दोस्त की भाभी ने चूत की पेशकश की-2
(Dost Ki Bhabhi Ne Choot Ki Peshkash Ki- Part 2)
कहानी का पिछ्ला भाग: दोस्त की भाभी ने चूत की पेशकश की-1
जब मेरे मित्र के दीदी की शादी को दस दिन बचे थे तो मेरे दादा जी की तबीयत अचानक बिगड़ गई… आनन फानन में उनको अस्पताल में दाखिल कराया गया… 4 दिन आई.सी.यू में रखने के बाद डॉक्टर ने बताया कि अब मेरे दादा जी की हालत स्थिर है।
शादी से दो दिन पहले मेरे मित्र ने मुझे फ़ोन किया- कब निकल रहा है यार?
तो मैंने उसको सारी स्थिति बताई…
उसके दस मिनट बाद ही एक अपरिचित नंबर से कॉल आई… मैंने फ़ोन उठाया तो पता चला कि ये तो भाभी हैं।
भाभी बोलीं- हिमांशु ने मुझे सब कुछ बताया अभी! कैसी तबीयत है दादाजी की?
‘अब काफी ठीक हैं भाभी!’ मैंने कहा।
‘तुम कब निकल रहे हो यहाँ के लिए?’
‘देखिये भाभी..!’
‘देखिये, सुनिये कुछ नहीं… तुम्हें आना ही है…’
‘ओके भाभी, मैं बारात वाले दिन ही आ पाऊँगा!’
‘अच्छी बात है, जब निकलना तो फ़ोन कर देना… ओके बाय!’ इतना कह कर भाभी ने फ़ोन काट दिया।
बारात वाले दिन सुबह मैं दिल्ली अपने मित्र के घर पहुँच गया, सबसे मिला और जब भाभी से मिला तो वे बड़ी खुश हुईं… उन्हें देखते ही मेरा भी नर्म मूड फिर से गर्म हो गया, भाभी चीज़ ही ऐसी हैं।
शादी के लिए दिल्ली का एक मशहूर होटल बुक किया गया था।
बारात आ गई थी और सभी लोग शादी के कार्यक्रम में व्यस्त थे, करीब 11:30 बजे जब दूल्हा दुल्हन शादी के मंडप में बैठे थे, तभी मुझे भाभी का मैसेज आया- ज्ञान, जरा रूम नंबर 204 में आना!
मैंने सोचा कि शायद भाभी को कुछ मदद चाहिए होगी, रूम के बाहर पहुंचा तो लाल डिज़ायनर साड़ी पहने हुए भाभी ने दरवाज़ा खोला।
भाभी ने दरवाज़ा लॉक करते हुए मुझे बैठने का इशारा किया तो मैं बेड के बगल काउच पर बैठ गया।
भाभी ठीक मेरे सामने आकर खड़ी हो गईं… मेरा दिल बहुत जोर जोर से धड़कने लगा।
इतने में भाभी मुझे नशीली आँखों से देखते हुए पूछ बैठी- अच्छा ज्ञान, तुम्हें कैसी लगती हूँ मैं?
‘आप बहुत सुन्दर हैं, भाभी!’ थोड़ा सोचते हुए मैं बोला।
‘अच्छा सबसे सुन्दर क्या लगता है मुझमें?’
‘सब कुछ…’
‘जैसे?’
‘जैसे आपकी आँखें, आपका फेस…’
‘और मेरी चूचियाँ?’
‘चूचियां शब्द सुनते ही मेरा लंड फनफना गया।
‘हाँ, उस रात मैं जगी हुई थी और तेरी सारी करतूत जानती हूँ… तूने क्या सोचा किसी औरत की गांड और चूचियां दबाओगे, वो भी इतनी जोर से… तो उसे पता नहीं चलेगा?’
भाभी की इन बातों से मैं थोड़ा डर सा गया, लेकिन मैंने इस वक़्त कुछ भी बोलना मुनासिब नहीं समझा और चुपचाप बैठा रहा।
इतने में भाभी ने अपना पल्लू नीचे गिरा दिया, पल्लू हटते ही भाभी की ब्लाउज में कैद चूचियां और गहरी नाभि उजागर हो गई।
पल्लू हटाते ही भाभी अपने दोनों हाथों को अपने ब्लाउज पर ले गईं और चूचियों को मसलने लगीं- ऐसे ही दबाई थी न तूने उस रात?
यह खुला आमंत्रण था, वासना के लाल डोरे उनकी आँखों से उस वक़्त कोई अँधा भी होता तो पढ़ लेता।
अब कहने सुनने को कुछ बचा नहीं… मेरे सामने खड़ी भाभी को मैंने कंधों से पकड़ते हुए पीछे बेड पर पटक दिया।
भाभी खिलखिला के हंस पड़ी… जैसे उनकी मुराद पूरी हो गई हो!
उनके ऊपर चढ़ कर उनके होंठों को बड़ी बेदर्दी से चूसने लगा।
कुछ ही देर में एक दूसरे के मुंह का हमारी जीभ रसपान कर रही थी।
मैं पागलों की तरह भाभी को जहाँ तहाँ चूमे जा रहा था… भाभी के वक्षस्थल पर हाथ ले जाकर ब्लाउज खोलनेलगा… ब्लाउज खुला तो नहीं पर उत्तेजना में हुक जरूर टूट गया।
अंदर दूध के कबूतर काली ब्रा में कैद थे, मैंने इस बंधन से उन्हें मुक्त कर दिया… दोनों चूचियां आज़ाद होते ही ख़ुशी से उछलने लगीं।
पर मैं दोनों हाथों से उन्हें दबोचकर मसलने लगा… भाभी की उह्ह… आह निकलने लगी।
दोनों चूचियों को मैं बारी बारी से चूसने लगा, एक दो बार जब निप्पल को दांतों से काट लेता तो भाभी चिंहुक सी जातीं।
इतने में भाभी को मैंने उठाया और साड़ी के साथ पेटीकोट भी उतार दी… भाभी पैंटी भी उतारने वाली थी लेकिन मैंने उन्हें रोक दिया… क्योंकि मुझे पैंटी को मुंह से पकड़कर उतारना बहुत रोमांचकारी लगता है।
भाभी को मैंने बेड पर फिर से पटक दिया और खुद की शर्ट उतार फेंकी… अब मैं पैंट में और भाभी पैंटी में… जाकर उनकी टांगों के बीच बैठ गया और दाहिने हाथ से चूत को पैंटी के ऊपर से पकड़ कर भींच दिया।
भाभी चीखते हुए बोल पड़ी- तू बड़ा कमीना है साले!
पैंटी पूरी भीग चुकी थी .नीचे झुककर पैंटी सूँघी तो बुर की मादक खुसबू मेरे नथुनों में भर गई… मैंने चूत को पैंटी के ऊपर से एक बार चाट लिया और भाभी की पैंटी को दांतों से पकड़कर नीचे खींचने लगा।
भाभी ने अपनी गांड उठाकर पैंटी उतारने में मदद की।
सफाचट चमकती हुई चिकनी चूत मेरी आँखों के सामने थी… मैं तो बस कूद पड़ा दावत उड़ने के लिए!
चूत पर मैंने जैसे ही अपना मुंह रखा, भाभी सिसिया पड़ी… पूरी चूत मुंह में भर के खाने लगा… भगनासा को जीभ और दांतों से छेड़ते हुए गुलाब सी चूत के होंठों को चाटकर चूसने लगा… जीभ को नुकीला बना कर भाभी की बुर की छेद में डालकर पूरी तसल्ली से चूसने लगा।
मुझे चूत चाटने में बड़ा मज़ा आ रहा था।
तभी भाभी की सिसकारियां बढ़ती चली गईं और उन्होंने मेरा सर अपनी दोनों गुदाज़ जाँघों के बीच दबा लिया।
भाभी झड़ चुकीं थी… लेकिन मैंने चूत चाटना चालू रखते हुए चूत चाट चाट कर साफ़ कर दी।
मेरे चूत चाटने की क्रिया से भाभी फिर से जोश में आ गईं… इस बार पलटी खाते हुए भाभी ने मुझे नीचे कर दिया… एक झटके में मेरी पैंट के साथ मेरी अंडरवियर भी उतार फेंकी… मेरा हब्शी लौड़ा देखकर भाभी का मुंह आश्चर्य में खुल गया और बोलीं- इतना बड़ा सामान छुपा कर रखा है तूने!
मैं कुछ बोलने ही वाला था कि भाभी ने गप से मेरा मूसल लंड मुंह में डालकर मेरी बोलती बंद कर दी… एक हाथ से लंड को पकड़ कर अपना मुंह ऊपर नीचे करने लगीं।
उनके मुंह के गीलेपन और जीभ की गर्माहट से मेरा लंड फूल कर हलब्बी होता चला गया… क्या लंड चूस रही थी भाभी, कभी जीभ से चाट रही थी, कभी होंठों का इस्तेमाल कर रही थी और कभी पूरा लंड अपने गले तक मुंह में भर लेती…
मैं तो जन्नत के मज़े लेते हुए सिसिया रहा था…
कसम से, इस भाभी की तरह शायद ही कोई लंड चूस सके!
आख़िरकार भाभी ने मेरा माल निकल ही दिया… भाभी मज़े लेते हुए लंड से निकली पिचकारी से अपने मुंह को नहला लिया।
मैं निढाल होकर पड़ गया लेकिन भाभी तो लंड चूसती ही रहीं, मेरे आंड को मुंह में भरके तन्मयता से खाने लगीं।
भाभी की चुसाई और चूम-चटाई से जल्दी ही मैं फिर उत्तेजित हो गया और लंड अपने हब्शी रूप में वापिस आ गया।
परंतु अब मुंह की जरूरत नहीं भाभी की बुर की जरूरत थी… मैंने भाभी को काउच पर चलने को कहा और भाभी को सीधा लिटा दिया, उनकी एक टांग जमीन पर एक अपने कंधे पर रख ली, एक हाथ से अपने लौड़े को चूत के दाने पर घिसने लगा तो भाभी बोलीं- अब तो रहम कर, हरामी…
इतना सुनते ही मैं लंड को आहिस्ता से चूत में घुसेड़ने लगा, चूत की दीवार से बिल्कुल चिपक कर लंड अंदर जा रहा था…
मैंने लंड को बाहर निकाला और इस बार पूरे झटके से लंड को अंदर चूत में डाल दिया।
भाभी चीख पड़ीं वो भी बड़ी जोर से…
अब चूत और लंड के बीच में घमासान चालू हो चुका था… साथ में भाभी की चीखें भी जो बैकग्राउंड म्यूजिक का काम करते हुए जोश भरे जा रही थीं।
अपनी चुदाई की रफ़्तार मैंने बढ़ा दी… भाभी की आँखों में देखते हुए उत्तेज़नावश मैं बहुत कुछ बड़बड़ाये जा रहा था- तेरी चूत फाड़ दूंगा साली… तेरी चूत का भोसड़ा बना दूंगा…
भाभी भी चुदाई का आनंद लेते हुए पूरा साथ दे रही थीं- हाँ, हरामी मार ले मेरी चूत को… फाड़ दे अपने मूसल लंड से मेरी मुनिया, बहुत तड़पी है ये…
दस-बारह मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद जब मैंने भाभी से कहा कि मेरा निकलने वाला है तो भाभी चिल्ला पड़ीं- अंदर डाल दे, अंदर डाल दे…
मैं और भाभी एक साथ झड़ गए।
मेरे वीर्य का कतरा कतरा भाभी की चूत के अंदर पहुँच गया।
मैं निढाल होकर उनके के ऊपर ही लेट गया।
भाभी मेरे बालों को सहलाते हुए बड़े प्यार से चेहरे पर यहाँ वहाँ चुम्मियां लेने लगीं।
थोड़ी देर तक हम ऐसे ही पड़े रहे… तन्द्रा तो तब टूटी जब भाभी का फ़ोन बजा।
भाभी ने फ़ोन देखा तो भैया कॉल कर रहे थे, भाभी ने भैया को बताया कि उनकी तबियत ख़राब लग रही थी इसलिए रूम में आराम कर रही हैं।
भाभी ने उनसे 15 मिनट में आने को बोलकर फ़ोन काट दिया।
मैं जाकर बेड के सिराहने पैर फैलाकर बैठ गया।
जैसे ही फ़ोन कटा भाभी कूद कर मेरे ऊपर चढ़ गईं… और मुझे बेतहाशा हर जगह किस करने लगीं… अपने होंठों से मेरे निप्पल्स को मुंह में भर लिया और चूसने लगीं…
भाभी के ऐसा करने से मेरी अन्तर्वासना फिर से जागने लगी… मैं भी पागलों की तरह भाभी का साथ देने लगा… उनकी पीठ को सहलाते हुए अपना हाथ उनकी गोल गोल गांड पर फेरने लगा, मसलने लगा।
कुछ देर में भाभी घूम गईं और चूत को मेरे मुंह पर रखकर आगे की ओर झुककर लंड चुसाई आरम्भ कर दी।
भाभी की कमर पकड़ कर मैं उनकी चूत को जितना कसकर मैं खाये जा रहा था उसी उत्तेजना से भाभी भी लंड को चूसे-खसोटे जातीं…
इस जबरदस्त चुसाई से मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया… इस बार भाभी ने मोर्चा सम्हालते हुए मेरे लंड पर अपनी चूत एडजस्ट करते हुए आआह्ह उहाहह के साथ फच्च से बैठ गईं।
धीरे धीरे ऊपर नीचे होते हुए जब उन्होंने अपनी गति बढ़ाई तो कमरे में बस फचक फछ भच भच आआह्ह उह्ह्ह की ही आवाज़ें आ रही थीं।
मैं भी नीचे से अपनी कमर उचका-उचका कर उनकी ठुकाई कर रहा था।
अपने अनुभव का पूरा इस्तेमाल कर रही थीं भाभी इस समय… कभी लंड को चूत में फंसाकर गोल गोल हिलती, तो कभी आगे पीछे और कभी ऊपर नीचे…
फिर अचानक भाभी ने लंड पर कूदने की गति को बढ़ा दिया और चीखते हुए झड़ गईं।
लेकिन मेरा इस पोजीशन में काफी देर बाद ही निकलता है, तुरंत मैंने उन्हें आगे की ओर झुकाकर घोड़ी बना दिया और गांड पर चपत लगाते हुए लंड को चूत में ठोकने लगा… पीछे से उनके बालों को खींचते हुए पूरी शिद्दत से चोदे जा रहा था… मेरे हरेक शॉट पे भाभी की मादक आवाज़ें आअह्हम्म्म हूंहूउमऊ बढ़ती चली जातीं…
जब मेरा निकलने को हुआ तो मैंने चोदने की गति बढ़ा दी और अपने हाथ से लंड को मुठियाते हुए भाभी के बड़े-बड़े चूतड़ों पर अपना माल गिरा दिया!
चुदाई करते हुए हम दोनो को एक घंटे से ज्यादा हो गया था… अब डर भी था कि कोई हमें खोजते हुए यहाँ पर न आ जाये… इसलिए हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और बाहर आ गए… पहले मैं आया और कुछ देर बाद भाभी भी आ गईं।
आपके बहुमूल्य सुझावों और कमेन्ट्स का हार्दिक स्वागत है।
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