एक सोची समझी साजिश-2
(Ek Sochi Samjhi Sajish-2)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left एक सोची समझी साजिश-1
-
View all stories in series
धन्यवाद मित्रो, आपके प्यार के लिए मैं आपका सदैव आभारी रहूँगा। आपके मेल प्राप्त हुए जिनमे से कईयों का जवाब मैं नहीं दे पाया। अधिकतर मेल में यही पूछा गया कि आगे क्या हुआ, जल्दी बताओ।
तो मित्रो, सब्र रखें और आगे का वाकया पढ़ें।
बुआ जी बोलीं- तो बेटा, तू उसके साथ घर पर ही रुक जा!
मैं झट से तैयार हो गया और कहा- आप बेफिक्र रहिये। और मैं खुशी में झूमता हुआ कमरे से बाहर निकला कि सामने मामा की बेटी को देख कर चौंक गया।
शायद उसने मेरी और बुआ की बाते सुनी थी…
उसने पूछा- तो क्या तुम बारात नहीं चल रहे हो?
‘नहीं!’ मैंने कहा- और कोई उपाय भी नहीं है। और बुआ जी ने भी कहा है तो मैं उनकी बात को कैसे टाल सकता हूँ।
वो उदास हो गई और बिना कुछ कहे वहाँ से चली गई। मैं भी थोड़ा उदास हो गया पर रात में सोनी के साथ होने वाली मस्ती के बारे में सोच कर मेरे होठों पर एक मुस्कान तैर गई। मैं अपने काम में लग गया।
थोड़ी देर में ही बारात भी जाने लगी। जब सब लोग चले गए तो घर में मेरे और सोनी के अलावा इक्का-दुक्के लोग ही बचे जो खाना पीना खा कर सोने की तैयारी में लग गए।
मैं सोनी के पास गया, उसे खाना खिलाया। वो भी मुझे अपने हाथों से खाना खिला रही थी, साथ ही चुम्बन का भी आदान प्रदान हो रहा था। सभी कामों से बेफिक्र होकर मैं फिर से सोनी के पास पहुँचा और उससे पूछा- अब तो सोने की तैयारी करनी है न सोनी जी?
वो आँख तरेरते हुए बोली- क्या सोने के लिए ही बारात ना जाने का बहाना बनाया है? आज की रात मैं अपनी जिंदगी की सबसे हसीं रात बनाना चाहती हूँ।
उसने इतना कहा और मेरा कालर पकड़ के मुझे चूमना शुरू कर दिया।
मैंने उसे किसी तरह रोका और जाकर किवाड़ लगा आया और उसे बेतहाशा चूमने लगा।
वो भी मेरा साथ दे रही थी और जोरों से सिस्कार भी रही थी।
मैंने अपने हाथों से उसके पीठ सहलाते हुए उसके बूब्स पर ले आया उसे मसलने लगा।
वो कराहने लगी और बोली- जान धीरे करो, दुखता है।
पर मुझसे तो सब्र ही नहीं हो रहा था। कुछ ही पलों में उसकी सीत्कार बढ़ने लगी और वो जोरों से कांपने लगी। मैंने उसे अलग किया और बेड पर लिटा दिया।
वो एकटक मुझे ही देखे जा रही थी, उसकी आँखों में वासना के लाल डोरे साफ़ साफ़ दिख रहे थे, मैंने पूछा- क्या इरादा है?
‘मैं तुममे समाना चाहती हूँ, तुम्हारा होना चाहती हूँ, हमेशा के लिए!’
‘क्या तुम्हें मुझपे भरोसा है? मुझे तुमने कल ही देखा और आज हम लोग यहाँ तक पहुँच गए हैं, कहीं मैं तुम्हें भोग कर दूर चला गया तो?” मैंने उससे पूछा।
‘मैं मर ही जाऊँगी।’ सोनी बोली- तुम पर भरोसा किया तभी खुद को तुम्हें सौंप रही हूँ। मैं तुम्हारे साथ जिंदगी तो नहीं बिता सकती पर जितने भी लम्हे संभव हो, मैं तुम्हारे साथ ही बिताना चाहूँगी।
कहते हुए उसकी आँखे भर आई, मैंने उसकी आँखों को प्यार से चूमा और उसके होठों को जोर से चूसने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी।
मैं उसके बदन को सहलाते हुए उसकी समीज को धीरे धीरे ऊपर करने लगा जिसे उतारने में उसने मेरा पूरा साथ दिया और समीज उतारने में मेरी मदद की।
उसकी गर्दन पर चूमते हुए मैं नीचे की तरफ सरकने लगा, उसके बदन में कंपकंपाहट हो रही थी, उसके हाथ मेरे बालों में घूम रहे थे। फिर मैंने उसकी सलवार भी उतार दी जिसमें उसने जरा भी विरोध नहीं किया।
अब वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी।
उफ्फ्फ… क्या शानदार जिस्म था उसका! मैं तो उसे एकटक बिना पलक झपकाए देखता रह गया।
वो शर्मा रही थी, मुझे इस तरह से देखते हुए उसने मुझे पूछा- क्या देख रहे हो?
मैं बोला- तुम कितनी सुन्दर हो, जी कर रहा है बस देखता ही रहूँ।
उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे खींच कर अपने ऊपर गिरा लिया और मुझे फिर से चूमने लगी। मैं उसे चूमते हुए उसके बूब्स मसल रहा था और एक हाथ से उसके नितंबों को सहला रहा था।
धीरे धीरे मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाला और उसके नंगे चूतड़ पर हाथ फिराने लगा। वो मस्त हुई जा रही थी, उसने धीरे से अपनी ब्रा खुद ही उतार दी तभी मैंने उसकी पैंटी नीचे खींच उसकी चूत पर होंठ रख दिए।
वो अचानक से उछल पड़ी और अपनी जांघों को मोड़ने की असंभव कोशिश करने लगी। मैं अभी भी एक हाथ से उसके बूब्स सहला रहा था और उसके भगनासा को अपने जीभ से सहला रहा था।
वो और जोर से सीत्कारने लगी और अपना सर पटकने लगी।
मेरा लिंग भी पूरी तरह से तन के पैंट में तम्बू की तरह खड़ा था। काफी देर से आजाद ना होने की वजह से मेरा लिंग दर्द करने लगा था।
मैं उठ खड़ा हुआ तो उसने आँखें खोली और मेरे आँखों में देखने लगी, मानो कह रही हो- रुक क्यूँ गए?
मैंने अपनी टी-शर्ट और लोअर को झट से उतारा और अपने बनियान और जांघिये को भी उतार फेंका।
वो मेरे लिंग को आश्चर्य से देखने लगी हो जैसे कभी देखा ही ना हो।
‘क्या तुमने कभी लिंग नहीं देखा है जो इस तरह से देख रही हो?’ मैंने पूछा।
‘नहीं!’ वो बोली- बच्चों का देखा है पर बड़ों का इतना बड़ा होता होगा मुझे नहीं पता था।
(पाठको, मैं अन्य लोगों की तरह शेखी नहीं बघारूंगा कि मेरा लिंग 9″ या 10″ का है, मैंने इस कहानी में सिर्फ सत्य ही लिखा है और मेरे लिंग का वास्तविक नाप 6″ लंबा है।)
मैं बेड पर बैठा और कहा- समय व्यर्थ ना करो, बस मुझे प्यार करो। मैं तुम में सामना चाहता हूँ और तुम्हें बहुत प्यार करना चाहता हूँ।
हाँ जानू, मैं भी इस पल को हसीन बनाना चाहती हूँ।
आज के लिए इतना ही…
आप सभी पाठकों से अनुरोध है कि मुझे मेल करके बताएँ कि मेरा सत्य कहानी कैसी लगी।
आपके सुझाव सादर आमंत्रित हैं।
आप मुझसे फेसबुक पर भी जुड़ सकते हैं। मुझे फेसबुक पर एड करने के लिए मेरे ईमेल आईडी का प्रयोग करें।
[email protected]
What did you think of this story??
Comments