मस्त लड़की ने मुझे बनाया अपना शूगर डैडी- 1

(Generation Z Hot Girl)

जनरेशन ज़ेड हॉट गर्ल से मेरी दोस्ती अनायास ही तब हो गयी जब मैंने उसे अपनी कार में लिफ्ट दी. उसके बाद से अक्सर वह मेरे साथ कॉलेज जाने लगी और मैं ख्याली पुलाव पकाने लगा.

मैं राहुल श्रीवास्तव फिर आपके सामने हूँ.
जैसा कि आप जानते हैं कि मैं मूलतः प्रयागराज का हूँ पर प्रयागराज से दिल्ली, आगरा, लखनऊ होता हुआ अभी मैं मुंबई के एक उपनगर के अति व्यस्त वाले इलाके में रहता हूँ.
उधर कामकाजी लोगों के अलावा व्यवसायिक गतिविधियां भी काफी चलती हैं.

मेरी पिछली कहानी
यौन तृप्ति के लिए गैर मर्द की चाहत
अगस्त 2023 में प्रकाशित हुई थी. उसका लिंक दिया है.

यह वाकिया या इस घटना की शुरूआत करीब एक साल पहले फरवरी 2022 में हुई थी और इसका अंत कुछ माह बाद हुआ है.

मतलब पहली चुदाई हो गई थी और जब यह घटना आप पढ़ रहे होंगे तब भी हम दोनों के बीच चुदाई समारोह चालू होगा.

मैं जो भी लिख रहा हूँ वह अपनी सम्भोग साझीदार के राज़ी होने के बाद ही लिख रहा हूँ.

यह कहानी जनरेशन मिलेनियल्स और जनरेशन ज़ी (ज़ेड) हॉट गर्ल के बीच की है.
कुछ देशो में जैसे अमेरिका, कनाडा में Z को ज़ी बोला जाता है.
Generation Z: The group of people who were born between the late 1990s and the early 2010s, who are regarded as being very familiar with the internet.
काफी लोगों के लिए ये शब्द कुछ नए से होंगे.

जो पाठक 18 साल की उम्र से ज्यादा होंगे, वह इसका मतलब समझ गए होंगे.
कहानी के दौरान इन शब्दों का सही अर्थ भी आप सबको समझ में आ जाएगा.

प्रिय पाठको, मेरी कहानी थोड़ी लम्बी और रोमांस के साथ पूरी तरह वास्तविक होती है.
किसी लड़के या लड़की से मिलने के बाद उसको बिस्तर तक लाने में काफी वक़्त लगता है.
खास तौर से लड़कों को काफी पापड़ बेलने पड़ते हैं.
उसको लड़की को यकीन दिलाना पड़ता है कि उसके साथ सेक्स या चुदाई करके उसको भी आनन्द मिलेगा और वह सुरक्षित रहेगी.

ना कि जैसे आम कहानियों में होता है, वैसा कुछ नहीं … कि मिले और चोदा … फिर लंड उठा कर निकल गए.

जब तक आपका मूड बना, तब तक कहानी समाप्त हो गई.
सही से हिला भी नहीं पाए.

तो आप सबसे विनम्र विनती है कि धैर्य के साथ मेरी लिखी आपबीती को पढ़ें और खुद को आनंदित करें.
साथ ही अपने अमूल्य विचारों से मुझको अपने ईमेल या कमेंट्स के माध्यम से अवगत कराएं.

मुंबई सभी युवाओं के सपनों का शहर है.
पर क्या आप जानते हैं कि मुंबई में जीना कितना मुश्किल काम है!

आप और हम जैसे एक आम आदमी का जीना एक संघर्ष से कम नहीं है.

आपके दिन में दो से चार घंटे ट्रेवलिंग में ही निकल जाते हैं.
फिर आठ घंटे आपके ऑफिस में निकल गए.

तो आपके पास क्या बचा … बाबा जी का ठुल्लू!

इससे आप खुद ही समझो कि मुंबई में जीना कितना मुश्किल है.

यदि आप एक आम आदमी (मुम्बईकर) हो, तो मेरी बात से सहमत होंगे.

कमोबेश यह स्थिति आज सभी बड़े शहरों की है.
पर यहां अवसर भी खूब हैं.
फिर वह चाहे पैसा कमाना हो, नौकरी हो या सेक्स हो, बस आपको अपना हुनर दिखाना होता है.

हुआ कुछ यह कि हमारे इलाके में ऑटो वालों की बहुत ही ज्यादा बदमाशी चलती है.
उनकी यूनियन भी बहुत मजबूत है।

आपको शायद पता होगा कि मुम्बईकर का सुबह का वक़्त काफी कीमती होता है.
एक एक सेकेंड की कीमत होती है कि कहीं लोकल ट्रेन न छूट जाए.
यदि एक ट्रेन छूट गई तो आगे का पूरा शिड्यूल बिगड़ जाता है.

तो एक सुबह एक ऑटो वाले और एक लोकल मुम्बईकर के बीच कुछ कहा सुनी हो गई.
और उस पर दोनों लोकल … कोई भी किसी से कम नहीं, तो बात हाथापाई तक पहुंच गई.

दोनों तरफ से काफी लोग इकट्ठा हो गए.
पुलिस भी आ गई.

पर इसका नतीजा ये हुआ कि उस इलाके के ऑटो वालों ने हड़ताल कर दी.

अब ऑटो नहीं होगा तो लोगों को लोकल ट्रेन के स्टेशन पहुंचने में समस्या आने लगी.

जगह जगह लोग झुण्ड बना कर लिफ्ट मांगने लगे.
लोगों ने भी दिल खोल कर लिफ्ट देकर लोगों को स्टेशन पहुंचाया.

मेरा इलाका ऐजुकेशन जोन में आता है.
यहां कई बड़े और नामी कॉलेज हैं. काफी सारे कॉलेज होने के कारण यहां ‘यंग क्राउड’ बहुत था.
आधी रात में भी काफी चहल-पहल रहती है.

मेरी सोसाइटी से स्टेशन तक का सफर करीब चार किलोमीटर तक का है.
मैं कार से स्टेशन, फिर लोकल से दूसरे स्टेशन तक … वहां से मेट्रो लेकर करीब ढाई से तीन घंटे में ऑफिस पहुंच जाता हूँ.

उस दिन जैसे ही सोसाइटी के गेट से निकला तो एक लड़की ने लिफ्ट मांग ली.
पता नहीं क्या सोच कर लिफ्ट दे दी.

ऊपर लिखी जनरेशन वाली जानकरी उसी लड़की ने मुझे दी थी.
वह 18 या 19 साल की थी या शायद 20 की थी.
पर थी बहुत कमसिन सी नाजुक कली … प्यारी इतनी कि चेहरा देख कर ही दिल प्रफुल्लित हो जाए.

उसने होटल मैनेजमेंट कराने वाले एक कॉलेज नाम बताया.
यह मेरे रास्ते में था तो उसको उधर उतार कर मैं आगे बढ़ गया.

दो दिन बाद ही मेरे निकलते ही वह लड़की फिर से दिखी तो मैंने खुद ही लिफ्ट ऑफर कर दी.
वह भी आराम से बैठ गई.

इस बार मैं रास्ते में उसके बारे में पूछा तो उसने अपना नाम आदिरा बताया.

वह एक कॉलेज में होटल मैनेजमेंट की पहले वर्ष की छात्रा थी.
साथ ही यह भी पता चला कि वह भी उत्तर प्रदेश की है.

यह जानकर मुझे कुछ और अपनापन सा लगा क्योंकि मैं भी उत्तर प्रदेश का हूँ.

कहते हैं ना कि परदेस में आपको को अपने प्रदेश/शहर का कोई मिल जाए तो एक अलग ही अहसास होता है.
कुछ वैसी ही फीलिंग थी.

बातें तो बहुत सी बताईं उसने … पर उन सबमें आपको कोई इंटरेस्ट नहीं होगा.

जैसा कि आप समझ चुके हैं कि मेरा सुबह का समय जाने का बिल्कुल फिक्स था और ये बात आदिरा को भी समझ में आ गई थी.
वह अब अक्सर मेरे साथ मेरी कार में जाने लगी.

यह बात मैंने अपनी वाइफ को भी बताई थी.

इस बीच गणपति उत्सव का जब आगमन हुआ तो मैंने आदिरा को अपने घर भी बुलाया.

चूंकि हम दोनों की उम्र (लगभग दोगुने का) में काफी अंतर था तो मैंने उसके बारे में कुछ गलत सोचा ही नहीं.
वह भी मुझको अंकल कहती थी.

धीरे धीरे हम दोनों में एक अनजाना सा रिश्ता बन गया था.
वह काफी फ्री होकर बेतकल्लुफी से बात करती थी.
आदिरा को जैसे विश्वास हो गया था कि वह मेरे साथ सुरक्षित है.

अभी तक हम दोनों में ही कुत्सित विचारों कि कोई एंट्री नहीं हुई थी.

एक बार कुछ दिनों के लिए मैं आउट ऑफ़ मुंबई गया था.
जब लौट कर आया तो पहली बार उसकी बातों से लगा कि उसने मुझको याद किया.

मेरे पास तो ज्यादा टाइम होता नहीं था, बस वही सुबह ही मुलाकात होती थी.

आदिरा मेरी सोसाइटी के बगल के ही सोसाइटी के टू बीएचके फ्लैट में 3 और लड़कियों के साथ रहती थी.

गणपति उत्सव में वह अपनी फ्लैट की सहेलियों के साथ आई.
उसने मेरी वाइफ से भी मुलाकात की.

कुल मिला कर देखा जाए तो धीरे धीरे वह मेरे घर की सदस्य जैसी बन गई.

मेरी वाइफ के साथ उसकी अच्छी जमने लगी.
वह अक्सर मेरी गैर मौजदगी में भी मेरे घर आने लगी थी.

मैं तो घर में ज्यादा रहता था नहीं … और मेरा बेटा भी हम सबसे दूर हॉस्टल में रहता था.
इसी सब वजहों से वाइफ को उसका आना अच्छा लगता था.

आदिरा एक विकसित लड़की होती तो शायद मेरे दिल में भी कुछ कुत्सित विचार आते … पर आदिरा तो एक नाज़ुक सी कली थी … जिसमें अभी कोंपलें खिलना शुरू हुई थीं.

पर कहते हैं ना कि इस दौर की लड़कियां या लड़के कुछ एक्स्ट्रा ही ज्ञान लेकर आते हैं.
उसको भी था, जिसका मुझे बहुत बाद में पता चला.

समय का चक्र घूमता रहा.
बीच में वह अचानक गायब हो गई.
फिर एक बार एक कॉन्फ्रेंस अरेंज करने के लिए एक थ्री स्टार होटल में गया तो रिसेप्शन पर आदिरा को देखा.

मैं उसके पास गया तब पता चला कि वह इंटर्नशिप कर रही थी.

थोड़ी देर में जब मैं फ्री हुआ तो आदिरा मेरे पास आ गई.
उसकी ड्यूटी ऑफ हो चुकी थी.

मैं वहीं कॉफी हाउस में ही बात करने लगा.
बातों बातों में ही उसने बताया कि उसका अपने बॉयफ्रेंड से ब्रेकअप हो गया क्योंकि वह आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जा रहा था.

उसके मुँह से ‘बॉयफ्रेंड से ब्रेकअप’ शब्द सुने तो अब मेरे दिमाग की घंटी बजी.

मैंने उससे कहा- चलो कहीं और चल कर बैठते हैं.
वह बोली- ओके मैं यूनिफार्म चेंज कर लूँ.

जब वह आई तो मेरा मुँह खुला ही रह गया.

वह सिर्फ शॉर्ट टी-शर्ट और हाफ निक्कर में थी और वह शॉर्ट टी-शर्ट सिर्फ उसकी चूचियों को छिपा रही थी.
उसके गोरे बदन से उसकी नाभि दिख रही थी.
गोरी जांघों का एकदम परफेक्ट जोड़ा … आह पहली बार मेरे दिमाग में इस लौंडिया के लिए कुत्सित विचार आए.

उसको लेकर मैं स्टारबक्स में आ गया.
क्योंकि उसकी ड्रेस वहां के माहौल के लायक थी.

वैसे तो मुंबई दिल्ली में अधनंगी पोशाक में लड़की लड़के अमूमन दिखते ही हैं तो ड्रेस का ऐसा कोई इश्यू नहीं था.
इश्यू था मेरे लंड का … जो बेचैन होकर हरकत कर रहा था.

मेरे दिल ने कहा कि एक बार ट्राई कर!

मैंने उसके बॉयफ्रेंड के बारे में पूछा.
आदिरा- हम दोनों स्कूल से ही साथ में थे. एक दूसरे को पसंद भी करते थे. फिर जब मैं मुंबई आई तो फ़ोन पर झगड़े होने लगे. फिर उसका भी विदेश में जाने प्लान हो गया, तो कल रात फ़ोन पर काफी झगड़ा हुआ. उसने दोस्ती तोड़ दी.

मैं- कितनी गहरी दोस्ती थी?
आदिरा- मतलब?

मैं- मेरे ख्याल से तुम समझ ही गई होगी!
आदिरा- अच्छा वह … हां किस आदि हुआ था … ये तो बहुत नार्मल है.

मैं- और उससे आगे?
आदिरा- क्या अंकल आप भी ना!

मैं- क्या अंकल … बताओ तो मुझे भी तो पता चले कि आज की जनरेशन में क्या चल रहा है?
आदिरा- हां हुआ न, बस उतना ही जितना स्कूल में हो सकता है.

मैं- मतलब?
आदिरा- एक दूसरे को छूना और क्या? जिज्ञासा भी तो होती है पिक और रियल में काफी फर्क होता है.

उसके इतना कहते ही यह समझ में आ गया कि वह पोर्न वगैरह देख चुकी है; शायद अभी भी देखती हो.

मैं- छूना मतलब प्राइवेट पार्ट?

आदिरा शर्म से थोड़ा लाल होती हुई बोली- क्या अंकल … और क्या, वही जो आप समझ रहे हो.
इस मुलाकात का ये असर हुआ कि आदिरा मेरे साथ खुल गई.

मैंने उससे कहा- नया बॉयफ्रेंड बना लो!
तो वह बोली- नहीं, अब नहीं. अभी इस बारे में सोचा नहीं और रिलेशनशिप नहीं चाहती. बस कैजुअल फ्रेंडशिप कोई अच्छा लगा, मनमाफिक मिला तो कर लूँगी!

इस सबसे इतना समझ में आया कि वह वर्जिन थी और सेक्स उसके लिए कोई अजूबा नहीं था.
उसकी सोच कुछ वैसी ही थी जो इस पीढ़ी के बच्चों की होती है.

क्योंकि ये अलग जेनरेशन कुछ अलग ही है.
इनका अंदाज़, इनकी बोल-चाल, भाषा सबका नवीनीकरण हो गया है क्योंकि ये सब आज के दौर के डिजिटल समय की पैदाइश हैं.

जेन ज़ी उस जनसंख्या को संबोधित करता है, जो मोटे तौर पर 1996 और 2010 या 2012 के बीच पैदा हुई है.
इन युवाओं का बचपन उनके माता-पिता के अनुमान से बहुत अलग होता है.

आज के जमाने के युवा और बच्चों को Gen Z (जेन जी) या Generation Z (जनरेशन जी) कहा जाता है.

एक शोध के मुताबिक, अडवांस इंटरनेट और स्मार्टफोन के दौर में जन्मे बच्चों को जेन ज़ेड (जी) कहा जाता है.

पिछली जेनरेशन की तुलना में ये इंटरनेट और सोशल मीडिया से ज्यादा कनेक्टेड … और दुनिया को अलग ढंग से देखते हैं.
इनका तौर-तरीका और बोल-चाल भी काफी अलग होता है.

जेन जी को बोलचाल की भाषा में जूमर्स (Zoomers) भी कहते हैं यानि ऐसे लोग, जो बेहद कम उम्र में डिजिटल तकनीक, इंटरनेट और सोशल मीडिया से परिचित हो गए.
ये लोग केबल टीवी और लैंडलाइन फोन के साथ बड़े हुए मिल्लेनियल्स (millennials) से आगे की पीढ़ी के हैं और पूरी तरह डिजिटली कनेक्टेड हैं.

जनरेशन ज़ेड के बाद आता है जनरेशन अल्फा (Generation Alfa) यह वह पीढ़ी है, जिन्होंने स्मार्टफोन के बिना दुनिया को न कभी देखा होगा … न ही कभी उससे अलग दुनिया को जान और समझ पाएंगे.
इनकी दुनिया ही स्मार्ट फ़ोन है. ये कोई भी काम स्मार्ट फ़ोन के बिना नहीं करते या तकनीकी सहायता से करते हैं.

बात जागरूकता की हो या फिर इंटेलीजेंस, कॉन्फिडेंस और फ्रैंकनेस बोल्डनेस या फिर सेक्स के प्रति रुझान की … हर मामले में इन दोनों जनरेशन (जेन जी-जनरेशन अल्फा) के बच्चों का अंदाज अलग है. जो उसके पहले के जन्मे जनरेशन की नहीं थी.

अभी तो बात सेक्स की हो रही है.
आदिरा भी दिल में कुछ नहीं रखती थी.

खैर … इस मीटिंग के बहाने हम दोनों खुल गए थे और हम बाहर भी मिलने लगे थे.
कभी कॉफ़ी हाउस, तो कभी लंच या डिनर पर.

फिर चैटिंग ऍप पर भी हम दोनों के बीच अब व्यस्क बातें भी होने लगीं.
उधर ही एक ऐसी घटना हुई जो मैं समझ नहीं पाया और आदिरा ने अपना मतलब हल कर लिया.

दरअसल मैं उस एप पर पहली बार गया था तो एक किसी और लड़की के साथ चैट में मैंने उसकी चाहत पर उसे अपना लंड दिखा दिया था.
मुझे नहीं मालूम था कि यह कारगुजारी आदिरा ने मेरा लंड देखने के लिए की है.

यह सब चलता रहा.

फिर जब उसकी छुट्टियों का समय आया तो उसने कहा कि वह इस वेकेशन में एक और इंटर्न करना चाहती है.
मैंने उससे कहा कि हां कर ले.

आदिरा- पर मुंबई में कोई अच्छी इंटर्न मिल नहीं रही है … और दूसरे शहर जाऊंगी तो काफी खर्चा होगा जबकि इंटरशिप में पैसे भी कम मिलते हैं.

मैं- तो तुम किस तरह के होटल में इंटर्न करना चाहती हो?
आदिरा- किसी स्टार होटल में, बिग और नामचीन होटल में.

मैंने आगरा के प्रसिद्ध पांच सितारा होटल का नाम लिया और कहा- यहां करोगी?
आदिरा- अरे अंकल, यहां तो दौड़ कर करूँगी. बल्कि वे लोग पैसा नहीं भी देंगे तो भी करूँगी, पर वहां कैसे इंटर्नशिप मिलेगी?

तो मैंने कहा- मैं कुछ हेल्प कर दूंगा. वहां का एचआर हेड मेरा अच्छा दोस्त है.

फिर मैंने आदिरा से एक लेटर भेजने को कहा और मेरी वजह से उसको वहां काम मिल गया.

अब उसकी रूम मेट्स भी मुझसे प्रभावित हो गईं.
वे सब मुझसे बात करने लगीं.

पर मैं खुद बहुत बिजी था तो मैंने आदिरा के अलावा किसी को ज्यादा ध्यान ही नहीं दिया.

जबकि बाकी सब भी लगभग आदिरा के उम्र की थीं और बहुत ही खूबसूरत थीं.

मेरी वाइफ को भी पता था कि मैंने उसको इंटर्नशिप दिलाई है.
आदिरा की ज्यादातर बातें मैं अपनी पत्नी को बता ही देता था.

पर मेरे मन में अब उसको चोदने की इच्छा पनपने लगी है, इस कामना को छुपा कर ही रखा था.
उम्र का अंतर ही सबसे बड़ी वजह थी.
तो मैं धीरे धीरे उसको अपने जाल में ले रहा था.

दोस्तो, आदिरा जैसी कमसिन कली कुंवारी है या मुंबई की बिंदास जिंदगी में चुद चुकी है, यह सब जब मैंने उसको चोदा तो मुझे मालूम हुआ.
वह सब मैं आपको अपनी इस जनरेशन ज़ेड हॉट गर्ल कहानी के अगले भागों में लिखूँगा.
आप मेल व कमेंट्स से बताएं कि लौंडिया कैसी लगी.
[email protected]

जनरेशन ज़ेड हॉट गर्ल कहानी का अगला भाग: मस्त लड़की ने मुझे बनाया अपना शूगर डैडी- 2

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