फौजी अफसर की नवविवाहिता बीवी ने अपने घर में चूत चुदवाई -4

(Fauzi Officer Ki Newly Married Bivi Ne Apne Ghar Me Chut Chudwai-4)

चूतेश 2016-03-05 Comments

This story is part of a series:

मैं बड़े आराम से राजे के बालों में उंगलियाँ फिराती हुई पड़ी रही, वो बार बार मुझे हौले हौले से चूम रहा था, समय रुक सा गया था, हम यूँ ही एक दूसरे के नंगे बदन के स्पर्श का मज़ा लेते हुए काफी देर लेटे रहे।
मुझे कुछ देर के लिए एक हल्की झपकी भी आ गई।

मेरी तन्द्रा राजे की आवाज़ से टूटी- मोना रानी अब तू मेरी असली रानी बन गई है… मादरचोद तूने बहुत मज़ा दिया चुदाई में… मैं बहुत ज़ोर से झड़ा और बहुत ढेर सारा झड़ा… रांड तेरी रसीली बुर मैंने भर दी है अपने लावा से… चल अब मैं तेरी चूत साफ कर देता हूँ!

‘हाँ राजे…सच में बहुत ही ज़्यादा मज़ा आया… तू सचमुच में चुदाई का कलाकार है… बेहद मज़ा दिया तूने भी… जितना ज्योति ने कहा था उससे ज़्यादा मज़ा मिला… कर दे चूत साफ़… तेरी ही चूत है कुत्ते, ज़रा अच्छे से साफ करियो.. बस यार एक कसर रह गई… मुझे लावा चूत में भी लेना था और पीना भी था… तूने सारा चूत में ही खली कर दिया ना..

‘मोना रानी मेरी जान… साली हरामी रंडी… सफाई के बाद तू खूब चूसना और मलाई भी खा लेना… वो कौन सी ख़त्म हुए जा रही है… घर की उपज है… जितना मर्ज़ी निकालो… फिर चाहे चूत पिए या तू!’
राजे ने धीरे से लंड मेरी बुर से निकाल लिया, मेरे ऊपर से उठा और मेरे पैरों के पास जाकर बैठ गया, फिर उसने मेरी टाँगें चौड़ी कर दीं और झुक कर सबसे पहले भीगी हुई और उसके वीर्य में सनी हुई झांटें चाट चाट क साफ करीं।

इसमें भी खूब मज़ा आ रहा था।
झांटें साफ़ होने के बाद उसने चूत के बाहर का भाग और चूत के होंठों को भी चाट के भली भांति साफ़ किया, फिर अच्छे से जीभ मेरी जांघों पर घुमाई तो जांघों पर लगा हुआ वीर्य और मेरी चूत का रस भी साफ हो गया।
अंत में वो बिस्तर से हट कर नीचे फर्श पर जा बैठा और मेरी टाँगें पकड़ के अपनी तरफ खींच लीं। फिर उसने जीभ बुर में घुसा दी और उसमें भरा हुआ रस और अपना लावा लप लप लपकरते हुए पी डाला।
इतना मज़ा आया कि मैं एक बार फिर से गर्म हो चली।

जब सब सफाई हो चुकी तो राजे ने कहा- मोना रानी, अब तू लौड़े को इसी प्रकार चाट के साफ कर।
मैं जानती थी कि ऐसा हो होगा क्योंकि मुझे अनुज और नीलम ने बता रखा था कि चुदाई के बाद राजे और उसकी रानी एक दूसरे को चाट के साफ़ करने का सुख भी भोगते हैं।
मानना पड़ेगा कि यह सुख वाकई में बहुत अधिक मस्त कर देने वाला है और इसको भोगना ही चाहिए!

मैं तो उसका लंड का मक्खन खाने को कब से उतावली थी।
साफ करते करते यदि लौड़ा तन गया तो मैं साले मूसलचंद को चूस चूस के हरामी का रस निकाल ही दूंगी।
यह विचार आते ही मैंने राजे को खड़ा होने को कहा और जैसे ही वो उठ खड़ा हुआ मैंने लपक के ढीला पड़ा हुआ लौड़ा चाटना शुरू कर दिया।

साला चूत रस और राजे के लेस में सना हुआ था, मैंने उसे चारों तरफ से चाट लिया, सुपारी पूरी नंगी करके उसे भी खूब चाटा। फिर मैंने राजे की झांटों और अण्डों पर ध्यान केंद्रित किया।
तब तक जैसा मुझे अंदेशा था वैसा ही हुआ- बहनचोद लंड अकड़ के फ़ुनफ़ुनाने लगा।

हाय राम कितना सुन्दर लंड था ! फूला हुआ आधा नंगा, गुलाबी टोपा !
मैंने इतने नज़दीक से पहली बार इस चूतेश के लंड को देखा था, लंड पर नसें भी फूली हुई थीं।
मैंने बिलकुल पास से लौड़े को बड़े प्यार से निहारा, निहारने के साथ साथ मैं उसकी चुम्मी भी लिए जाती थी।
मैंने लंड को नीचे से ऊपर तक दसियों दफा चूमा और सहलाया।

मैं उसके साथ बातें भी कर रही थी- बहनचोद, मूसलचंद, साले अभी तो चोद के चुका है… चुम्मी… फिर से अकड़ गया… बहुत शैतान मूसलचंद है तू… चुम्मी… बता तो क्यों सताया अपनी चूत को… चुम्मी… कितना इंतज़ार करवाया… बोल अपने मालिक को कि जैसे ही चूत आवाज़ दे झट से तेरे को घुसा दिया करे… चुम्मी… पता है तुझे ये तेरा मालिक है ना चूतेश… हरामी बहुत तड़पाता है… चुम्मी… जब चूत तरस तरस के रोने को हो गई तब उसने तेरे दर्शन करवाये बेचारी को… चुम्मी… हाय मेरा राजा मूसलचंद… चुम्मी… चुम्मी… चुम्मी… हाय कितना प्यारा है कमीना… चुम्मी… तेरा मालिक भी तेरे जैसा ही प्यारा कमीना है… चुम्मी…

तब तक तो लौड़ा फुल जोश में आकर टनटना गया था और बार बार फुदक फुदक के अपनी इच्छा प्रकट कर रहा था… चिंता ना कर मादरचोद मूसल चंद मैं तेरे मालिक जैसी संगदिल नहीं हूँ राजा… ले साले अब तू मेरे मुंह की गर्मी का सुख भोग…

मैंने लौड़ा मुंह में घुसा लिया, शुरू में पूरा नहीं सिर्फ सुपारा ही भीतर लिया और उस पर खूब हुमक हुमक के जीभ फिराई। जीभ के स्पर्श की उत्तेजन से लौड़ा ज़ोर ज़ोर से तुनके मारता।

‘मोना रानी हम 69 में आ जाते हैं… तू लंड चूस और मैं चूत!’ राजे ने मेरे केश सहलाते हुए कहा।
‘नहीं राजे…मैं पूरे ध्यान से इसको चूसना चाहती हूँ।’ मैंने लंड मुंह से बाहर निकाल के कहा- दोनों चूसेंगे तो मेरा ध्यान चूत में आते हुए आनन्द पर टिका रहेगा… ऐसे में यदि मेरा ये मूसल चंद नाराज़ हो गया तो? अब तू आराम से लेट जा और पड़ा हुआ लंड चुसवाने का मज़ा लूट… आजा ऊपर आज बिस्तर पर.. आजा मेरा चोदू राम… आ जल्दी से आ जा.. लंड को मेरा मुंह मथ मथ के सारा मसाले का खज़ाना ख़ाली कर देगा साले!’

‘जो हुक्म मेरी आक़ा…’ कह के राजे ऊपर बेड पर चढ़ गया।
मैंने दो मोटे तकिये बिस्तर के हेडबोर्ड पर रख दिए और राजे को पसर जाने का इशारा किया। राजे ने तकियों पर कमर टिका ली और टाँगें सीधी फैला दीं।
मैंने भी एक और तकिया उसके चूतड़ों के नीचे रख के लौड़ा ऊपर उठा दिया, जैसे उसने मेरी चूत को उठाया था।
हाँ… अब सही थी सेटिंग… अब मज़ा आएगा आराम से लंड चूसने का!

असल में मेरी इच्छा तो यह थी कि चुदाई से पहले लंड चूसूं और मलाई का स्वाद चखूँ परन्तु कोई बात नहीं, अब चख लूंगी अपने राजा का मसाला!
मैंने राजे की टांगों के बीचों बीच खुद को ठीक से सेट किया और झुक कर लौड़े की सुपारी का चुम्बन लिया।
इतराते हुए मैंने कहा- ले जान… अब लूट जन्नत का मज़ा… देख तेरी मोना रानी तुझे कैसे सातवें आसमान पर उड़ाती है… आँखें मूंद ले मादरचोद चोदूराम और लूटे जा चुसाई का आनन्द!

राजे ने मेरे बाल जकड़ लिए और कस के मेरा मुंह अपने लौड़े से रगड़ दिया।
मैंने भी तुरंत ही गप से लौड़ा मुंह में घुसा लिया और इस बार पूरा का पूरा आठ इंच मुंह में ले लिया, टोपा मेरे गले को छूने लगा।
उस सख्त सख्त, गर्म गर्म लंड ने मुंह को भर दिया जिस से बड़े आत्मिक सुख का अनुभव होने लगा। लगा कि ये लौड़ा मेरे लिए और मैं इस लौड़े के लिए ही बने हैं।

मैंने लौड़े को मुंह से हौले से दबा दबा के चूसना शुरू किया। लंड चूसने के सभी कलाएँ मुझे अनुजा सिखा चुकी थी और मैं सब कलाकारियाँ आज राजे के लंड पर इस्तेमाल करने वाली थी।
लंड गले तक घुसाये हुए जब मैं निगलने वाली प्रक्रिया करती तो राजे मज़े में अई… अई… अई करता, क्योंकि जब हम कुछ निगलते हैं तो गला कस जाता है।
(ज़रा करके देखिये, निगलिये और महसूस करिये कि गला कैसे बंद हो जाता है)

जब गले में लौड़ा फंसा हो तो गला कसने का पूरा दबाब सुपारी पर पड़ता है जिस से मर्द की आनन्द से बांछें खिल उठती हैं। यही राजे के साथ भी ही हुआ। राजे भी मस्ती में आकर हल्के हल्के से चूतड़ हिलाने लगा।

मैंने कुछ देर यूँ ही चूसने के बाद फिर पैंतरा बदला। इस बार मैंने लौड़ा मुंह से आधा बाहर निकाल लिया, जीभ से सुपारी चाटने लगी और उंगली से लंड के नीचे वाली मोटी सी नस ऐसे दबाने लगी जैसे सितार बजा रही हूँ।

राजे मज़े से थर्रा उठा और मस्ता के आअह आअह आअह करने लगा, गालियाँ भी देने लगा- कहाँ से सीखा इतना उम्दा लंड चूसना रंडी.. बहन की लोड़ी बहुत मज़ा दे रही है… आअह आआह आअह आअह… बहनचोद कुतिया… ऐसे ही चूसे जा कमीनी… आअह आअह आअह!

अचानक मैंने लौड़ा और बाहर खींच के सुपारी के छेद में जीभ की नोक बना के पेल दी। हालाँकि नोक ज़्यादा अंदर घुसी नहीं, शायद दो या तीन मिलीमीटर घुसी होगी, नापा नहीं सिर्फ अंदाज़ा है।
लेकिन जैसे ही मैंने जीभ घुसाई राजे ने चिंघाड़ते हुए ज़ोर ज़ोर से अपने नितम्ब उछाले, बड़ी मुश्किल से मैंने लौड़ा मुंह से निकलने से रोका।
स्पष्ट विदित था कि राजे को इसमें बेहद मज़ा आया।

मैंने फिर से जीभ की नोक सुपारे के छेद में दे दी और लगी जीभ को आगे पीछे करने मानो लंड की चुदाई कर रही होऊं!
तीक्षण आनन्द से व्याकुल होकर राजे हम्म्म्म हम्म्म हम्म्म करने लगा, लौड़ा बार बार तुनके मारने लगा।

एक हाथ से मैं लंड की नस का सितार बजाती रही और दूसरे हाथ से मैंने उसके अंडे हौले हौले सहलाने शुरू किये।
यार, सच में बेतहाशा मज़ा आ रहा था अपने दीवाने का लौड़ा चूस चूस कर उसको मस्त करने में।
मेरी चूत भी सुर्सुर करती हुई पनियाने लगी थी परन्तु मैंने ये बात राजे को ज़ाहित नहीं होने दी, वर्ना वो फिर से 69 पोज़ में जाने की ज़िद करता क्यूंकि चूत चूसने का वो भी हरामी पिस्सू है… साले से चाहो तो सारा दिन चूत चुसवा लो।

राजे भयंकर आनन्द में डूबा हुआ तड़पने लगा, कभी मेरे केश पकड़ कर ऐंठता, कभी मेरे गालों को मसल देता।
उसकी कमर लगातार हिले जा रही थी, लंड में एक तेज़ कम्पन होने लगा था, तड़प तड़प के राजे के मुंह से मस्त माँ बहन गालियाँ निकलने लगीं थीं.. तेरी माँ को चोदूँ मोना रानी… हाय हाय हाय… ला मादरचोद अपनी बहन को भी ले आ कुतिया… तेरी माँ और बहन दोनों की चूतें चीर दूंगा हरामज़ादी… साली रंडी की औलाद… बाप का लंड चूसने वाली बदचलन… बहन की लौड़ी बदज़ात कहीं की.. अहहह अहह अहह… पूरा ले गले में कुतिया…तेरा गला फाड़ दूंगा आज कमीनी…साली सड़क छाप वेश्या..

मैंने लौड़ा मुंह से निकाल के बहुत नज़दीक से निहारा। अहा अहा अहा !!! क्या मस्त अकड़ा हुआ लंड था, मेरे मुखरस से लिबड़ा हुआ लश्कारा मार रहा था, टट्टे फूल के तने हुए थे और टोपा अब गहरा गुलाबी हो गया था। लंड की एक एक नस खून के अत्यधिक तेज़ प्रवाह से फूली हुई दिख रही थी।

मैंने लौड़े को फिर से बहुत बार चुम्बन से भर दिया और आनन्द मग्न होकर उसे मुंह में पूरा घुसा लिया, राजे को झाड़ने के विचार से मैंने अपने दोनों अंगूठे राजे के अण्डों और गांड के मध्य के कोमल प्रदेश में गाड़ दिए।
राजे ज़ोर से चिहुंक उठा।
मैंने लौड़े को मुंह में हौले हौले अंदर बाहर करना शुरू कर दिया, मेरी जीभ उसके सुपारी पर लगातार जमे हुए उसे चाट रही थी और मैं अंगूठों से दबाये जा रही थी।

राजे एक भैंसे की भांति हुंकारने लगा और तेज़ तेज़ चूतड़ चलने लगा। वो अब मेरे मुंह को चोद रहा था जबकि मैं मुंह में लंड लिए लिए टोपे को चाट रही थी।
राजे ने मेरे केश जकड़ लिए और धड़ाधड़ कई सारे धक्के ठोके, मेरा गला सचमुच फटने को हो गया।
लगता था कि लौड़ा मेरा गला फाड़कर गर्दन से बाहर निकलेगा। मेरी सांस भी घुटने लगी थी और चूत में बहुत तेज़ सुर सुरी हो रही थी।

तभी राजे ने एक बहुत ऊँची आवाज़ में आआआह आआअह आआआअह की आवाज़ निकाली और एक तेज़ कम्पन उसके लौड़े में महसूस हुआ।
मैं समझ गई कि अब वो झड़ने को है।
मैं उसको झड़ते हुए देखना चाहती थी इसलिए मैंने झट से लौड़ा निकाल के अपने चेहरे के सामने कर लिया।

तभी लंड बड़े ज़ोर से थरथराया, सुपारे का छेद चौड़ा सा हुआ, बहुत मोटा लावा का एक थक्का बिजली की तेज़ी से भल्ल से निकला और मेरी नाक पर गिरा।
झड़ते हुए लौड़े का अद्वितीय नज़ारा देख लिया तो अब मैं अब लावा मुंह में लेना चाहती थी।
मैंने जल्दी से लौड़ा मुंह में दुबारा घुसाया लेकिन इन कुछ ही पलों में लंड मलाई के गर्म गाढ़े गाढ़े चार पांच लौंदे मेरे चेहरे पर मार चुका था।
हुंकारते हुए राजे टक टक टक धक्के लगाने लगा और हर धक्के में लावा झाड़ देता। साले के गर्म गर्म चिपचिपे वीर्य ने मेरा मुंह भर दिया।
बहनचोद निकाले ही जा रहा था… और निकालता भी क्यों ना?
इतना मस्त उत्तेजित भी तो कर दिया था मैंने राजे को!
हरामज़ादे ने ना जाने कितनी बार लौड़ा चुसवाया होगा, परन्तु यह चुसाई भी उसको सदा याद रहेगी ऐसा मेरा विश्वास है।

मैंने वीर्य तुरंत नहीं निगल गई क्योंकि मैं चाहती थी कि एक बार वो पूरा झड़ जाये तो मैं उस मसाले को मुंह में घुमा घुमा के पूरा स्वाद लेते हुए निगलूँगी।

जब लंड का कम्पन बंद हो गया तो मैंने लौड़े की नस दबा दबा के तीन चार छोटी बूंदें और बाहर निकालीं, फिर टट्टे हल्के से दबाये तो एक अंतिम बून्द और झड़ गई।
तब तक लौड़ा भी मुरझा गया था।

और जैसे ही मैंने ज़रा सा मुंह खोला तो लंड बाहर फिसल आया और पुच्च से मेरी ठोड़ी पर लगा।
मैंने झट से लिसलिसे लौड़े को थाम लिया और बड़े स्वाद लेते हुए वीर्य को मुंह में अच्छे से घुमा घुमा के निगल गई।
क्या मस्त ज़ायकेदार लावा था… इतना मज़ा आया कि मेरी चूत का हाल बिगड़ गया और एक भेजा हिला देने वाला स्खलन हुआ।
लंड की मलाई इतनी स्वादिष्ट और उत्तेजना बढ़ाने वाली थी कि मैं उसको खाते ही चरम सीमा के पार उतर के झड़ गई।
गहरी गहरी साँसे लेते हुए मैं वातावरण में फैली हुई वीर्य की सुगंध अपने नथुनों में भरने लगी।

इसके बाद मैंने अपने चेहरे के भिन्न भिन्न भागों में पड़े हुए लावा को उंगलियों से समेटा और अच्छे से अपने चेहरे पर क्रीम की भांति मसल लिया।
यार, इस से बढ़िया कोई भी फेस क्रीम नहीं हो सकती।

तत्पश्चात मैंने लौड़े को भी भली प्रकार साफ किया और राजे की बगल में जा लेटी।
बहुत तीव्रता से झड़ा हुआ राजे ऐसे हाँफ रहा था जैसे तेज़ गर्मी में कुत्ता हाँफता है। वो भैं भैं भैं कर रहा था, उसके माथे पर पसीना था और उसके बाल बिखरे पड़े थे।
इतनी लम्बी चली हुई चुदाई और इतने मतवाली लंड चुसाई के बाद थोड़ा थका हुआ लग रहा था।

मैंने उसका मुंह चूमते हुए बड़े प्यार से कहा- राजे… तू थोड़ा रेस्ट कर ले बहनचोद… आजा मैं तुझे थपकी देकर आराम करवाती हूँ… जैसे तेरी नीलम रानी करवाती थी… आजा मेरे छोटे बच्चे…आजा अपनी अम्मा के पहलू में..!
मैं करवट के बल लेट गई और अपनी चूची की तरफ मुंह करके राजे को भी करवट से लिटा दिया, एक चूची उसके मुंह में देकर मैंने उसको अपने दुपट्टे से ढक दिया।

मेरा पोज़ ऐसा था जिस पोज़ में एक माँ अपने बालक को लेट के दूध पिलाती है और राजे भी बहन का लौड़ा एक भले बच्चे की तरह एक चूची हाथ में लेके दूसरी चूची चूसने लगा।
मैंने प्यार से उसको अपने वक्ष से लगा लिया और चूची पिलाती रही।
शीघ्र ही राजे सो गया और कुछ देर बाद मैं भी।

हम करीब आधा घंटा सोये रहे होंगे, फिर राजे का घर जाने का टाइम हो चला था।
लेकिन एक काम बचा रह गया था और वो था उसको स्वर्ण रस पिलाने का।
जागने के बाद सबसे पहले मैंने राजे को फर्श पर घुटनों के बल बिठा दिया, अपनी टाँगें खूब चौड़ी करके मैं बिस्तर के सिरे पर बैठ गई और उसके मुंह से चूत लगा दी।

बहुत टाइम से रुका हुआ स्वर्ण अमृत की सुरर्र सुरर्र सुरर्र करती हुई धारा राजे के मुंह में जाने लगी।
राजे स्वर्णामृत पीने का मंझा हुआ खिलाड़ी था, कमीना मस्त पिए चला गया… एक भी बून्द उसने ज़मीन पर न गिरने दी।
साला स्वाद ले ले कर पिए गया।

मेरा यह पहला अनुभव था किसी को स्वर्ण रस पिलाने का। अपनी चूत की कसम से कहती हूँ जितना मज़ा उसे पीकर आया होगा उस से कई गुना अधिक मुझे पिला के आया।
थोड़ी देर बाद मेरा खज़ाना खाली हो गया तो बड़े बेमन से राजे ने चूत से अपना मुंह हटाया और साथ ही जीभ निकाल कर चूत पर लगा रह गया मूत चाट गया।

इसके बाद राजे ने घर चलने के लिए कपड़े पहन लिए लेकिन मुझे नहीं पहनने दिए, कहा कि वो मुझसे नंगी देखकर ही विदा लेगा।
जाते हुए राजे ने मुझे बहुत सारा चूमा, साले ने सारा बदन ही चूम डाला, मैंने बड़ी मुश्किल से उसे हटाया कि कमीने तू फिर से गर्म कर देगा तो मैं तुझे चोदे बिना न छोडूंगी। अब जा भोसड़ी के… तेरी जूसी तेरा इंतज़ार कर रही होगी। अभी तुझे उसे भी तो चोदना है।
खैर आखिरकार वो चला गया और मैं नंगी उसको दरवाज़े से थोड़ा पहले तक सी ऑफ करने गई।

रात भर ये चुदाई का प्रकरण एक फिल्म की भांति मेरे मन की आँखों में चलता रहा।
रात में कई बार उंगली से चूत रगड़ के खुद को झाड़ा।
क्या करती मैं बार बार कामविह्वल जो हुए जा रही थी!

यह प्रकरण यहीं समाप्त हुआ।
अगले प्रकरण में मैं राजे की दो रानियों के साथ थ्री सम का जो मदमस्त खेल हुआ उसके बारे में वर्णन करुँगी और राजे के साथ रेल यात्रा में फर्स्ट AC में जो मतवाली चुदाई हुई उसका ब्यौरा दूंगी।

आशा है कि आपको यह प्रस्तुति पसंद आई होगी।
मैंने एक लड़की के दृष्टिकोण से यह वर्णन किया है। एक लड़के के नज़रिये से तो आप सब राजे की लिखी कहानियाँ पढ़ते ही आये हैं। शायद यह बदलाव आपको पसंद आये!
मोना रानी के शब्द समाप्त

चूतेश के शब्द
पाठको, यह कहानी बिल्कुल नए अंदाज़ में प्रस्तुत है।
मोना रानी बहुत अच्छा लिख लेती है। आशा है आपको उसका लेखन मेरे लेख से कहीं ज़्यादा अच्छा लगेगा।
नमस्कार
चूतेश

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top