सोनम की चूत चुदाई
सभी पाठकों को मेरा नमस्कार।
मैं पिछले 5 सालों से अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। पिछले 5 सालों में मैंने मुश्किल से ही कोई कहानी छोड़ी होगी। जब भी कभी समय मिलता है तो मैं अन्तर्वासना की नई कहानियाँ पढ़ता हूँ।
मेरा नाम अजय राय है, बैंगलोर में एक बड़ी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ, मैं एक मस्त लड़का हूँ, उम्र 25 साल है।
एक बार की बात है मैं ट्रेन से बैंगलोर से अपने घर झाँसी जा रहा था, मैंने ट्रेन में रिजर्वेशन ले रखा था। मेरे सामने वाली सीट पर एक शादीशुदा औरत बैठी थी।
मैं उसके बारे में बता नहीं सकता वो कितनी सुन्दर थी, गुलाबी होंठ, नशीली आँखें, लम्बे बाल और बदन से आती भीनी सी महक। उसकी उम्र 28 होगी।
हमारी ट्रेन 8 बजे चलना शुरू हो गई। पहले तो उससे बात करने की मेरी हिम्मत ही नहीं हो रही थी क्योंकि मैं शुरू से ही लड़कियों से दूर ही रहा था और मेरी कोई गर्ल-फ्रेंड भी नहीं थी तो इसीलिए मुझे कोई अनुभव भी नहीं था और मैंने उस समय तक कोई चुदाई भी नहीं की थी।
रात के दस बज गए थे फिर मैंने हिम्मत कर के उनसे पूछा तो पता चला कि उसका नाम सोनम है, वो भोपाल की रहने वाली है। वो हाउस-वाइफ थी। उसके पति एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करते थे।
फिर धीरे-धीरे मेरी और उनकी बात होने लगी। बातों-बातों में पता चला कि उसके पति का काम ऐसा है कि उनको बार-बार बाहर जाना पड़ता था। जानने पर पता चला कि उसके पति को कंपनी के कुछ काम से विदेश जाना पड़ा इसीलिए वो अपने मायके जा रही है।
फिर उन्होंने मुझ से पूछा- तुम्हारी कोई गर्ल-फ्रेंड नहीं है तो मैंने ‘ना’ कर दिया। फिर क्या था बात शुरू हो गईं। मैंने उसके घर के बारे में, उनकी कितनी फ्रेंड्स हैं, वो कहाँ रहती हैं, बैंगलोर में उन्हें क्या पसंद है।
हम दोनों के बीच काफी अन्तरंगता हो चुकी थी। रात भी हो चुकी थी सो गुड-नाईट बोल कर सो गए।
जब मैं ट्रेन में सो रहा था तो मेरी नींद रात को खुल गई थी, तो मैंने देखा कि वो अभी जाग रही है। उसके चहरे पर प्यास अलग ही चमक रही थी उसकी आँखें बता रही थीं कि वो बहुत दिनों से चुदी नहीं है।
मैं उससे खुल के बात इसीलिए कर नहीं कर सका था क्योंकि बहुत अच्छे परिवार से थी और वो मेरी एक अच्छी दोस्त भी बन गई थी और मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था।
जब उस रात मैंने उनकी चेहरे प्यास देखी तो मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना लंड पैन्ट से बाहर निकाल कर उसके सामने कर दिया और नींद में होने का नाटक करने लगा और साथ में अपने लंड को मसलने भी लगा था।
मेरे को पता था वो मेरे लंड को देख कर जरूर खुश हो जाएगी क्योंकि मेरा लंड बहुत बड़ा था। उसका भी आप को कारण बता देता हूँ कि मेरा लंड क्यों बड़ा है..! सही बताऊँ तो मेरे को जब से हस्त मैथुन की आदत है जब मैं तीसरी क्लास में था और जब मेरे लंड से कुछ निकलता भी नहीं था। इसकी भी एक कहानी है कि मुझे यह आदत कैसी लगी।
खैर.. बाद में मेरी नींद लग गई और फिर दूसरे दिन एक समय आया कि उनका भोपाल स्टेशन आ गया, तो फिर मैंने उनसे उनका फ़ोन नंबर लिया और उनको अपना नंबर दे दिया।
फिर 4 महीने बीत गए मैंने उन्हें फ़ोन नहीं लगाया क्योंकि मेरा मानना था कि उन्हें मेरी जरूरत होगी तो वो मुझे जरूर कॉल करेगी और मेरे को पक्का भरोसा था कि वो मुझे जरूर कॉल करेगी। क्योंकि जैसा उसने बताया था कि उसके पति को बहुत बार बहुत दिनों के लिए बाहर जाना पड़ता था तो मैं समझ गया था कि वो जरूर प्यासी होगी।
और जैसा कि मैंने आपको बताया था कि मैंने ट्रेन में ही उसको अपने लंड के दर्शन करा दिए थे सो मुझे पूरी उम्मीद थी कि उसका कॉल जरुर आएगा।
चार महीने बाद जब सोनम का मेरे पास कॉल आया वो मुझ से वो बोली- मैं बैंगलोर में अकेली हूँ, पति को अचानक काम की वजह से दस दिनों के लिए विदेश जाना पड़ गया है और मैं अकेले बोर हो रही हूँ तुमसे मिलने चाहती हूँ।
फिर क्या था मैं तो जाने के लिए तैयार था मैंने ‘हाँ’ कर दिया।
मैं सुबह 9 बजे उसके बताए हुए पते पर पहुँच गया और जब मैं उसके फ्लैट में गया तो अन्दर जाकर मैं उसे देख कर हैरान हो गया। उसने काले रंग की साड़ी पहनी थी और उसका पल्लू आधी छाती को ही छुपा रहा था। उसके दोनों मम्मे लगभग आधे बाहर थे, मम्मों के ऊपर का हिस्सा क्या कमाल का लगा रहा था, एकदम गोरे-गोरे.. जब भी वो जरा सा हिलती थी तो मस्ती से भरे हुए यौवन कलश हिलने लगते थे। मेरा लवड़ा खड़ा हो गया और मैं समझ गया कि वो तो चुदाने के लिए पूरी तरह तैयार है।
मैं उसके पास गया और उसके होंठों पर एक अपने होंठों को रख कर एक जोरदार चुम्बन लिया। वो मेरी बाहों में झूल गई।
मैं उसे उठा कर कमरे में ले गया, उसने टीवी पर ब्लू-फिल्म लगा दी। मस्ती होने लगी, फिर हम दोनों एक-दूसरे से चिपक गए। मैंने उसके होंठों पर चूमा, फिर गर्दन पर फिर मैंने ब्लाउज़ उतार दी। उसने अन्दर ब्रा पहनी थी। फिर मैंने उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचों को दबाया। ऐसी कसी छाती तो मैंने तब तक न ही दबाई और न ही देखी थी।
उसके मुँह से ‘आह-आह’ की आवाज निकलने लगी, वो बोली- मेरे राजा.. आराम से दबाओ। साला मेरा पति कभी इन्हें छूता भी नहीं है।
फिर मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी, क्या मस्त मम्मे थे उसके।
मुझसे रहा नहीं गया, मैंने एक को मुँह में लिया और दूसरे को हाथ से दबाया। फिर मैंने उसका पेटिकोट का नाड़ा भी खोल दिया और अपना एक हाथ धीरे-धीरे उसके पेट से फिराते हुए उसके पेटीकोट के अन्दर डाल दिया और उसकी जांघों को सहलाने लगा, फिर उसके पेट पर चूमा और उसका पेटीकोट उतार दिया। अन्दर उसने कच्छी पहन रखी थी। मैंने उसकी जांघों पर चूमा और उसकी कच्छी भी उतार दी।
अन्दर तो मामला एकदम साफ था, लगता था कि आज ही सफाई की हो। फिर मैंने उसकी चूत में उंगली डाली और उसके ऊपर लेट कर उसकी चूत के दाने को हिलाता रहा। जैसे-जैसे उसकी चूत में उंगली हिलाता, वैसे-वैसे उसके मुँह से ‘आह-आह’ की आवाज आ रही थी।
थोड़ी देर मैं मुझे उसकी चूत कुछ गीली-गीली लगी और वो झड़ गई।
‘क्या तुझे उंगली से चोदने के लिए बुलाया है?’
मैं बोला- इंतज़ार करो मेरी रानी। मैं तुम्हारे पति की तरह नहीं हूँ जो सिर्फ सपने बारे में ही सोचूँ। सिर्फ खुद मजे लूँ और तुम्हें प्यासा रखूँ। असली मज़ा तो आना बाकी है।
फिर मैंने अपने कपड़े उतारे और कच्छे में ही उसके ऊपर चढ़ गया, उसकी जांघों को सहलाया और उसकी चूत को चूम कर उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा दी। उसके कूल्हों को पकड़ कर अपनी जीभ को अन्दर-बाहर करने लगा। चूत का पानी कुछ नमकीन सा लगा पर मैं उसे पीता चला गया।
जैसे-जैसे मैं जीभ को अन्दर-बाहर करता, उसके मुँह से आह-आह की आवाज निकल रही थी। थोड़ी देर में ही वो दूसरी बार झड़ गई।
उसने थोड़ी देर आराम किया, फिर बोली- तुमने तो मुझे बिना चोदे ही शांत कर दिया।
मैंने कहा- अभी तो तुम्हें चोदना है। यह तो तुम्हें गर्म करने के लिए था।
मैंने उसके होठों पर चूमा, उसने अपना हाथ मेरे कच्छे में डाल दिया और मेरे लण्ड पकड़ लिया। मैंने अपना कच्छा उतार दिया।
उसने लौड़े को पकड़ कर कहा- साला मेरा पति तो कभी इसे पकड़ने ही नहीं देता है। उसे क्या पता कि इसे पकड़ने में औरत को वही मज़ा आता है जो मम्मों को पकड़ने में आदमी को आता है।
फिर उसने मेरा लौड़ा अपने मुँह में ले लिया और ऐसे चूसने लगी जैसे एक छोटा बच्चा लॉलीपॉप को चूसता है। क्या मजा आ रहा था, मैं बता नहीं सकता।
फिर मैंने उसे लेटने को कहा, वो लेट गई, मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके होंठों पर चूमते हुए अपने लण्ड को उसकी चूत में डाल कर हल्का सा झटका दिया।
अभी लण्ड का टोपा ही अन्दर गया तो उसे हल्का सा दर्द हुआ- आ..आह जरा आहिस्ता से … उनका लण्ड जल्दी ही झड़ जाता है तो वो ज्यादा अन्दर नहीं देते। इसलिए यह इतनी कसी है।
मैंने और ज़ोर लगाया तो कुछ अन्दर गया, उसे दर्द हो रहा था। मैंने एक जोरदार मर्दों वाला झटका दिया तो लण्ड पूरा का पूरा चूत में जा चुका था। उसे दर्द हो रहा था, वो दर्द से तड़प रही थी।
मैंने फिर लण्ड निकाल कर पूरा का पूरा डाल दिया तो इस बार आराम से चला गया। फिर मैंने अपनी गति बढ़ाई और ज़ोर-ज़ोर से उसे चोदने लगा।
अब उसे भी मज़ा आने लगा, वह भी गाण्ड उठा उठा कर साथ देने लगी, बोली- मेरे राजा, आज तक मुझे इतना मज़ा कभी नहीं आया था।
तभी मुझे लगा कि मेरा होने वाला है तो मैंने अपने झटके कम कर दिये और मन को कहीं और ले गया। इससे मुझे कुछ समय और मिल गया, इतनी देर में वो तीसरी बार झड़ गई। फिर मैंने अपनी गति बढ़ाई।
कुछ बाद मैं झड़ने लगा तो वह बोली- मेरी चूत में झड़ना, मुझे तुम जैसा समझदार बच्चा चाहिए।
मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। कुछ देर हम ऐसे ही रहे। उस दिन हमने चार बार सेक्स किया।
सुबह उसने मुझसे कहा- तुम ही मेरे पति हो। तुमने मुझे सच्चा सुख दिया है। सच में तुम ही औरत की यौन-भावना को समझ सकते हो।
मुझे मेल करके बताना कि कहानी कैसी लगी, मुझे इंतजार रहेगा।
[email protected]
What did you think of this story??
Comments