गर्मियों की छुट्टियाँ और चुदाई का मजा
(Garmiyon ki Chhuttiyan Chudai ka Maja)
दोस्तों मैं विशाल (बदला हुआ नाम) आपको एक सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ। यह मेरी पहली कहानी है.. यदि कोई गलती हो तो माफ़ कर दीजिएगा।
मैं विशाल केरला हूँ, मेरा कद 5 फुट 11 इंच है.. गेहुंआ रंग है.. मै थोड़ा सा मोटा हूँ या यूँ कहूँ कि भरा-पूरा हूँ।
मेरे मस्त जिस्म को देखकर लड़कियाँ मुझे पसन्द करती हैं।
गर्मियों की छुट्टियों में मैं अपनी बुआ के पास गया हुआ था.. वहाँ घर में एक बहुत सुंदर सी लड़की आई हुई थी।
उसे देखते ही मैं उसका दीवाना हो गया।
उफ्फ.. क्या फिगर था.. कयामत ढाने वाला…
उसकी चूचियां बहुत ही गर्वोन्मत्त हो कर उठी हुई साफ दिखाई दे रही थीं।
मैं सोचने लगा कि कब इसको अपना दोस्त बनाऊँ और जल्दी से इसकी गर्म फुद्दी देखूँ और चाट डालूँ.. चूस-चूस कर लाल कर दूँ।
लेकिन जब मैंने उसके बारे में पता लगाया कि ये कौन है और कहाँ की है तो मालूम हुआ कि उसका नाम पिंकी था और वहाँ उसका ननिहाल था।
पहले दिन तो उसने मेरी तरफ देखा ही नहीं।
रात हो गई तो उस समय मैंने सोचा कि जल्दी से दोस्ती करूँ वरना मुर्गी हाथ से निकल जाएगी।
सुबह जब मैं जागा.. तो वो मेरी बहन के साथ यानि मेरी बुआ की लड़की के साथ पानी ला रही थी। मैं आपको बता दूँ कि राजस्थान में पानी की कमी है।
वो पानी लाकर हमारे घर आ गई।
मैंने उसकी तरफ भोले स्वभाव से देखा तो उसने मेरी ओर थोड़ा सा देखा।
मैं मन में बोला- हे भगवान्.. देखा तो सही…
इस तरह एक दिन निकल गया।
दूसरे दिन मैं और मेरी बहन खेत जा रहे थे.. तो उसने कहा- मैं भी चलती हूँ।
और हम तीनों खेत चले गए।
मेरी बहन सुमन बाजरी काटने लगी.. मैं और पिंकी खड़े रहे।
सुमन ने बाजरी काट ली तो मैंने कहा- प्यास लगी है।
सुमन ने कहा- आप दोनों यहां रुको.. मैं अभी आई।
वो चली गई.. हम दोनों आपस में बातें करने लगे।
मैंने पूछा- आपका पूरा नाम क्या है?
‘जी.. प्रियंका..’
‘कौन सी क्लास में पढ़ती हो?’
‘जी +1’
फिर हम कुछ देर शांत रहे….
वो भी मेरा नाम तो जान चुकी थी..
‘जी.. आप कौन सी क्लास में हैं?’
‘मैं.. जी +2 में हूँ..’
इतने में सुमन आ गई.. हमने पानी पिया और घर आ गए।
अब शाम हो गई.. अब मैं थोड़ा खुश था।
अगले दिन मैंने सुबह ही स्नान कर लिया और अपने गांव जाने के लिए तैयार हो गया।
तभी पिंकी आ गई और बोली- आप जा रहे हो?
‘हाँ..’
‘मन नहीं लगा आपका?’
‘इस गांव में कोई बोलता ही नहीं.. मेरा मन कैसे लगेगा?’
पिंकी बोली- मैं तो बोलती हूँ।
इतना कह कर उसने अपनी आँखें बन्द कर लीं।
मैंने पास जाकर उसे गले से लगा लिया.. उसके गाल पर चुम्बन किया कि तभी बाहर से आवाज आई।
मैंने छोड़ दिया.. वो चली गई।
बाहर बुआ थीं।
‘बुआ मैं आज नहीं जाऊँगा।
बुआ ने कहा- ठीक है रह जाओ।
अगले दिन..
सुमन को बुखार हो गया.. बुआ सुमन को लेकर पास के गांव में चली गई.. क्योंकि उस समय घर पर कोई नहीं था और गांव में डॉक्टर भी नहीं है।
बुआ पिंकी को बोल गईं- पशुओं को चारा डाल देना…
लगभग 2 बजे पिंकी आ गई।
‘पिंकी.. चाय बना लो प्लीज़..’
‘हाँ बना रही हूँ..’
पिंकी चाय बनाने लगी फिर वो चाय लेकर मेरे पास आई।
मैंने पीना शुरू कर दिया।
‘पिंकी.. तुम्हारा कप कहाँ है?’
‘मै नहीं पिऊँगी…’
‘आ जाओ मेरे साथ पी लो…’
वो मेरे पास आई.. मैंने उसे पकड़ लिया और चुम्बन करने लगा।
उसके होंठ चूसने लगा.. चूचियां मसलने लगा।
वो मस्त होने लगी।
मैंने उसके नीचे हाथ लगाया.. और चूत को सहलाया।
मैंने टी-शर्ट उतार दी.. और कहा- तुम भी उतार दो.. हमारे पास मौका है।
उसने कुरता खोल दिया उसके मस्त कबूतर देखते ही मेरी तो आँखें फट गईं.. क्या माल था यार.. क्या बताऊँ….
मैं टूट पड़ा और चूसने लगा.. दबाने लगा।
मुझे मजा आ रहा था.. जैसे मेरी तो लॉटरी लग गई।
अब उसके पेट को चूमता हुआ मैंने उसकी सलवार खोल दी और नीचे कर दी और उसकी गुलाबी चूत चाटने लगा।
क्या मस्त चूत थी…
थोड़ी देर में वो झड़ गई.. मेरा लंड तो पैन्ट फाड़ने को तैयार था।
मैंने जैसे ही बाहर निकाला वो डर गई।
‘हम नहीं करेंगे..’
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा.. मैं सब ठीक कर दूंगा।
वो डर रही थी।
मैंने कहा- इसे चूसो मजा आएगा…
वो बोली- नहीं…
‘प्लीज़ बहुत मजा आएगा.. एक बार..’
मैंने उसके मुँह पर अपना लौड़ा रख दिया।
उसने जीभ लगाई
और कहा- नमकीन सा है।
‘चूसो.. बहुत मजा आएगा…’
वो धीरे-धीरे चूसने लगी।
‘मजा आ रहा है ना..?’
‘हाँ.. बहुत मजा आ रहा है।’
मैं अकड़ने लगा, ‘आअह आअहह..’
फिर मैं झड़ गया, कुछ देर बाद मैंने पानी पिया और दस मिनट बाद मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो गया।
मैंने लण्ड पर थूक लगाया और पिंकी की चूत पर भी हाथ फेरा।
वो बिस्तर पर लेट गई थी.. लौड़ा निशाने पर लगा कर.. थोड़ा सा धक्का लगाया.. टोपी अन्दर चली गई।
वो एकदम से चीखी.. मैंने उसके मुँह पर मुँह रख कर चूमने लगा और जोर से एक धक्का और मारा।
मेरा लौड़ा पूरा अन्दर चला गया.. उसको दर्द हुआ तो मैं वहीं रुक गया।
कुछ देर बाद जब उसका दर्द कम हुआ तो मैं धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा।
अब उसे मजा आ रहा था.. 20 मिनट तक चुदाई करता रहा।
वो एकदम से अकड़ गई और झड़ गई।
अब मैं भी झड़ने वाला था.. मैंने तेज झटके मारने चालू कर दिए और मैं उसकी चूत में ही झड़ गया।
हम 10 मिनट तक ऐसे ही लेटे रहे.. बाद में मैंने स्नान किया और खेलने चला गया।
उसके बाद हमें मौका नहीं मिला।
दो दिन बाद मैं अपने गांव आ गया। उसकी बहुत याद आती है।
कैसी लगी कहानी.. रिप्लाई करना दोस्तो।
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