए और मेरे आगे पीछे मंडराने लगे.
मैं उनकी नीयत समझ गई. मैं भी उन्हें बढ़ावा देने लगी और थोड़ी देर बाद हमारे बीच इशारे शुरू हो गए.
मौका मिलते ही मैंने उन्हें ऊपर आने का इशारा कर दिया.
मैं ऊपर गई, तो मेरे पीछे पीछे शिशुपाल जी भी आ गए.
उन्होंने मुझे दबोच लिया.
मैं इठलाकर बोली- शिशु पाल जी, आप ये क्या कर रहे हो, मुझे छोड़ दो.
वो मेरे होंठों को चूमते हुए बोले- शिप्रा, तुम बहुत सुन्दर और सैक्सी हो. मैं तुम्हें भोगना चाहता हूँ.
बस ये कह कर उन्होंने मेरे मम्मों को दबाना शुरू कर दिया.
मैं बोली- नहीं शिशु जी, मैं आपके दोस्त की बीवी हूँ. मेरे साथ ऐसा मत करो.
वे मुझे खींचकर बाथरूम में ले गए.
मैं उनकी बांहों में कसमसा रही थी.
उन्होंने मुझे पलटा कर अपनी बांहों में भर लिया और ब्लाउज़ के अन्दर हाथ डालकर मेरे मम्मे दबाने लगे.
मैं दिखावे के लिए उन्हें रोक रही थी, पर मैं गर्म होने लगी थी.
उन्होंने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया.
मैं सिसयाकर बोली- आह नहीं नहीं … आह ओह ओह प्लीज शिशु जी … नहीं नहीं आहह ओहह प्लीज उईइ मुझे जाने दो.
वे बोले- चिंता मत कर शिप्रा, कुछ नहीं होगा.
कुछ देर तक वे मेरे मम्मों को निचोड़ते रहे.
फिर उन्होंने अपने एक हाथ से मेरे पेट को सहलाते हुए कहा- शिप्रा … आह क्या चिकना पेट है तुम्हारा.
वो मेरे पेट को सहलाते हुए धीरे धीरे अपना हाथ नीचे सरकाने लगे.
मैं बोली- नहीं नहीं शिशु जी, प्लीज़ छोड़ दो न … मत परेशान करो!
पर उन्होंने अपना हाथ मेरी पैंटी के अन्दर घुसा दिया और मेरी चिकनी चूत को सहलाने लगे.
मैं सिसयाकर बोली- प्लीज ऐसा मत करो आह नहीं … आह नहीं ओह ओह प्लीज छोड़ दो ना!
वे बोले- वाह शिप्रा मेरी जान … क्या चिकनी चूत है, मजा आ गया.
उन्होंने मेरे चेहरे को पीछे किया और मेरे होंठों को चूमने लगे.
मैं चुंबन का मजा लेने लगी.
वो मेरी चूत सहलाते हुए बोले- शिप्रा, कुछ नहीं होगा, सूरज को नहीं पता चलेगा कि हम यहां क्या कर रहे हैं. बस तू साथ दे … जल्दी से हो जाएगा.
मैं बोली- मैं तो तैयार हूँ, शिशु जी जल्दी से जो करना है, करो.
उन्होंने मेरा बदन सहलाते हुए तेजी से मेरे कपड़े उतारे और खुद भी नंगे होकर मुझसे चिपक गए.
मुझे उन्होंने दीवार से चिपका दिया और मेरे मम्मों को निचोड़ने लगे.
वे मुझे गाली देते हुए बोले- शिप्रा कैसा लग रहा है रंडी.
मैं उनकी गाली सुनकर सिसयाने लगी- आहह इस्स … अहहह ओहह … हआह हह धीरे-धीरे मसलो न … दर्द हो रहा है आहह आहह!
वे बेदर्दी से मेरे मम्मों को निचोड़ते रहे.
फिर उन्होंने बारी बारी से मेरे निप्पलों को चूसना शुरू कर दिया और मेरी चूत में उंगली घिसने लगे.
मैं सिसयाने लगी- आहह ओह … इस्स आह … आह ओह … छोड़ दो नाआअ प्लीज! छोड़ दो.
वे तेजी से चूत में उंगली घिस रहे थे जिस वजह से थोड़ी ही देर में मैं झड़ गई और हांफने लगी.
उन्होंने मुझे पलटा लिया और मेरे होंठों को चूमने लगे. उन्होंने मुझे बिठा दिया और अपना लंड निकाला.
मैं लंड सहलाती हुई बोली- बाप रे शिशु जी … ये लंड है या एक लोहे की छड़ … बाप रे कितना लंबा मोटा लंड है.
वे खुल कर गाली देते हुए बोले- मादरचोद कुतिया … लंड देखती रहेगी या मुँह में भी लेगी हरामजादी?
मुझे गाली सुनते हुए चुदने में बेहद मजा आता है.
मैं गर्म होकर उनके लंड का सुपारा चूमकर बोली- शिशु जी, इस हब्शी लंड को मैं अपने मुँह में जरूर लूँगी.
और मैं अपने हाथों से लंड को सहलाने लगी.
वे मेरे मम्मों को सहलाने लगे, मैं उनके लंड का सुपारा चूसने चाटने लगी.
वे बोले- आह हरामजादी … शिप्रा चूस रांड … चूस भैन की लौड़ी … और चूस आह क्या लंड चूसती है मादरचोद … मजा आ गया … चूस बहनचोद चूस!
उन्होंने मेरा सर पकड़कर मेरे मुँह में लंड पेला और धक्के मारना शुरू कर दिया.
क्या लंड था … खूब मोटा और लम्बा! जब भी मेरे गले से टकराता, मेरी सांसें रुक सी जाती थीं.
तभी कमरे में पति आ गए और आवाज देकर बोले- शिप्रा तुम बाथरूम में हो?
मैं डर गई और मैंने लंड छोड़ दिया, पर शिशु जी मेरे मुँह में लंड डालकर बोले- सूरज, यहां तो मैं नहा रहा हूँ.
मेरे पति बोले- अरे … वो शायद नीचे के बाथरूम में होगी, मैं नीचे देखता हूँ.
वे नीचे चले गए.
मैं लंड निकाल कर बोली- शिशु जी मेरे पति ढूंढ रहे हैं, मुझे जाने दो ना!
वे बोले- तू चिंता मत कर बहनचोद, कुछ नहीं होगा. बस थोड़ा सा और लंड चूस ले.
वो लंड मेरे मुँह में डालकर तेजी से घिसने लगे.
मैं औकक औकक आक करने लगी और लंड को चूसने लगी.
करीब 15 मिनट के बाद मेरे मुँह में धमाका हुआ और मेरा मुँह उनके वीर्य से भर गया.
वे बोले- आह हरामजादी क्या लंड चूसती है मादरचोद … आह मजा आ गया. पूरा माल पी ले मादरचोद कुतिया!
मैं पूरा वीर्य गटक गई. उनका लंड अभी भी तना हुआ था.
मैं लंड को चाटती हुई बोली- शिशु ये तो अभी भी खड़ा है?
वो बोले- शिप्रा, ये असली लंड है मादरचोद, तुझे चोदने के बाद ही बैठेगा.
मैं बोली- प्लीज़ शिशु जी, मेरे पति बुला रहे हैं, अब तो जाने दो.
उन्होंने शॉवर चालू किया और मुझे अपनी बांहों में लेकर बाथरूम में लिटा दिया.
वो बोले- शिप्रा तू साथ दे, जल्दी से हो जाएगा.
उनके अनुभवी हाथ मेरे बदन के उभारों को सहलाने लगे और मैं उनकी बांहों में कसमसाने लगी.
हमारे गीले नंगे बदन एक हो गए.
हमारे बीच में कोई दूरी नहीं बची थी. उनका खड़ा लंड मेरी चूत से सट गया था.
पहले तो मैं ना-नुकुर करती रही, फिर कुछ देर में मैं सब कुछ भूल गई और मैंने टांगें फैला दीं.
वो मेरी फ़ैली टांगों के बीच में से मेरे ऊपर चढ़ गए.
उनका लंड मेरी चूत को चूमने लगा और मैं गर्म होकर सिसयाने लगी- हाय आहह … इस्स अहह ओहहह शिशु कितना तड़पाओगे … चोदो चोदो … जल्दी से मेरी आग बुझा दो!
शिशु ने सुपारा चूत पर टिका दिया.
मेरी सांस भारी होने लगी और मैं आंखें बंद करके लंड के घुसने का इन्तजार करने लगी.
शिशु ने एक झटके में सुपारा चूत में घुसा दिया.
मेरी कराह निकली- आहह धीरे-धीरे शिशु … ये आपकी ही चूत है … इस पर रहम करो.
उन्होंने मेरे मम्मों को दबाना शुरू कर दिया और लंड चूत में सरकाने लगे.
उनका लंड पतिदेव के लंड से ज्यादा लंबा और मोटा था.
मैं कराह रही थी- आहह आऊ … धीरे-धीरे … आआह … ऊऊईई … आहह इस्स बापरे धीरे-धीरे डालो … आआह ऊऊईई शिशु … कितना मोटा लंड है बाप रे … जान निकल गई ओहहह इस्स.
उन्होंने मेरे होंठों को अपने होंठों में भर लिया और चूमने लगे. इससे मेरी सिसकारियां दब गईं और मैं उम्म अम्म करने लगी.
कुछ ही देर में पूरा लंड मेरे अन्दर समा गया. उनका लंड बच्चेदानी तक घुस गया था. मेरी प्यास बुझने लगी थी.
शिशु मुझसे चिपकते हुए बोले- शिप्रा, क्या बात है रानी … मज़ा आ गया क्या मस्त कसी हुई चूत है मादरचोद … आह काफी दिनों बाद ऐसी मस्त चूत मिली है.
थोड़ी देर तक वो मुझे चूमते रहे.
मैं अपनी कमर हिलाकर बोली- शिशु, जल्दी से चोदो ना!
वो मुस्कुरा कर उठे और मेरे बदन को सहलाने लगे.
उनके हाथ मेरे मम्मों पर कस गए और मम्मों को दबाते हुए तेजी से चोदने लगे.
पहले मुझे दर्द हुआ और मैं होंठों को भींचकर सिसयाने लगी- इस्स आहह … आऊ धीरे-धीरे … आआऊऊईई करो.
कुछ ही पलों में उनकी ताबड़तोड़ चुदाई के बाद मेरी चूत फैल गई और मेरा दर्द कम हो गया.
अब मैं आंखें बंद करके चुदाई का मज़ा लेने लगी और अपनी कमर हिलाकर उनका साथ देने लगी.
शिशु मेरे मम्मों को निचोड़ने लगे और खींच खींच कर झटके से चोदने लगे.
वो बोले- शिप्रा, कैसा लग रहा है रंडी?
उनका लंड मेरी बच्चेदानी तक घुस रहा था.
मैं मस्ती में सिसयाने लगी- आहह इस्स … मज़ाहह आ रहा है अहहह ओहहह … आह ओहहह शिशु कितना मोटा लंड है … सच में बहुत मज़ा आ रहा है … आह … और तेज रगड़ो … आह फाड़ दो मेरी चूत को.
शिशु की तूफानी चुदाई से मैं जल्दी ही झड़ गई और हांफने लगी- आहह आहहह शिशु … बस बस रूको … आहह आऊ छोड़ दो न!
वो बोले- शिप्रा, बस थोड़ी देर सहन कर ले रानी.
उन्होंने मेरी टांगें अपने कंधों पर फंसाईं और मेरे ऊपर उठक बैठक करने लगे.
मेरा बदन दोहरा हो गया और मैं कराहने लगी- आहह आऊ … धीरे-धीरे दर्द हो रहा है … आहह मर गई आइइइ आहह!
कोई 15 मिनट चोदने के बाद उन्होंने लंड बाहर खींचा और मेरे मम्मों के बीच में फंसाकर घिसने लगे.
थोड़ी देर बाद मैंने मुँह खोल दिया और उन्होंने लंड मेरे मुँह में पेल दिया.
वो लंड रगड़ने लगे.
मैं फिर से औकक आकक करने लगी.
जब मैं थक गई, तो लंड को मुँह में भरकर चूसने लगी.
थोड़ी देर बाद उन्होंने लंड बाहर खींचा और बोले- कैसा लगा बहनचोद?
मैं उठकर बोली- शिशु, मज़ा आ गया.
उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और लंड चूत में घुसा दिया.
मैंने अपनी टांगें उनकी कमर में फंसा दीं और उछलने लगी.
उन्होंने अलग अलग तरीके से मुझे खूब रगड़ा और फिर से लेट गए.
अब मैं उनके लंड की सवारी करने लगी.
कुछ मिनट उन्होंने अपने वीर्य से मेरी चूत भर दी.
उनके वीर्य की गर्मी से मैं फिर से झड़ गई.
मैं उनके ऊपर गिर गई और हांफने लगी.
वो मेरे होंठों को चूमते हुए बोले- मादरचोद साली … क्या बात है मज़ा आ गया!
मैं भी आह करती हुई उन्हें चूमने लगी.
वे मुझसे चिपककर और मेरे होंठों को चूमकर बोले- शिप्रा, कैसा लगा मादरचोद?
मैं उनके होंठों को चूमकर बोली- शिशु जी, मजा आ गया, पर अब मुझे जाने दो.
शिशु ने मेरे होंठों को कसकर चूमा और बोले- ठीक है बहनचोद, अभी तो जा. तुझे तो बाद में अच्छी तरह से चोदूँगा मादरचोद!
मैं बोली- शिशु जी अब तो मैं आपकी हूँ, बाद में मुझे जी भरकर चोद लेना, पर अभी जाने दो.
उन्होंने मुझे छोड़ दिया.
मैंने कपड़े पहने और उन्हें चूमकर मैं नीचे चली गई.
फिर तो जब भी मौका मिलता, वे मुझे पकड़ते और रगड़ देते.
मुझे सबसे छुपकर चुदाई करने में मजा आ रहा था.
वो वहां करीब चार दिन रूके और मुझे कई बार भोगा.
शादी के बाद मैं और पतिदेव वापस आ गए.
कुछ दिन बाद पापा का फोन आया कि वह कुछ सामान शिशु के साथ भेज रहे हैं.
मैं तो शिशु के आने की बात से ही खुश हो गई.
जिस दिन शिशु आने वाले थे, मैं इंतजार करने लगी.
थोड़ी देर बाद घर की बेल बजी. मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि शिशु जी थे.
पति उनसे बातें करने लगे.
पतिदेव बोले- यार, तुम रुको और शिप्रा से बात करो, मैं ऑफिस का जरूरी काम करके आता हूँ. मुझे थोड़ा समय लग जाएगा.
मैं बोली- हां, आप काम करके आओ, मैं शिशु जी को बोर नहीं होने दूँगी.
वो चले गए.
मैं और शिशु रह गए.
वे बोले- वाह शिप्रा, क्या मस्त लग रही है हरामजादी … चल अन्दर चल. आज तो तुझे जी भरकर चोदूँगा मादरचोद.
मैंने दरवाजा बंद किया और हम दोनों अन्दर आ गए.
उन्होंने मुझे दबोच लिया और मेरे बदन से खेलने लगे.
उन्होंने मुझे चूमना शुरू कर दिया और सोफे पर बैठ गए. उन्होंने मुझे खूब दबाया और खूब चूसा.
कमरे में मेरे और उनके कपड़े उड़ने लगे और थोड़ी देर बाद हमारे नंगे ज़िस्म जमीन पर ही उलझ गए.
मेरी टांगें हवा में उठ गईं.
उन्होंने मेरी चूत में लंड डाल दिया और रगड़ने लगे.
मैं मस्ती में आ गई और बोली- इसी लंड की प्यास थी … आह और तेज तेज रगड़ो … फाड़ दो मेरी चूत को!
उन्होंने तेज़ी से चुदाई शुरू कर दी.
मैं कराहने लगी- आहह आऊ … इस्स अहहह ओहहह … शिशु क्या लंड है मज़ा आ गया और तेज रगड़ो.
मैं चुपचाप सब कुछ करवा रही थी.
उन्होंने करीब 40 मिनट तक मुझे अच्छी तरह से चोदा और अपना रस मेरे अन्दर छोड़ दिया.
वो मेरे ऊपर गिरे और हांफते हुए बोले- शिप्रा, कैसा लगा … मेरी कुतिया … मज़ा आया कि नहीं?
मैं उनके बदन को सहलाती हुई बोली- शिशु, मज़ा आ गया.
थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे छोड़ दिया और बोले- शिप्रा, तुम्हारे पापा ने तेरे लिए कुछ सामान और प्यार भेजा है. पहले मैं तुझे प्यार कर लूँ, बाद में तू सामान भी देख लेना.
फिर क्या था, उन्होंने मुझे ड्राइंग रूम में ही दो बार निपटा दिया.
मैं बोली- शिशु जी अब छोड़ दो न, मैं नहा कर आती हूँ, फिर आप जी भरकर प्यार कर लेना.
वे बोले- शिप्रा, क्या मैं नहला दूँ?
मेरा मन खुश हो गया पर मैंने कहा- आप रहने दो, मैं खुद ही नहा लूंगी.
मैं अपने बेडरूम के बाथरूम में घुस गई.
मैंने शॉवर चालू किया और नहाने लगी. मैंने दरवाजे खुले ही छोड़ दिए थे.
थोड़ी देर बाद शिशु ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और मेरे मम्मे दबाने लगे.
मैं चौंकने का करती हुई बोली- शिशु जी आप यहां क्या कर रहे हैं?
वे बोले- अरे मादरचोद, तुझे नहला रहा हूँ.
उन्होंने मेरे मम्मों को निचोड़ना शुरू कर दिया और कहा- क्या कड़क मम्मे हैं मादरचोद रांड, मजा आ गया.
मैं सिसयाने लगी- आहह ओह … धीरे धीरे आह … उईइ इइइ स्सस सहह प्लीज छोड़ दो ना … दर्द हो रहा है.
उन्होंने मेरी चूत पर साबुन लगा दिया और घिसने लगे.
थोड़ी देर बाद चूत झाग से भर गई.
वे मेरी चूत में उंगली डाल कर घिसने लगे.
मेरा बदन ऐंठने लगा और मैं ‘आहह ओह इस्स आह ओह …’ करने लगी.
उनका लंड मेरी पीठ से चिपका हुआ था.
थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे छोड़ दिया और मुझे पलटा लिया.
मैंने उनके होंठों को चूमना शुरू कर दिया और अपने हाथ से लंड को सहलाने लगी.
वे बोले- मादरचोद कुतिया, जल्दी से मुँह में ले हरामजादी रंडी.
मैं हंसी और उनके बदन को चाटते हुए बैठने लगी. मैं घुटनों पर बैठी और दोनों हाथों से लंड को सहलाने लगी.
दोस्तो मेरी चूत में मेरे पति के दोस्त शिशुपाल का लंड बड़ी लज्जत दे रहा था.
सेक्स कहानी के अगले भाग में आपको और भी मजा आएगा, जब मेरी गांड चुदाई होगी.
आप मुझे मेल करके जरूर बताएं कि हॉट भाभी की चोदो चोदो कहानी कैसी लग रही है.
[email protected]
हॉट भाभी की चोदो चोदो कहानी का अगला भाग:
What did you think of this story??
Comments