पति से अलग हुई लड़की संग पहला सेक्स अनुभव- 2
(First Sex Experience With Married Girl )
फर्स्ट सेक्स एक्सपीरियंस विद मैरिड गर्ल वाला मजा मुझे दिया मेरी एक दोस्त की विवाहिता बहन ने जो पति से अलग मायके में रहती थी. वह मेरे होस्टल रूम में आ गयी.
नमस्कार दोस्तो!
मेरी कहानी के पहले भाग
पति से अलग हुई लड़की की वासना
में आपने पढ़ा कि मेरे कॉलेज में एक लड़की मेरी दोस्त बनी. मैं उसके घर गया तो उसकी बड़ी बहन जो पति से अलग होकर रह रही थी, मेरी और आकर्षित हो गयी क्योंकि उसे सेक्स का मजा मिल चुका था तो वह मेरे साथ सेक्स चाहती थी.
मैं भी वासना के आवेग में बहने लगा था.
अब आगे फर्स्ट सेक्स एक्सपीरियंस विद मैरिड गर्ल:
फ़िर अचानक कुछ दिन बाद वह एक दिन मेरे हॉस्टल में आयी।
उस समय तक मैं कॉलेज से आ गया था।
उसने आते ही मुझसे कहा– मेरा मन नहीं लग रहा, आज हम दोनों कहीं घूमने चलते है।
मैंने उसकी बात मान ली।
लेकिन मैंने उसको बोला– मुझे दिन में सोने की आदत है और इस समय बहुत ज्यादा धूप है तो थोड़ा शाम हो जाने दो फ़िर चलते हैं।
वह मान गयी।
फ़िर वह कहने लगी– तुम सो जाओ, मैं बैठी हूँ।
मैंने कहा– नहीं, मैं भी बैठ जाता हूँ और बातें करते है।
वह मुझसे पूछने लगी– तुमको अपने घर की याद नहीं आती?
मैंने कहा– बहुत याद आती है लेकिन क्या कर सकते हैं!
तो फ़िर वह बोली– तुम मेरी गोदी में सर रखकर लेट जाओ!
मैं मान गया।
वह मेरे सर को हल्का–हल्का दबाने लगी और मेरे बालो में अपनी उंगलियां फिराने लगी।
यह मेरे जीवन का पहला अनुभव था, जिसके स्पर्श से मुझे अच्छा लग रहा था।
मेरे पूरे शरीर में सिरहन दौड़ रही थी।
उसके हाथ इतने कोमल थे कि जिस तरह से वह मेरे को दुलार रही थी मानो ऐसा लग रहा हो जैसे कोई औरत अपने छोटे से बच्चे को दुलार रही हो।
मेरे शरीर में अजीब सी खलबली होने लगी और मेरे रोम–रोम से उत्तेजना झलकने लगी।
लवली की उंगलियों से मैं नींद की आगोश में आ रहा था लेकिन मेरा रोम–रोम उसके स्पर्श से खड़ा हो रहा था।
मेरे इस प्रकार से उत्तेजित होने से मेरे हाफ पैंट का उभार उजागर होने लगा तो मैंने पैर के ऊपर पैर रख दिया और सोने लगा।
लेकिन नींद कहाँ आने वाली थी।
मैंने अपनी आँखें भींच ली।
5 मिनट बाद लवली ने मेरे माथे पर एक प्यारा सा चुम्मा दिया।
इसकी वजह से मेरे लंड ने अपना आकार बढ़ा लिया और वह अपने उत्तेजित होने का प्रमाण देने लगा।
जैसे ही वह मुझे प्यार करने के लिए झुकी उसकी 36 की चूचियां मेरे मुंह से सट गई जिससे मेरी बेचैनी और बढ़ गयी।
वह मेरी बेचैनी को भाम्प गयी और मेरे कान में बोली– क्या तुमने पहले किसी की गोदी में सर नहीं रखा है?
मैंने कहा– नहीं।
वह बोली– तुम बहुत अच्छे हो!
मैं फ़िर हल्का मुस्कुराया और आँखें बंद करके पड़ा रहा।
लवली ने मुझे थोड़ी–थोड़ी देर बाद प्यार करना जारी रखा।
मैंने भी हिम्मत करके उससे पूछा– क्या मैं भी आपको प्यार कर सकता हूँ?
वह कुछ नहीं बोली।
फ़िर मैंने लवली का सिर नीचे किया और उसके गालों पर एक चुम्मा दे दिया।
वह बहुत खुश हुई।
मैं बैठ गया और मैंने उसके माथे पर, गालों पर, नाक पर, आँखों पर प्यार किया।
वह बहुत प्रसन्न हुई और मुझे अपनी बाँहों में लेने लगी।
मैं उसको चुम्मा देते–देते उसके होंठों पर अपनी जीभ फेर दी।
वह अचानक बोली– यह क्या किया?
मैं डर गया, मैंने सोचा कि ‘शायद मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी।’
लवली ने मेरी आँखों में देखा और बोली– यह क्या किया?
मैंने कहा– सॉरी लवली!
उसने कहा– सॉरी नहीं, होंठों पर ऐसे करते है क्या प्यार?
मैंने कहा– मैंने कभी नहीं किया और जो अब तक आपके साथ किया यह भी मैंने पहली बार किया।
वह बोली– मुझे पता है कि तुम्हारा यह सब पहली बार है क्योंकि तुम कांप रहे हो।
यह सुनकर मैंने अपनी आँखें नीचे कर ली।
तो वह बोली– ऊपर देखो!
फ़िर मैं ऊपर देखने लगा और उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये और मुझे चूमने लगी।
मैंने आँखें बंद करके पूरा सहयोग किया और अपना एक हाथ उसकी गर्दन पर और एक हाथ अपनी हॉफ पैंट के ऊपर रख दिया।
10 मिनट तक ऐसे ही चूमने के बाद हम अलग हुए और मैंने कहा– मैं आपकी गोदी में लेटकर आपको प्यार करूंगा और उसकी गोदी में लेट गया।
फ़िर मैंने उसको झुकाकर उसके होंठों को चूमना शुरू किया।
पता नहीं कैसे मेरे हाथ उसके उरोजों पर चले गए, जिनको मैं धीरे–धीरे सहला रहा था।
वह भी मदहोश होती जा रही थी।
लवली तलाकशुदा थी।
शायद उसको जरूरत थी प्यार की इसलिए उसको इसमें कोई दिक्कत नहीं हुई।
10 मिनट बाद हम अलग हुए तो मेरे हाथ उसके उरोजों को सहला रहे थे और वह आँखें बंद करके इस अमूल्य पल का आनंद ले रही थी।
5 मिनट बाद मैंने अपना एक हाथ हटाया और उसकी टीशर्ट के अंदर डाल दिया और ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा।
उसको आनंद आ रहा था और वह आँखें बंद करके इस पल को जी रही थी।
अचानक उसने अपनी टीशर्ट खुद ही ऊपर कर ली और ब्रा भी हटा दी।
शायद उसको मालूम था कि मैं इतनी हिम्मत नहीं कर पाऊंगा।
उसने मेरा काम आसान कर दिया और आनंद लेने लगी।
मैं लवली की गोदी में लेटा हुआ ही सब कर रहा था।
मैंने हल्के से उसको थोड़ा नीचे किया और एक दूध मुंह में लेकर चूसने लगा तो लवली के मुंह से ‘सीहह’ निकल गयी।
वह आँखें बंद करके अपने दांतों से अपने होंठ दबाने लगी।
मैं उसके स्तनों को एक–एक करके चूसता रहा.
वह ‘आह … उई … उहह’ करने लगी।
मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया तो उसका हाथ पकड़कर मैंने नीचे अपने लौड़े के ऊपर रख दिया।
शायद वह भी यही चाहती थी।
उसने मेरे लौड़े को हाफ पैंट के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया.
और मेरी हालत खराब होती जा रही थी।
आप अपने हाथ से अपने लौड़े को कितना भी मसल लें या मुठ मार लें लेकिन जब किसी लड़की या औरत का हाथ लगता है तो अलग की सुरूर होता है।
मैंने उसको कहा– लवली, मुझे बचा लो!
उसका आनंद टूटा और अचानक से बोली– एकम जी, क्या हुआ?
मैंने कहा– यह फटने वाला है!
वह बोली– क्या?
मैंने नीचे की ओर इशारा करके बताया तो वह हँसने लगी और झट से मेरी हाफ पैंट को नीचे करके उसको दबाने लगी।
उसने बोला– अब कैसा लग रहा है?
तो मैंने कहा– अब तो हालत और भी खराब हो गई है!
दोस्तो, ऐसा लग रहा था जैसे मेरा लौड़ा फट जाएगा और उसके चिथड़े हो जाएंगे।
मेरी हालत खराब हो रही थी।
अचानक वह खड़ी हुई और उसने अपनी जींस उतार दी और फ़िर पैंटी नीचे कर दी।
मैंने बोला– यह क्या कर रही हो तुम?
वह बोली– अपने बाबू को नॉर्मल करने की कोशिश कर रही हूँ।
मैंने कहा– तुम्हारा बाबू कौन है?
तो उसने मेरे लौड़े को अपने हाथ में पकड़ा और उस पर अपने होंठों से चूमते हुए बोली– यह है मेरा बाबू!
आगे उसने कहा– तुम्हारा लौड़ा तो बहुत बड़ा और मोटा है!
मैंने कुछ नहीं कहा बस उसको देखे जा रहा था।
तब मैंने कहा– बाबू को नॉर्मल करो नहीं तो यह फट जाएगा।
वह इतना सुनते ही पलंग पर लेट गयी और बोली– आ जाओ और बाबू को शांत करो।
मैंने ‘ओके’ कहा और मैं उसके ऊपर आ गया।
मैं लवली के ऊपर आकर लंड चूत के अंदर घुसाने की अनजान कोशिश करने लगा क्योंकि मुझे नहीं पता था कि कैसे अंदर जाता है।
बार–बार कोशिश करने पर भी मैं असफल रहा।
इसी बीच जैसे ही लवली ने मेरे लौड़े को पकड़कर अपनी चूत पर लगाया मेरा लौड़ा पिघल गया और पूरा का पूरा माल उसकी चूत के ऊपर छूट गया।
मेरे लौड़े से इतना माल निकला जिसको मैं खुद देखकर आश्चर्य में था।
ये सब होते ही मेरी आँखों में आँसू आ गए।
वह देखकर हैरान हुई और बोली– क्या हुआ तुमको, क्यों रो रहे हो?
मैंने कहा– शायद मैं कभी यह नहीं कर पाऊंगा क्योंकि अंदर जाने से पहले ही मैं झड़ गया और तुमको कुछ खुशी नहीं दे पाया।
पर मुझे क्या पता था कि वह मन ही मन बहुत खुश है क्योंकि उसको कुंवारा लड़का मिला था जिसने कभी भी सेक्स नहीं किया था।
लवली ने मेरे होंठों को चूमकर मुझे शांत करने की कोशिश करने लगी।
फ़िर कुछ देर बाद बोली– तुम कुंवारे हो, तुम यह सब पहली बार कर रहे हो इसलिए तुम्हारा निकल गया! जो भी पहली बार करता है उसका जल्दी हो जाता है।
मैंने लवली से पूछा– तुमको कैसे पता?
तो वह चुप हो गयी और एक मिनट बाद बोली– मेरी सुहागरात वाले दिन भी ऐसा ही हुआ था।
उसने मुझे बहुत देर तक समझाया और फ़िर तब जाकर मैं नॉर्मल हुआ।
फ़िर शाम हो गयी और हम एक–दूसरे को साफ करके घूमने निकल गए।
उस दिन मैं रात को उसको उसके हॉस्टल तक छोड़कर आया और वापस आकर डिनर किया और अपने कमरे में आकर लेट गया।
लेटने के बाद पूरी रात आज की हुई घटना मेरी आँखों के आगे आने लगी और मैं सोचता रहा।
सोचते–सोचते मेरा लौड़ा खड़ा हो गया।
इतने में लवली का संदेश आया– क्या कर रहे हो एकम जी?
मैंने कहा– बाबू को शांत करने की कोशिश कर रहा हूँ।
वह बोली– क्यों क्या हुआ?
मैंने कहा– दिन में जो हुआ उसको सोच रहा था और बाबू उत्तेजित हो गया।
फ़िर वह बोली– अब कैसे करोगे शांत?
मैंने कहा– बाथरूम में जाकर!
वह कॉल करके बोली– जाओ बाथरूम में, मैं भी सुनूँगी!
मैं बाथरूम में जाकर तेज–तेज मुठ मारने लगा और बहुत देर बाद अपना लावा छोड़ने के बाद शांत हुआ।
फ़िर उसको ‘शुभ रात्रि’ बोलकर सो गया।
अगले दिन वह मेरे कॉलेज से आने से पहले ही मेरे हॉस्टल के नीचे खड़ी थी।
मैंने देखा और कहा– तुम यहाँ?
वह बोली– मन था मिलने का … तो आ गयी।
फ़िर हम दोनों ऊपर हॉस्टल में आ गए।
हमने दोपहर का खाना खाया और हम अपने कमरे में आराम से बैठकर बातें करने लगे।
मैंने लवली का हाथ पकड़ा और उसको अपने करीब किया।
वह मेरे इतने करीब आ गयी कि मुझे उसकी गर्म सांसें महसूस होने लगी।
मैंने देर न करते हुए उसके होंठों को अपने होंठ से मिला दिए और उसके होंठ को पागलों की तरह चूमने लगा।
वह भी मेरा भरपूर साथ देने लगी।
15-20 मिनट तक ऐसे ही एक–दूसरे के होंठों का रसपान करते रहे।
फ़िर एक–दूसरे के वस्त्रों से आजाद करने लगे और हम दोनों ऊपर से बिल्कुल वस्त्रहीन होकर एक–दूसरे की बाँहों में लिपटकर प्यार करने लगे।
मैंने उसके बालो को अपने हाथ में पकड़ा और धीरे–धीरे उसके गालों को चूमता हुआ उसकी गर्दन को चूमने लगा; उसके कानों की लटकन को अपने होंठों में भींचकर चूसने लगा।
वह पागल होती जा रही थी।
हम दोनों पसीने में लथपथ हो गए थे।
वह ख़ुद को मुझमें समाए जा रही थी।
फ़िर मैंने उसको चूमते हुए उसके स्तनों को प्यार करना और चूसना शुरू किया।
मैं उसके चूची को चूसते हुए उसके मुंह में अपनी उंगली दे दी जिसको वह बहुत प्यार से चूसने लगी।
मैंने उसको अपनी गोद में उल्टा बैठाया जिससे उसकी पीठ मेरी छाती से लग गयी।
फ़िर मैंने उसकी गर्दन पर प्रेम की निशानियां बनानी शुरू की और वह बिन पानी मछली की तरह तड़प रही थी।
मेरा लौड़ा भी अपने चरम पर आ गया था और नीचे से ही लवली की गांड पर बार–बार जोर मार रहा था।
वह बार–बार हल्के से ऊपर होकर मेरे लौड़े को ऐसे रगड़ रही थी जैसे वह उसको अपने अंदर ले लेना चाहती हो।
मैंने उसके स्तनों को अपने दोनों हाथों में पकड़ा और धीरे–धीरे दबाने लगा, फ़िर उसको प्यार करने लगा, चूमने–चाटने लगा।
इस बीच लवली ने ऊपर उठकर अपने दोनों हाथों से अपनी जीन्स और अपनी पैंटी नीचे कर दी और मुझे भी करने को कहा।
मैंने भी अपनी जींस उतार दी और उसके स्तनों को बहुत तेज–तेज दबाने लगा।
वह भी मेरे हाथ पर अपने हाथ का दबाव देकर दबाने में मेरी मदद करने लगी।
मैं उसके स्तनों को बहुत अच्छे से दबाने लगा।
फ़िर लवली ने एक हाथ अपनी टांगों के बीच से ले जाकर मेरे लौड़े को पकड़ लिया।
उसको हिलाने और कहने लगी– एकम जी, मेरी एक विनती है!
और अपने हाथ जोड़कर मेरे सामने सीधे बैठ गयी।
उसकी आँखों में पानी आ गया।
मैंने बोला– क्या हुआ लवली? मुझसे कोई गलती हुई तो मुझे माफ़ कर दो!
वह बोली– एकम जी, कृपया करके एक बार अपने बाबू को मेरी चूत में डाल दो! बहुत सालों से प्यासी हूँ और आपका बाबू भी बहुत बहुत मस्त है जिसके लिए मैं और इंतजार नहीं कर सकती. नहीं तो मैं मर जाऊंगी।
मैंने कहा– ठीक है!
और उसके होंठों को अपने होंठों से मिला लिया!
फ़िर वह अपने पैर खोलकर लेट गयी।
मैंने उसकी जांघों को सहलाया और अपने होंठों से चाटने लगा।
दोस्तो, उसकी जांघें ऐसी लग रही थी जैसे रसमलाई हो।
मैंने उसकी चूत की तरफ देखा जिसपर कोई भी बाल नहीं था और बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी।
मेरा मन हुआ कि उसकी चूत को चूमूँ तो मैंने उसकी चूत को 8-10 बार चूमा।
जिससे वह और तड़प गयी।
मैंने फ़िर उसकी चूत में अपनी हल्की सी उंगली दी तो ऐसा लगा जैसे उसकी चूत से आग निकल रही हो।
तब मैंने उसको कहा– लवली, इसमें मेरा लौड़ा कैसे जाएगा? यह तो बहुत छोटी है।
वह बोली– चला जाएगा, तुम बस डाल दो!
आज किसी तरह की गलती न करते हुए लवली ने मेरा लौड़ा पकड़ा और चूत के मुंह पर लगाया और कहा– धक्का दो!
मैंने धक्का दिया तो लौड़ा फिसल गया।
उसने दोबारा अपनी कोमल सी चूत पर मेरे लौड़े को निशाना बनाया और कहा– जोर से धक्का दो!
मैंने जोर से धक्का दिया और लवली की चीख निकल पड़ी और वह रोने लगी।
तब मैंने कहा– क्या हुआ?
वह कुछ नहीं बोली और कहा– रुक जाओ।
मुझसे उसका दर्द देखा नहीं गया और मैंने लौड़ा बाहर निकाल लिया।
लौड़े के ऊपर से मेरा टोपा पीछे हो गया और हल्का–हल्का सा फट गया था।
मैंने कहा– तुम रो क्यों रही हो?
वह मुझ पर चिल्लाने लगी– तुमने मेरे बाबू को बाहर क्यों निकाला?
मैंने कहा– मुझसे तुम्हारा दर्द देखा नहीं गया।
उसने उठकर मेरे होंठों पर बहुत ही प्यारा सा चुम्मा दिया और बोली– अब कुछ भी हो जाये, बाहर मत निकालना!
मैंने लवली की बात को माना।
उसने मेरे लौड़े को पकड़कर अपनी चूत पर रखा।
फ़िर मैंने इतनी तेज धक्का लगाया कि मेरा आधा लौड़ा उसकी चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया।
उसको इतना दर्द हुआ कि वह बहुत तेज–तेज रोने लगी।
मैंने अपना लौड़ा हल्का सा बाहर किया, फ़िर उसका एक पैर ऊपर उठाया और एक और तेज धक्का मारा।
दर्द के कारण वह मुझसे छूटना चाहती थी परंतु मैंने ऐसा होने नहीं दिया।
मैंने उसको कस के पकड़ लिया और उसके होंठों से अपनी होंठ मिलाकर उसको थोड़ी देर चूसता रहा।
थोड़ी देर बाद वह कुछ नॉर्मल हुई और मुझे इशारा किया।
तब मैंने हल्का–हल्का धक्का मारना शुरू किया।
फ़िर मैं सीधे खड़े होकर उसका पैर उठाया।
मैंने देखा कि नीचे बहुत सारा खून आ गया था।
तो मैंने उससे कहा– खून निकल रहा है बहुत!
वह बोली– यह मेरी चूत में से निकल रहा क्योंकि आज यह काफी सालों बाद चुदी है और तुम्हारा लौड़ा भी बहुत बड़ा है।
मैंने कहा– तुम्हारे पति का बड़ा नहीं था क्या?
वह कहने लगी– उनका तुमसे आधा था और 2 मिनट में ही वे खेल खत्म करके सो जाते थे।
फ़िर मैंने उसको चोदना चालू रखा और उससे पूछा– कैसा लग रहा है?
लवली बोली– जब से मैं औरत बनी हूँ उस दिन से लेकर आज तक ऐसी चुदाई और इतना प्यार नहीं मिला जो तुमसे मिला है।
मैंने कहा– अब तुम घोड़ी बन जाओ।
वह झट से घोड़ी बन गयी और फ़िर पीछे से मैं उसकी चूत को चोदने लगा।
उसकी चूत चोदते–चोदते मुझे ऐसा लगा कि कुछ निकल रहा है।
मैंने देखा तो पाया कि खून के साथ हल्का–हल्का सफेद से द्रव निकल रहा है।
लेकिन लवली इन सब चीजों से अनजान अपनी चूत की कुटाई का आनंद ले रही थी।
वह मजे से ‘आह … उफ … आह, चोदो और तेज चोदो, फाड़ दो इस कुतिया को! ना जाने कब से यह लौड़ा खाने को तड़प रही थी! हाँ एकम जी, ऐसे ही … तेज और तेज! हाँ–हाँ और तेज … एकम और तेज … फाड़’ कहती हुई वह निढाल होकर गिर गयी।
एक बार फ़िर से वह सफेद सा द्रव निकलने लगा।
मैंने कहा– मैं कैसे खुद को शांत करूँ?
वह बोली– मैं सीधी हो जाती हूँ फ़िर करना।
वह सीधी हो गयी और मेरे हर धक्के के साथ अपने चूतड़ उठा–उठाकर मेरा साथ दे रही थी।
हम दोनों पसीने में नहाए हुए थे और मेरे पसीने की बूंदें उसकी छातियों पर गिर रही थी।
उसकी चूत की चुदाई करते–करते 30-40 धक्कों बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और उसके ऊपर ही गिर गया।
फ़िर लवली में मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और मुझे इतना चूम रही थी कि जैसे अपनी जीभ से नहलाना चाहती हो।
वह इस चुदाई से बहुत खुश थी।
इसके बाद हमारी 1-2 मुलाकातें और हुई क्योंकि उसका कोर्स खत्म हो गया था और मेरी भी परीक्षाएं शुरू होने वाली थी।
तो दोस्तो, अब आप बताओ कि आपको मेरी पहली स्टोरी फर्स्ट सेक्स एक्सपीरियंस विद मैरिड गर्ल कैसी लगी?
अपने जवाब मुझे मेरे मेल पर जरूर देना!
आपके जवाब के बाद ही मैं आपसे अपना अगला वाक्या साझा करूंगा।
फ़िर मिलते है हम आपसे अपनी नई कहानी के साथ।
धन्यवाद!
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