हाय रे मेरी किस्मत

(Hai Re Meri Kismat)

सभी दोस्तों का साजन शर्मा का नमस्कार।

दोस्तो, आज मैं आपके सामने एक नहीं, तीन तीन घटनाएँ ऐसी लाया हूँ जो अभी हाल ही में मेरे साथ घटित हुई हैं।
ये घटनायें तीन लड़कियों पर आधारित हैं, मुझे सब कुछ मिलने के बाद भी कुछ नहीं मिला।
आशा करता हूँ आपको मेरी यह सच्ची कहानी पसंद आएगी।

मेरे पास एक लड़की का मेल आया और फिर हम चैट भी करने लगे, हमारी बात बहुत आगे पहुँच गई थी।
हम फिर फोन पर भी बात करने लगे।
बातों बातों में उसने मुझसे सेक्स करने की इच्छा जाहिर की। तो मैंने उसको हाँ बोल दिया।

फिर क्या था अब हम फ़ोन सेक्स भी करने लगे, रात को हमें बात करते हुए दो तक बज जाते थे।
अब मैं आपको उस लड़की के बारे में बताता हूँ, उसका नाम ज़ूली था(बदला हुआ नाम) उम्र 25 साल, कद 5’3″, वो हल्की सी सांवली थी पर थी बहुत सुन्दर, ज़ूली महाराष्ट्र की रहने वाली थी।

ज़ूली और मेरे बातें फोन पर बहुत ज्यादा होने लगी थी हम अक्सर फोन सेक्स भी करते थे। ज़ूली को शायद चुदाई की तड़प कुछ ज्यादा ही थी इसलिए वो अक्सर मुझे मुम्बई आने के लिए बोलती रहती थी।
मैंने ज़ूली को बोला- ठीक है, मैं मुम्बई आ जाऊँगा पर उससे पहले तुम मुझे अपके उरोज और योनि की फ़ोटो मेल करो।
उसने कहा- ठीक है, मैं एक घंटे बाद आपको मेल कर दूंगी।

और ठीक एक घंटे बाद उसकी मेल आई जिसमें उसके वक्ष और योनि की तस्वीर थी।
उन तस्वीरों को देखकर मुझे मुझे विश्वास नहीं हुआ कि उसने ये फ़ोटो सही भेजी हैं।
मैंने यह बात ज़ूली को भी बता दी तो उसने कहा- 15 मिनट बाद मैं आपको एक मेल और करती हूँ।
15 मिनट बाद ज़ूली की मेल आई, इस बार उसने एक वीडियो भेजी थी।

मैंने वो वीडियो देखी तो उसने अपनी ऊपर से नीचे तक की बिना कपड़ो में वीडियो बना कर भेजी थी बस उसमें उसका चेहरा नहीं था।
मैंने वीडियो को ध्यान से देखा और फ़ोटो को भी ध्यान से देखा तो मुझे यकीन हो गया कि ज़ूली ने फ़ोटो और वीडियो अपनी ही भेजी है।
मैंने अपने ऑफिस में 7 दिन की छुट्टी के लिए बोल दिया और हमारे बॉस मान भी गए तो मैंने ज़ूली को फ़ोन करके बोला- मैं जल्द ही मुम्बई आ रहा हूँ !

मेरी बात सुनकर ज़ूली बहुत खुश हुई और बोली- यह तो बहुत ही अच्छी बात है।
तो मैंने कहाँ- हाँ यह बात तो है, पर एक बात बताओ कि हम मुम्बई में कहाँ पर मिलेंगे?
तो ज़ूली बोली- आप बस कल्याण तक आ जाओ बाकि मैं इंतजाम कर लूंगी।

हम दोनों ने अपनी फ़ोटो पहले से ही एक दूसरे को भेज दी थी तो हमें पहचानने में कोई दिक्कत नहीं आने वाली थी।
मैंने कल्याण के लिए टिकट रिजर्वेशन करवा लिया, यह बात भी मैंने ज़ूली को बता दी कि मैं 16 तारीख को रात के दस बजे करीब निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से बैठूँगा।

16 तारीख को मुझे निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन छोड़ने के लिए मेरा एक मित्र आया और मुझे गाड़ी में बैठा कर वापस चला गया। मैं गाड़ी में अपनी सीट पर बैठ गया, रात हो ही चुकी थी तो सभी यात्री सोने की तैयारी कर रहे थे, मैं अपने साथ वोद्का का एक हाफ लिम्का में मिला कर लाया था।

मैंने वो बोतल खोली और उससे वोद्का मिक्स लिम्का पीने लगा। कुछ पीने के बाद मैंने ज़ूली को फ़ोन किया, इधर ट्रेन भी चल पड़ी थी।
मैंने ज़ूली को बोला- मैं ट्रेन में बैठ गया हूँ और गाड़ी भी चल दी है।
उसने यह बात सुनी तो बहुत खुश हुई और कहा- मैं तुम्हारा बेसब्री से इंतजार कर रही हूँ कुछ देर तक फ़ोन पर बात करने के बाद मैं भी सो गया।

18 मई को मैं कल्याण रेलवे स्टेशन पर रात के 3 बजे पहुँचा।
कल्याण पहुँच कर मैंने ज़ूली को फ़ोन किया पर उसका फ़ोन कवरेज एरिया से बाहर था, मैंने सोचा शायद अपना फ़ोन ऑफ करके सो रही होगी तो मेरे पास इंतजार के अलावा और कोई रास्ता नहीं था, मैं इंतजार करता रहा, फ़ोन करता रहा पर ज़ूली का फ़ोन नहीं लगा।

काफी देर इंतजार करने के बाद सुबह के 5:39 मिनट पर उसके फ़ोन पर घंटी बजने लगी।
फ़ोन ज़ूली ने ही उठाया था, मैंने उसको बताया कि मैं कल्याण रेलवे स्टेशन पर रात के 3 बजे पहुँच गया था पर तेरा फ़ोन नहीं मिल रहा था, अब जाकर तेरा फ़ोन मिला है, क्या है यार? मैंने ज़ूली से कहा।

ज़ूली बोली- सॉरी साजन, मेरा फ़ोन कैसे ऑफ हो गया, मुझे पता नहीं।
मैंने कहा- ठीक है, कोई बात नहीं ! अब यह बताओ कि तुम कितनी देर में मुझे लेने आ रही हो?
ज़ूली बोली- बस 10 मिनट में निकल रही हूँ, मैंने सारा इंतजाम कर लिया है और हम सीधे रेलवे स्टेशन से होटल चलेंगे, मैंने रूम बुक करवा लिया है।

मैंने कहा- ठीक है, तुम कितनी देर मैं यहाँ पहुँच जाओगी?
तो ज़ूली बोली मुझे आने में 3 घंटे लगेंगे।
मैंने कहा- ठीक है, तुम आओ, मैं इंतजार कर रहा हूँ।
उसके बाद मैंने फ़ोन काट दिया।

अभी मेरे पास 3 घंटे थे तो मैं रेलवे स्टेशन से बाहर निकल गया, बाहर निकल कर देखा तो रेलवे स्टेशन के सामने बस अड्डा है, मैं वहाँ गया और वहाँ मैंने चाय पी और वहीं इधर उधर घूम कर उसका इंतजार करने लगा। मुझसे वक़्त कटे नहीं कट रहा था पर क्या कर सकते हैं इंतजार तो करना ही था न।
मैं उसका इंतजार करता रहा पर वो नहीं आई।

लगभग मुझे 4-5 घंटे हो गए थे पर उसका न तो कोई मैसेज आया और न ही उसका कोई कॉल जब मुझसे नहीं रहा गया तो मैंने ज़ूली को कॉल किया।
फ़ोन ज़ूली ने रिसीव न करके किसी और ने किया, मैंने पूछा तो उसने बताया कि ज़ूली का एक्सीडेंट हो गया है और वो अस्पताल में है।

मैंने उससे पूछा- आप ज़ूली की क्या लगती हैं?
तो उसने बताया- मैं उसके चाचा की लड़की हूँ और वो मेरी बहन है।
फिर उसने मुझसे पूछा- कहीं आप साजन तो नहीं हैं जो उससे मिलने आये हैं?
मैंने कहा- हाँ, मैं साजन ही हूँ !

तो उसने कहा- साजन जी, ज़ूली ने आपके बारे में मुझे सब बताया हुआ है, इसलिए उसका फ़ोन मैंने अपने पास रख लिया क्योंकि मुझे पता था कि आज आप मिलने वाले हो।
मैंने उसकी बहन से कहा- क्या मैं ज़ूली से मिल सकता हूँ?

तो उसने कहा- साजन जी, अभी नहीं, वहाँ पर सब होंगे तो मैं आप के बारे मैं क्या कहूँगी।अगर ज़ूली बोलने लायक भी होती तो मैं आपको ले चलती पर क्या करें, जब ज़ूली सही हो जाएगी तब वो और मैं हम दोनों आपसे मिलने आयेंगे।
वो अभी इतना ही कह सकी थी कि उसके फ़ोन पर किसी आदमी की आवाज दूर से आई तो ज़ूली की बहन ने कहा- अभी आई पापा जी !
और फिर उसने फ़ोन काट दिया।

मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा था कि जिस लड़की से मैं मिलने आया था उसका एक्सीडेंट हो गया है। मन बहुत बेचैन हो गया था, मैं भारी मन से टिकट काउन्टर की तरफ चल पड़ा, वहाँ जाकर पता किया कि दिल्ली जाने वाली गाड़ी किस टाइम की है तो उसने दोपहर के 2 बजे की की गाड़ी बताई। रिजर्वेशन तो हो नहीं सकता था इसलिए मैंने जरनल की टिकट ले ली और फिर यहाँ रूककर भी मैं क्या करता।

गाड़ी आने में अभी बहुत टाइम था, दिन के 11:17 मिनट हो चुके थे तो मैं वही रेलवे स्टेशन के नजदीक की मार्किट में घूमने लगा।
मैं मार्किट में घूम ही रहा था कि मुझे वहाँ दारू की दुकान दिखाई दी।
फिर क्या था, मैं गया और वोदका का एक हाफ लेकर मैं वहीं पीने लगा।

दोस्तो, किसी ने सच ही कहा है शराब चीज ही ऐसे है कि गम हो या ख़ुशी हो, दोनों ही मौकों पर पी जाती है।
ऐसे ही दोपहर के 1:30 बज चुके थे। मैंने एक वोद्का का हाफ़ और लिया रेलवे स्टेशन की तरफ चल पड़ा।
मार्किट से रेलवे स्टेशन का रास्ता मात्र 10 मिनट का था। रेलवे स्टेशन पहुँच कर पता चला कि ट्रेन 30 मिनट लेट है।
मैंने प्लेटफार्म से कुछ खाने पीने के लिए लिया और ट्रेन का इंतजार करने लगा।

ट्रेन आई तो देखा उस गाड़ी के दोनों जरनल डिब्बे फुल थे, उसमें पैर रखने के लिए भी जगह नहीं थी।
तभी मेरा ध्यान विकलांग डिब्बे पर गया, मैंने सोचा अभी तो इसमें बैठ जाता हूँ आगे किसी स्टेशन पर डिब्बा बदल लूँगा।
मैं उस विकलांग डिब्बे मैं चढ़ गया, मुझे उसमें चढ़ता देख और लोग भी चढ़ने लगे।

उस डिब्बे में सभी सीट फुल थी तो मैं वहीं गेट के पास खड़ा हो गया दिल्ली जाने के लिए उसमें 4-5 लड़के और भी थे। धीरे धीरे उनसे बात होने लगी और हम हंसी मजाक करते हुए सफ़र का मज़ा लेने लगे। कल्याण से अगला स्टेशन नासिक का पड़ता है तो हमारी गाड़ी नासिक पर रुकी।

हम अभी डिब्बा चेंज करने की सोच ही रहे थे कि उस डिब्बे में बहुत भीड़ उस डिब्बे में घुस गई।
हम चाहकर भी उस विकलांग डिब्बे से नहीं उतर सके। फिर हम वही पर अपनी जगह वापस आ गए मैंने नासिक आने से पहले ही कोल्ड ड्रिन्क में वोद्का मिक्स कर लिया था तो मैंने बोतल खोली और पीने लगा क्योंकि दोपहर की पी हुई उतर गई थी।

अभी मैंने कुछ ही पी थी कि तभी मुझे ट्रेन में एक लड़की दिखाई दी। क्या बला की खूबसूरत लग रही थी।
उसको देखा तो मैं पीना ही भूल गया, मैं बस उसको एकटक अपनी निगाहों से उसको देखता रहा और मुझे कुछ ऐसा लगा कि वो लड़की भी मुझे चोर निगाहों से देख रही है।

तभी मुझे किसने बुरी तरह झंझोड़ा तो मैंने हड़बड़ाकर उसको देखा तो ये वही थे जो हमारे साथ दिल्ली जा रहे थे। उसमें से एक ने कहा- क्या हुआ?
मैंने उससे कहा- कुछ नहीं, बस ऐसे ही।

आइये अब आपको उस लड़की के बारे मैं बता दूँ, उसकी हाईट लगभग 5 फुट 4-5 इंच होगी शायद उसने ऊँची हिल की सैंडिल पहन रखी थी, उसने सलवार कमीज पहना हुआ था, कमीज़ का रंग सफ़ेद था और सलवार का रंग काला और काले रंग का ही उसने स्टॉल लिया हुआ था जो उसने ओढ़ा हुआ नहीं था, बस हाथ में पकड़ रखा था। उस लड़की का रंग ऐसा था कि गोरा रंग चमक रहा था बाहर से आती हुई धूप की लालिमा उसका बदन लाल सुर्ख हो रहा था।

उसके उरोज का साइज़ 34″ जो कि उसने मुझे बाद में बताया था। उसका बदन भरा हुआ और होंठ तो बस पूछो ही नहीं उसके रस भरे होंठ।
मतलब यह कि वो बिलकुल मस्त फिगर लिए हुए थी, दिखने में आप कैटरीना कैफ़ कह सकते हो, जितना मैं उसको देखता उतना ही और देखने का मन करता !

मैं चुपके चुपके उसको देख रहा था।
उसके हाथ में एक बैग और एक लेडिज पर्स बड़ा वाला था। भीड़ इतनी थी कि उससे सही से खड़ा नहीं हुआ जा रहा था और ऊपर से दो बैग हाथ में।
मैंने उस लड़की को इशारे से कहा- लाइए, आपका बैग मैं पकड़ लेता हूँ।
क्योंकि मैं आराम से खड़ा था।

उसको शायद मेरी बात सही लगी तो उसने अपना एक बैग मुझे दे दिया।
साइड में और लोग का भी सामान रखा था, मैंने उसका बैग उन सामान के ऊपर रखते हुए कहा- लाओ, आपका पर्स भी यही रख दूँ !
तो उसने मना कर दिया। मैंने अब तक जितनी पी थी, उसको देख कर सब उतर गई थी।

मैं फिर से अपनी बोतल निकाली और पीने लगा। मैं पीते हुए उसको ही देख रहा था और उसकी निगाहें मुझे देख रही थी।
मैं उससे बात करना चाहता था पर मुझे डर भी लग रहा था कि इस लड़की के साथ और भी कोई हो सकता है तो मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी उससे बात करने की।

मैं कोल्ड ड्रिंक मिक्स वोद्का पी ही रहा था अब मुझ पर फिर से नशा हावी होने लगा और मेरी हिम्मत भी बढ़ने लगी थी, तभी तो मैं उसके उरोजों को देखे जा रहा था।
जब उस लड़की का ध्यान मेरे ऊपर गया कि मैं क्या देख रहा हूँ तो उसने अपने हाथ में पकड़ा हुआ स्टॉल उसने अपने सर पर ओढ़ लिया और अपने उरोज भी उसमें छुपा लिए।

जब उसने ऐसा किया तो मुझे बहुत बुरा लगा और इशारे से कहा- यह क्यों ओढ़ लिया?
शायद वो मेरी बात तो समझ गई थी, इसलिए उसने जहाँ मैं खड़ा था उस तरफ से अपना हाथ ऊपर किया तो मुझे फिर से उसके उरोज दिखाई देने लगे। उसकी इस हरकत तो देख कर मेरे अन्दर और हिम्मत आ गई, फिर मैंने हिम्मत करके उससे पूछा- तुम्हारा मोबाईल नम्बर क्या है?

मैंने इतना धीरे कहा था कि उसको समझ नहीं आया कि मैंने क्या कहा।
वो मेरे पास को झुकती हुई बोली- क्या कहा आपने?
आवाज ऐसी जैसे कोई कोयल कोई गीत सुना रही हो जैसे।

जब उसने मुझे दुबारा कहा तो मेरी तो फट ही गई यह सोच कर अगर इसके साथ इसके घरवालों में से कोई हुआ तो बेकार ही में मेरी आफ़त आ जाएगी। मैंने हड़बड़ाकर कहा- कुछ नहीं !
मेरे इतना कहने के साथ ही फिर वो वैसे ही खड़ी हो गई जैसे वो पहले खड़ी थी।
कुछ देर मैं बस चुपचाप उसको देखता रहा और वो भी मुझे देखकर मुस्कुराती रही।

मेरा मन उससे बात करने को बेताब हो रहा था इसलिए मैंने वोद्का पूरी पी डाली और फिर मैंने अपने फ़ोन में एक मैसेज लिखा कि मुझे आपका नम्बर चाहिए और फिर चुपके से मैंने अपना फ़ोन उस लड़की को पकड़ा दिया।
उसने मेरे हाथ से मेरा फ़ोन पकड़ा और उसको पढ़ने लगी, जब उसने उस मैसेज को पूरा पढ़ लिया तो मेरी तरफ़ देखकर मुस्कुराने लगी।

मुस्कुराते हुए उसने मेरे फ़ोन पर कुछ लिखा और फिर मेरा फ़ोन मुझे वापस कर दिया। जब मैंने देखा तो उसने अपना मोबाईल नम्बर लिखा हुआ था।
मैं उस नम्बर को सेव करने लगा तो मैंने उससे उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम नेहा बताया।
मैंने उससे उसका पूरा नाम पूछा तो उसने नेहा खुकरेजा बताया।

मतलब वो लड़की पंजाब की थी और आप तो जानते ही है पंजाबणें देखने में कितनी खुबसूरत होती हैं।
अब नेहा मेरे और भी नजदीक आ चुकी थी और हमारी बात फ़ोन के जरिये हो रही थी मुझे उससे कुछ पूछना या कहना होता तो मैं अपने फ़ोन में लिख कर अपना फ़ोन नेहा को दे देता और वो उसको पढ़ कर अपना जवाब उस पर लिख देती थी।
हमें काफ़ी देर हो गई थी इस तरह से बात करते हुए और हमारी ये हरकतें डिब्बे में काफी लोग हमें ही देख रहे थे पर मुझे तो अब जैसे किसी की परवाह ही न हो।

कुछ देर बाद मैंने उसको अपने फ़ोन पर ‘आई लव यू’ लिख कर उसको पढ़ने के लिए दे दिया।
नेहा ने उसको पढ़ कर फ़ोन मुझे वापस कर दिया इस बार उसने कोई जवाब नहीं लिखा तो मैंने उसको इशारे से पूछा।
उसने मेरे तरफ देखा और मुस्कुराते हुए अपने फ़ोन में कुछ करने लगी।

कुछ देर बाद मेरे फ़ोन पर मैसेज आया मैंने अपना फ़ोन देखा तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ।
वो मैसेज मुझे नेहा ने ही किया था और उसमें लिखा था आई लव यू टू।
नेहा के इस मैसेज को पढ़कर मैं बहुत खुश हुआ, जैसे मुझे मुँह मांगी मुराद मिल गई हो।
फिर मैंने उससे पूछा- तुम्हारे साथ और भी कोई है?
तो उसने कहा- नहीं, मैं अकेली हूँ।

तब जाकर मैं उससे खुल कर बात करने लगा पर उसके और मेरे बीच में एक औरत थी इसलिए उससे ऐसी वैसी कोई बात तो हो नहीं सकती थी।

मैंने नेहा की कुछ फ़ोटो अपने फ़ोन से ली पर उसकी फोटो सही नहीं आई मतलब ये की साफ फोटो नहीं आई थी तो मैंने उसको कहा की अपनी फोटो मुझे मेरे फ़ोन पर भेज दो ब्लूटूथ से तो नेहा ने कहा जब में स्टेशन पर उतरुगी तब तुम मेरी फोटो ले लेना जब तक उसका स्टेशन नहीं आया हम एक दुसरे में खोये रहे। उस रेल के डिब्बे में तीन लड़के और थे जो उसको लाइन मार रहे थे पर उसने उनकी तरफ ध्यान ही नहीं दिया।

रात को दस बजे करीब उसका स्टेशन भुसावल आ गया उसने मुझे प्यार भरी नजरो से देखा उसके चेहरे पर मुझसे बिछड़ने का दर्द साफ़ दिखाई दे रहा था पर कर भी क्या सकते थे हम। नेहा ट्रेन से उतर कर प्लेटफार्म पर आ गई मैं भी उसके पीछे उतर गया।

मैं जैसे ही उतरा तो देखा कि नेहा को लेने उसके अंकल आये हुए थे जो मुझे बाद में पता चला कि वो उसके अंकल हैं, यह बात नेहा ने मुझे फ़ोन पर बताई।
मैं नेहा को जब तक वो देखता रहा जब तक वो मेरी नजरों से ओझल नहीं हो गई।
और फिर ट्रेन ने चलने के लिए होर्न बजाया तो मैं अपनी ट्रेन में चढ़ गया।

तभी मुझे एक मैसेज आया, देखा, वो नेहा का ही था जिसमें कुछ लाइन इस तरह लिखी थी-
मज़बूरी में नहीं दिल से हमें याद करना।
दुनिया से फुर्सत मिले तो हमसे भी बात करना।
दुआ है ज़माने की हर ख़ुशी मिले आपको,
फिर भी आँख भर आये तो हमें याद करना।

नेहा का यह मैसेज पढ़कर मुझे बहुत अच्छा लगा और उससे बिछड़ने का दुःख भी हुआ।
मेरा पूरा सफ़र उसको याद करते हुए कट गया, मैं दिल्ली 19 मई को दोपहर के 2 बजे करीब पहुँच चुका था।
मैंने पहले नेहा को फ़ोन किया और उसको बताया कि मैं दिल्ली पहुँच गया हूँ पर मैं अभी घर नहीं पहुँचा तो उसने कहा- आप पहले घर पहुँचो और फ़्रेश हो कर कुछ देर आराम कर लो, फिर बात करते हैं।

फिर हमारी फ़ोन पर बात होने लगी और जब भी नेहा को मिस करता तो उसको फ़ोन कर लेता और उससे मेरी अब भी बात होती है, वो मेरे जन्मदिन पर दिल्ली भी आ रही है मुझसे मिलने के लिए।
कल्याण से आने के बाद मुझे तीसरे दिन ही अपने भाई की सुसराल जाना पड़ा क्योंकि वहाँ पर कुछ प्रोग्राम था और घर में से और कोई नहीं जा रहा था सिर्फ भाभी और मैं।

मैं भाभी को लेकर उनके घर पहुँच गया पर जाने से पहले मैंने वोद्का पी ली थी आपको पता ही होगा कि वोद्का में गन्ध कम आती है।
मेरे पीने के बारे में मेरे घर में सभी जानते हैं इसलिए भाभी ने मुझसे कुछ नहीं कहा।

मेरा मौसम सही बना हुआ था, मैं नशे में तो था पर मुझे देखकर कोई कह नहीं सकता था कि मैं नशे में हूँ। वहाँ पर मेरे भाई के साले की साली आई हुई थी। जिसका नाम रूबी था उसकी उम्र यही कोई 18 साल की रही होगी। कद में वो मुझसे छोटी थी लगभग 5 फुट की।

रुबी भी बहुत सुन्दर थी उसके उभार मौसमी के आकार के हो गए थे जो देखने में बहुत ही कठोर लग रहे थे, होंठ सुर्ख गुलाबी, पतली कमसिन सी वो लड़की बहुत ही अच्छी लग रही थी, उसको देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया था।
भाभी के घर पर प्रोग्राम शाम का था इसलिए सब काम में व्यस्त थे और जिस कमरे में मैं था वहाँ पर कोई नहीं था सिवाए मेरे।

मैं पलंग पर लेटा टीवी देख रहा था कि तभी रूबी कमरे में आई और वहाँ की साफ़ सफाई करने लगी।
जब रूबी मेरे पास से होकर गुजरती तो में उसको छेड़ देता था मेरे छेड़ने से उसको कोई एतराज नहीं था क्योंकि रिश्ते में तो में उसके जीजा का जीजा था। कमरे की सफाई के बाद रूबी बाहर जाने लगी तो मैंने उसकी गांड पर हाथ फ़ेर दिया, बड़ी ही मुलायम थी रूबी की गांड।

कुछ देर बाद रूबी फिर कमरे में आई और फर्श पर पोछा लगाने लगी, मैं उठा और कमरे से बाहर जाकर देखा कोई इस कमरे के आस पास तो नहीं है। जब मुझे कोई दिखाई नहीं दिया तो मैं कमरे में वापस आया तो रूबी अभी भी पोछा लगा रही थी मैं उसके पीछे गया और अपने दांये पैर का अंगूठा उसकी चूत पर ले जाकर रगड़ने लगा।

रूबी ने मुझे नीचे बैठे हुए पीछे घूम कर देखा तो मैं उसको देखते हुए मुस्कुरा दिया।
फिर मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसको ऊपर की तरफ उठा दिया।
रूबी अपना शरीर ढीला छोड़ते हुए खड़ी हो गई।

मैंने उसको दीवार के साथ लगाते हुए एक हाथ से उसके सर के बाल पकड़े और अपने होंठ रूबी के होंठों से सटा दिए और उसके रसीले होंठों को चूसने लगा।
रूबी मेरी किसी भी हरकत का कोई विरोध नहीं कर रही थी, पता नहीं क्यों, यह तो मेरी भी समझ में नहीं आया पर मुझे इसे क्या।

रूबी के बालों को छोड़कर मैं उसके मौसमी के आकार के चूचे दबाने लगा। रूबी के चुचे पहले से ही कठोर थे पर अब तो मुझे और भी ज्यादा कठोर लग रहे थे, रूबी के होंठ चूसते हुए उसके मम्मे दबाने लगा।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था फिर कुछ देर बाद ऐसा करने के बाद मैंने उसका कमीज ऊपर करने लगा तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।

मैंने रूबी को देखते हुए कहा- क्या हुआ मेरी जान?
तो बोली- अभी नहीं, अभी कोई आ गया तो बहुत बदनामी होगी मेरी भी और आपकी भी।
मैंने उससे कहा- कब तो?
रूबी बोली- जब टाइम मिलेगा तब। अभी मुझे जाने दो, बहुत देर हो गई है।

मैंने कहा- ठीक है !मैंने एक लम्बा सा चुम्बन किया और उसकी दोनों मौसमी को तबियत से निचोड़ दिया।
मैंने शायद कुछ ज्यादा जोर से कर दिया था इसलिए दर्द के करण उसके मुंह से हल्की सी चीख निकल गई ‘ऊऊउईईईई म्हाआआअ’ फिर वो मुझसे अलग हुई और अपने कपड़े सही करके बाहर चली गई।
रूबी के जाने के बाद मैं उसको चोदने की सोच ही रहा था कि मेरा फ़ोन बज उठा, मैंने फ़ोन देखा तो वो नम्बर अपनी नेहा का था।

मैंने उससे बात की और उसको बता दिया कि मैं अपने भाई की सुसराल आया हूँ। कुछ देर बात करने के बाद मैंने फ़ोन काट दिया।
शाम हो चुकी थी, प्रोग्राम शुरू हुआ, बाद में सबने खाना खाया पर मुझे भाभी के भाई ने मुझे खाना खाने नहीं दिया, बोला- अभी तो हमारा पीने का प्रोग्राम है। फिर हम खाना खायेंगे।
मैंने कहा- ठीक है !

और फिर जब रात के 9 बजे तो हमारा पीने का दौर शुरू हुआ, मैं कम ही पी रहा था क्योंकि मुझे रूबी को भी तो चोदने का जुगाड़ भी तो करना था।

पर सालों को यह पता चल गया कि मैं कम पी रहा हूँ तो उन्होंने बहुत जोर जबरदस्ती करके मुझे काफ़ी पिला दी।
पीने के बाद हमने खाना खाया और फिर भाई भाभी के भाई ने मेरा बिस्तर ऊपर छत पर बने कमरे में लगा दिया उस कमरे में मैं अकेला ही सोने वाला था क्योंकि भाई के सभी सालों की शादी हो चुकी थी और मेहमान जा चुके थे, बस उन्होंने मुझे ही रोक लिया था।

और रूबी तो पहले से ही आई हुई थी और वो अभी 4-5 दिन और रहने वाली थी।
अब मैंने सोचा कि रूबी को कैसे बताऊँ कि मैं ऊपर अकेला सो रहा हूँ। बस यही सोचते हुए कब मेरी आँख लग गई नशे के कारण मुझे आभास ही नहीं हुआ।
मेरे सोने के कुछ देर बाद ही अचानक मेरे चेहरे पर किसी पानी की छीटे मारी जब मैंने आँख खोल कर देखा तो सामने रूबी खड़ी थी।

रूबी मुझसे बोली- आप यहाँ अकेले ही सो रहे हो और हमें बताया भी नहीं? अगर दीदी (मेरी भाभी) मुझे पानी का जग लेकर ऊपर न भेजती तो मुझे पता भी नहीं चलता कि आप कहाँ पर सो रहे हो।
मैंने कहा- हाँ यार, मैं यहाँ अकेला ही सो रहा हूँ और तुमको यह बात कैसे बताऊँ, यही सोचते हुए कब मुझे नींद आ गई, पता नहीं चला।

रूबी ने पानी का जग एक तरफ रखा और पलंग पर मेरे साथ बैठ गई।
मैंने रूबी को पूछा- नीचे सब सो गए हैं क्या?
तो उसने बोला- हाँ, लगभग सब सो चुके हैं !

मैंने कहा- ठीक है, पर तुम बैठी क्यों हो, तुम भी लेट जाओ ना!
रूबी ने मेरी तरफ देखा और मुस्कुराती हुई मेरे साथ लेट गई।

रूबी के आने से ही मेरा लंड खड़ा हो चुका था उस वक़्त मैंने अंडरवियर और बनियान पहन रखी थी मैं बेड से उठा और रूम का दरवाजा लॉक कर दिया। रूबी मुझे ही देख रही थी, फिर मैंने अपनी बनियान उतारी और रूबी के ऊपर चढ़ गया, उसका कोमल बदन मेरे शरीर के नीचे दब गया था।

उसके ऊपर लेटते हुए मैं उसके होंठ चूसने लगा।
अब तो रूबी भी मुझे अपने होंठ चूसने में मेरी मदद कर रही थी।
फिर मैं उससे अलग हुआ और उसका कमीज उतार दिया, उसने के बाद उसकी ब्रा भी उतार दी अब रूबी भी मेरी तरह ऊपर से नंगी हो चुकी थी अब उसके बदन पर बस सलवार ही बची थी।

फिर मैं बेड पर लेट गया और रूबी को अपने ऊपर अपनी जांघों पर बिठा लिया और उसकी नंगी चूचियों को सहलाने लगा और हल्के हल्के हाथ से दबाने लगा।

रूबी ने अपने दोनों हाथ मेरी छाती पर रखे हुए थे, मेरा लंड उसकी गांड में सलवार के ऊपर से ही घुसने को बैचेन हो रहा था।
फिर मैंने रूबी को अपने ऊपर पूरा लिटा लिया और उसके होंठो का रस पीते हुए उसकी नंगी कमर पर हाथ फिराने लगा।
कुछ देर बाद मैंने रूबी की सलवार का नाड़ा खोल दिया, वो ऐसे ही मेरे ऊपर लेटी हुई थी, मैंने उसकी सलवार अपने दोनों हाथों से नीचे सरकानी शुरू कर दी।

रूबी की सलवार उसके चूतड़ों से नीचे तक हो चुकी थी, मैंने उसके दोनों कूल्हों को अपने हाथ में पकड़ा और मसल दिया, रूबी कसमसा कर ही रह गई। मेरा लंड अब फटने की कगार पर था इसलिए मैंने रूबी को अपने ऊपर से उठाया और उसकी सलवार और पेंटी दोनों ही उतर दी, मैंने भी अपना अंडरवियर उतार दिया, अब हम दोनों पूर्ण रूप से नग्न अवस्था में थे।

रूबी की चूत पर सुनहरे बाल अभी उगने ही चालू हुए थे, मैंने पहले तो रूबी की अनछुई चूत पर एक चुम्बन किया और फिर उसकी चूत को अपने होंठों में दबा कर चूसने लगा।
वैसे भी मुझे अनछुई चूत चूसने में बड़ा ही मज़ा आता है। मैं उसकी साफ़ और चिकनी चूत को चूसे जा रहा था और वो मेरे सर पर हाथ फेर रही थी।

रूबी की चूत मेरे थूक से बुरी तरह गीली हो चुकी थी।
फिर मैंने रूबी के दोनों पैरो को मोड़ कर उसकी चूत को और अपने हाथों से फैला कर उसमें अपनी जीभ डाल दी।
‘सीईईईई ईस्सस्सस !’ उसके मुंह से बहुत ही मादक सिसकियाँ निकलने लगी।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
अब उसके हाथ मेरे सर से होते हुए मेरी पीठ को सहला रहे थे और मैं उसकी अनचुदी चूत में अपनी जीभ से उसके रस का पान कर रहा था।
कुछ देर बाद रूबी ने अपनी दोनों जांघों के बीच मेरा सर दबा लिया और ‘ऊऊऊई ईईम्म्म्माआ आअह’ करती हुई अपना पानी छोड़ने लगी।
मैंने भी उसका सारा पानी चाट चाट कर साफ़ कर दिया।
रूबी की चूत का पानी बड़ा ही टेस्टी था।

कुछ देर के लिए रूबी निढाल सी होकर लेट गई थी जैसे वो बहुत थक गई हो।
रूबी आँखे बंद करके लेटी हुई थी तो मैंने अपना लंड उसके मुंह पर लगा दिया। मेरा लंड उसके होंठों से लगा तो उसने अपनी आँखें खोल दी।

मैं उसकी तरफ देखकर मुस्कुराया और वो मुझे देख कर मुस्कुराते हुए रूबी ने अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ा और अपना मुंह खोल कर मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी।
मेरा लंड उसके मुंह में नहीं आ रहा था इसलिए वो मेरे लंड का सुपारा ही चूस रही थी।

अभी मुश्किल से दो ही मिनट हुए थे कि तभी मेरा फ़ोन बज उठा।
बहुत गुस्सा आता है जब ऐसे टाइम पर कोई आ जाये या फ़ोन बज उठे और वही मेरे साथ भी हुआ !
मुझे भी बहुत गुस्सा आया पर जब मैंने अपना फ़ोन उठा कर देखा तो मेरे होश ही उड़ गए वो फ़ोन मेरे भाई के साले का था जोकि नीचे से कर रहा था। मैंने रूबी को चुप रहने का इशारा किया और फिर फ़ोन पिक किया।

दूसरी तरफ से आवाज आई- ऊपर रूबी है क्या?
मैंने नींद में होने का नाटक करते हुए कहा- नहीं, यहाँ तो नहीं है।
तो उसने कहा दीदी (मेरी भाभी) उसको तलाश कर रही है और वो शायद ऊपर ही आ रही है उसको देखने के लिए !
मैंने साले को कहा- पानी देने आई थी पर वो तो तभी चली गई होगी !

इतना कह कर मैंने उसका फ़ोन काट दिया, मैंने रूबी को बोला- जल्दी से अपने कपड़े पहनो और बाहर जाकर खड़ी हो जाओ, भाभी तुमको देखने ऊपर ही आ रही है।
इतना कह कर मैं भी अपने कपड़े पहनने लगा।
मुझसे पहले रूबी ने अपने कपड़े पहन लिए और कमरे से बाहर निकल गई।

मैंने बेड पर निगाह दौड़ाई तो देखा रूबी ने अपनी ब्रा और पेंटी तो पहनी ही नहीं है, वो बेड पर ही पड़ी हैं, मैंने उनको उठा कर बेड के गद्दे के नीचे छुपा दिया।
तभी बाहर से भाभी की आवाज आई- रूबी, तू यहाँ क्या कर रही है? तो रूबी बोली- ऊपर हवा अच्छी चल रही थी तो मैं यहीं पर टहलने लगी, मुझे अभी नींद भी नहीं आ रही थी।

मैं रूबी और भाभी की आवाज सुन रहा था पर मैं उस कमरे से बाहर बिल्कुल भी नहीं निकला।
फिर भाभी ने रूबी से कहा- चल अब बहुत रात हो गई है।
भाभी रूबी को लेकर नीचे चली गई। उनके जाने के बाद मैं अपने आप से ही बोला- हाय रे मेरी किस्मत।

इतने दिनों के बाद एक चूत नसीब हुई और वो भी मिलते हुए भी न मिल सकी। अब अपने इस लंड को तो किसी तरह शांत करना था इसलिए अपने हाथ से अपने लंड की मालिश की जब तक मेरा माल निकल न गया।
मैंने अपना माल रूबी की ब्रा में ही झाडा और फिर मैं अपना मन मार कर सो गया।

सुबह रूबी ने ही मुझे उठाया, वो भी मेरे होंठो पर चुम्बन करके !
मैं उसको अपनी आगोश में लेना ही चाहता था पर रूबी ने मुझे मना कर दिया, वो बोली- रात तो हम बच गए पर अब पकड़े गए तो पता नहीं क्या हो, इसलिए जब आप मेरे घर मेरठ आओगे तब आप अपनी सारी हसरतें पूरी कर लेना पर यहाँ कुछ नहीं !

और रूबी मुझसे मेरठ में चुदवाने का वादा करके अपनी ब्रा और पेंटी लेकर नीचे चली गई।
दोस्तो, ऐसा किसी के साथ नहीं हुआ होगा जो मेरे साथ हुआ, तीन तीन चूतों के होते हुए भी मुठ मारनी पड़ी।

ख़ैर जो होना था वो तो हो गया पर अब इन तीनों लड़कियों के बारे में तब लिखूँगा जब में इनमे से किसी से भी मिल लूँगा।
आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, बताइयेगा जरुर।
आप अपने सुझाव भी दे सकते हैं।
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