अस्पताल में पहले सेक्स का सुहाना सफर
(Hospital Nurse Sex Kahani)
हॉस्पिटल नर्स सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं अपने पापा की सेवा के लिए कई दिन अस्पताल में रुका तो मेरी दोस्ती एक नवविवाहिता नर्स से हो गयी. उससे मैंने पहला सेक्स किया.
नमस्ते प्यारे पाठको, मैं स्वच्छ इंदौर का एक मासूम लड़का हूं जिसे आप मासूम इंदौरी के नाम से जान लीजिये।
मैं आज आपको मेरे जीवन की एक सत्य घटना से अवगत कराने जा रहा हूं।
तो हॉस्पिटल नर्स सेक्स कहानी का मजा लें.
वर्ष 2015 में मेरे पिताजी इंदौर के एक प्रायवेट अस्पताल में भर्ती थे जहां उनके इलाज में एक माह का समय व्यतीत होना था।
मैं मिजाज का हंसमुख होकर उस अस्पताल के हर व्यक्ति से मजाक मस्ती कर लिया करता था।
शुरूआत के सात दिनों में ही मेरी सभी से दोस्ती हो गयी, मैं सबका चहेता हो गया था।
उसी अस्पताल में एक नर्स थी जिसका नाम सुहाना था।
सुहाना 23 वर्ष की होकर नवविवाहिता थी। मेरी सुहाना से भी दोस्ती हो गई थी और वो भी मुझसे कई बार दबे मुंह नोनवेज़ जोक्स व अंतरंग बातें कर लिया करती थी जिससे मेरे दिल में गुदगुदी मचल जाती थी।
मुझे पता था कि सुहाना मुझे दिलोदिल पसंद करने लगी है तथापि मैं सब समझ कर भी नासमझ बन जाता था।
मैं मन ही मन चाहता था कि वो मुझे छेड़े और अपने दिल की बात कबूल कर ले।
वैसे मुझे इस मौके का ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा।
जब दोनों तरफ़ चाहत एक सी हो तो दिल व बदन मिल ही जाते हैं।
मैं पिताजी के लिये दवाई का पूछने के लिये नर्सों के कक्ष में गया जहां सुहाना कुछ काम कर रही थी।
मैंने उसे दवाई का पर्चा दिया और उसने सारी दवाइयाँ निकालकर समयानुसार खिलाने का टाईम लिखकर मुझे दे दिया।
मैं जैसे ही पलटा उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।
जब मैं पलटा तो उसने मुझे बोला- क्या तुम मेरे अच्छे दोस्त हो? और यदि हो तो क्या मेरी मदद करोगे?
मुझे पता था कि उसके दिल में क्या चल रहा है इसलिये मैंने उससे अपना हाथ नही छुड़ाया और मुस्कुराते हुए हामी भर दी।
मेरी मुस्कुराहट में नशीलापन होने से उसे अहसास हो गया कि हमारा मिलन आसान है।
इसलिये उसने बोला- लगता है कि अब लड़का बड़ा होने वाला है।
मुझे जब लगा कि अब तो काम हो गया है तो मैंने जवाब दिया- सुहाना मैडम, मैं सच बोल रहा हूं कि मैंने आप जितनी खूबसूरत लड़की कभी नहीं देखी. मैं आपको अपनी गर्लफेंड बनाने के सपने देखता हूं। लेकिन बदकिस्मती से आपने तो पहले ही किसी और को अपनी जिंदगी बना लिया है।
सुहाना ने मुझे अपनी तरफ़ हाथ पकड़ कर खींचा और मैं भी जानबूझ कर उससे टकरा गया।
उससे टकराने के बाद आज मुझे पहली बार यौवन से भरपूर उभारों की नरमी को हृदय से स्पर्श करने का सौभाग्य मिला।
फिर मैं उससे दूर हटकर अपने पिताजी के पास चला गया।
मुझे पूरे दिन उसके हाथ व उभारों का स्पर्श महसूस हो रहा था जिससे मेरे जिस्म में वासना जागने लगी।
मेरा मन अब उससे अकेले में मिलन को आतुर हो उठा।
शाम को जब मैं लिफ्ट से नीचे जा रहा था तब सुहाना मेरे पीछे आ गई और आते ही उसने मेरी कमर में हाथ डाल कर अपनी ओर खींच लिया।
मैं भी उससे चिपक गया और उसने धीरे से अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये।
उसने मुझे एक गहरा किस किया और जब उसकी साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया तो मैंने उसकी चूचियां दबा डाली।
मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोल दिये, एक हाथ ब्रा में डाल दिया और चूचुक को हाथ में लेकर तेजी से मसलने लगा।
उसने मुझे वासना से भरी आवाज में कहा- सुनो बेटू अभी नहीं।
फिर उसने अपनी साड़ी और ब्लाउज़ ठीक किया और मेरी तरफ़ हल्की सी मुस्कराहट दी।
हम दोनों ने निश्चित किया कि कल हम दस बजे वाले शो में मूवी देखने चलेंगे और वो मुझे अस्पताल से थोड़ा आगे स्कूटी लेने आएगी।
मैं पूरी रात यह सोचकर खुद को रोमांचित करने लगा कि मूवी हॉल में उसके हर एक अंग से खेलकर दोनों की वासना को पूर्ण कर दूंगा।
सुबह नौ बजे सुहाना मुझे लेने आ गयी थी।
हम लोग पहले एक रेस्टोरेंट गये और वहां चाय नाश्ता किया।
फिर मूवी देखने एक टॉकीज में गये जहां की बालकनी लगभग खाली थी।
फिल्म शुरू होते ही सुहाना और मैं भी शुरू हो गया।
मैंने सुहाना के ब्लाउज़ के बटन खोल दिये और दूसरों से छुपाने के लिये उन पर स्कार्फ डाल लिया।
मैं चूचियों को पकड़ कर धीरे धीरे सहलाने लगा।
उसने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रख दिया और वो अब खुलकर मुझसे चूचियां मसलवा रही था।
जब मैं उसके चूचुक को खींच देता तो वह मस्ती में में धीमी आह भर लेती थी।
अब मैंने उसका पेटीकोट उठा लिया जिसमें अपना एक हाथ डालकर फेरने लगा।
मेरा हाथ जांघ से फिसलते हुये उसकी चूत से जा टकराया।
उसने भी अपना हाथ उसके लंड पर रख दिया और दबाने लगी।
तभी उसने मेरी पैन्ट की जिप खोली और मेरा लंड खींचकर बाहर निकाल लिया।
वो मेरा लंड सहलाने लगी और सुपारा निकाल कर पूरा लंड हिलाने लगी।
हम दोनों की हालत उत्तेज़ना से खराब होने लगी थी।
मैंने उसकी चूत में उंगली घुसा दी थी और उसके दाने को सहलाने लगा।
वो भी जोश में आकर मेरे लंड का मुठ मारने लगी और अपने गाल मेरे चेहरे से रगड़ने लगी।
मेरे मुंह से तेज सिसकारी निकल रही थी और बदन में ऐंठन महसूस होने लगी।
उसने मुठ मारने की रफ्तार और तेज कर दी और तभी मैंने अपना गमछा निकाल कर लंड पर लगा लिया।
चरमसीमा पर पहुंचते ही मेरा वीर्य निकल पड़ा।
लेकिन मैं उसकी चूत में भी तेजी से उंगली अंदर बाहर कर रहा था और साथ में दाना भी रगड़ रहा था।
अब वो भी नीचे से चूत उठा कर मेरी सहायता करने लगी और अंतत: वो भी झड़ गयी।
वो चुपचाप उत्तेजना सहती रही और झड़ती रही।
फिर उसने सीट पर ठीक से बैठकर साड़ी ठीक की और अपने ब्लाउज के बटन ठीक से लगाये.
तत्पश्चात हम सीट पर आराम से बैठ गये।
हमारा काम हो चुका था इसलिये हम टॉकीज से बाहर आ गए।
हम दोनों एक दसरे को देखकर मंद मंद मुस्कुरा रहे थे जैसे हमने एवरेस्ट पर चढ़ाई कर ली हो।
टॉकीज से हम सीधे अस्पताल आ गये और अपना-अपना काम करने लगे।
सुहाना ने आज रात की ड्यूटी ले ली।
मुझे रात का बेसब्री से इंतज़ार होने लगा। मेरे शरीर में कामवासना और उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी।
मुझे उत्तेजना के कारण बार-बार अंगड़ाई भी आ रही थी। हर एक पल घंटों के समान महसूस हो रहा था।
रात को सभी मरीज और विशेषकर पिताजी के सोने के बाद मेरी नज़रें सुहाना को ढूंढने लगी।
उसे देखते ही मेरी जान में जान आयी और मेरे शरीर में हलचल मचने लगी।
मेरे लंड में कसावट आने लगी और बदन में करंट सा दौड़ने लगा।
आज मैंने निश्चित कर लिया था कि मुझे सुहाना की भरपूर चुदाई करनी है।
सुहाना ने इशारा कर मुझे रेस्ट रूम तरफ बुलाया।
उसने अस्पताल की साड़ी ब्लाउज वाली यूनिफार्म पहनी थी लेकिल अंदर ब्रा और पेंटी नही पहनी जिससे उसके चूतड़ और बोबे की लचक ज्यादा नजर आ रही थी।
सुहाना ने मुझे बताया- सभी मरीज सो गये हैं और रिस्पेशन पर मौजूद काजल को मैंने बोला है कि मेरा सरदर्द कर रहा है इसलिये दवाई लेकर रेस्ट रूम में सो रही हूं यदि कोई जरूरत हो तो फोन करके बता दे।
रेस्ट रूम में सुहाना ने मुझे गले लगाते हुये और मेरे शरीर को अपने शरीर से चिपकाते हुए शरारत से कहा- बेटू, तुम आज अपनी सोना की भूख को शांत करोगे ना?
मैंने भी मुस्कुरा कर हामी भर दी और उसके होंठों पर मेरे होंठों को रख दिया।
मैं उसके ब्लाउज़ के बटन को एक एक कर खोलने लगा जिससे उसके बदन में कंपन हो रहा था।
सुहाना को महसूस हो गया था कि आज उसकी जोरदार चुदाई होने वाली है।
उसके नंगे उरोज पर मेरे हाथ पहुंच गये और उसके भारी और बड़ी चूचियों को मैंने अपने हाथ में भर लिया।
मैंने उसे कस कर अपने बदन से चिपका रखा था और हमारे शरीर में वासना उठने लगी।
मेरे शरीर में सनसनाहट होने लगी और मैं सुहाना से चिपकने लगा।
मैं आम की तरह उसके दोनों बूब्स को भूखे दानव की तरह चूसने लगा।
जब मैं उसके निप्पल को खींचकर काटता तो वह सिसकारी लेकर तड़प जाती और वासनामयी होकर मुझे कसकर जकड़ लेती।
मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा होकर उसकी चूत के आसपास गड़ने लगा।
चूत पर लंड के टकराने के अहसास से ही वो आनंदित हो उठी। उसने भी अपनी चूत को मेरे लंड के चिपका दिया।
मैं उसके दोनों बोबों को हाथ में भर कर मसलने लगा। मैं अपने होंठ उसके होंठों से रगड़े जा रहा था।
फिर मैंने अपनी पैन्ट खोली और फिर अंडरवियर व बनियान उतार कर नंगा हो गया।
उसे पास पड़े बिस्तर पर खींचकर मेरा लंड उसके हाथों में देकर मैं बोला- बेटू मेरा लंड आपकी चुदाई करने का बेताब हो रहा है।
उसने शरमा कर तकिये में चेहरा छिपा लिया।
मैंने उसकी साड़ी और पेटीकोट खोलकर अलग कर दिया।
फिर खुले हुए ब्लाउज़ को प्यार से उतार दिया।
उसने अपना चेहरा अभी भी शरम से छिपा रखा था।
हम दोनों अब पूरी तरह से नंगे हो गये थे।
मैं धीरे से उसके पीठ पर लेट गया और अपना सारा भार उस पर डाल दिया।
मेरा कड़क लंड उसकी चूतड़ पर रेंगने लगा जो उसकी चूत की दरार में घुसने की कोशिश कर रहा था।
अंतत: मेरा लंड उसके चूतड़ों की दरार में घुस ही गया।
उसने बोला- बेटू ये क्या कर कर रहे हो … तुम सिर्फ आंख मारते हो, अब क्या अपनी सोना की गांड मारोगे … मेरे बेटू जी भर के करो और भरपूर चोदकर अपनी सोना की प्यास बुझा दो।
हम दोनों वासना के नशे में बेशरम होती जा रहे थे।
सुहाना का पति उसकी गांड जम कर मारता थे इसलिये गांड का छेद भी खुला हुआ था।
मेरा कड़कड़ाता हुआ लंड उसकी गांड के छेद की खोज में था।
फिर मेरा लंड नर्स की गांड का छेद ढूँढने में सफ़ल हो गया।
मैंने कमर को थोड़ा सी उठाकर अपने लंड पर जोर लगा दिया।
मेरा मोटा और कढ़ा लंड उसकी गांड के छेद में घुस पड़ा।
उसके मुंह से सीसकार निकल पड़ी।
मैंने उससे बोला- मैं पहली बार किसी लड़की की गांड मार रहा हूं यदि तकलीफ़ हो तो झेल जाना मेरी जान!
“डाल दो … पूरा घुसेड़ दे मेरे बेटू … तेरी सोना की गांड फाड़ दे!” बोल कर वो मेरा हौंसला बढ़ा रही थी और गांड उठा उठा कर मजे ले रही थी।
मैंने भी जोर लगा कर अपना पूरा लंड ही अंदर घुसेड़ दिया।
पूरा लंड घुसते ही उसे चैन आया और पता चल गया होगा कि मासूम सा दिखने वाला ये बेटू कितना चालू है।
मैं भी सलीके से गांड मार रहा था और धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू कर दिये।
फिर मैं तेज करता गया जिससे सुहाना को हल्की सी तकलीफ़ हुई।
उसने अपने पांव और चूतड़ और फ़ैला कर मुझे गांड मारने की सहूलियत दे दी।
अब मैं अपनी कोहनी और घुटने के बल पर आ गया। अब मेरा लंड आसानी से उसकी गांड चोद रहा था और वो भी अपनी गांड को उछाल उछाल कर मेरा साथ दे रही थी।
उसके मुंह से तेज सिसकारियां निकल रही थी और आराम से तकिये पर अपना सर रख आंखे बंद करके गांड चुदाई का आनंद ले रही थी।
मैंने उसके सर के नीचे से तकिया हटाया और तकिया उसकी चूत के नीचे रख कर गांड ऊपर उठा दी।
मुझे अब उसकी चूत दिखने लग गयी।
मैंने अपना लंड उसकी गांड से निकाला और उसकी पनीली चूत पर टिका दिया।
थोड़ा सा लंड उसकी चूत पर घिसते हुए चूत के अंदर घुसा दिया।
सुहाना के मुँह से वासना की सिसकारी निकल पड़ी।
मैंने उसकी गांड थपथपाई और घोड़ी बनने का इशारा किया।
उसने धीरे से गांड ऊंची की और घोड़ी बन गयी पर लंड को बाहर नहीं निकलने दिया।
अब मेरा लंड उसकी चूत में पूरा घुस गया।
उसके मुख से आह निकल पड़ी।
मेरा मोटा लंड अब तेजी पकड़ रहा था और लंड की चमड़ी का घर्षण उसकी चूत की दीवार पर बहूत उत्तेजना दे रहा था।
मीठी मीठी सी गुदगदी दोनों को महसूस होकर नशीला दर्द महसूस हो रहा था।
सुहाना मदहोश होती जा रही थी और वासना के मारे उसका शरीर कांप उठा था।
हम दोनों को सुख की अनुभूति महसूस हो रही थी।
मैंने लंड को धक्के मारने तेज कर दिये और मेरी सिसकारियां बढ़ने लगी।
मैं समझ गया था कि अब मेरा वीर्य निकलने वाला है।
उसने अपने पांव अंदर दबाते हुये अपनी चूत को टाईट कर ली जिससे मेरे लंड का घर्षण तेज हो गया और उसका पानी छटने लगा।
सुहाना धीरे-धीरे झड़ने लगी।
लेकिन इससे मेरा लंड उसकी टाईट चूत नहीं झेल पाया। मेरी पिचकारी निकल पड़ी और सारा वीर्य उसकी चूत में भरने लगा।
मेरे लंड ने अपना माल निकाल दिया।
वो भी पूरी झड़ चुकी थी और निढाल होकर बिस्तर पर ही लेट गयी।
मैंने तौलिया लेकर उसकी चूत के नीचे रख दिया जिससे वीर्य टपक टपक कर तौलिये पर गिरता रहा और सुहाना भी उठ कर बैठ गयी।
तब मैंने सुहाना को पास आने का इशारा किया उसे अपनी तरफ़ खींच कर लिपटा लिया और बोला- थैंक्यू यू सुहाना … आज तुमने मेरी कामवासना को तृप्त किया और मेरे लंड को आराम दिया … मैं हमेशा तुम्हारे साथ ऐसे ही पल बिताकर तुम्हें खुश करना चाहता हूं।
उसने जवाब दिया- बेटू अभी तो हमने शुरूआत की है … मैं भी तुम्हें हर तरह का सुख देना चाहती हूं. यह तो साधारण मिलन था … तुम बहुत प्यारे और मासूम हो इसलिये मैं तुम्हें अपने बेटू जैसा खुश करते रहूंगी. तुम्हारा जैसा मन करे वैसा अपनी सोना को चोदना।
हम दोनों मुस्कुरा कर उठे और कपड़े पहनने लगे।
मैंने उससे से पूछा- ‘सुहाना, कल का क्या प्रोग्राम है?
सुहाना हंसती हुई बोली- आज बस इतना ही क्या? मेरे बेटू … अभी तो पूरी रात बाकी है!
और मैं एक बार फिर से सुहाना से लिपट कर उसको प्यार करने लगा।
यह हॉस्पिटल नर्स सेक्स कहानी आपको कैसी लगी? मुझे मेल कर बताना ना भूलें क्योंकि क्या पता यह मासूम कब आपका सफर सुहाना कर दे।
आपका प्यारा मासूम इंदौरी
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