पति ने संतानसुख हेतु पत्नी को चुदवा दिया- 1

(Free Chudai Xxx Kahani)

पंकज मौर्य 2024-04-19 Comments

फ्री चुदाई Xxx कहानी एक डॉक्टर की है जिसके पास एक जोड़ा संतान प्राप्ति की कामना से आया. पति संतान देने के काबिल नहीं था तो उन दोनों ने डॉक्टर की मदद मांगी.

मेरा नाम पंकज (बदला हुआ नाम) है. मैं एक शादीशुदा आदमी हूँ. मेरी शादी को 3 साल हो चुके हैं.
मैं उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले का रहने वाला हूं. मेरी उम्र 32 साल, लम्बाई 5 फुट 7 इंच और शरीर एकदम फिट है.

दोस्तो, यह फ्री चुदाई Xxx कहानी पूरी तरह से सच है.

मैं पेशे से एक डाक्टर हूँ. बाराबंकी में मेरा खुद का क्लिनिक है. मेरी पत्नी भी सरकारी नौकरी करती है.
आजकल उसकी पोस्टिंग बाराबंकी से बाहर है.
वह वहां अकेली रह रही है इसलिए हम दोनों बहुत कम ही मिल पाते हैं जिस वजह से हम दोनों चुदाई भी बहुत कम ही कर पाते हैं.

एक दिन मेरे क्लिनिक पर एक शादीशुदा औरत आई.
उसका नाम गीता (बदला हुआ नाम) था.

गीता बहुत ही सुन्दर महिला थी.
उसकी उम्र करीब 28 साल की रही होगी.
उसका रंग एकदम गोरा, भरा हुआ बदन और वजन 55 किलो के आसपास रहा होगा.

वह मेरे पास अपने पति के साथ आई थी.
उसके पति का नाम महेश (बदला हुआ नाम) था.
वह अपना इलाज करवाने के लिए मेरे क्लीनिक पर आयी थी.

उसको देखते ही मैं कुछ सेकेंड के लिए उसकी सुन्दरता में खो सा गया था कि कहां ये और कहां इसका पति.
उन दोनों को देख कर एकदम लंगूर के हाथ में अंगूर जैसी लोकोक्ति याद आ गई थी.

गीता का पति काला सा, एकदम मरियल सा आदमी था.
हालांकि ये मेरे लिए कोई नई बात नहीं थी. मेरे पास रोज ऐसे बहुत से मरीज आते हैं.

मैं अपना काम बहुत ही अच्छे से करता हूं, जिससे लोग मुझे बहुत ही पसंद करते हैं. मेरे पास काफी दूर दूर से मरीज आते हैं.

मैंने जब गीता से उसकी बीमारी के बारे में पूछा तो उसके पति ने बताया कि उसकी पत्नी को कई दिनों से रात में बुखार आ जा रहा है.

जब मैंने उनसे उनकी शादी और बच्चे के बारे में पूछा तो वह दोनों उदास हो गए.

उसके पति ने बताया कि उनकी शादी को पांच साल हो गए हैं लेकिन उनको बच्चे नहीं हो रहे हैं. कई डाक्टर को दिखा चुके हैं. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
मैंने उनसे कहा- सब ठीक हो जाएगा, आप लोग परेशान ना हों.

इसके बाद मैंने महिला की जांच करवायी तो जांच में पता चला कि उसको टाईफाईड है.
मैंने उसको दवा दे दी और वह चली गई.

इस तरह से कई दिन बीत गए.
वे लोग एक दिन छोड़ कर आते और दवा ले जाते.

धीरे-धीरे महिला ठीक हो गयी.
अब तक वे लोग मेरे साथ अच्छे से घुल-मिल गए थे.

एक दिन महेश मेरे पास अपनी सारी रिपोर्ट लेकर आया.
जब मैंने उनकी रिपोर्ट देखी तो पता चला कि महेश का स्पर्म निल था.

पूछने पर महेश ने बताया कि उसके टेस्टिस में शादी के दो साल पहले चोट लग गयी थी.
मैं अब सब कुछ समझ गया था कि उसका स्पर्म निल क्यों हो गया था!

मैंने उसको बताया- अगर आपको बच्चा चाहिए तो आप आई.वी.एफ. करवा लें, जहां किसी और के स्पर्म से वह बाप बन सकता है.
उसने बताया- उसके पास आई.वी.एफ. के लिए पैसे नहीं हैं. इसमें लाखों का खर्च आएगा.

उसकी बात भी ठीक थी.
आई.वी.एफ. करवाना हर किसी के बस में नहीं होता है.

उसके चेहरे से लगा कि जैसे वह रो देगा.
मैंने उसको बहुत समझाया, फिर मैं उससे बोला कि बताओ मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूं!

उसने कहा- बस कैसे भी करके मुझे एक बच्चा हो जाए.
मैंने बोला- बिना स्पर्म के बच्चा होना सम्भव नहीं है. अगर तुमको बच्चा चाहिए तो गीता को किसी और का स्पर्म मिलेगा, तभी ये सम्भव होगा. अगर वह चाहे तो चुपचाप किसी विश्वास के आदमी से अपनी बीबी का सबंध बनवा कर उसको बच्चा पैदा करवा सकता है. अभी गीता की उम्र है, तो आसानी से बच्चा हो जाएगा … नहीं तो बाद में उसकी उम्र ज्यादा होने पर कुछ भी नहीं हो पाएगा.

वह इस बात पर चुप हो गया और वापस चला गया.

अगले दिन गीता अकेले ही मेरे पास आई.
तब मेरे पास पहले से कई मरीज बैठे थे.

जब सब मरीज चले गए तो मैंने गीता से उसकी तबियत के बारे में पूछा.
उसने बताया कि वह अब ठीक है.

फिर गीता ने मुझसे उस विषय में बात करने लगी, कल जो बात उसके पति से हुई थी.
उस बात को लेकर गीता ने कहा कि हम दोनों ने पूरी रात बहुत सोच समझ कर फैसला किया है कि हम दोनों ऐसा करने के लिए तैयार हैं. लेकिन हमें हमारी जान पहचान में कोई ऐसा आदमी नहीं दिख रहा, जिस पर हम भरोसा कर सकें. आप ही कोई रास्ता निकालें.

मैंने कहा- मैं किसी ऐसे आदमी को नहीं जानता हूँ. जो आप का काम कर सके.

इस पर गीता ने सोचते हुए कहा- क्या आप हमारी मदद नहीं कर सकते हैं?
उसकी बात का मर्म समझ कर मैं शांत हो गया.

मैं अब यह नहीं समझ पा रहा था कि एकदम से उसको क्या जवाब दूं.
मैंने गीता से कहा- मैंने कभी किसी के साथ ऐसा काम नहीं किया है क्योंकि ये मेरे पेशे के खिलाफ बात है.

इस पर उसने मेरे पैर पकड़ लिए और रोने लगी.
जब तक मैंने हां नहीं बोल दी, वह मेरे पैर छोड़ने को राजी नहीं थी.

मजबूर होकर मैंने उससे हां कहते हुए कहा कि मुझे सोचने के लिए समय चाहिए.
इस पर वह शांत हो गयी और मेरा मोबाइल नंबर लेकर चली गयी.

उस रात मैंने बहुत सोचा कि मुझे क्या करना चाहिए.
क्योंकि मैं अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता हूँ.

मैं अपने पेशे से भी मजबूर था.
मेरा काम है कि हर कोशिश में मरीज की समस्या का निदान करना.
यही सोच कर लगा कि मुझे उसकी सहायता जरूर करनी चाहिए.

अगले दिन गीता सुबह ही मेरे पास आ गयी और उसने मुझसे जवाब मांगा.
मैंने उसको हां बोल दिया.
जिस पर वह बहुत खुश हो गयी.

उसने मुझसे कहा- मेरे पति भी इसके लिए तैयार हैं. बस आप यह बता दीजिए कि आपको कब टाइम है.
जब उसने इस बारे में पूछा तो मैंने बोला- मैं शनिवार रात और रविवार को पूरा दिन फ्री रहता हूँ. उसके अलावा मेरे पास समय नहीं होता है.

फिर जब उसने जगह के लिए पूछा तो मैंने उससे कहा कि जगह की व्यवस्था तुमको खुद करना होगी.
इस पर उसने कहा कि घर में उनके लिए ये सम्भव नहीं होगा. घर में और लोग भी रहते हैं.

मैंने उसको होटल के कमरे का सुझाव दिया, जिसे वह जल्दी से मान गयी.

उसने इस काम के लिए मेरी क्या फीस होगी, इसके बारे में पूछा तो मैंने कहा कि जो आपको समझ आए, आप दे देना.
उसने मुझसे कहा कि आप खुद ही कमरे की व्यवस्था कर लीजिए, पैसे मेरे पति दे देंगे.

उसकी इस बात पर मैं राजी हो गया. फिर मैंने उससे उसकी माहवारी को लेकर सवाल किया.
उसने बताया कि उसका पीरियड आज खत्म हो जाएगा.

जिस पर मैंने उसको बताया कि पीरियड ख़त्म होने के बाद के दस दिन बाद से बच्चा कंसीव करने के लिए अच्छा समय होता है.
वह मेरी तरफ देखने लगी.

मैंने कहा कि मैं रूम देख कर बता दूंगा.
वह राजी होकर घर चली गई.

उसी दिन रात में करीब 10 बजे मेरे पास फोन आया.
फ़ोन उठाने पर पता चला कि यह गीता का फ़ोन था.

उसने बताया कि उसके पति खुद रूम बुक करवा देंगे.
उसकी इस बात पर मैंने हामी भर दी.

वह दिन पूछने लगी कि कब की बुकिंग करवानी है.
मैंने दिन बता दिया.

उसके हिसाब से उसके पति ने अगले दिन लखनऊ के एक मीडियम क्लास होटल में एक रात और दिन के लिए रूम बुक कर दिया.

जाने के एक दिन पहले ही रात में गीता ने फोन कर मुझसे जाने के लिए समय पूछा, जिस पर मैंने रात को 9 बजे के बाद निकलने की बात कह दिया.
क्योंकि मैं रात के 9 बजे तक क्लिनिक पर रहता हूँ.

उसने बताया कि उसके पति उसको छोड़ने नहीं जा रहे हैं. वह मेरे साथ ही जाएगी.
इस बात पर मैंने हां कह दिया.
क्योंकि उन दिनों सर्दी का मौसम था और रात 9 बजे तक काफी ठण्ड हो जाती थी.

मरीज भी ना के बराबर ही रहते थे.
शनिवार की रात में करीब 9 बजे मैंने देखा कि एक औरत लाल रंग की साड़ी में हाथ में एक छोटा सा बैग लिए हुए मेरे क्लिनिक के पास बाइक से उतरी.

जब वह अन्दर आई तो मैंने देखा वह गीता थी.
आज तो वह गजब की क़यामत लग रही थी.

मैं उसको देखते अपनी पत्नी को याद करने लगा जैसे कि वह सुहागरात में मेरे सामने पहली बार आई थी.
गीता को देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया.
मन कर रहा था कि इसको यहीं पटक कर चोद दूं.

फिर सोचा कि आज तो ये अपनी है. कुछ देर बाद तो उसको चोदना ही है.
मैं उसको देख कर मुस्कुरा दिया, जवाब में उसने भी शर्माते हुए मुस्कुरा दिया.

अब तक मेरा क्लिनिक बंद करने का समय हो गया.
मैंने क्लिनिक बंद कर दिया.

अब हम दोनों को लखनऊ के लिए जाना था.
मेरे पास मेरी बाइक थी तो मैंने उसको ओला कैब बुक करने की सलाह दी.
उसने कहा कि हम दोनों बाइक पर ही चलते हैं.

मैं भी राजी हो गया और बाइक पर निकल गया.
रास्ते में हम दोनों एक ढाबा पर रुक कर खाना खाया, फिर हम लोग होटल के लिए निकल गए.

रास्ते में मुझे और गीता दोनों को ठण्ड लगने लगी.
मैंने उसको बताया कि मुझे ठण्ड लग रही है.

वह मुझसे चिपक कर बैठ गयी.
उसने अपने हाथ मेरे कंधे पर रख लिया था.
मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने पेट पर रख दिया.
उसको थोड़ी शर्म आ रही थी.

मैंने उससे कहा- आज दिन के लिए मैं उसका पति हूँ. तुमको मुझसे शर्म नहीं करनी चाहिए.
वह थोड़ी सहज हो गई और उसने अपना हाथ मेरे पेट पर रख दिया.

मैं भी उसकी शर्म को पूरी तरह से ख़त्म कर देना चाहता था.
जब वह मेरी पीठ से सट कर बैठी तो मैं भी अपनी पीठ से उसके मम्मों को रगड़ने की कोशिश करने लगा.

मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था.

उसका हाथ मैंने अपने लंड पर रख दिया जिस पर उसने फिर से अपना हाथ हटा लिया.
मैंने भी मजाक में फिर से उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया.
उसने फिर से अपना हाथ हटा लिया.

मैं भी यही सब मजा लेते लेते लखनऊ पहुँच गया.
लखनऊ का ज्यादातर शहर मेरा देखा हुआ था तो होटल खोजने में कोई समस्या नहीं हुई.

जब हम दोनों होटल के काउंटर पर गए तो गीता ने रूम बुकिंग का पेपर मैनेजर को दे दिया.
उसमें रूम का पेमेंट पहले ही किया जा चुका था.

हम दोनों ने अपनी आईडी दिखाईं और रूम की चाभी लेकर कमरे में चले गए.
गीता मेरे पीछे पीछे रूम में आई.
अन्दर जाकर मैंने रूम का दरवाज़ा बंद कर लिया.

मैंने एक बार रूम पर नज़र डाली तो एसी रूम था.
अच्छा मुलायम गद्दे वाला डबल बेड और उस पर सफ़ेद रंग की चादर बिछी थी. सिरहाने पर लाल रंग के तकिया बहुत सुन्दर लग रहे थे.

मैंने गीता की तरफ देखा तो गीता के लिए ये सब एकदम नया था.

वह थोड़ी असहज महसूस कर रही थी.
मैंने उसको बैठने के लिए बोला तो वह बेड पर बैठ गयी.

मैं फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चला गया.

वापस आया तो मेरा फ़ोन बज रहा था.
मैंने देखा तो मेरी पत्नी का फोन था.

रोज मैं क्लिनिक से निकल कर फोन करता था. लेकिन आज जल्दी में उसको कॉल करना भूल गया था इसीलिए उसने मुझे कॉल किया था.

उसने पूछा- कहां हो?
मैंने उससे बोला- किसी औरत के साथ हूँ. होटल में फ्री चुदाई Xxx करने जा रहा हूँ.

इस पर वह हंसने लगी, उसको लगा कि मैं मजाक कर रहा हूँ.

वह बोली- लगे रहो. अगले रविवार को मैं आ रही हूँ. दो दिन का ऑफ मिला है.
मैंने उससे कहा- तुम परेशान ना होना. मैं रात में स्टेशन पर तुमको लेने आ जाऊंगा.

हम दोनों ने इसी तरह से हंसी मजाक किया.
मैं भी हंसने लगा.

दस मिनट के बाद मैंने फोन कट कर दिया.

फिर मैंने देखा तो गीता बहुत आश्चर्यजनक तरीके से मेरी तरफ देख रही थी.

दोस्तो, इस फ्री चुदाई Xxx कहानी को अगले भाग में पूरा करूंगा जिसमें मैंने गीता की चुदाई का मजा किस तरह से लिया और उसे क्या लगा.
आप मुझे मेल अवश्य करें कि आपको सेक्स कहानी कैसी लग रही है.
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फ्री चुदाई Xxx कहानी का अगला भाग: पति ने संतानसुख हेतु पत्नी को चुदवा दिया- 2

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